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अध्ययन लेख 9

गीत 75 “मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज!”

क्या आप यहोवा को समर्पण करने के लिए तैयार हैं?

क्या आप यहोवा को समर्पण करने के लिए तैयार हैं?

“यहोवा ने मेरे साथ जितनी भी भलाई की है, उसका बदला मैं कैसे चुकाऊँगा?”​—भज. 116:12.

क्या सीखेंगे?

इस लेख में बताया जाएगा कि आप यहोवा के लिए अपना प्यार कैसे बढ़ा सकते हैं। इससे आपका मन करेगा कि आप उसे अपना जीवन समर्पित करें और बपतिस्मा लें।

1-2. बपतिस्मा लेने से पहले क्या करना ज़रूरी है?

 पिछले पाँच सालों में दस लाख से भी ज़्यादा लोगों ने बपतिस्मा लिया और यहोवा के साक्षी बने। इनमें से कई लोगों को तीमुथियुस की तरह बचपन से ही सच्चाई सिखायी गयी थी। (2 तीमु. 3:14, 15) कुछ लोगों को बड़े होने पर सच्चाई मिली। और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ढलती उम्र में यहोवा को जाना, जैसे कुछ साल पहले 97 साल की एक औरत ने बपतिस्मा लिया और यहोवा की साक्षी बनी।

2 अगर आप एक बाइबल विद्यार्थी हैं या आपके मम्मी-पापा आपका अध्ययन करा रहे हैं, तो क्या आपने बपतिस्मा लेने के बारे में सोचा है? अगर हाँ, तो आप बहुत बढ़िया कदम उठाने की सोच रहे हैं। लेकिन बपतिस्मा लेने से पहले आपको यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना होगा। इस लेख में आप जानेंगे कि समर्पण करने का क्या मतलब है और यह कैसे किया जाता है। आप यह भी जानेंगे कि अगर आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने और बपतिस्मा लेने के लिए तैयार हैं, तो आपको क्यों पीछे नहीं हटना चाहिए।

समर्पण करने का क्या मतलब है?

3. ऐसे कुछ लोगों के बारे में बताइए जो यहोवा को समर्पित थे।

3 बाइबल में बताया गया है कि पुराने ज़माने में जो लोग यहोवा को समर्पित थे, वे एक खास मकसद के लिए अलग किए गए थे। इसराएल राष्ट्र की बात करें, तो वह यहोवा को समर्पित था। लेकिन उस राष्ट्र के कुछ लोग एक खास मायने में यहोवा के लिए अलग किए गए थे। उनमें से एक था, हारून। वह एक पगड़ी पहनता था जिस पर सामने की तरफ सोने की एक चमचमाती पट्टी बँधी थी। यह पट्टी “समर्पण की पवित्र निशानी” थी। सोने की इस पट्टी से यह पता चलता था कि हारून को एक खास सेवा के लिए अलग किया गया है, यानी वह इसराएलियों का महायाजक है। (लैव्य. 8:9) नाज़ीर लोग भी एक खास मायने में यहोवा को समर्पित थे। “नाज़ीर” एक इब्रानी शब्द है जिसका मतलब है, “अलग किया गया” या “समर्पित किया गया।” मूसा के कानून में नाज़ीरों के लिए कुछ खास हिदायतें दी गयी थीं जो उन्हें माननी होती थीं।​—गिन. 6:2-8.

4. (क) जो लोग अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं, वे किस खास मकसद से जीते हैं? (ख) खुद से इनकार करने का क्या मतलब है? (तसवीर भी देखें।)

