अध्ययन लेख 10
हम सब एक बाइबल विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं
‘जब हर अंग काम करता है तो इससे शरीर बढ़ता जाता है।’—इफि. 4:16.
गीत 85 एक-दूसरे का स्वागत करें
लेख की एक झलक *
1-2. बपतिस्मा लेने में बाइबल विद्यार्थी की कौन मदद कर सकता है?
फिजी में रहनेवाली एमी कहती है, “मुझे बाइबल के बारे में सीखकर अच्छा लग रहा था। मैं जानती थी कि यही सच्चाई है। लेकिन जब मैं भाई-बहनों के साथ वक्त बिताने लगी, तब मैं अपनी ज़िंदगी में बदलाव करने लगी और बपतिस्मा लेने के योग्य बनी।” एमी ने जो कहा उससे हम एक ज़रूरी बात सीखते हैं: जब मंडली के भाई-बहन विद्यार्थी की मदद करते हैं, तो वह बपतिस्मा लेने के लिए कदम उठाता है।
2 नए लोगों को मंडली का हिस्सा बनने में हर प्रचारक मदद करता है। (इफि. 4:16) वनुआतु में रहनेवाली एक पायनियर बहन लैलानी कहती है, “हमारे यहाँ एक कहावत है, एक बच्चे को बड़ा करने में पूरे गाँव का हाथ होता है। चेला बनाने का काम भी कुछ ऐसा ही है। एक व्यक्ति को सच्चाई में लाने में मंडली के हर प्रचारक का हाथ होता है।” सच में, एक बच्चे को बड़ा करने में परिवारवाले, दोस्त-रिश्तेदार, टीचर सबकी मेहनत लगती है। वे उसे सिखाते हैं, उसका हौसला बढ़ाते हैं। उसी तरह, प्रचारक विद्यार्थी को सलाह दे सकते हैं, उसका हौसला बढ़ा सकते हैं और उसके लिए अच्छी मिसाल रख सकते हैं। उनकी मेहनत से एक विद्यार्थी बपतिस्मा लेने के लिए कदम उठा सकता है।—नीति. 15:22.
3. ऐना, डैनियेल और लैलानी ने जो कहा, उससे आप क्या सीखते हैं?
3 मान लीजिए एक प्रचारक बाइबल अध्ययन चलाता है और दूसरे भाई-बहन उसके विद्यार्थी की मदद करना चाहते हैं, तो उस प्रचारक को क्या करना चाहिए? उसे उनकी मदद लेनी चाहिए। ध्यान दीजिए कि इस बारे में कुछ पायनियरों का क्या कहना है। मोलदोवा की एक खास पायनियर ऐना कहती है, “जब आपका विद्यार्थी बदलाव करने लगता है, तो आप अकेले उसकी मदद नहीं कर पाएँगे।” उसी देश में सेवा करनेवाला एक और खास पायनियर डैनियेल * कहता है, “कभी-कभार भाई-बहन विद्यार्थियों को कुछ ऐसी बात बताते हैं जो उनके दिल को छू जाती है। शायद मेरे दिमाग में वह बात कभी नहीं आती।” लैलानी कहती है, “भाई-बहनों का प्यार और अपनापन देखकर विद्यार्थी समझ जाते हैं कि यही सच्चे परमेश्वर के लोग हैं।”—यूह. 13:35.
4. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?
4 लेकिन आप शायद सोचें, ‘मैं इस व्यक्ति का अध्ययन नहीं चलाता, तो मैं इसकी मदद कैसे कर सकता हूँ?’ आइए चर्चा करें कि जब कोई हमें अपने बाइबल अध्ययन पर बुलाता है या कोई विद्यार्थी सभाओं में आने लगता है, तो हम क्या कर सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि बपतिस्मा लेने में प्राचीन, विद्यार्थी की मदद कैसे कर सकते हैं।
जब आप किसी के अध्ययन पर जाते हैं
5. जब आप किसी के बाइबल अध्ययन पर जाते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?
5 विद्यार्थी को सिखाने की ज़िम्मेदारी खास तौर पर अध्ययन चलानेवाले की है। जब एक भाई या बहन आपको अपने बाइबल अध्ययन पर बुलाता है, तो आपको उसकी मदद करनी चाहिए। (सभो. 4:9, 10) लेकिन आप उसकी मदद कैसे कर सकते हैं?
