इस बँटी हुई दुनिया में निष्पक्ष बने रहिए
‘जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को चुकाओ।’—मत्ती 22:21.
गीत: 33, 137
1. हम परमेश्वर और इंसानी सरकार, दोनों की कैसे आज्ञा मान सकते हैं?
बाइबल हमें सिखाती है कि हम इंसानी सरकारों की आज्ञा मानें। लेकिन बाइबल यह भी सिखाती है कि हमें पहले परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए, उसके बाद इंसानों की। (प्रेषि. 5:29; तीतु. 3:1) क्या यह मुमकिन है? यीशु ने एक सिद्धांत बताया जिससे हम समझ सकते हैं कि हमें किसकी आज्ञा माननी चाहिए। उसने कहा कि हमें “जो सम्राट का है वह सम्राट को . . . मगर जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को” चुकाना चाहिए। (मत्ती 22:21) जब हम सरकार के बनाए नियम-कानून मानते हैं, सरकारी अधिकारियों के साथ इज़्ज़त से पेश आते हैं और कर अदा करते हैं तो हम “जो सम्राट का है वह सम्राट को” चुकाते हैं। (रोमि. 13:7) लेकिन अगर सरकार हमसे कुछ ऐसा करने के लिए कहती है जो परमेश्वर नहीं चाहता कि हम करें, तो हम वह काम करने से मना कर देते हैं मगर हमेशा आदर के साथ।
2. हम कैसे दिखाते हैं कि हम दुनिया की राजनीति में किसी का पक्ष नहीं लेते?
2 “जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को” चुकाने का एक तरीका है, दुनिया के राजनैतिक मामलों में किसी का पक्ष न लेना। इन मामलों में हम निष्पक्ष रहते हैं। (यशा. 2:4) यहोवा ने इंसानी सरकारों को शासन करने की छूट दी है इसलिए हम उनका विरोध नहीं करते। साथ ही, हम राष्ट्रवाद का बढ़ावा नहीं देते और न ही देश-भक्ति से जुड़े कामों में हिस्सा लेते हैं। (रोमि. 13:1, 2) हम सरकार बदलवाने या राजनेताओं पर अपना सिक्का ज़माने की कोशिश नहीं करते। हम चुनाव में वोट नहीं डालते, न ही राजनीति में कदम रखते हैं।
3. हमें क्यों निष्पक्ष बने रहना चाहिए?
3 परमेश्वर हमसे निष्पक्ष बने रहने के लिए क्यों कहता है इसकी कई वजह हैं। एक वजह यह है कि हम यीशु की मिसाल पर चलते हैं जो “दुनिया का नहीं” था, यानी उसने राजनीति में या युद्धों में कभी-भी हिस्सा नहीं लिया। (यूह. 6:15; 17:16) दूसरी वजह है कि हम परमेश्वर के राज का साथ देते हैं। हम इंसानी सरकारों का साथ नहीं देते, इसलिए हम साफ ज़मीर के साथ यह प्रचार कर पाते हैं कि परमेश्वर का राज ही इंसानों की सभी समस्याएँ दूर करेगा। दुनिया के झूठे धर्म राजनैतिक पार्टियों का पक्ष लेते हैं और इससे लोगों में फूट पड़ती है। लेकिन हम निष्पक्ष बने रहते हैं, इस वजह से दुनिया-भर में हमारे भाई-बहनों के बीच एकता है।—1 पत. 2:17.
4. (क) हम कैसे जानते हैं कि निष्पक्ष बने रहना और भी मुश्किल होता जाएगा? (ख) निष्पक्ष बने रहने के लिए हमें क्यों अभी से तैयारी करनी चाहिए?
4 हम शायद ऐसी जगह रहते हों जहाँ लोग हमसे यह उम्मीद नहीं करते कि हम राजनीति में किसी का पक्ष लें। लेकिन शैतान की दुनिया का अंत जितना करीब आ रहा है, उतना ही हमारे लिए निष्पक्ष बने रहना मुश्किल होता जाएगा। क्यों? क्योंकि आज पहले से ही दुनिया में ऐसे लोगों की भरमार है जो ‘किसी भी बात पर राज़ी नहीं होते’ और बड़े “ढीठ” हैं, आगे चलकर तो उनमें और भी फूट पड़ती जाएगी। (2 तीमु. 3:3, 4) कुछ देशों में अचानक आए राजनैतिक बदलावों की वजह से हमारे कुछ भाई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इसलिए हमें अभी से खुद को तैयार करना है ताकि हम मुश्किल हालात में भी निष्पक्ष बने रहें। आइए ऐसी चार बातों पर गौर करें, जो इस मामले में हमारी मदद करेंगी।
इंसानी सरकारों के बारे में यहोवा जैसा नज़रिया रखिए
5. इंसानी सरकारों के बारे में यहोवा क्या सोचता है?
