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अध्ययन लेख 18

गीत 1 यहोवा की खूबियाँ

न्याय और दया करनेवाले परमेश्‍वर पर भरोसा रखिए

न्याय और दया करनेवाले परमेश्‍वर पर भरोसा रखिए

“क्या सारी दुनिया का न्याय करनेवाला कभी अन्याय कर सकता है?”​—उत्प. 18:25.

क्या सीखेंगे?

इस लेख में यहोवा की दया और न्याय के गुण के बारे में हमें और गहरी समझ मिलेगी। हम जानेंगे कि जब नयी दुनिया में बुरे लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, तो हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।

1. यहोवा ने अब्राहम को कौन-सी ज़रूरी बात सिखायी जिससे हमें भी दिलासा मिलता है?

 हज़ारों साल पहले यहोवा ने अपने वफादार सेवक अब्राहम को बताया कि वह सदोम और अमोरा का नाश करनेवाला है। यह सुनकर अब्राहम बहुत परेशान हो गया। उसे समझ नहीं आया कि आखिर परमेश्‍वर ऐसा क्यों कर रहा है। इसलिए उसने परमेश्‍वर से पूछा, “क्या तू दुष्टों के साथ-साथ नेक लोगों को भी मिटा देगा? . . . क्या सारी दुनिया का न्याय करनेवाला कभी अन्याय कर सकता है?” तब यहोवा ने बड़े प्यार और सब्र से अब्राहम को एक ज़रूरी बात सिखायी जिससे आज हमें भी बहुत फायदा होता है और दिलासा मिलता है। वह यह कि यहोवा कभी-भी  नेक लोगों का नाश नहीं करेगा।​—उत्प. 18:23-33.

2. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा सही न्याय करता है और साथ ही दया भी करता है?

2 हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा जब भी न्याय करता है, तो वह हमेशा सही होता है और न्याय के साथ-साथ वह दया भी करता है? वह इसलिए कि यहोवा लोगों का “दिल देखता है।” (1 शमू. 16:7) वह जानता है कि “हर इंसान  का दिल कैसा है।” (1 राजा 8:39; 1 इति. 28:9) यह कितनी गज़ब की बात है ना! यहोवा हमसे कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है, इसलिए हम यहोवा के कुछ फैसलों को पूरी तरह नहीं समझ सकते। तभी प्रेषित पौलुस ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से यह लिखा, “उसके फैसले हमारी सोच से परे हैं।”​—रोमि. 11:33.

3-4. (क) हमारे मन में शायद क्या सवाल उठें? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे? (यूहन्‍ना 5:28, 29)

3 यह जानने के बाद भी हम शायद कभी-कभी अब्राहम की तरह सवाल करें। हम शायद सोचें, ‘जिन लोगों का नाश खुद यहोवा ने किया था, क्या उन्हें भी ज़िंदा किया जाएगा, जैसे सदोम और अमोरा के लोगों को? जब “बुरे” लोगों को “ज़िंदा किया जाएगा,” तो क्या उनमें वे लोग भी होंगे?’​—प्रेषि. 24:15.

4 आइए गौर करें कि मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने के बारे में हम क्या जानते हैं। हाल ही में यूहन्‍ना 5:28, 29 की हमारी समझ में फेरबदल हुआ था। (पढ़िए।) हमें समझाया गया था कि इसका क्या मतलब है कि कुछ लोगों को “ज़िंदा किया जाएगा ताकि वे जीवन पाएँ” और कुछ को “ज़िंदा किया जाएगा ताकि उनका न्याय किया जाए।” a इसे ध्यान में रखते हुए हमारी समझ में कुछ और फेरबदल भी किए गए हैं, जिनके बारे में हम इस लेख में और अगले लेख में जानेंगे। हम देखेंगे कि यहोवा के न्याय के बारे में हम क्या नहीं जानते  और क्या जानते हैं।

हम क्या नहीं जानते?

5. हमारे प्रकाशनों में पहले सदोम और अमोरा के लोगों के बारे में क्या कहा गया था?