6. किसी के अध्ययन पर जाने से पहले आप नीतिवचन 20:18 में दिए सिद्धांत को कैसे मान सकते हैं?
6 बाइबल अध्ययन की तैयारी कीजिए। अध्ययन पर जाने से पहले विद्यार्थी के बारे में जानने की कोशिश कीजिए। (नीतिवचन 20:18 पढ़िए।) आप चाहें तो अध्ययन चलानेवाले से कुछ सवाल कर सकते हैं। जैसे, “विद्यार्थी की उम्र क्या है? वह क्या मानता है? उसके परिवार में कौन-कौन हैं? किस विषय में अध्ययन होनेवाला है? इस अध्ययन के ज़रिए आप उसे क्या सिखाना चाहते हैं? विद्यार्थी से बात करते वक्त मुझे क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं? मैं उसका हौसला कैसे बढ़ा सकता हूँ?” हाँ यह बात सच है कि अध्ययन चलानेवाला आपको उसकी निजी जानकारी नहीं देगा, लेकिन वह आपको जो भी बताएगा उससे आप विद्यार्थी की मदद कर पाएँगे। जॉय नाम की एक मिशनरी बहन बताती है कि उसके साथ जो भी अध्ययन पर आता है उससे वह इन विषयों के बारे में बात करती है। वह कहती है, “इस तरह मेरे साथ आनेवाले भाई-बहन मेरे विद्यार्थी को अच्छी तरह जान पाते हैं और अध्ययन के दौरान सही तरीके से उसकी मदद कर पाते हैं।”
7. जब कोई आपको अपने अध्ययन पर बुलाता है, तो आपको पहले से तैयारी क्यों करनी चाहिए?
7 जब कोई आपको अध्ययन पर बुलाता है, तो पढ़े जानेवाले भाग की अच्छी तैयारी करके जाइए। (एज्रा 7:10) डैनियेल जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहता है, “जब भाई-बहन बाइबल अध्ययन की अच्छी तैयारी करते हैं, तो वे मेरे विद्यार्थी का अच्छे-से हौसला बढ़ा पाते हैं।” जब आप और अध्ययन चलानेवाला भाई या बहन अच्छी तैयारी करेंगे, तो विद्यार्थी पर इसका अच्छा असर पड़ेगा। अगर आप कभी अध्ययन की अच्छे-से तैयारी न कर पाएँ, तो कम-से-कम उसके मुख्य मुद्दे देखकर जाइए।
8. आपको क्या करना चाहिए जिससे आपकी प्रार्थनाएँ विद्यार्थी के दिल को छू जाएँ?
8 प्रार्थना बाइबल अध्ययन का एक ज़रूरी हिस्सा है। इसलिए पहले से सोचकर जाइए कि अगर आपको प्रार्थना करने के लिए कहा गया, तो आप क्या कहेंगे। इस तरह आप प्रार्थना में ऐसी बातें कह पाएँगे जो विद्यार्थी के दिल को छू जाएँ। (भज. 141:2) जापान में रहनेवाली हानाई को आज भी वे प्रार्थनाएँ याद हैं जो उसके अध्ययन पर एक बहन करती थी। वह कहती है, “उसकी प्रार्थनाओं से मुझे महसूस होता था कि यहोवा के साथ उसका बहुत गहरा रिश्ता है। मैं भी उसकी तरह बनना चाहती थी। जब वह अपनी प्रार्थनाओं में मेरा नाम लेती थी, तो मुझे बहुत अच्छा लगता था।”
9. याकूब 1:19 के मुताबिक आप अध्ययन चलानेवाले का साथ कैसे दे सकते हैं?