5 निष्पक्ष बने रहने के लिए अभी से तैयारी करने का एक तरीका है कि हम इंसानी सरकारों को उसी नज़र से देखें, जैसे यहोवा देखता है। यहोवा ने जब इंसानों को बनाया था तो उसने उन्हें यह अधिकार नहीं दिया था कि वे एक-दूसरे पर राज करें। (यिर्म. 10:23) उसके लिए सभी इंसान एक परिवार की तरह हैं। लेकिन इंसानी सरकारों ने लोगों में दीवार खड़ी कर दी है, क्योंकि वे दावा करती हैं कि उनका देश सबसे महान है। इंसानी सरकारें हर समस्या को हल नहीं कर सकतीं, यहाँ तक कि अच्छी-से-अच्छी सरकारें भी नहीं। और-तो-और ये सरकारें परमेश्वर के राज की दुश्मन बन बैठी हैं, जिसने 1914 से शासन करना शुरू कर दिया है। बहुत जल्द यह राज सभी सरकारों को मिटा देगा।—भजन 2:2, 7-9 पढ़िए।
6. हमें सरकारी अधिकारियों को किस नज़र से देखना चाहिए?
6 परमेश्वर ने इंसानी सरकारों को फिलहाल राज करने की इजाज़त दी है, क्योंकि वे कुछ हद तक शांति और व्यवस्था बनाए रखती हैं। इससे हमें परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाने में मदद मिलती है। (रोमि. 13:3, 4) परमेश्वर तो हमसे यह भी कहता है कि हम अधिकारियों के लिए प्रार्थना करें ताकि हम शांति से उसकी उपासना कर सकें। (1 तीमु. 2:1, 2) जब हमारे साथ बुरा सुलूक किया जाता है, तो हम सरकारी अधिकारियों की मदद ले सकते हैं। पौलुस ने ऐसा ही किया था। (प्रेषि. 25:11) हालाँकि बाइबल कहती है कि इंसानी सरकारें शैतान के हाथ की कठपुतली हैं, लेकिन बाइबल यह नहीं कहती कि हर सरकारी अधिकारी शैतान के काबू में है। (लूका 4:5, 6) इसलिए हमें कभी किसी को यह नहीं जताना चाहिए कि फलाँ अधिकारी शैतान के कब्ज़े में है। बाइबल कहती है कि हमें दूसरों को बेइज़्ज़त नहीं करना चाहिए।—तीतु. 3:1, 2.
7. हमें किस तरह की सोच नहीं रखनी चाहिए?
7 हम परमेश्वर की आज्ञा मानते हुए, किसी भी नेता या राजनैतिक पार्टी की तरफदारी नहीं करते, भले ही उसके विचार या उसकी राय हमारे फायदे की लगे। कभी-कभी यह शायद हमारे लिए आसान न हो। उदाहरण के लिए, कल्पना कीजिए कि लोग एक ऐसी इफि. 2:2) अगर हम निष्पक्ष बने रहना चाहते हैं, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि एक पक्ष सही है या दूसरे से बेहतर है। यह हमारी बातों और कामों से ज़ाहिर होगा।
सरकार का विरोध कर रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें कई मुश्किलें झेलनी पड़ीं, यहाँ तक कि यहोवा के साक्षियों को भी। बेशक आप उन विरोध करनेवालों में शामिल नहीं होंगे। लेकिन क्या आप यह सोचेंगे कि ये विरोधी सही हैं और यह उम्मीद करेंगे कि वे कामयाब हो जाएँ? (“सतर्क” रहो, मगर “सीधे” भी
8. जब हमारे लिए निष्पक्ष बने रहना मुश्किल हो जाता है, तब हम कैसे “सतर्क” फिर भी “सीधे” बने रह सकते हैं?
8 निष्पक्ष रहने का दूसरा तरीका है, “साँपों की तरह सतर्क मगर फिर भी कबूतरों की तरह सीधे” होना। (मत्ती 10:16, 17 पढ़िए।) जब हम पहले से ही मुश्किलों के बारे में सोचते हैं तो हम दिखाते हैं कि हम “सतर्क” हैं। और जब हम मुश्किल हालात में निष्पक्ष बने रहते हैं तो हम दिखाते हैं कि हम “सीधे” हैं। आइए देखें कि कुछ मुश्किल हालात क्या हो सकते हैं और उनमें हम कैसे निष्पक्ष बने रह सकते हैं।
9. लोगों से बातचीत करते वक्त हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?
