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अध्ययन लेख 13

गीत 127 यहोवा चाहे जैसा, बनूँ मैं वैसा

आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपसे खुश है?

आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपसे खुश है?

“मैंने तुझे मंज़ूर किया है।”​—लूका 3:22.

क्या सीखेंगे?

आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपको मंज़ूर करता है यानी आपसे खुश है?

1. यहोवा के कुछ वफादार सेवकों के मन में शायद क्या खयाल आए?

 यह जानकर हमें कितना दिलासा मिलता है कि यहोवा अपने सभी सेवकों को मंज़ूर करता है। बाइबल में लिखा है, “यहोवा अपने लोगों से खुश होता है।” (भज. 149:4) लेकिन कभी-कभी शायद हम बहुत निराश हो जाएँ और सोचने लगें, ‘क्या यहोवा मुझसे  खुश है?’ बीते ज़माने में यहोवा के कई वफादार सेवकों के मन में भी ऐसे खयाल आए थे।​—1 शमू. 1:6-10; अय्यू. 29:2, 4; भज. 51:11.

2. यहोवा किनसे खुश होता है?

2 बाइबल से साफ पता चलता है कि अपरिपूर्ण इंसान भी यहोवा की मंज़ूरी पा सकते हैं यानी उसे खुश कर सकते हैं। पर हम यह कैसे कर सकते हैं? हमें यीशु मसीह पर विश्‍वास करना होगा और बपतिस्मा लेना होगा। (यूह. 3:16) बपतिस्मा लेकर हम ज़ाहिर करते हैं कि हमने अपने पापों का पश्‍चाताप किया है और परमेश्‍वर से वादा किया है कि हम उसकी मरज़ी पूरी करेंगे। (प्रेषि. 2:38; 3:19) ऐसा करके हम यहोवा के दोस्त बनने की कोशिश करते हैं और इससे यहोवा को बहुत खुशी होती है। अगर हम अपने समर्पण के वादे को निभाने की पूरी कोशिश करें, तो यहोवा हमसे खुश होगा और हमें अपना दोस्त मानेगा।​—भज. 25:14.

3. इस लेख में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?

3 कुछ लोगों को शायद क्यों ऐसा लग सकता है कि परमेश्‍वर उनसे खुश नहीं है? यहोवा कैसे यह ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है? और एक मसीही अपना यकीन कैसे बढ़ा सकता है कि यहोवा उससे खुश है?

कुछ लोगों को क्यों लग सकता है कि यहोवा उनसे खुश नहीं है?

4-5. अगर हमें लगे कि हम किसी काम के नहीं हैं, तो हम क्या याद रख सकते हैं?

4 हममें से कई लोगों को बचपन से ही ऐसा लगता है कि हम किसी काम के नहीं हैं।  (भज. 88:15) भाई एड्रियान बताते हैं, “मुझे हमेशा से ही लगता था कि मैं किसी काम का नहीं हूँ। मुझे याद है जब मैं छोटा था, तो मैं प्रार्थना किया करता था कि मेरा परिवार नयी दुनिया में जाए। पर मुझे लगता था कि मैं वहाँ जाने के लायक ही नहीं हूँ।” जब टोनी छोटा था तो उसके मम्मी-पापा साक्षी नहीं थे। वह कहता है, “मम्मी-पापा ने मुझसे कभी नहीं कहा कि वे मुझसे प्यार करते हैं या उन्हें मुझ पर नाज़ है। इसलिए मुझे लगता था कि मैं चाहे कुछ भी कर लूँ, मैं उन्हें कभी खुश नहीं कर सकता।”

5 कभी-कभी शायद हमें भी लगे कि हम किसी काम के नहीं हैं। ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा ने खुद हमें अपने पास खींचा है। (यूह. 6:44) वह हमारा दिल देखता है। वह हममें ऐसी अच्छाइयाँ देखता है, जो शायद हम खुद में देख ही ना पाएँ। (1 शमू. 16:7; 2 इति. 6:30) इसलिए जब वह कहता है कि वह हमसे प्यार करता है और हमें अनमोल समझता है, तो हम उस पर पूरा यकीन रख सकते हैं।​—1 यूह. 3:19, 20.

6. पौलुस ने पहले जो पाप किए थे, उनके बारे में सोचकर उसे कैसा लगता था?

