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नौजवानो—आप बपतिस्मे के लिए कैसे तैयार हो सकते हैं?

नौजवानो—आप बपतिस्मे के लिए कैसे तैयार हो सकते हैं?

“हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ।”—भज. 40:8.

गीत: 51, 45

1, 2. (क) समझाइए कि बपतिस्मा लेना क्यों एक गंभीर फैसला है। (ख) बपतिस्मा लेने से पहले एक व्यक्‍ति को क्या यकीन होना चाहिए?

क्या आप एक नौजवान हैं और बपतिस्मा लेना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आपके लिए इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है? जैसे पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था, बपतिस्मा एक गंभीर फैसला है। इससे दूसरों को पता चलता है कि आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है। या यूँ कहें कि आपने उससे वादा किया है कि आपकी ज़िंदगी में उसकी मरज़ी पूरी करना ही सबसे ज़रूरी बात है और आप हमेशा उसकी सेवा करते रहेंगे। यह परमेश्वर से किया एक गंभीर वादा है, इसलिए आपको सिर्फ तभी बपतिस्मा लेना चाहिए जब आप काफी हद तक समझदार हो गए हों, ऐसा करने की आपकी दिली इच्छा हो और आप समझते हों कि परमेश्वर को समर्पण करने का क्या मतलब है।

2 लेकिन शायद आपको लगे कि आप बपतिस्मा लेने के लिए तैयार नहीं हैं। या आपको शायद लगे कि आप तैयार हैं, लेकिन आपके मम्मी-पापा को ऐसा नहीं लगता। वे सोचते हैं कि आपको अभी रुकना चाहिए, जब तक कि आप बड़े न हो जाएँ और आपको थोड़ा और तजुरबा न हो जाए। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? निराश मत होइए, बल्कि इस दौरान तरक्की कीजिए ताकि आप जल्दी बपतिस्मा लेने के काबिल बन सकें। इसके लिए आप तीन अलग-अलग पहलुओं में लक्ष्य रख सकते हैं: (1) आपका पक्का यकीन, (2) आपके काम और (3) आपकी एहसानमंदी।

आपका पक्का यकीन

3, 4. नौजवान तीमुथियुस की मिसाल से क्या सीख सकते हैं?

3 सोचिए कि आप इन सवालों के क्या जवाब देंगे: मैं क्यों यकीन करता हूँ कि परमेश्वर वजूद में है? मुझे क्यों यकीन है कि बाइबल परमेश्वर ने लिखवायी है? मैं दुनिया के तौर-तरीके अपनाने के बजाय परमेश्वर के नैतिक स्तरों पर क्यों चलता हूँ? इन सवालों से आपको प्रेषित पौलुस की इस सलाह पर चलने में मदद मिलेगी, “खुद के लिए मालूम करते रहो कि परमेश्वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी सिद्ध इच्छा क्या है।” (रोमि. 12:2) आपको ऐसा क्यों करना चाहिए?

4 तीमुथियुस की मिसाल पर गौर कीजिए। उसे बाइबल का अच्छा ज्ञान था, क्योंकि उसकी माँ और नानी ने उसे सच्चाई सिखायी थी। फिर भी पौलुस ने तीमुथियुस से कहा, “जो बातें तू ने सीखी हैं और जिनका तुझे दलीलें देकर यकीन दिलाया गया था, उन्हीं बातों पर कायम रह।” (2 तीमु. 3:14, 15) जी हाँ, तीमुथियुस को पक्का यकीन था कि उसे सच्चाई मिल गयी है। और उसने सच्चाई अपना ली। वह इसलिए नहीं कि उसकी माँ और नानी ने ऐसा करने के लिए उससे कहा था, बल्कि इसलिए कि उसने सीखी हुई बातों पर तर्क किया था और उसे दलीलें देकर यकीन दिलाया गया था।—रोमियों 12:1 पढ़िए।

5, 6. यह क्यों ज़रूरी है कि आप छोटी उम्र में ही “अपनी सोचने-समझने की शक्‍ति” का इस्तेमाल करना सीखें?

5 आपके बारे में क्या? हो सकता है आप काफी लंबे समय से बाइबल की सच्चाई जानते हों। अगर ऐसा है, तो क्यों न और अच्छी तरह यह जानने का लक्ष्य रखें कि आप जो मानते हैं उसकी वजह क्या हैं? इससे आप अपना विश्वास मज़बूत कर पाएँगे और दोस्तों के दबाव में आकर या दुनिया की सोच की वजह से या भावनाओं में बहककर कोई गलत फैसला नहीं लेंगे।