9 बातचीत। जब लोग राजनैतिक मसलों पर बातचीत करने लगते हैं, तो हमें बहुत सावधान रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब हम किसी से परमेश्वर के राज के बारे में बात कर रहे होते हैं, तो हम यह नहीं कहेंगे कि हम फलाँ पार्टी या नेता के विचार या राय से सहमत हैं या सहमत नहीं हैं। यह चर्चा मत कीजिए कि लोगों की समस्याएँ सुलझाने के लिए इंसान क्या करना चाहता है। इसके बजाय, बाइबल से दिखाइए कि कैसे परमेश्वर का राज इन समस्याओं को जड़ से खत्म कर देगा। कभी-कभी लोग शायद किसी विषय पर बहस करना चाहें, जैसे सरकार में हो रहा भ्रष्टाचार या किसी धर्म के लोगों को आतंकवाद से जोड़ना। ऐसे में उन्हें बताइए कि परमेश्वर का वचन इस बारे में क्या कहता है और आप इस पर चलने की कैसे कोशिश करते हैं। अगर कोई कहता है कि फलाँ कानून हटा देने चाहिए या उन्हें बदल देना चाहिए, तो हम किसी का पक्ष नहीं लेते और न ही हम उस पर अपनी राय थोपने की कोशिश करते हैं।
10. टी.वी. या अखबारों में कुछ देखते या पढ़ते वक्त हम कैसे निष्पक्ष बने रह सकते हैं?
10 मीडिया। कभी-कभी समाचार में किसी मामले को ऐसे पेश किया जाता है जिससे लगता है कि एक पक्ष की कुछ ज़्यादा ही तरफदारी की जा रही है। यह बात खासकर उन देशों में सच है जहाँ समाचार कंपनियाँ सरकार के इशारों पर चलती हैं। अगर समाचार कंपनियाँ या रिपोर्टर किसी का पक्ष लेते हैं, तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम उनकी तरह न सोचने लगें। जैसे, खुद से पूछिए, ‘क्या मुझे किसी रिपोर्टर की बात सुनना पसंद है, क्योंकि वह राजनीति के बारे में जो बोलता है उससे मैं सहमत होता हूँ?’ अगर आप निष्पक्ष बने रहना चाहते हैं तो अच्छा है कि आप ऐसी रिपोर्ट न देखें या पढ़ें जो राजनैतिक मामलों में किसी का पक्ष लेती हैं। इसके बजाय, ऐसी रिपोर्ट देखिए जिनमें किसी का पक्ष नहीं लिया जाता। और आप जो सुनते हैं उसकी तुलना हमेशा ‘खरी शिक्षाओं के नमूने’ से कीजिए।—2 तीमु. 1:13.
11. जब धन-दौलत और सुख-सुविधा की चीज़ें हमारे लिए ज़्यादा मायने रखने लगती हैं, तब निष्पक्ष रहना कैसे मुश्किल हो सकता है?
11 धन-दौलत और सुख-सुविधाएँ। जब पैसा और जो चीज़ें हमारे पास हैं वे हमारे लिए ज़्यादा मायने रखती हैं, तो हमारे लिए निष्पक्ष बने रहना मुश्किल हो सकता है। सन् 1970 के बाद, मलावी में कई साक्षियों के पास जो कुछ था, वह सब उन्हें छोड़ना पड़ा क्योंकि उन्होंने एक राजनैतिक पार्टी में जुड़ने से मना कर दिया था। दुख की बात है कि कुछ साक्षी आराम की ज़िंदगी नहीं छोड़ पाए। रूत नाम की एक बहन बताती है, ‘जब साक्षियों को देश से निकाल दिया गया, तो कुछ हमारे साथ गए तो सही, मगर बाद में वे राजनैतिक पार्टी में शामिल हो गए और घर वापस आ गए, क्योंकि वे शरणार्थी शिविर में ज़िंदगी की मुश्किलें नहीं सहना चाहते थे।’ लेकिन ज़्यादातर परमेश्वर के लोग ऐसे नहीं होते। वे निष्पक्ष बने रहते हैं, फिर चाहे इसकी वजह से उन्हें पैसों की तंगी झेलनी इब्रा. 10:34.
पड़े या अपना सबकुछ खोना पड़े।—12, 13. (क) इंसानों के बारे में यहोवा का क्या नज़रिया है? (ख) हम कैसे पता कर सकते हैं कि कहीं हम उस जगह पर घमंड तो नहीं करने लगे हैं, जहाँ के हम रहनेवाले हैं?