6 सच्चाई सीखने से पहले हममें से कुछ लोगों ने ऐसे काम किए थे जिनकी वजह से शायद हम आज भी दोषी  महसूस करते हों। (1 पत. 4:3) दूसरे वफादार मसीहियों को भी अपनी कमज़ोरियों से लड़ना पड़ता है। क्या आपके साथ भी ऐसा ही है? क्या आपको लगता है कि यहोवा आपको कभी माफ नहीं कर सकता? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। बीते ज़माने में यहोवा के सेवकों ने भी ऐसा महसूस किया था। ज़रा प्रेषित पौलुस के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब वह इस बारे में सोचता था कि उसमें कितनी खामियाँ हैं, कितनी कमज़ोरियाँ हैं, तो उसे बहुत बुरा लगता था। (रोमि. 7:24) पौलुस ने पहले जो पाप किए थे, उनके लिए उसने पश्‍चाताप किया था और बपतिस्मा लिया था। फिर भी उसने कहा, “मैं प्रेषितों में सबसे छोटा हूँ” और “पापियों में सबसे बड़ा।”​—1 कुरिं. 15:9; 1 तीमु. 1:15.

7. अगर पहले आपसे गलतियाँ हुई हैं, तो आप क्या याद रख सकते हैं?

7 हमारे पिता यहोवा ने हमसे वादा किया है कि अगर हम पश्‍चाताप करें, तो वह हमें माफ कर देगा। (भज. 86:5) अगर हमें अपने किए पर सच में पछतावा है, तो हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ने हमारे सारे गुनाह माफ कर दिए हैं।​—कुलु. 2:13.

8-9. अगर हमें लगता है कि हम चाहे जो भी करें, हम यहोवा को खुश नहीं कर सकते, तो हमें क्या याद रखना चाहिए?

8 हम सब चाहते हैं कि हम दिलो-जान से यहोवा की सेवा करें। लेकिन हो सकता है, कुछ लोगों को लगे कि वे चाहे जो भी करें, वे यहोवा को खुश नहीं कर सकते।  बहन अमैंडा बताती हैं, “मुझे लगता था कि तन-मन से यहोवा की सेवा करने का मतलब है, हमेशा और ज़्यादा करने की कोशिश करना। इस वजह से मैं खुद से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद करने लगी थी। और जब मैं वैसा नहीं कर पाती थी, तो मुझे बहुत बुरा लगता था और मैं सोचती थी कि यहोवा भी मुझसे नाराज़ है।”

9 अगर हमें लगता है कि हम चाहे जो भी करें, हम यहोवा को खुश नहीं कर सकते, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा लिहाज़ करनेवाला परमेश्‍वर है। वह कभी-भी हमसे कुछ ऐसा करने के लिए नहीं कहता जो हम नहीं कर सकते, बल्कि जब हम तन-मन से उसकी सेवा करते हैं, तो वह इसकी बहुत कदर करता है। हमें बाइबल में दिए उन लोगों के उदाहरणों पर भी ध्यान देना चाहिए जिन्होंने पूरे दिल से यहोवा की सेवा की थी। ज़रा एक बार फिर पौलुस के बारे में सोचिए। उसने कई सालों तक पूरे जोश से यहोवा की सेवा की, हज़ारों किलोमीटर का सफर तय किया और कई मंडलियाँ शुरू कीं। लेकिन जब उसके हालात बदल गए, तो वह उतना प्रचार नहीं कर पा रहा था जितना वह पहले करता था। तो क्या इस वजह से उसने यहोवा की मंज़ूरी खो दी? जी नहीं। पौलुस जितना कर सकता था, वह करता रहा और इसके लिए यहोवा ने उसे आशीष दी। (प्रेषि. 28:30, 31) उसी तरह हमारे हालात एक-जैसे नहीं रहते, कभी हम ज़्यादा कर पाते हैं तो कभी कम। पर यहोवा इस पर ध्यान नहीं देता, बल्कि वह यह देखता है कि हम किस इरादे से उसकी सेवा कर रहे हैं। अब आइए देखें कि यहोवा किस तरह यह ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है।

यहोवा कैसे ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है?