4 अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने के बाद आप एक खास मकसद से जीते हैं। वह क्या? आप यीशु मसीह के चेले बन जाते हैं और परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करना आपके लिए सबसे ज़रूरी हो जाता है। जो लोग यीशु मसीह के चेले बनते हैं, उनसे क्या उम्मीद की जाती है? यीशु ने कहा था, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे।” (मत्ती 16:24) इसका मतलब, जब आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करेंगे, तो आपको ऐसे काम करने से इनकार करना होगा जो यहोवा को पसंद नहीं। जैसे, “शरीर के काम” से यानी नाजायज़ यौन-संबंध जैसे बुरे कामों से। (गला. 5:19-21; 1 कुरिं. 6:18; 2 कुरिं. 5:14, 15) यह सब सोचकर क्या आपको लगता है कि आप पर बहुत सारी बंदिशें लग जाएँगी? अगर आप यहोवा से प्यार करते हैं और आपको यकीन है कि उसके कायदे-कानून मानने में हमारी भलाई है, तो आपको ऐसा नहीं लगेगा। (भज. 119:97; यशा. 48:17, 18) इस बारे में निकोलस नाम का एक भाई कहता है, “आप चाहें तो यहोवा के स्तरों को जेल की सलाखों की तरह देख सकते हैं जो आपको कैद में रखती हैं या फिर शेर के पिंजरे की सलाखों की तरह, जिनकी वजह से आप सुरक्षित रहते हैं।”

क्या आप यहोवा के स्तरों को जेल की सलाखों की तरह समझते हैं या शेर के पिंजरे की सलाखों की तरह? (पैराग्राफ 4)


5. (क) आप अपना जीवन यहोवा को कैसे समर्पित कर सकते हैं? (ख) समर्पण करने और बपतिस्मा लेने के बीच क्या फर्क है? (तसवीर भी देखें।)

5 आप यहोवा को अपना जीवन कैसे समर्पित कर सकते हैं? आप उससे एक खास प्रार्थना कर सकते हैं और वादा कर सकते हैं कि अब से आप सिर्फ उसी की उपासना करेंगे और उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे। जब आप ऐसा करते हैं, तो मानो आप उससे कह रहे होते हैं कि आप “अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से” उससे प्यार करते रहेंगे। (मर. 12:30) जब आप समर्पण करते हैं, तो आप अकेले में ऐसा करते हैं। यह सिर्फ आपके और यहोवा के बीच की बात होती है। लेकिन बपतिस्मा सबके सामने लिया जाता है। इससे लोगों को पता चलता है कि आपने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है। समर्पण यहोवा से किया एक खास वादा है। आप ज़रूर चाहेंगे कि आप इस वादे के मुताबिक जीएँ और यहोवा भी आपसे यही उम्मीद करता है।​—सभो. 5:4, 5.

समर्पण करने का मतलब है, अकेले में यहोवा से वादा करना कि अब से आप सिर्फ उसी की उपासना करेंगे और उसकी मरज़ी को ज़िंदगी में पहली जगह देंगे (पैराग्राफ 5)


यहोवा को अपना जीवन समर्पित क्यों करें?

6. यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

6 यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि आप उससे प्यार करते हैं। लेकिन आप यूँ ही उससे प्यार नहीं करने लगते। आप उसके बारे में “सही ज्ञान” और “पवित्र शक्‍ति से मिलनेवाली समझ” हासिल करते हैं और उसके मकसद के बारे में सीखते हैं। इस तरह उसके लिए आपका प्यार बढ़ने लगता है। (कुलु. 1:9) अच्छी तरह अध्ययन करने से आपको यकीन हो जाता है कि (1) यहोवा सच में है, (2) उसी ने बाइबल लिखवायी है और (3) वह अपने संगठन के ज़रिए अपनी मरज़ी पूरी कर रहा है।

7. परमेश्‍वर को अपना जीवन समर्पित करने के लिए क्या ज़रूरी है?

7 यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने के लिए ज़रूरी है कि एक व्यक्‍ति बाइबल की अहम शिक्षाएँ सीखे और परमेश्‍वर के स्तरों के हिसाब से जीए। यही नहीं, उससे जितना हो सकता है, वह इस बारे में दूसरों को भी बताए। (मत्ती 28:19, 20) ऐसा करने से धीरे-धीरे यहोवा के लिए उसका प्यार इतना बढ़ जाएगा कि वह सिर्फ और सिर्फ उसकी उपासना करना चाहेगा। क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? अगर आप पूरे दिल से यहोवा से प्यार करते हैं, तो आप सिर्फ मम्मी-पापा को या अपने बाइबल टीचर को खुश करने के लिए समर्पण नहीं करेंगे, ना ही दोस्तों की देखा-देखी ऐसा करेंगे। इसके बजाय आप यहोवा से प्यार होने की वजह से यह कदम उठाएँगे।