5 बीते समय में हमने अपने प्रकाशनों में इस बारे में बताया था कि उन बुरे लोगों का क्या होगा जिनका यहोवा ने नाश कर दिया था। हमने कहा था कि ऐसे बुरे लोगों को भविष्य में ज़िंदा नहीं किया जाएगा, जैसे सदोम और अमोरा के लोगों को। लेकिन काफी प्रार्थना करने और अध्ययन करने के बाद हमने जाना है कि हम ऐसा पक्के तौर पर नहीं कह सकते। क्यों नहीं?

6. (क) कुछ किस्से बताइए जिनमें यहोवा ने बुरे लोगों का नाश किया था। (ख) इन किस्सों के बारे में हम क्या नहीं जानते?

6 बाइबल में ऐसे कई किस्से दिए गए हैं जिनमें यहोवा ने बुरे लोगों का नाश किया था। जैसे, यहोवा ने नूह और उसके परिवार को छोड़ बाकी सब लोगों का जलप्रलय में नाश कर दिया था। उसने इसराएलियों के ज़रिए वादा किए गए देश में बसी सात जातियों का भी नाश किया था। और उसने अपने एक स्वर्गदूत के ज़रिए एक ही रात में 1,85,000 अश्‍शूरी सैनिकों को भी मौत के घाट उतार दिया था। (उत्प. 7:23; व्यव. 7:1-3; यशा. 37:36, 37) लेकिन अब सवाल है कि क्या बाइबल में इस बात के सबूत हैं कि यहोवा ने इन सभी लोगों का हमेशा-हमेशा  के लिए नाश कर दिया है और वह इनमें से किसी को भी ज़िंदा नहीं करेगा? जी नहीं, बाइबल में इस बात के कोई सबूत नहीं दिए गए हैं। आइए इस बारे में और जानें।

7. जलप्रलय में नाश होनेवाले लोगों के बारे में और कनान के बुरे लोगों के बारे में हम क्या बात नहीं जानते? (तसवीर देखें।)

7 हम नहीं जानते कि जिन लोगों का नाश किया गया था, उनमें से हर व्यक्‍ति के बारे में यहोवा ने क्या सोचा था। ना ही हम यह जानते हैं कि उन्हें यहोवा के बारे में जानने और पश्‍चाताप करने का मौका मिला था या नहीं। जैसे, जलप्रलय के समय के बारे में बाइबल में यह तो बताया है कि नूह ‘नेकी का प्रचारक’ था, लेकिन यह नहीं  बताया है कि उसने उस ज़माने के हर इंसान को प्रचार किया था। (2 पत. 2:5) उसी तरह कनान देश की उन सात जातियों के बारे में भी हम एक बात नहीं जानते। हम नहीं जानते कि उन सभी बुरे लोगों को परमेश्‍वर को जानने और खुद को बदलने का मौका मिला था या नहीं।

नूह और उसका परिवार मिलकर जहाज़ बना रहे हैं। हम नहीं जानते कि जलप्रलय आने से पहले नूह ने जहाज़ बनाने के साथ-साथ धरती पर रहनेवाले सब लोगों को प्रचार किया था या नहीं (पैराग्राफ 7)


8. सदोम और अमोरा के लोगों के बारे में हम क्या नहीं जानते?

8 सदोम और अमोरा के लोगों के बारे में क्या कहा जा सकता है? लूत उन्हीं लोगों के बीच रहता था, वह एक नेक इंसान था। लेकिन क्या उसने वहाँ रहनेवाले सभी लोगों को प्रचार किया था? इस बारे में हम कुछ नहीं जानते। यह तो है कि सदोम में रहनेवाले सब लोग दुष्ट थे, लेकिन क्या उनमें से हर कोई जानता था कि वह जो कर रहा है, वह गलत है? याद कीजिए, जब सदोम के आदमी लूत के घर आए मेहमानों के साथ गलत काम करना चाहते थे, तो इस बारे में बाइबल में क्या लिखा है। इसमें लिखा है कि उन आदमियों में ‘लड़कों से लेकर बूढ़े तक’ थे। शायद इनमें से कइयों की परवरिश ही उस बुरे माहौल में हुई थी, इसलिए उन्हें एहसास ही नहीं था कि वे जो कर रहे हैं, वह कितना गलत है। (उत्प. 19:4; 2 पत. 2:7) अब ज़रा सोचिए, क्या दया करनेवाले परमेश्‍वर ने उन सभी लोगों को हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया और वह कभी उन्हें ज़िंदा नहीं करेगा? यह सच है कि वे लोग बुरे थे। तभी तो यहोवा ने अब्राहम को भरोसा दिलाया कि सदोम में दस नेक लोग भी नहीं हैं। (उत्प. 18:32) और उनकी बुराई की वजह से ही यहोवा ने उन्हें सज़ा दी। तो क्या हम पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि जब नयी दुनिया में ‘बुरे लोगों को ज़िंदा किया जाएगा,’ तो उनमें सदोम का एक भी  आदमी नहीं होगा? जी नहीं, हम पक्के तौर पर यह नहीं कह सकते।

9. हम सुलैमान के बारे में क्या नहीं जानते?