9 अध्ययन चलानेवाले का साथ दीजिए। नाइजीरिया में सेवा करनेवाली एक खास पायनियर कहती है, “एक अच्छा साथी इस बात को समझता है कि सिखाने की ज़िम्मेदारी शिक्षक की है। अध्ययन के दौरान वह ज़्यादा बात नहीं करता। लेकिन जहाँ ज़रूरी है, वहाँ एक-दो बातें बताता है।” आप कैसे जान सकते हैं कि आपको कब और क्या बोलना चाहिए? (नीति. 25:11) जब शिक्षक और विद्यार्थी बात कर रहे होते हैं, तो ध्यान से उनकी सुनिए। (याकूब 1:19 पढ़िए।) तब आप समझ पाएँगे कि आपको कब और क्या बोलना चाहिए। फिर भी आपको बहुत सोच-समझकर बोलना है, नहीं तो आप बहुत ज़्यादा बोलने लग सकते हैं। या फिर जब शिक्षक कुछ समझा रहा है, तो आप बीच में बोलने लग सकते हैं या फिर मुद्दे से हटकर बात करने लग सकते हैं। लेकिन जो मुद्दा सिखाया जा रहा है अगर उसी को समझाने के लिए आप एक छोटा-सा उदाहरण दें, एक सवाल करें या एक-दो बातें कहें, तो इससे विद्यार्थी को बहुत फायदा होगा। कभी-कभी शायद आपको लगे कि जिस विषय पर अध्ययन हो रहा है, उस पर बोलने के लिए आपके पास कुछ नहीं है। फिर भी अगर आप विद्यार्थी की तारीफ करें और उसमें सच्ची दिलचस्पी लें, तो उसका हौसला बढ़ेगा।
10. आपके अनुभव सुनकर विद्यार्थी को क्या फायदा हो सकता है?
10 अपने अनुभव बताइए। विद्यार्थी को बताइए कि आप सच्चाई में कैसे आए, आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा और यहोवा ने कैसे आपकी मदद की। (भज. 78:4, 7) हो सकता है, आपका अनुभव सुनकर विद्यार्थी का विश्वास मज़बूत हो और उसे बढ़ावा मिले कि वह भी बपतिस्मा ले। या आपके अनुभव सुनकर वह समझ पाएगा कि उसे अपनी मुश्किलों को कैसे पार करना है। (1 पत. 5:9) ब्राज़ील में रहनेवाला गेब्रीयल जो आज एक पायनियर है, याद करता है कि जब वह अध्ययन कर रहा था तो किस बात ने उसकी मदद की। वह बताता है, “भाइयों के अनुभव सुनकर मैं समझ पाया कि यहोवा जानता है कि हम किन मुश्किलों से गुज़रते हैं। और अगर भाई-बहन अपनी मुश्किलों को पार कर सकते हैं, तो मैं भी कर सकता हूँ।”
जब बाइबल विद्यार्थी सभाओं में आने लगता है
11-12. सभा में हमें बाइबल विद्यार्थी का प्यार से स्वागत क्यों करना चाहिए?
11 विद्यार्थी को लगातार सभाओं में आना होगा, तभी वह बपतिस्मे के लिए कदम उठा पाएगा। (इब्रा. 10:24, 25) हालाँकि उसका अध्ययन चलानेवाला उसे सभाओं में बुलाता है, लेकिन जब वह आता है तो हम सब उसका हौसला बढ़ा सकते हैं कि वह सभाओं में आता रहे। हम ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि वह लगातार सभाओं में आए?
12 विद्यार्थी का प्यार से स्वागत कीजिए। (रोमि. 15:7) जब विद्यार्थी सभा में आता है, तो उसका स्वागत कीजिए, उसमें सच्ची दिलचस्पी लीजिए। उसकी बातें ध्यान से सुनिए और उसे दूसरों से मिलवाइए। यह मत सोचिए कि उसका अध्ययन चलानेवाला उसे सबसे मिलवाएगा। हो सकता है, सभा के लिए वह भाई या बहन अभी तक पहुँचा न हो या राज-घर में उसे कुछ काम हो। जब सभी भाई-बहन विद्यार्थी से अच्छे-से मिलेंगे और उसका स्वागत करेंगे, तो वह बार-बार सभाओं में आना चाहेगा। दिमित्री नाम के भाई के अनुभव पर ध्यान दीजिए। कुछ समय पहले उसका बपतिस्मा हुआ था और आज वह एक सहायक सेवक है। वह बताता है कि जब वह पहली बार सभा में गया तो क्या हुआ, “मैं राज-घर के अंदर जाने से झिझक रहा था। तभी एक भाई ने मुझे देखा। वह मेरे पास आया और मुझे अंदर ले गया। वहाँ और भी लोग थे, उन्होंने मुझसे अच्छे-से बात की। उनके आपस का प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। ऐसा माहौल मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मैं सोचने लगा, काश! इस तरह की सभा हर दिन होती।”
13. आपका अच्छा चालचलन देखकर विद्यार्थी को किस बात का यकीन होगा?