8. किस बारे में सोचने से आपका मन करेगा कि आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करें? (भजन 116:12-14)

8 जब आप यह सोचेंगे कि यहोवा ने आपके लिए कितना कुछ किया है, तो आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने से खुद को रोक नहीं पाएँगे। (भजन 116:12-14 पढ़िए।) बाइबल में कहा गया है कि “हर अच्छा तोहफा और हर उत्तम देन” यहोवा से ही मिलती है। (याकू. 1:17) यहोवा ने हमें जो सबसे बड़ा तोहफा दिया है, वह है अपने बेटे यीशु का फिरौती बलिदान। ज़रा सोचिए, फिरौती बलिदान की वजह से कितना कुछ मुमकिन हो पाया है! आप यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना पाए हैं और आपको हमेशा जीने की आशा मिली है। (1 यूह. 4:9, 10, 19) सच में, इससे बड़ा प्यार का सबूत और क्या हो सकता है! जब आप इस बारे में और उन सभी आशीषों के बारे में सोचेंगे जो यहोवा ने आपको दी हैं, तो आपका दिल एहसान से भर जाएगा और आपका मन करेगा कि आप अपना जीवन उसे समर्पित करें। (व्यव. 16:17; 2 कुरिं. 5:15) क्यों ना इस बारे में और जानने के लिए खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  किताब के पाठ 46 का मुद्दा 4 पढ़ें और उसमें दिया तीन मिनट का यह वीडियो भी देखें: हम परमेश्‍वर को क्या तोहफा दे सकते हैं?

क्या आप समर्पण करने और बपतिस्मा लेने के लिए तैयार हैं?

9. जब बपतिस्मा लेने की बात आती है, तो एक व्यक्‍ति को अपनी तुलना दूसरों से क्यों नहीं करनी चाहिए?

9 हो सकता है, आपको लगे कि आप समर्पण करने और बपतिस्मा लेने के लिए अभी तैयार नहीं हैं। शायद आपको अपने अंदर और भी बदलाव करने हों या अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए आपको और समय चाहिए। (कुलु. 2:6, 7) याद रखिए, हर विद्यार्थी एक-जैसा नहीं होता। कुछ तो जल्दी यहोवा के लिए प्यार बढ़ा पाते हैं, जबकि दूसरों को थोड़ा वक्‍त लगता है। सभी नौजवान अलग-अलग उम्र में समर्पण करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं। इसलिए दूसरों से खुद की तुलना मत कीजिए। यह देखने की कोशिश कीजिए कि आपको अपने अंदर कौन-से बदलाव करने हैं और फिर उन्हें कीजिए।​—गला. 6:4, 5.

10. अगर आपको लगे कि आप अभी समर्पण करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप क्या कर सकते हैं? (“ उन नौजवानों के लिए जिन्होंने बचपन से सच्चाई सीखी” नाम का बक्स भी देखें।)

10 इसके बाद भी अगर आपको लगता है कि आप समर्पण करने के लिए अभी तैयार नहीं हैं, तो हिम्मत मत हारिए। यह लक्ष्य पाने के लिए मेहनत करते रहिए। अपने अंदर बदलाव करने के लिए यहोवा से मदद माँगिए। (फिलि. 2:13; 3:16) यकीन रखिए, वह आपकी प्रार्थना सुनेगा और आपकी मदद करेगा।​—1 यूह. 5:14.

कुछ लोग समर्पण करने से क्यों झिझकते हैं?

11. वफादार रहने में यहोवा कैसे हमारी मदद करेगा?