6 अगर आप छोटी उम्र में ही “अपनी सोचने-समझने की शक्‍ति” का इस्तेमाल करना सीखें, तो आप उन सवालों के जवाब दे पाएँगे जो आपके हमउम्र आपसे पूछते हैं। जैसे, ‘आप कैसे इतने यकीन के साथ कह सकते हैं कि एक परमेश्वर है? अगर परमेश्वर हमसे प्यार करता है, तो वह बुरे काम क्यों होने देता है? यह कैसे मुमकिन है कि परमेश्वर हमेशा से वजूद में है?’ अगर आप तैयार होंगे तो ऐसे सवाल आपके मन में शक पैदा नहीं करेंगे, बल्कि ये आपको उकसाएँगे कि आप और ध्यान से बाइबल का अध्ययन करें।

7-9. समझाइए कि इंटरनेट पर दी श्रृंखला “पवित्र शास्त्र क्या सिखाता है?” में जो अभ्यास हैं, उनसे आपको अपना विश्वास मज़बूत करने में कैसे मदद मिल सकती है।

7 ध्यान से निजी अध्ययन करने से आप सवालों के जवाब दे सकते हैं, किसी भी तरह का शक दूर कर सकते हैं और आपको सच्चाई पर और पक्का यकीन हो सकता है। (प्रेषि. 17:11) ऐसा करने में कई लोगों के लिए जीवन की शुरूआत पाँच सवाल—जवाब पाना ज़रूरी ब्रोशर मददगार साबित हुआ है। इसके अलावा, ऐसी दूसरी किताबें-पत्रिकाएँ भी आपकी मदद कर सकती हैं, जिनमें हमारे सृष्टिकर्ता और उसकी सृष्टि के बारे में समझाया गया है। कई जवानों को jw.org वेबसाइट पर अँग्रेज़ी में दी “पवित्र शास्त्र क्या सिखाता है?” श्रृंखला काफी अच्छी लगी है और इससे उन्हें फायदा हुआ है। यह श्रृंखला “शास्त्र से जानिए” के तहत ‘नौजवानों के लिए’ पेज पर दी गयी है। इस श्रृंखला में इस तरह ‘अभ्यास’ तैयार किए गए हैं कि उनसे आप बाइबल के किसी विषय पर अपना विश्वास मज़बूत कर सकते हैं।

8 आप बाइबल के विद्यार्थी हैं, इसलिए अभ्यास में दिए कुछ सवालों के जवाब शायद आपको पहले से पता हों। लेकिन क्या आपको अपने जवाबों पर पूरा यकीन है? इन अभ्यासों से आपको अलग-अलग आयतों पर अच्छी तरह सोचने और अपने विश्वास की वजह लिखने का बढ़ावा मिलेगा। इनसे आप समझ पाएँगे कि आप दूसरों को अपने विश्वास के बारे में कैसे समझा सकते हैं। अगर आप इंटरनेट पर “पवित्र शास्त्र क्या सिखाता है?” इस्तेमाल करते हैं, तो आप अपना विश्वास मज़बूत करने के लिए इसे अपने निजी अध्ययन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

9 आपको खुद को यकीन दिलाना चाहिए कि यही सच्चाई है। इससे आप बपतिस्मे के लिए तैयार हो पाएँगे। एक नौजवान बहन कहती है, “बपतिस्मा लेने का फैसला करने से पहले मैंने बाइबल का अध्ययन किया और पाया कि यही सच्चा धर्म है। जैसे-जैसे दिन गुज़रते हैं, मेरा यह यकीन और पक्का होता जाता है।”

आपके काम

10. एक बपतिस्मा-शुदा मसीही से यह उम्मीद करना क्यों सही है कि वह अपने विश्वास के मुताबिक काम करे?

10 बाइबल कहती है, “जिस विश्वास के साथ काम न हों, ऐसा विश्वास मरा हुआ है।” (याकू. 2:17) अगर आपका यकीन पक्का है, तो यह उम्मीद करना सही है कि आप अपना यकीन कामों से दिखाएँ। कैसे? बाइबल कहती है कि आप “पवित्र चालचलन रखनेवाले और परमेश्वर की भक्‍ति के काम करनेवाले” हों।—2 पतरस 3:11 पढ़िए।

11. शब्द “पवित्र चालचलन” के बारे में समझाइए।

11 “पवित्र चालचलन” के लिए ज़रूरी है कि आप नैतिक तौर पर शुद्ध हों। इस मामले में आप खुद के बारे में क्या कहेंगे? ज़रा पिछले छ: महीनों के बारे में सोचिए। जब आपको कुछ गलत करने के लिए लुभाया गया और आपको तय करना था कि आप क्या करेंगे, तब क्या आपने ध्यान से सोचा कि क्या सही है और क्या गलत? (इब्रा. 5:14) क्या आपको कुछ ऐसे मौके याद हैं, जब आपने लुभाए जाने पर या दोस्तों का दबाव होने पर भी कोई गलत काम नहीं किया? स्कूल में क्या आपका व्यवहार दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण है? क्या आप यहोवा के वफादार रहते हैं या अपनी क्लास के बच्चों की तरह बनने की कोशिश करते हैं, ताकि वे आपका मज़ाक न उड़ाएँ? (1 पत. 4:3, 4) हाँ यह सच है कि हममें से कोई भी सिद्ध नहीं। कभी-कभी शायद वे भाई-बहन भी प्रचार करने से झिझकें, जो सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं। लेकिन जिसने परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित की है, वह यहोवा का साक्षी कहलाने में गर्व महसूस करेगा और अपने शुद्ध चालचलन से यह ज़ाहिर भी करेगा।

