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हमें उपासना के लिए क्यों इकट्ठा होना चाहिए?

हमें उपासना के लिए क्यों इकट्ठा होना चाहिए?

‘वे हर दिन मंदिर में हाज़िर रहते थे।’—प्रेषि. 2:46.

गीत: 20, 34

1-3. (क) मसीहियों ने कैसे दिखाया है कि वे एक साथ इकट्ठा होने के लिए बेताब रहते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) इस लेख में क्या समझाया जाएगा?

जब कोरिना 17 साल की थी, तब उसकी मम्मी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें एक दूर देश, मज़दूरों के शिविर में भेज दिया गया। बाद में कोरिना को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उसे हज़ारों किलोमीटर दूर साइबेरिया देश भेज दिया गया। वहाँ वह एक फार्म में काम करती थी। उसके साथ गुलामों जैसा बरताव किया जाता था। कभी-कभी उससे ज़बरदस्ती कड़ाके की ठंड में बाहर काम करवाया जाता था। ऊपर से उसके पास गरम कपड़े भी नहीं होते थे। इतने मुश्किल हालात के बावजूद, कोरिना और एक दूसरी बहन ने ठान लिया कि चाहे जो भी हो, वे मंडली की सभा में ज़रूर जाएँगी।

2 कोरिना कहती है, “हमने शाम को अपना काम छोड़ दिया और 25 किलोमीटर पैदल चलकर रेलवे स्टेशन गए। हमारी गाड़ी सुबह दो बजे निकली। छः घंटे सफर करने के बाद हम गाड़ी से उतरे और 10 किलोमीटर पैदल चलकर उस जगह पहुँचे जहाँ सभा होती थी।” क्या इस सफर से कोई फायदा हुआ? कोरिना कहती है, “सभा में हमने प्रहरीदुर्ग पत्रिका का अध्ययन किया और राज-गीत गाए। इससे हमारा बहुत हौसला बढ़ा, हमारा विश्वास मज़बूत हुआ।” ये दोनों बहनें तीन दिन बाद फार्म पर वापस आयीं। लेकिन फार्म की देखभाल करनेवाले को पता ही नहीं चला कि वे कहीं गयी थीं।

3 यहोवा के लोगों की हमेशा यह तमन्ना रही है कि वे एक-दूसरे के साथ इकट्ठा हों। मिसाल के लिए, जब मसीही मंडली बनी, उसके फौरन बाद यीशु के चेले ‘हर दिन मंदिर में हाज़िर रहते थे।’ (प्रेषि. 2:46) बेशक आप भी सभाओं में जाने के लिए बेताब रहते होंगे। लेकिन सभी भाई-बहनों की तरह शायद आपके लिए भी नियमित तौर पर सभाओं में जाना मुश्किल होता हो। हो सकता है आपको कई घंटे काम करना पड़ता हो या आपके पास बहुत सारा काम हो या शायद आपको हमेशा थकान रहती हो। तो किस बात से हमें बढ़ावा मिलेगा कि हम सभाओं में जाने की हर मुमकिन कोशिश करें? [1] हम अपने बाइबल विद्यार्थियों और दूसरों को लगातार सभाओं में आने का कैसे बढ़ावा दे सकते हैं? इस लेख में सभाओं में जाने की तीन बड़ी वजह समझायी जाएँगी, (1) यह हमारी भलाई के लिए है, (2) इससे दूसरों की मदद होती है और (3) इससे यहोवा खुश होता है। [2]

सभाएँ हमारी भलाई के लिए हैं

4. एक साथ इकट्ठा होने से हम कैसे यहोवा के बारे में सीख पाते हैं?

4 सभाएँ हमें सिखाती हैं। हर सभा में हम यहोवा के बारे में कुछ-न-कुछ नया सीखते हैं। उदाहरण के लिए, बहुत-सी मंडलियों ने हाल ही में यहोवा के करीब आओ किताब से मंडली बाइबल अध्ययन किया है। यहोवा के गुणों पर चर्चा करके और दिल से दिए गए भाई-बहनों के जवाब सुनकर आपको कैसा लगा? क्या यहोवा के लिए आपका प्यार और गहरा नहीं हुआ? जब हम सभाओं में भाषण सुनते हैं, प्रदर्शन देखते हैं और जब बाइबल पढ़ाई की जाती है, तो बाइबल के बारे में हमारा ज्ञान और बढ़ता है। (नहे. 8:8) सोचिए, जब हम हर हफ्ते बाइबल पढ़ाई की तैयारी करते हैं और दूसरों के जवाब सुनते हैं तो हम कितनी सारी बातें सीखते हैं।

5. मसीही सभाओं की मदद से आपने बाइबल से सीखी बातें लागू करना और अच्छी तरह प्रचार करना कैसे सीखा है?