10. अगर हम यहोवा से सुनना चाहते हैं कि वह हमसे खुश है, तो हमें क्या करना होगा? (यूहन्‍ना 16:27)

10 बाइबल के ज़रिए।  यहोवा जिनसे प्यार करता है, उन्हें बताता है कि वह उनसे खुश है। जैसे बाइबल में लिखा है कि यहोवा ने दो बार यीशु से कहा कि वह उसका प्यारा बेटा है और उसने उसे मंज़ूर किया है। (मत्ती 3:17; 17:5) क्या आप भी यहोवा से यह सुनना चाहते हैं कि वह आपसे खुश है? यहोवा स्वर्ग से तो हमसे बात नहीं करता, लेकिन अपने वचन बाइबल के ज़रिए हमसे बात करता है। जैसे जब हम खुशखबरी की किताबों में यीशु की बातें पढ़ते हैं, तो यह ऐसा है मानो हम यहोवा की बातें सुन रहे हैं। (यूहन्‍ना 16:27 पढ़िए।) वह क्यों? क्योंकि यीशु बिलकुल अपने पिता की तरह है। तो जब हम पढ़ते हैं कि यीशु ने किस तरह अपने शिष्यों से बात की, कैसे उनके लिए अपना प्यार ज़ाहिर किया, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि यहोवा खुद हमसे वे बातें कह रहा है।​—यूह. 15:9, 15.

यहोवा कई तरीकों से ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है (पैराग्राफ 10)


11. हम क्यों कह सकते हैं कि मुश्‍किलें आने का मतलब यह नहीं है कि यहोवा हमसे खुश नहीं है? (याकूब 1:12)

11 अपने कामों से।  यहोवा हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है, जैसे वह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है। लेकिन कभी-कभी शायद यहोवा हमें मुश्‍किलों से गुज़रने दे, ठीक जैसे अय्यूब के साथ हुआ था। (अय्यू. 1:8-11) लेकिन मुश्‍किलें आने का यह मतलब नहीं है कि यहोवा हमसे खुश नहीं है। उलटा उस वक्‍त हमारे पास यह ज़ाहिर करने का मौका होता है कि हम यहोवा से कितना प्यार करते हैं और उस पर कितना भरोसा रखते हैं। (याकूब 1:12 पढ़िए।) और उस दौरान जब हम देखेंगे कि यहोवा किस तरह हमें सँभाल रहा है, मुश्‍किलें सहने में हमारी मदद कर रहा है, तो हम महसूस कर पाएँगे कि उसे हमारी परवाह है।

12. हम भाई दिमित्री के उदाहरण से क्या सीख सकते हैं?

12 एशिया के एक देश में रहनेवाले भाई दिमित्री के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उनकी नौकरी चली गयी थी और कई महीनों तक उन्हें कोई दूसरा काम नहीं मिला। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वे प्रचार में ज़्यादा समय बिताएँगे और इस तरह यह ज़ाहिर करेंगे कि उन्हें यहोवा पर पूरा भरोसा है। लेकिन कई महीने बीत गए और उन्हें दूसरी नौकरी नहीं मिली। फिर उनकी सेहत खराब होने लगी और वे इतने बीमार हो गए कि बिस्तर से भी नहीं उठ पा रहे थे। वे सोचने लगे कि वे एक अच्छे पति और पिता नहीं हैं। उन्हें यह भी लगने लगा कि शायद यहोवा उनसे खुश नहीं है। फिर एक दिन शाम को उनकी बेटी ने उन्हें एक कागज़ दिया जिस पर यशायाह 30:15 के ये शब्द लिखे हुए थे: “शांत रहो और मुझ पर भरोसा करो, तब तुम्हें हिम्मत मिलेगी।” फिर वह यह कागज़ अपने पिता के पास लेकर गयी और उनसे कहा, “पापा, जब भी आपको बुरा लगे, तो आप यह आयत देखना।” तब भाई दिमित्री को एहसास हुआ कि यहोवा ने उन्हें छोड़ा नहीं है, वह अब भी उनका खयाल रख रहा है। उनके परिवार के पास खाना, कपड़े और रहने की जगह है। वे कहते हैं, “मुझे बस शांत रहना था और यहोवा पर भरोसा रखना था।” अगर आप भी ऐसी किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं, तो आप भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा को आपकी परवाह है और वह मुश्‍किलें सहने में आपकी ज़रूर मदद करेगा।

यहोवा कई तरीकों से ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है (पैराग्राफ 12) a


13. यहोवा शायद और कैसे हमें यकीन दिलाए कि वह हमसे खुश है?