12. (क) “परमेश्वर की भक्‍ति के काम” क्या हैं? (ख) आपको उनके बारे में कैसा महसूस करना चाहिए?

12 “परमेश्वर की भक्‍ति के काम” क्या हैं? इसमें मंडली से जुड़े काम शामिल हैं। जैसे, सभाओं में जाना और प्रचार करना। लेकिन इसमें वे काम भी शामिल हैं जो दूसरों को नज़र नहीं आते, जैसे आपकी निजी प्रार्थनाएँ और आपका निजी अध्ययन। जिसने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है, उसे ये काम बोझ नहीं लगेंगे। वह कुछ वैसा ही महसूस करेगा, जैसा राजा दाविद ने महसूस किया था, “हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बसी है।”—भज. 40:8.

13, 14. (क) “परमेश्वर की भक्‍ति के काम” करने में क्या बात आपकी मदद कर सकती है? (ख) कुछ नौजवानों को कैसे फायदा हुआ है?

13 “परमेश्वर की भक्‍ति के काम” करने में कुछ इस तरह के सवाल आपके लिए मददगार हो सकते हैं। जैसे, ‘आप कितनी छोटी-छोटी बातों के लिए प्रार्थना करते हैं? आपकी प्रार्थनाओं से यहोवा के लिए आपके प्यार के बारे में क्या पता चलता है? आप किन-किन विषयों पर निजी अध्ययन करते हैं? क्या आप तब भी प्रचार में जाते हैं, जब आपके माता-पिता नहीं जाते?’ [1] इस तरह के सवालों के जवाब लिखिए। इससे आपको ऐसे लक्ष्य रखने में मदद मिलेगी, जिनसे आप अपनी प्रार्थनाएँ, निजी अध्ययन और प्रचार सेवा में और तरक्की कर पाएँगे।

14 कई नौजवान जो बपतिस्मा लेने की सोच रहे थे, उन्हें इस तरह के सवालों के जवाब लिखने से काफी मदद मिली है। टिलडा नाम की एक नौजवान बहन कहती है कि इस तरह के सवालों के जवाब लिखने से उसे लक्ष्य रखने में मदद मिली। एक-एक करके वह अपने लक्ष्य हासिल करती गयी और एक साल बाद वह बपतिस्मा लेने के योग्य हो गयी। पैट्रिक नाम के एक नौजवान भाई को भी कुछ ऐसे ही कामयाबी मिली। वह कहता है, “मैं जानता था कि मेरे लक्ष्य क्या हैं, लेकिन उन्हें लिख लेने से मैं उन्हें हासिल करने के लिए ज़्यादा मेहनत कर पाया।”

अगर आपके माता-पिता यहोवा की सेवा करना छोड़ दें, क्या तब भी आप यहोवा की सेवा करते रहेंगे? (पैराग्राफ 15 देखिए)

15. समझाइए कि समर्पण एक निजी फैसला क्यों होना चाहिए।

15 एक अहम सवाल है, “अगर आपके माता-पिता या दोस्त यहोवा की सेवा करना छोड़ दें, क्या तब भी आप यहोवा की सेवा करते रहेंगे?” यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने और बपतिस्मा लेने की वजह से आपका यहोवा के साथ एक निजी रिश्ता होगा। इसलिए आप यहोवा की सेवा में जो करेंगे वह इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि आपके माता-पिता या कोई और ऐसा करता है या नहीं। आपके पवित्र चालचलन से और परमेश्वर की भक्‍ति के कामों से पता चलता है कि आपको यकीन है कि यही सच्चाई है और आप यहोवा के स्तरों पर चलना चाहते हैं। ऐसा करते रहने से जल्द ही आप बपतिस्मे के काबिल बन जाएँगे।

आपकी एहसानमंदी

16, 17. (क) एक मसीही बनने की क्या वजह होनी चाहिए? (ख) फिरौती के लिए एहसानमंदी को किस मिसाल से समझा जा सकता है?