5 सभाओं में हम यह भी सीखते हैं कि बाइबल के सिद्धांत हम अपनी ज़िंदगी में कैसे लागू कर सकते हैं। (1 थिस्स. 4:9, 10) जैसे, प्रहरीदुर्ग अध्ययन परमेश्वर के लोगों की ज़रूरतों के हिसाब से चलाया जाता है। क्या आपको किसी प्रहरीदुर्ग अध्ययन से यहोवा की सेवा और ज़्यादा करने, अपनी प्रार्थनाएँ निखारने और भाई-बहनों को माफ करने का बढ़ावा मिला है? हफ्ते के बीच होनेवाली सभा से हम यह सीखते हैं कि हमें खुशखबरी का प्रचार कैसे करना है और बाइबल की सच्चाई समझने में कैसे दूसरों की मदद करनी है।—मत्ती 28:19, 20.

6. मसीही सभाएँ कैसे हमारा हौसला बढ़ाती हैं और मज़बूत बने रहने में हमारी मदद करती हैं?

6 सभाएँ हमारा हौसला बढ़ाती हैं। शैतान की दुनिया हमारा विश्वास कमज़ोर करने की कोशिश करती है। यह हमें चिंता या तनाव में डाल सकती है और हमारा हौसला तोड़ सकती है। लेकिन हमारी सभाएँ हमारा हौसला बुलंद करती हैं और यहोवा की सेवा करते रहने के लिए हमें मज़बूत करती हैं। (प्रेषितों 15:30-32 पढ़िए।) अकसर हम चर्चा करते हैं कि बाइबल की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं। इससे हमारा यकीन बढ़ता है कि भविष्य के बारे में यहोवा के वादे ज़रूर पूरे होंगे। और हाँ, जब कोई भाषण देता है, तब तो हमारा हौसला बढ़ता ही है, लेकिन जब भाई-बहन जवाब देते हैं और दिल से गीत गाकर यहोवा की स्तुति करते हैं, तब भी हमारा हौसला बढ़ता है। (1 कुरिं. 14:26) जब हम सभा से पहले और बाद में भाई-बहनों से बातचीत करते हैं, तो हमें अपनेपन का एहसास होता है और हम तरोताज़ा महसूस करते हैं।—1 कुरिं. 16:17, 18.

7. सभाओं में जाना क्यों इतना ज़रूरी है?

7 सभाओं में हमें परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति की मदद मिलती है। यीशु इस पवित्र शक्‍ति के ज़रिए मंडलियों को निर्देश देता है। इसलिए उसने हमसे कहा कि हमें सुनना चाहिए कि “पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है।” (प्रका. 2:7) पवित्र शक्‍ति लुभानेवाले हालात का सामना करने में और निडर होकर प्रचार करने में हमारी मदद कर सकती है। यह सही फैसले लेने में भी हमारी मदद कर सकती है। इसलिए सभाओं में हाज़िर होने और परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति से मदद पाने के लिए हमसे जो बन पड़ता है, हमें करना चाहिए।

सभाओं में हम दूसरों की मदद करते हैं

8. सभाओं में हमारे आने से, हमारे जवाबों से और हमारे गीत गाने से भाई-बहनों को कैसे मदद मिलती है? (“उसे सभा के बाद हमेशा बहुत अच्छा लगता है” बक्स देखिए।)

8 सभाओं में हमें अपने भाई-बहनों को यह जताने के मौके मिलते हैं कि हमें उनसे प्यार है। सोचिए आपकी मंडली में कुछ भाई-बहन कैसी-कैसी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। प्रेषित पौलुस ने लिखा कि हमें “एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी” लेनी चाहिए या उनकी फिक्र करनी चाहिए। (इब्रा. 10:24, 25) जब हम एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए इकट्ठा होते हैं, तब हम दिखाते हैं कि हमें अपने भाई-बहनों की परवाह है। जब हम सभाओं में जाते हैं, तब हम ज़ाहिर करते हैं कि हम भाई-बहनों के साथ समय बिताना चाहते हैं, उनसे बात करना चाहते हैं और हमें इस बात की फिक्र है कि वे कैसा महसूस करते हैं। हम सभाओं में जवाब देकर और दिल से गीत गाकर भी उनका हौसला बढ़ाते हैं।—कुलु. 3:16.

9, 10. (क) भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होना कितना ज़रूरी है, यह यूहन्ना 10:16 में दर्ज़ यीशु के शब्दों से हमें कैसे पता चलता है? समझाइए। (ख) लगातार सभाओं में जाने से, हम किसी ऐसे व्यक्‍ति की कैसे मदद कर सकते हैं जिसके परिवार ने उसे ठुकरा दिया है?