13 अपने सेवकों के ज़रिए।  यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए यह ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है। जैसे हो सकता है, वह भाई-बहनों के मन में यह बात डाले कि वे ज़रूरत के वक्‍त हमारा हौसला बढ़ाएँ। एशिया के एक देश में रहनेवाली हमारी एक बहन ने ऐसा ही महसूस किया। एक वक्‍त पर वे बहुत तनाव में थीं। उनकी नौकरी चली गयी थी और फिर वे बहुत बीमार हो गयीं। फिर उनके पति ने एक बड़ा पाप किया जिस वजह से उनसे प्राचीन की ज़िम्मेदारी ले ली गयी। बहन कहती हैं, “मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा है। मुझे लगने लगा कि शायद मुझसे ही कोई गलती हो गयी होगी और यहोवा मुझसे खुश नहीं है।” तब बहन ने यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती की कि वह उन्हें यकीन दिलाए कि वह उनसे खुश है। यहोवा ने कैसे उनकी प्रार्थना का जवाब दिया? बहन बताती हैं, “प्राचीनों ने मुझसे बात की और मुझे यकीन दिलाया कि यहोवा अब भी मुझसे प्यार करता है।” कुछ समय बाद, बहन ने फिर से यहोवा से वही प्रार्थना की। बहन कहती हैं, “उसी दिन मुझे एक खत मिला। यह खत मेरी मंडली के कुछ भाई-बहनों ने भेजा था। उसमें लिखी बातें पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा, बहुत दिलासा मिला। मुझे एहसास हुआ कि यहोवा ने मेरी प्रार्थना सुन ली है।” इस अनुभव से पता चलता है कि यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए हमारा हौसला बढ़ाता है और इस तरह ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है।​—भज. 10:17.

यहोवा कई तरीकों से ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है (पैराग्राफ 13) b


14. यहोवा और किस तरह ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है?

14 यहोवा एक और तरीके से ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है। ज़रूरत पड़ने पर वह भाई-बहनों के ज़रिए हमें सलाह देता है। पहली सदी में कुछ ऐसा ही हुआ था। यहोवा ने प्रेषित पौलुस को उभारा और उसने भाई-बहनों को 14 चिट्ठियाँ लिखीं। उन चिट्ठियों में पौलुस ने उन्हें सीधे-सीधे मगर प्यार से सलाह दी। लेकिन यहोवा ने क्यों पौलुस के मन में यह बात डाली कि वह भाई-बहनों को सलाह दे? क्योंकि यहोवा एक अच्छा पिता है। और वह अपने बच्चों को इसलिए सुधारता है, क्योंकि वह उनसे बेहद प्यार करता है। (नीति. 3:11, 12) इसलिए जब कोई आपको बाइबल से सलाह दे, तो ऐसा मत सोचिए कि यहोवा आपसे नाराज़ है, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि वह आपसे खुश है। (इब्रा. 12:6) हमें और कैसे पता चलता है कि यहोवा हमसे खुश है?

यहोवा हमसे खुश है इसके कुछ और सबूत

15. यहोवा किन्हें अपनी पवित्र शक्‍ति देता है और इससे किस बात पर हमारा यकीन बढ़ता है?

15 यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति  उन लोगों को देता है जिनसे वह खुश है और उसकी पवित्र शक्‍ति की मदद से हम अपने अंदर कई अच्छे गुण बढ़ा पाते हैं। (मत्ती 12:18) तो खुद से पूछिए, ‘क्या मेरे व्यवहार से यह ज़ाहिर होता है कि मैंने अपने अंदर पवित्र शक्‍ति का कोई गुण बढ़ाया है?’ जैसे क्या सच्चाई सीखने के बाद आप लोगों के साथ और ज़्यादा सब्र रखने लगे हैं? जितना ज़्यादा आप पवित्र शक्‍ति के गुण अपने अंदर बढ़ाएँगे और ज़ाहिर करेंगे, उतना ही आपको यकीन हो जाएगा कि यहोवा आपसे खुश है।​—“ पवित्र शक्‍ति का फल है . . .” नाम का बक्स देखें।

क्या आप वे सबूत देख पा रहे हैं जिनसे पता चलता है कि यहोवा आपसे खुश है? (पैराग्राफ 15)


16. यहोवा किन्हें खुशखबरी सुनाने की ज़िम्मेदारी देता है और यह जानकर आपको कैसा लगता है? (1 थिस्सलुनीकियों 2:4)