16 एक बार एक व्यक्‍ति ने, जो मूसा के कानून का अच्छा जानकार था, यीशु से पूछा, “परमेश्वर के कानून में सबसे बड़ी आज्ञा कौन-सी है?” यीशु ने जवाब दिया, “तुझे अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना है।” (मत्ती 22:35-37) यीशु ने समझाया कि यहोवा के लिए प्यार होने की वजह से ही हमें बपतिस्मा लेना चाहिए और मसीही बनना चाहिए। यहोवा के लिए अपना प्यार मज़बूत करने का एक बढ़िया तरीका है, फिरौती बलिदान के बारे में गहराई से सोचना, जो इंसानों के लिए परमेश्वर की तरफ से सबसे बड़ा तोहफा है। (2 कुरिंथियों 5:14, 15; 1 यूहन्ना 4:9, 19 पढ़िए।) ऐसा करने से आप इस लाजवाब तोहफे के लिए एहसानमंदी दिखाए बिना नहीं रह पाएँगे।

17 इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। सोचिए कि आप डूब रहे हैं, लेकिन तभी कोई आपको बचा लेता है। तो क्या आप उस व्यक्‍ति को बिना कुछ कहे घर चले जाएँगे, अपने कपड़े सुखाएँगे और भूल जाएँगे कि उसने आपके लिए क्या किया है? बिलकुल नहीं! आप हमेशा उस व्यक्‍ति के एहसानमंद रहेंगे, जिसने आपकी जान बचायी! उसी तरह, हमें फिरौती बलिदान के लिए यहोवा और यीशु के एहसानमंद होना चाहिए। हम अपनी ज़िंदगी के लिए उनके कर्ज़दार हैं! उन्होंने हमें पाप और मौत की गुलामी से छुड़ाया है। उनके प्यार की वजह से हमारे पास फिरदौस बनी धरती पर हमेशा जीने की आशा है।

18, 19. (क) यहोवा को अपनी ज़िंदगी सौंपने से आपको क्यों डरना नहीं चाहिए? (ख) यहोवा की सेवा करने से आपकी ज़िंदगी कैसे बेहतर बन जाती है?

18 यहोवा ने आपके लिए जो किया है, क्या आप उसके एहसानमंद हैं? अगर हाँ, तो यह ज़ाहिर करने के लिए समर्पण और बपतिस्मा एकदम सही कदम हैं। याद रखिए, समर्पण करके आप यहोवा से वादा करते हैं कि आप हमेशा उसकी मरज़ी पूरी करेंगे। क्या आपको ऐसा वादा करने से डरना चाहिए? नहीं! यहोवा आपकी भलाई चाहता है और वह “उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।” (इब्रा. 11:6) जब आप यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके बपतिस्मा लेंगे तो आपकी ज़िंदगी और बेहतर हो जाएगी। चौबीस साल का एक भाई, जिसने नौजवान होने से पहले ही बपतिस्मा ले लिया था, कहता है, “अगर मैं उस वक्‍त बड़ा होता तो शायद मुझे बातों की गहरी समझ होती, लेकिन यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने की वजह से मैं दुनियावी लक्ष्य रखने से बचा रहा।”

19 यहोवा आपकी भलाई चाहता है, जबकि शैतान मतलबी है और उसे आपकी कोई परवाह नहीं। अगर आप उसके पीछे चलें तब भी वह आपको कुछ अच्छा नहीं दे सकता। उसके पास जो है ही नहीं, वह चीज़ वह आपको कैसे दे सकता है? उसके पास खुशखबरी नहीं है और न ही उसके पास कोई आशा है। उसका भविष्य अंधकार में है और वह अगर आपको कुछ दे सकता है तो बस अंधकार से भरा भविष्य!—प्रका. 20:10.

20. नौजवान तरक्की करते रहने के लिए क्या कर सकते हैं ताकि वे समर्पण और बपतिस्मे के काबिल बन सकें? (“ तरक्की करने में आपकी मदद के लिए” बक्स भी देखिए।)

20 यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करना, आपकी ज़िंदगी का सबसे बढ़िया फैसला होगा। क्या आप ऐसा करने के लिए तैयार हैं? अगर हाँ, तो ऐसा करने से हिचकिचाइए मत। लेकिन अगर आपको लगता है कि आप तैयार नहीं हैं, तो इस लेख में दिए सुझावों पर अमल करके तरक्की करते रहिए। पौलुस ने फिलिप्पी के भाइयों से कहा कि वे हमेशा तरक्की करते रहें। (फिलि. 3:16) अगर आप यह सलाह मानें, तो जल्द ही आप यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके बपतिस्मा लेना चाहेंगे।

^ [1] (पैराग्राफ 13) कुछ नौजवानों को क्वेश्चन्स यंग पीपल आस्क—आंसर्स दैट वर्क, वॉल्यूम 2 किताब के पेज 308 और 309 में दिए अभ्यास से काफी मदद मिली है।