13 अच्छी मिसाल रखिए। आपका अच्छा चालचलन देखकर विद्यार्थी को यकीन हो जाएगा कि वह जो सीख रहा है, वही सच्चाई है। (मत्ती 5:16) विटाली कहता है, “मैंने मंडली के भाई-बहनों को बहुत करीब से देखा है, वे कैसी सोच रखते हैं, कैसा व्यवहार करते हैं। इससे मुझे यकीन हो गया कि यही सच्चा धर्म है।” आज विटाली मोलदोवा में पायनियर सेवा कर रहा है।
14. आपकी मिसाल देखकर बाइबल विद्यार्थी को क्या करने का बढ़ावा मिलेगा?
14 बपतिस्मे के योग्य बनने के लिए विद्यार्थी को सीखी बातों के मुताबिक जीना होगा। ऐसा करना आसान नहीं है। लेकिन जब वह देखेगा कि आप बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जी रहे हैं और आपको फायदा हो रहा है, तो वह भी ऐसा करना चाहेगा। 1 कुरिं. 11:1) हानाई के उदाहरण पर ध्यान दीजिए जिसका पहले ज़िक्र किया गया था। वह कहती है, “मैं बाइबल से सीख रही थी कि हमें दूसरों से प्यार करना चाहिए, उनका हौसला बढ़ाना चाहिए और उन्हें दिल से माफ करना चाहिए। मैंने भाई-बहनों को खुद ऐसा करते देखा। वे हमेशा दूसरों के बारे में अच्छी बातें कहते थे। इससे मुझे बढ़ावा मिला कि मैं भी उनकी तरह बनूँ।”
(15. नीतिवचन 27:17 के मुताबिक विद्यार्थियों से दोस्ती करना क्यों ज़रूरी है?
15 विद्यार्थी से दोस्ती कीजिए। जब विद्यार्थी सभाओं में आने लगता है, तो उसमें सच्ची दिलचस्पी लीजिए। (फिलि. 2:4) उससे पूछिए कि उसका अध्ययन कैसा चल रहा है, परिवार में सब कैसे हैं और उसका काम कैसा चल रहा है। मगर उससे ऐसे सवाल मत कीजिए जिससे वह शर्मिंदा हो जाए। उससे बात करने से आप उसके अच्छे दोस्त बन पाएँगे और बपतिस्मा लेने में उसकी मदद कर पाएँगे। (नीतिवचन 27:17 पढ़िए।) हानाई आज एक पायनियर है। वह बताती है कि जब वह सभाओं में जाने लगी तो क्या हुआ, “भाई-बहनों से मेरी दोस्ती हो गयी। सभाओं में जाना मुझे अच्छा लगने लगा। मैं तब भी सभाओं में जाती थी, जब मैं थकी हुई होती थी। इन नए दोस्तों की वजह से मैं उनसे दोस्ती तोड़ पायी जो यहोवा की उपासना नहीं करते थे। मैं चाहती थी कि यहोवा और भाई-बहनों के साथ मेरी दोस्ती गहरी हो जाए। इसलिए मैंने बपतिस्मा लेने का फैसला किया।”
16. आप विद्यार्थी को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि वह मंडली का हिस्सा है?
16 जब विद्यार्थी अपनी ज़िंदगी में बदलाव करता है, तो उसे एहसास दिलाइए कि वह मंडली का हिस्सा है। आप उसे अपने घर बुला सकते हैं, उसके साथ वक्त बिता सकते हैं। (इब्रा. 13:2) डेनिस जो आज मोलदोवा में सेवा कर रहा है, कहता है, “जब मैं और मेरी पत्नी बाइबल अध्ययन कर रहे थे, तो भाइयों ने कई बार हमें अपने घर बुलाया। उन्होंने हमें बताया कि कैसे यहोवा ने उनकी मदद की है। उन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया। उनकी बातें सुनकर हममें भी यहोवा की सेवा करने की इच्छा जगी और हमें यकीन हो गया कि उसकी सेवा करने से हमारी ज़िंदगी अच्छी हो जाएगी।” जब विद्यार्थी प्रचारक बनता है, तो आप उसके साथ प्रचार में जा सकते हैं। ब्राज़ील में रहनेवाला भाई जीएगो कहता है, “कई भाई मुझे अपने साथ प्रचार में ले जाते थे। इससे मैं उन्हें अच्छे-से जान पाया और उनसे बहुत कुछ सीख पाया। मैं यहोवा और यीशु का भी दोस्त बन पाया।”
प्राचीन क्या कर सकते हैं?