11 कुछ लोग समर्पण करने और बपतिस्मा लेने के योग्य हैं, फिर भी ये कदम उठाने से झिझकते हैं। वे सोचते हैं, ‘अगर मुझसे कोई बड़ी गलती हो गयी और मुझे मंडली से निकाल दिया गया तो?’ अगर आपको भी ऐसा लगता है, तो फिक्र मत कीजिए। यकीन रखिए, यहोवा ऐसा “चालचलन” बनाए रखने में आपकी मदद करेगा जैसा ‘उसके सेवकों का होना चाहिए।’ (कुलु. 1:10) वह आपको सही काम करने की हिम्मत भी देगा, जैसे उसने अपने कई सेवकों को दी है। (1 कुरिं. 10:13) यहोवा अपने सेवकों की मदद करता है, इसलिए बहुत कम लोगों का मंडली से बहिष्कार होता है। सच में, यहोवा हर तरह से अपने लोगों को तैयार करता है ताकि वे उसके वफादार रह सकें।

12. हम कोई बड़ा पाप करने से कैसे बच सकते हैं?

12 किसी भी इंसान को गलत काम करने के लिए लुभाया जा सकता है, आपको भी। (याकू. 1:14) लेकिन आप वह गलत काम करेंगे या नहीं, यह आप  पर है। आप खुद तय कर सकते हैं कि आप क्या करेंगे, कैसी ज़िंदगी जीएँगे। कुछ लोग शायद कहें कि वे अपनी इच्छाओं पर काबू नहीं कर सकते, यह उनके बस के बाहर है। लेकिन ऐसा नहीं है। वे अपनी इच्छाओं पर काबू कर सकते हैं  और आप भी। अगर आपके मन में कोई बुरी इच्छा आ भी जाए, तो आप उसके मुताबिक काम करने से खुद को रोक सकते हैं। ऐसा करने में क्या बात आपकी मदद करेगी? हर दिन यहोवा से प्रार्थना कीजिए। लगातार उसके वचन का अध्ययन कीजिए। सभाओं में जाइए। आप जो मानते हैं, उस बारे में दूसरों को बताइए। जब आप लगातार ये कदम उठाएँगे, तो आपको समर्पण के अपने वादे को निभाने की ताकत मिलेगी। यह भी याद रखिए यहोवा आपके साथ है और वह आपकी मदद ज़रूर करेगा।​—गला. 5:16.

13. हम यूसुफ से क्या सीख सकते हैं?

13 अगर आप पहले से  यह सोच लें कि जब आपको लुभाया जाएगा तब आप क्या करेंगे, तो आपके लिए अपने समर्पण के मुताबिक जीना आसान हो जाएगा। बाइबल में ऐसे कई लोगों के बारे में बताया गया है जिन्होंने कुछ ऐसा ही किया था। वे भी हमारी तरह अपरिपूर्ण इंसान थे, लेकिन जब उन्हें लुभाया गया तब भी वे यहोवा के वफादार रहे। यूसुफ की बात लीजिए। पोतीफर की पत्नी ने बार-बार उसे फुसलाने की कोशिश की। मगर यूसुफ को पता था कि ऐसे हालात में उसे क्या करना है। बाइबल में बताया गया है कि उसने साफ इनकार कर दिया। उसने कहा, “भला मैं इतना बड़ा दुष्ट काम करके परमेश्‍वर के खिलाफ पाप कैसे कर सकता हूँ?” (उत्प. 39:8-10) इससे पता चलता है कि यूसुफ ने पहले से  सोच रखा था कि ऐसे हालात में वह क्या करेगा, तभी पोतीफर की पत्नी को मना करने में उसे ज़रा भी देर नहीं लगी।

14. हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि लुभाए जाने पर हम कोई गलत काम ना करें?

14 आप यूसुफ की तरह क्या कर सकते हैं? आप अभी से  सोच सकते हैं कि अगर आपको लुभाया जाए, तो आप क्या करेंगे। ऐसे काम करने से फौरन इनकार कर दीजिए जिनसे यहोवा नफरत करता है, उनके बारे में सोचिए भी मत। (भज. 97:10; 119:165) जब आप ऐसा करेंगे, तो आप लुभाए जाने पर अपने इरादे पर डटे रहेंगे। वह इसलिए कि आपको पहले से पता होगा कि आपको क्या करना है।