9 बाइबल में कुछ ऐसे लोगों के बारे में भी बताया गया है जो पहले अच्छे काम करते थे, लेकिन बाद में बुरे बन गए। ज़रा राजा सुलैमान के बारे में सोचिए। वह यहोवा की आज्ञाएँ अच्छी तरह जानता था और यहोवा ने उसे ढ़ेरों आशीषें दी थीं। लेकिन बाद में वह झूठे देवी-देवताओं को पूजने लगा। इस वजह से यहोवा बहुत गुस्सा हो गया और पूरे इसराएल राष्ट्र को कई सालों तक इसके बुरे अंजाम भुगतने पड़े। लेकिन बाइबल में लिखा है कि सुलैमान की मौत के बाद उसे “अपने पुरखों के साथ” दफनाया गया। उसके पुरखे यहोवा के वफादार थे और दाविद भी उनमें से एक था। (1 राजा 11:5-9, 43, फु.; 2 राजा 23:13) इस वजह से कई सालों तक हम मानते थे कि सुलैमान को ज़िंदा किया जाएगा। पर क्या सुलैमान का उसके पुरखों के साथ दफनाया जाना इस बात की गारंटी है कि यहोवा उसे ज़रूर ज़िंदा करेगा? बाइबल में ऐसा कहीं नहीं बताया गया है। लेकिन कुछ लोग शायद सोचें, ‘मरने के बाद तो एक इंसान के पाप माफ हो जाते हैं।’ (रोमि. 6:7, फु.) माना कि यह सच है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जिस किसी की मौत हो गयी है, उसे दोबारा जीवन मिलेगा ही मिलेगा। दोबारा ज़िंदा किया जाना यहोवा की तरफ से एक तोहफा है। और वही तय करता है कि वह किसे यह तोहफा देगा ताकि वह हमेशा उसकी सेवा कर सके। (अय्यू. 14:13, 14; यूह. 6:44) क्या यहोवा सुलैमान को यह तोहफा देगा? यह तो यहोवा ही जानता है। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यहोवा जो भी करेगा, वह बिलकुल सही होगा।

हम क्या जानते हैं?

10. जब यहोवा इंसानों का न्याय करता है, तो कैसा महसूस करता है? (यहेजकेल 33:11) (तसवीर भी देखें।)

10 यहेजकेल 33:11 पढ़िए। यहोवा ने हमें बताया है कि जब वह इंसानों का न्याय करता है, तो कैसा महसूस करता है। प्रेषित पतरस ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से यहेजकेल के शब्दों को दोहराया और कहा, “[यहोवा] नहीं  चाहता कि कोई भी  नाश हो।” (2 पत. 3:9) यह जानकर कितना दिलासा मिलता है कि यहोवा नहीं चाहता कि वह किसी का हमेशा-हमेशा के लिए नाश कर दे। यहोवा बहुत दयालु है और जब भी मुमकिन हो, वह दया करता है।

जब बुरे लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, तो अलग-अलग देश और भाषा के लोग ज़िंदा होंगे और उन्हें यहोवा के बारे में जानने का मौका मिलेगा (पैराग्राफ 10)


11. किन लोगों को ज़िंदा नहीं किया जाएगा और हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

11 हम एक और बात जानते हैं,  वह यह कि किन्हें ज़िंदा नहीं किया जाएगा। बाइबल में सिर्फ कुछ ही लोगों के बारे में ऐसा बताया है कि उन्हें ज़िंदा नहीं किया जाएगा। b यीशु की बातों से पता चलता है कि यहूदा इस्करियोती को ज़िंदा नहीं किया जाएगा, क्योंकि उसने जानबूझकर परमेश्‍वर यहोवा और उसके बेटे के खिलाफ पाप किया था। c (मर. 3:29 और उसके अध्ययन नोट भी देखें; 14:21; यूह. 17:12) यीशु ने कुछ धर्म गुरुओं के बारे में भी यह कहा था कि उन्हें ज़िंदा नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने उसका विरोध किया था। d (मत्ती 23:33; यूह. 19:11) प्रेषित पौलुस ने भी बताया कि उन धर्मत्यागियों को ज़िंदा नहीं किया जाएगा जिन्होंने पश्‍चाताप नहीं किया।​—इब्रा. 6:4-8; 10:29.