12 घमंड। अपनी जाति, संस्कृति, शहर या देश के बारे में घमंड करना और शेखी मारना लोगों के लिए आम बात है। लेकिन यहोवा यह नहीं सोचता कि एक व्यक्ति या समूह, दूसरे से बेहतर है। उसके लिए सब बराबर हैं। यह बात सच है कि यहोवा ने हम सभी को एक-दूसरे से अलग बनाया है और इंसानों के बीच इस फर्क का हम मज़ा ले सकते हैं। परमेश्वर नहीं चाहता कि हम अपनी संस्कृति से मुँह मोड़ लें। लेकिन वह यह भी नहीं चाहता कि हम खुद को दूसरों से बेहतर समझें।—रोमि. 10:12.
13 हम जिस देश या जगह में रहते हैं उस पर हमें कभी घमंड नहीं करना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि यह देश दूसरे से बेहतर है। अगर हम इस तरह सोचेंगे, तो हमारे लिए निष्पक्ष बने रहना बहुत मुश्किल हो सकता है। ऐसा पहली सदी में हुआ था। कुछ इब्रानी बोलनेवाले भाई, यूनानी बोलनेवाली विधवाओं के साथ सही बरताव नहीं कर रहे थे। (प्रेषि. 6:1) हम कैसे पता कर सकते हैं कि कहीं हमारे अंदर ऐसा घमंड तो नहीं पनपने लगा है? अगर दूसरी जगह का कोई भाई या बहन आपको कुछ सुझाव देता है, तो क्या आप तुरंत यह सोचते हैं, ‘हम यहाँ ज़्यादा बेहतर ढंग से काम करते हैं,’ और फिर उसका सुझाव ठुकरा देते हैं? अगर हाँ, तो यह ज़रूरी सलाह याद रखिए, “मन की दीनता के साथ दूसरों को खुद से बेहतर समझो।”—फिलि. 2:3.
यहोवा आपकी मदद करेगा
14. (क) प्रार्थना से हमें कैसे मदद मिल सकती है? (ख) यह बात बाइबल में दर्ज़ कौन-से उदाहरण से साबित होती है?
14 निष्पक्ष बने रहने का तीसरा तरीका है, यहोवा पर भरोसा रखना। परमेश्वर से पवित्र शक्ति के लिए प्रार्थना कीजिए। इससे आप सब्र से काम ले पाएँगे और खुद पर काबू रख पाएँगे। ये गुण उस वक्त आपकी मदद करेंगे जब सरकार कुछ अन्याय करती है या भ्रष्ट हो जाती है। यहोवा से बुद्धि के लिए प्रार्थना कीजिए, ताकि आप ऐसे हालात पहचान पाएँ जिनमें आपके लिए निष्पक्ष बने रहना मुश्किल हो सकता है। यहोवा से बिनती कीजिए कि वह ऐसे हालात में सही काम करने में आपकी मदद करे। (याकू. 1:5) यहोवा के वफादार रहने की वजह से शायद आपको जेल में डाल दिया जाए या किसी और तरह की सज़ा दी जाए। अगर ऐसा है तो हिम्मत के लिए प्रार्थना कीजिए, ताकि आप निष्पक्ष रहने की वजह दूसरों को साफ-साफ समझा सकें। आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा धीरज धरने में आपकी मदद ज़रूर करेगा।—प्रेषितों 4:27-31 पढ़िए।
15. निष्पक्ष बने रहने में बाइबल कैसे हमारी मदद कर सकती है? (“बाइबल ने उनका इरादा मज़बूत किया” बक्स भी देखिए।)
15 यहोवा बाइबल के ज़रिए भी हमें ताकत दे सकता है। इसलिए उन आयतों पर गहराई से सोचिए जिनसे निष्पक्ष बने रहने में आपको मदद मिलेगी। उन आयतों को याद करने की कोशिश कीजिए, क्योंकि अगर कभी आपके पास बाइबल नहीं हुई तो ये आयतें आपकी मदद करेंगी। यही नहीं, बाइबल भविष्य के बारे में परमेश्वर के वादों पर आपकी आशा मज़बूत कर सकती है। और इस आशा का होना ज़रूरी है, क्योंकि इससे हम ज़ुल्मों के दौरान धीरज धर पाते हैं। (रोमि. 8:25) तो ऐसी आयतें चुनिए जो उन बातों के बारे में बताती हैं जिनका मज़ा आप नयी दुनिया में लेना चाहते हैं और सोचिए कि आप नयी दुनिया में हैं।
यहोवा के वफादार सेवकों की मिसाल से फायदा पाइए
16, 17. परमेश्वर के जो वफादार सेवक निष्पक्ष बने रहे, उनकी मिसाल से हम क्या सीख सकते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
16 चौथी बात जो निष्पक्ष बने रहने में हमारी मदद कर सकती है, वह है यहोवा के वफादार सेवकों की मिसालों के बारे में सोचना। पुराने ज़माने में कई लोगों ने हिम्मत से काम लिया और उन्होंने बुद्धि-भरे फैसले लिए जिनसे उन्हें निष्पक्ष बने रहने में मदद मिली। यूह. 16:33.