15. एक व्यक्‍ति कैसे दिखाएगा कि वह ‘पूरी लगन से यहोवा की खोज’ कर रहा है? (इब्रानियों 11:6)

15 हो सकता है, आपको यकीन हो कि आप जो सीख रहे हैं, वही सच्चाई है और आप पूरे दिल से यहोवा की सेवा करना चाहते हों। फिर भी शायद किसी वजह से आप समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से झिझक रहे हों। अगर ऐसी बात है, तो आप दाविद की तरह यहोवा से बिनती कर सकते हैं, “हे परमेश्‍वर, मुझे जाँच और मेरे दिल को जान। मुझे परख और मेरे मन की चिंताओं को जान ले। देख कि मुझमें कुछ ऐसा तो नहीं जो मुझे बुरी राह पर ले जाए, मुझे उस राह पर ले चल जो सदा कायम रहेगी।” (भज. 139:23, 24) इस तरह जब आप यहोवा से प्रार्थना करेंगे और समर्पण और बपतिस्मा लेने का लक्ष्य पाने के लिए मेहनत करेंगे, तो आप दिखाएँगे कि आप “पूरी लगन से उसकी खोज” कर रहे हैं। तब आप यकीन रख सकते हैं, यहोवा आपको आशीष देगा।​इब्रानियों 11:6 पढ़िए।

यहोवा के करीब आते रहिए

16-17. हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि जिन बच्चों के मम्मी-पापा साक्षी हैं, उन्हें भी यहोवा अपनी तरफ खींचता है? (यूहन्‍ना 6:44)

16 यीशु ने कहा कि उसके चेलों को यहोवा ही अपने पास खींचता है। (यूहन्‍ना 6:44 पढ़िए।) यह कितनी बड़ी बात है! यहोवा हरेक में कुछ अच्छाई देखता है, तभी वह उसे अपने पास खींचता है। और उसने आपमें भी कुछ अच्छा देखा है। वह हर इंसान को, आपको भी अपनी “खास जागीर” या “अनमोल जायदाद” समझता है।​—व्यव. 7:6, फु.

17 लेकिन अगर आपके मम्मी-पापा सच्चाई में हैं, तो शायद आपको लगे कि आप बस मम्मी-पापा की वजह से यहोवा की उपासना कर रहे हैं, ना कि इसलिए कि यहोवा ने आपको अपनी तरफ खींचा है। लेकिन ध्यान दीजिए बाइबल में लिखा है, “परमेश्‍वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकू. 4:8; 1 इति. 28:9) तो जब आप  यहोवा के करीब आने के लिए कदम उठाएँगे, तो वह  भी आपके करीब आएगा। ऐसा नहीं है कि यहोवा ने आपके मम्मी-पापा को अपनी तरफ खींचा और आप बस उनके साथ-साथ आ गए। यहोवा हर इंसान को अपनी तरफ खींचता है, उसे भी जिसके मम्मी-पापा उसे सच्चाई सिखाते हैं। जब ऐसा व्यक्‍ति यहोवा के करीब आने के लिए कदम उठाता है, तो यहोवा भी उसके करीब आता है, जैसे याकूब 4:8 में लिखा है।​—2 थिस्सलुनीकियों 2:13 से तुलना करें।

18. अगले लेख में हम किस बारे में चर्चा करेंगे? (भजन 40:8)

18 जब आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं, तो आप यीशु के जैसा जज़्बा दिखा रहे होते हैं। यीशु ने खुशी-खुशी अपना जीवन अपने पिता को समर्पित किया, ताकि वह उसकी मरज़ी पूरी कर सके। (भजन 40:8 पढ़िए; इब्रा. 10:7) अगले लेख में हम जानेंगे कि बपतिस्मे के बाद भी आप कैसे वफादारी से यहोवा की सेवा कर सकते हैं।

आपका जवाब क्या होगा?

  • यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने का क्या मतलब है?

  • यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने के लिए उसका एहसान मानना क्यों ज़रूरी है?

  • आप कोई बड़ा पाप करने से कैसे बच सकते हैं?

गीत 38 वह तुम्हें मज़बूत करेगा