17. प्राचीन, विद्यार्थियों की कैसे मदद कर सकते हैं?
17 विद्यार्थियों के लिए समय निकालिए। प्राचीनों को विद्यार्थियों में सच्ची दिलचस्पी लेनी चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए। तब वे बपतिस्मा लेने के लिए कदम उठा पाएँगे। जब विद्यार्थी सभाओं में जवाब देने के लिए हाथ खड़े करते हैं, तो उनका नाम लेकर बुलाइए। उन्हें अच्छा लगेगा। प्राचीनो, क्या आप
भाई-बहनों के साथ उनके बाइबल अध्ययन पर जाने के लिए वक्त निकाल सकते हैं? इसका विद्यार्थी पर अच्छा असर पड़ेगा। नाइजीरिया में रहनेवाली एक पायनियर बहन जैकी कहती है, “बहुत-से विद्यार्थी यह देखकर हैरान हो जाते हैं कि जो मेरे साथ उनके अध्ययन पर आया है, वह प्राचीन है। मेरे एक विद्यार्थी ने कहा, ‘पास्टर मेरे घर कभी नहीं आता। वह उन्हीं के घर जाता है जो अमीर हैं और जो उन्हें पैसे देते हैं।’” आज वह विद्यार्थी अपने पूरे परिवार के साथ सभाओं में आता है।18. प्राचीन प्रेषितों 20:28 में बतायी ज़िम्मेदारी कैसे निभा सकते हैं?
18 अध्ययन चलाने में प्रचारकों की मदद कीजिए और उनका हौसला बढ़ाइए। यह प्राचीनों की ज़िम्मेदारी है कि वे भाई-बहनों को अच्छे-से प्रचार करना और अध्ययन चलाना सिखाएँ। (प्रेषितों 20:28 पढ़िए।) अगर कोई आपके सामने बाइबल अध्ययन चलाने से हिचकिचाता है, तो आप चला सकते हैं। जैकी बताती है, “प्राचीन अकसर मेरे विद्यार्थियों के बारे में पूछते हैं। और जब अध्ययन चलाने में मुझे मुश्किल होती है, तो वे मुझे अच्छे सुझाव देते हैं।” प्राचीन अध्ययन चलानेवाले भाई-बहनों की हिम्मत बढ़ा सकते हैं, उनकी तारीफ कर सकते हैं ताकि वे इस काम में लगे रहें। (1 थिस्स. 5:11) जैकी यह भी बताती है, “जब प्राचीन मुझसे कहते हैं कि मैं अच्छा काम कर रही हूँ और वे मेरे काम की कदर करते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होती है। ऐसा लगता है मानो गरमी के दिनों में किसी ने मुझे एक गिलास ठंडा पानी दे दिया हो। उनकी बातें सुनकर मुझे बहुत ताज़गी मिलती है।”—नीति. 25:25.
19. हम सबको किस बात से खुशी मिलती है?
19 भले ही आज हमारे पास कोई बाइबल अध्ययन न हो, लेकिन हम बपतिस्मा लेने में किसी विद्यार्थी की मदद ज़रूर कर सकते हैं। जब हम किसी के अध्ययन पर जाते हैं, तो हम अच्छी तैयारी करके जा सकते हैं। हम सोच-समझकर बात कर सकते हैं ताकि विद्यार्थी का हौसला बढ़े। और जब कोई विद्यार्थी सभाओं में आता है, तो हम उससे दोस्ती कर सकते हैं, उसके लिए अच्छी मिसाल रख सकते हैं। प्राचीन, विद्यार्थियों के लिए समय निकाल सकते हैं और अध्ययन चलानेवाले भाई-बहनों की तारीफ कर सकते हैं, उन्हें सिखा सकते हैं। सच में, एक व्यक्ति को सच्चाई में लाने में मंडली के हर व्यक्ति का हाथ होता है और इस काम से हम सबको खुशी मिलती है।
गीत 79 उन्हें मज़बूत रहना सिखाओ