12. हम यहोवा की दया के बारे में क्या जानते हैं? कुछ उदाहरण दीजिए।

12 अब आइए यहोवा की दया के बारे में बात करें। हम इस बारे में क्या जानते हैं? जैसे हमने देखा “वह नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो।” यह बात यहोवा ने कैसे साबित की है? ज़रा गौर कीजिए कि वह उन लोगों के साथ किस तरह पेश आया जिन्होंने गंभीर पाप किए थे। राजा दाविद ने व्यभिचार किया था और एक आदमी का कत्ल भी करवाया था। लेकिन फिर उसने दिल से पश्‍चाताप किया, इसलिए यहोवा ने उस पर दया की और उसे माफ कर दिया। (2 शमू. 12:1-13) राजा मनश्‍शे ने पूरी ज़िंदगी बहुत बुरे-बुरे काम किए थे। लेकिन फिर भी जब उसने पश्‍चाताप किया, तो यहोवा ने उसका दिल देखा और उस पर दया की और उसे माफ कर दिया। (2 इति. 33:9-16) इन उदाहरणों से पता चलता है कि जब भी यहोवा को दया करने की वजह मिलती है, तो वह ज़रूर दया करता है। तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उन लोगों को ज़रूर ज़िंदा करेगा जिन्होंने अपने पाप कबूल किए थे और पश्‍चाताप किया था।

13. (क) यहोवा ने नीनवे के लोगों पर दया क्यों की? (ख) आगे चलकर यीशु ने नीनवे के लोगों के बारे में क्या कहा?

13 हम एक और बात जानते हैं। हम जानते हैं कि यहोवा ने नीनवे के लोगों पर दया की थी। उसने योना से नीनवे शहर के बारे में कहा था, “जा और उसे सज़ा सुना। क्योंकि मैं उसकी दुष्टता को अनदेखा नहीं कर सकता।” लेकिन फिर नीनवे के लोगों ने अपने बुरे काम छोड़ दिए और पश्‍चाताप किया। यह देखकर यहोवा ने उन्हें माफ कर दिया। यहोवा योना से कितना अलग था! योना तो बहुत गुस्सा हो गया था और उसे नीनवे के लोगों पर ज़रा भी दया नहीं आयी। तब यहोवा ने योना को याद दिलाया कि नीनवे के लोग तो “सही-गलत में फर्क तक नहीं जानते।” (योना 1:1, 2; 3:10; 4:9-11) आगे चलकर यीशु ने इस किस्से से लोगों को सिखाया कि यहोवा एक दयालु परमेश्‍वर है और उसका न्याय हमेशा सही होता है। नीनवे के लोगों ने पश्‍चाताप किया था, इसलिए यीशु ने कहा कि वे ‘न्याय के वक्‍त उठेंगे’ यानी उन्हें ज़िंदा किया जाएगा।​—मत्ती 12:41.

14. ज़िंदा किए जाने के बाद जब ‘बुरे लोगों का न्याय किया जाएगा,’ तो नीनवे के लोगों का क्या होगा?