16 यहोवा उन लोगों को खुशखबरी  सुनाने की ज़िम्मेदारी देता है जिनसे वह खुश है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:4 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि खुशखबरी सुनाने से बहन जोसलिन को कैसे इस बात पर और भी यकीन हो गया। बहन बताती हैं कि एक दिन जब वे सुबह उठीं, तो वे बहुत निराश महसूस कर रही थीं। वे कहती हैं, “मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी काम की नहीं हूँ। लेकिन मैं पायनियर सेवा कर रही थी और उस दिन मुझे प्रचार में जाना था, इसलिए मैंने प्रार्थना की और प्रचार के लिए निकल गयी।” उसी सुबह बहन की मुलाकात मैरी नाम की एक औरत से हुई जो बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गयी। कुछ महीनों बाद मैरी ने बहन को बताया कि जब बहन ने उसका दरवाज़ा खटखटाया, तब वह परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रही थी और उससे मदद माँग रही थी। इस अनुभव से बहन जोसलिन क्या समझ पायीं? वे कहती हैं, “मुझे ऐसा लगा जैसे यहोवा मुझसे कह रहा है, ‘मैं तुझसे खुश हूँ।’” यह सच है कि प्रचार में हर कोई हमारी नहीं सुनेगा। फिर भी जब हम तन-मन से खुशखबरी सुनाने की कोशिश करते हैं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमसे खुश है।

क्या आप वे सबूत देख पा रहे हैं जिनसे पता चलता है कि यहोवा आपसे खुश है? (पैराग्राफ 16) c


17. बहन विकी ने फिरौती बलिदान के बारे में जो कहा, उससे आप क्या सीख सकते हैं? (भजन 5:12)

17 यहोवा फिरौती  बलिदान के आधार पर उन लोगों को माफ करता है जिनसे वह खुश है। (1 तीमु. 2:5, 6) हो सकता है, फिरौती बलिदान पर विश्‍वास करने और बपतिस्मा लेने के बाद भी हमें लग रहा हो कि यहोवा हमसे खुश नहीं है। ऐसे में हम याद रख सकते हैं कि हम जो सोचते हैं और जैसा महसूस करते हैं, वह हमेशा सही नहीं होता। लेकिन हम यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। जो लोग फिरौती पर विश्‍वास करते हैं, उन्हें यहोवा नेक समझता है और उसने वादा किया है कि वह उन्हें आशीष देगा। (भजन 5:12 पढ़िए; रोमि. 3:26) फिरौती बलिदान पर मनन करने से बहन विकी को बहुत मदद मिली। एक दिन उन्होंने इस इंतज़ाम के बारे में गहराई से सोचा और तब उन्हें एहसास हुआ: “यहोवा इतने समय से मेरे साथ सब्र रख रहा था। पर मैं मानो उससे कह रही थी, ‘आपके प्यार से मुझे कोई फायदा नहीं हो सकता। आपके बेटे का बलिदान मेरे पापों को नहीं ढक सकता।’” फिरौती बलिदान पर मनन करने से धीरे-धीरे बहन को महसूस होने लगा कि यहोवा उनसे प्यार करता है। हम भी जब फिरौती के इंतज़ाम पर मनन करेंगे, तो महसूस कर पाएँगे कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हमसे खुश है।

क्या आप वे सबूत देख पा रहे हैं जिनसे पता चलता है कि यहोवा आपसे खुश है? (पैराग्राफ 17)


18. अगर हम हमेशा यहोवा से प्यार करते रहें, तो हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

18 इस लेख में हमने जिन सुझावों पर बात की, हम शायद उन्हें मानने की पूरी कोशिश करें। फिर भी हो सकता है, कभी हम निराश हो जाएँ और सोचने लगें कि यहोवा हमसे खुश नहीं है। ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि ‘जो हमेशा यहोवा से प्यार करते हैं,’ वह उनसे खुश होता है। (याकू. 1:12) तो लगातार यहोवा के करीब आते रहिए और यह देखने की कोशिश कीजिए कि वह कैसे ज़ाहिर कर रहा है कि वह आपसे खुश है। और कभी मत भूलिए, “वह हममें से किसी से भी दूर नहीं है।”​—प्रेषि. 17:27.

आपका जवाब क्या होगा?

  • कुछ लोगों को शायद क्यों ऐसा लगे कि यहोवा उनसे खुश नहीं है?

  • यहोवा किन तरीकों से ज़ाहिर करता है कि वह हमसे खुश है?

  • हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमसे खुश है?

गीत 88 मुझे अपनी राहें सिखा

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