शद्रक, मेशक और अबेदनगो के बारे में सोचिए। उन्होंने उस मूरत की उपासना करने से साफ मना कर दिया था जो बैबिलोन की सरकार को दर्शाती थी। (दानिय्येल 3:16-18 पढ़िए।) बाइबल के इस ब्यौरे की मदद से आज कई साक्षी हिम्मत से काम ले पाते हैं और जहाँ वे रहते हैं उस देश के झंडे की उपासना करने से इनकार कर देते हैं। यीशु ने भी कभी राजनीति में या ऐसे मामलों में हिस्सा नहीं लिया जो लोगों में फूट डालते हैं। वह जानता था कि उसकी अच्छी मिसाल से उसके चेलों को मदद मिलेगी। उसने कहा, “हिम्मत रखो! मैंने इस दुनिया पर जीत हासिल की है।”—17 हमारे दिनों में भी बहुत-से साक्षी निष्पक्ष रहे हैं। कुछ साक्षियों को यहोवा के वफादार रहने की वजह से तड़पाया गया, जेल में डाला गया, यहाँ तक कि उन्हें मार डाला गया। उनकी मिसाल से हमें हिम्मत मिल सकती है। तुर्की का रहनेवाला एक भाई कहता है, “फ्रांज़ राइटर एक नौजवान भाई था जिसे मार डाला गया, क्योंकि उसने हिटलर की फौज में भर्ती होने से मना कर दिया था। अपनी मौत से एक रात पहले उसने अपनी माँ को जो खत लिखा था, उससे ज़ाहिर होता है कि उसे यहोवा पर कितना मज़बूत विश्वास और भरोसा था। अगर मुझे ऐसी परीक्षा का सामना करना पड़ा तो मैं उसकी मिसाल पर चलना चाहूँगा।” [1]
18, 19. (क) निष्पक्ष बने रहने में मंडली के भाई-बहन कैसे आपकी मदद कर सकते हैं? (ख) आपने क्या करने की ठान ली है?
18 आपकी मंडली के भाई-बहन भी निष्पक्ष बने रहने में आपकी मदद कर सकते हैं। प्राचीनों को बताइए कि आप किस मुश्किल हालात में हैं। वे बाइबल से आपको सही सलाह दे सकते हैं। अगर मंडली के भाई आपके हालात जानते हैं, तो वे आपका हौसला बढ़ा सकते हैं। उनसे कहिए कि वे आपके लिए प्रार्थना करें। लेकिन हमें भी अपने भाइयों की मदद करनी चाहिए और उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए। (मत्ती 7:12) हमारे जो भाई जेलों में हैं, उनके नाम आपको jw.org वेबसाइट पर मिल सकते हैं। [2] उनमें से कुछ नाम चुनिए और उन भाई-बहनों के लिए यहोवा से प्रार्थना कीजिए, ताकि वे हिम्मत रख सकें और उसके वफादार बने रहें।—इफि. 6:19, 20.
19 जैसे-जैसे अंत पास आ रहा है, हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि सरकारें हम पर और भी ज़्यादा यह दबाव डालेंगी कि हम किसी का पक्ष लें। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम अभी से तैयारी करें, ताकि हम इस दुनिया में निष्पक्ष बने रह सकें, जिसमें फूट पड़ी हुई है!
^ [1] (पैराग्राफ 17) जेहोवाज़ विटनेसेज़—प्रोक्लेमर्स ऑफ गॉड्स किंगडम किताब का पेज 662 और गॉड्स किंगडम रूल्स! किताब के अध्याय 14 पर दिया बक्स “उसने परमेश्वर के सम्मान में जान दी” (अँग्रेज़ी) देखिए।
^ [2] (पैराग्राफ 18) “जेहोवाज़ विटनेसेज़ इमप्रिज़न्ड फॉर देयर फेथ—बाई लोकेशन” लेख देखिए, जो “न्यूज़रूम” > “लीगल डेवलपमेंट्स” में मिलेगा।