14 नीनवे के लोग ‘न्याय के वक्‍त उठेंगे’ यानी ज़िंदा किए जाएँगे। यहाँ किस “न्याय” की बात की गयी है? यीशु ने बताया था कि भविष्य में मरे हुओं को “ज़िंदा किया जाएगा ताकि उनका न्याय किया जाए।” (यूह. 5:29) यीशु उस समय की बात कर रहा था, जब उसके हज़ार साल के राज के दौरान “अच्छे और बुरे” दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा। (प्रेषि. 24:15) बुरे लोगों को “ज़िंदा किया जाएगा ताकि उनका न्याय किया जाए।” इसका मतलब है कि नयी दुनिया में ज़िंदा किए जाने के बाद, उन्हें परमेश्‍वर के बारे में सिखाया जाएगा और फिर उनका न्याय किया जाएगा। यहोवा और यीशु यह देखेंगे कि ये लोग कैसा रवैया दिखा रहे हैं और खुद को बदल रहे हैं या नहीं और फिर उस हिसाब से उनका न्याय करेंगे। अगर नीनवे का कोई आदमी यहोवा की उपासना करने से इनकार करता है, तो उसे दोषी ठहराया जाएगा और उसका नाश कर दिया जाएगा। (यशा. 65:20) लेकिन जो लोग यहोवा की उपासना करने का फैसला करेंगे, वे जीवन पाएँगे और हमेशा-हमेशा तक जीएँगे।​—दानि. 12:2.

15. (क) यह कहना क्यों सही नहीं होगा कि सदोम और अमोरा में जिन लोगों का नाश हुआ था, उनमें से किसी को भी ज़िंदा नहीं किया जाएगा? (ख) यहूदा 7 में लिखी बात का क्या मतलब है? (“ यहूदा की बात का क्या मतलब था?” नाम का बक्स देखें।)

15 यीशु ने कहा था कि “न्याय के दिन” सदोम और अमोरा के लोगों का हाल, उन लोगों से कहीं अच्छा होगा जिन्होंने उसे और उसकी शिक्षाओं को ठुकराया था। (मत्ती 10:14, 15; 11:23, 24; लूका 10:12) क्या यीशु ने सदोम और अमोरा के लोगों का ज़िक्र बस यह बताने के लिए किया था कि उसके दिनों के लोग कितने गए गुज़रे हैं? शायद हमें ऐसा ही लगे। लेकिन यीशु के शब्दों से ऐसा मालूम होता है कि सदोम और अमोरा के लोगों के लिए सच में उम्मीद है। उनके बारे में बात करते वक्‍त यीशु ने “न्याय के दिन” की बात की। और याद कीजिए, यीशु ने नीनवे के लोगों के बारे में बताते वक्‍त भी “न्याय के वक्‍त” का ज़िक्र किया था और कहा था कि वे सच में ज़िंदा होंगे। इसलिए हम कह सकते हैं कि सदोम और अमोरा के कुछ लोगों को भी ज़िंदा किया जा सकता है। एक और बात पर ध्यान दीजिए। नीनवे के लोगों की तरह सदोम और अमोरा के लोग भी बुरे काम करते थे। नीनवे के लोगों को तो पश्‍चाताप करने का मौका मिला था, लेकिन सदोम और अमोरा के लोगों को नहीं। और यीशु ने कहा था कि “जो बुरे कामों में लगे हुए थे, उन्हें ज़िंदा किया जाएगा ताकि उनका न्याय किया जाए।” (यूह. 5:29) इस वजह से भी हम कह सकते हैं कि सदोम और अमोरा के कुछ लोगों को ज़िंदा किया जा सकता है। और शायद हमें उन्हें यहोवा और यीशु के बारे में सिखाने का मौका मिले।

16. यहोवा कैसे तय करेगा कि वह किसे ज़िंदा करेगा और किसे नहीं? (यिर्मयाह 17:10)

16 यिर्मयाह 17:10 पढ़िए। इस आयत में एक और बात बतायी है जो हम जानते हैं।  वह यह कि यहोवा हर इंसान के ‘दिल को जाँचता है और गहराई में छिपे विचारों को परखता है।’ इसलिए भविष्य में जब परमेश्‍वर तय करेगा कि किसे ज़िंदा किया जाना है, तो वह ‘हरेक को उसके चालचलन के मुताबिक फल देगा।’ जब ज़रूरी होगा तो वह सख्ती दिखाएगा, लेकिन जब भी मुमकिन होगा, वह दया करेगा। इसलिए हमें किसी व्यक्‍ति के बारे में यह नहीं कहना चाहिए कि उसे ज़िंदा नहीं किया जाएगा। बाइबल में जिनके बारे में यह साफ-साफ कहा गया है, हम सिर्फ उन्हीं के बारे में ऐसा कह सकते हैं।

“सारी दुनिया का न्याय करनेवाला” कभी “अन्याय” नहीं करेगा

17. जो लोग मर चुके हैं, उनका क्या होगा?

17 जब से आदम-हव्वा ने शैतान का साथ दिया और यहोवा के खिलाफ हो गए, तब से लेकर आज तक करोड़ों लोगों की मौत हुई है। मौत हमारी “दुश्‍मन” है और इसने अनगिनत लोगों को अपना शिकार बनाया है। (1 कुरिं. 15:26) लेकिन जो लोग मर चुके हैं, उनका क्या होगा? 1,44,000 में से जो लोग मर चुके हैं, उन्हें स्वर्ग में जीवन मिल चुका है। और उनमें से जो लोग धरती पर बचे हैं, उन्हें भी स्वर्ग में अमर जीवन मिलेगा। (प्रका. 14:1) इसके अलावा धरती पर बड़ी तादाद में “अच्छे” लोगों को ज़िंदा किया जाएगा। ये वे लोग हैं जो यहोवा से प्यार करते थे। और अगर वे मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान और आखिरी परीक्षा में भी वफादार रहे, तो वे धरती पर हमेशा-हमेशा तक जीएँगे। (दानि. 12:13; इब्रा. 12:1) हज़ार साल के दौरान “बुरे” लोगों को भी ज़िंदा किया जाएगा। उनमें वे लोग होंगे जिन्होंने कभी यहोवा की सेवा नहीं की या “जो बुरे कामों में लगे हुए थे।” उन्हें मौका मिलेगा कि वे खुद को बदलें और यहोवा की सेवा करें। (लूका 23:42, 43) लेकिन कुछ लोग बहुत दुष्ट थे। वे जानबूझकर यहोवा और उसके मकसद के खिलाफ गए। इसलिए यहोवा ने फैसला किया है कि वह उन्हें ज़िंदा नहीं करेगा।​—लूका 12:4, 5.

18-19. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमेशा सही न्याय करता है? (यशायाह 55:8, 9) (ख) अगले लेख में हम क्या जानेंगे?

18 हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा जब भी लोगों का न्याय करता है, तो वह हमेशा सही होता है। अब्राहम भी यह बात अच्छे-से जानता था। उसे पता था कि “सारी दुनिया का न्याय करनेवाला” परमेश्‍वर यहोवा बहुत दयालु है, वह सबकुछ जानता है और हमेशा वही करता है जो सही होता है। यहोवा ने अपने बेटे को भी न्याय करना सिखाया है और न्याय करने की सारी ज़िम्मेदारी उसे सौंप दी है। (यूह. 5:22) वे दोनों इंसानों का दिल पढ़ सकते हैं और जान सकते हैं कि हर इंसान अंदर से कैसा है। (मत्ती 9:4) इसलिए वे ‘कभी अन्याय नहीं करेंगे,’ हमेशा वही करेंगे जो सही होगा।

19 आइए हम भरोसा रखें कि यहोवा सबकुछ जानता है। और यह याद रखें कि हम कभी-भी दूसरों का न्याय नहीं कर सकते, सिर्फ यहोवा ही लोगों का न्याय कर सकता है। (यशायाह 55:8, 9 पढ़िए।) हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा और यीशु एकदम सही न्याय करेंगे। हमारा राजा यीशु बिलकुल अपने पिता की तरह है। वह एकदम सही न्याय करेगा और दया भी करेगा। (यशा. 11:3, 4) लेकिन यहोवा और यीशु महा-संकट के दौरान कैसे लोगों का न्याय करेंगे? इस बारे में हम क्या जानते हैं?  और क्या नहीं जानते?  अगले लेख में इन सवालों के जवाब दिए जाएँगे।

गीत 57 हर किस्म के लोगों को सच्चाई बताएँ

b आदम, हव्वा और कैन को ज़िंदा किया जाएगा या नहीं, यह जानने के लिए 1 जनवरी, 2013 की प्रहरीदुर्ग  के पेज 12 पर दिया फुटनोट पढ़ें।

c यूहन्‍ना 17:12 में यहूदा को “विनाश का बेटा” कहा गया है। इसका मतलब है कि मरने के बाद उसका हमेशा के लिए नाश हो चुका है और उसे मरे हुओं में से ज़िंदा नहीं किया जाएगा।

d 15 अप्रैल, 2008 की प्रहरीदुर्ग  का पेज 32, पै 5 पढ़ें।