9 सभाओं में जाने से हम मंडली में एकता बनाए रखने में मदद करते हैं। (यूहन्ना 10:16 पढ़िए।) यीशु ने अपनी तुलना एक चरवाहे से और अपने चेलों की तुलना भेड़ों के एक झुंड से की। ज़रा सोचिए, अगर दो भेड़ें पहाड़ी पर हों, दो भेड़ें घाटी में हों और एक भेड़ कहीं और हो, तो क्या उन पाँच भेड़ों को आप एक झुंड कहेंगे? नहीं, क्योंकि झुंड की सभी भेड़ें एक साथ रहती हैं और अपने चरवाहे के पीछे चलती हैं। उसी तरह, “एक झुंड” का हिस्सा होने के लिए ज़रूरी है कि हम एक साथ इकट्ठा हों और ‘एक चरवाहे’ के पीछे चलें। इसलिए हमें सभाओं से गैर हाज़िर होकर अपने भाइयों से दूर नहीं रहना चाहिए।

10 हमारी सभाएँ, परिवार के तौर पर एक होकर रहने में हमारी मदद करती हैं। (भज. 133:1) मंडली में कुछ भाई-बहन ऐसे हैं जिन्हें उनके परिवार के सदस्यों ने, जैसे उनके माता-पिता या उनके भाई-बहनों ने ठुकरा दिया है। लेकिन यीशु ने उन्हें एक ऐसा परिवार देने का वादा किया था जो उनसे प्यार करेगा और उनकी देखभाल करेगा। (मर. 10:29, 30) जब आप लगातार सभाओं में हाज़िर होते हैं तो आप मंडली में किसी के पिता, माँ, भाई या बहन बन सकते हैं! क्या यह बात आपको नहीं उभारती कि आप हर सभा में हाज़िर होने की पूरी कोशिश करें?

हम यहोवा को खुश करेंगे

11. सभाओं में हाज़िर होने से हम कैसे यहोवा को वह दे पाते हैं, जिसका वह हकदार है?

11 सभाओं में हम यहोवा को वह देते हैं, जिसका वह हकदार है। यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है इसलिए हमें उसका धन्यवाद करना चाहिए, उसको आदर देना चाहिए और उसकी महिमा करनी चाहिए। (प्रकाशितवाक्य 7:12 पढ़िए।) सभाओं में जब हम यहोवा से प्रार्थना करते हैं, उसके लिए गीत गाते हैं और उसके बारे में बात करते हैं तब हम ऐसा करते हैं। हर हफ्ते यहोवा की उपासना करने का हमारे पास क्या ही बढ़िया मौका है!

12. सभाओं में हाज़िर होने के बारे में जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं, तो उसे कैसा लगता है?

12 यहोवा ने हमारी सृष्टि की है, इसलिए हमें उसकी आज्ञा माननी चाहिए। उसने हमें आज्ञा दी है कि हम एक-साथ इकट्ठा हों, खासकर अभी जब हम अंत के इतने करीब हैं। जब हम उसकी यह आज्ञा मानते हैं, तो वह खुश होता है। (1 यूह. 3:22) वह इस बात पर गौर करता है कि हम सच में सभाओं में आना चाहते हैं और इसके लिए हम जो भी मेहनत करते हैं, उसकी वह कदर करता है।—इब्रा. 6:10.

13, 14. सभाओं में हम किस तरह यहोवा और यीशु के करीब आते हैं?

13 सभाओं में जाने से हम यहोवा को दिखाते हैं कि हम उसके और उसके बेटे के करीब आना चाहते हैं। सभाओं में हम बाइबल का अध्ययन करते हैं और यहोवा से सीखते हैं कि हमें क्या करना चाहिए और कैसे जीना चाहिए। (यशा. 30:20, 21) यहाँ तक कि जब सभाओं में वे लोग आते हैं, जो यहोवा की उपासना नहीं करते, तो उन्हें एहसास होता है कि परमेश्वर हमें राह दिखा रहा है। (1 कुरिं. 14:23-25) यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए सभाओं का निर्देशन करता है और हम वहाँ जो सीखते हैं वह यहोवा की तरफ से होता है। तो जब हम सभाओं में जाते हैं, तो हम यहोवा की आवाज़ सुन रहे होते हैं और यह महसूस करते हैं कि वह हमसे कितना प्यार करता है। नतीजा, हम उसके करीब आते हैं।

14 मंडली के मुखिया यीशु ने कहा, “जहाँ दो या तीन मेरे नाम से इकट्ठा होते हैं, मैं वहाँ उनके बीच मौजूद होता हूँ।” (मत्ती 18:20) बाइबल यह भी कहती है कि यीशु मंडली के “बीच चलता-फिरता” है। (प्रका. 1:20–2:1) इससे पता चलता है कि यहोवा और यीशु सभाओं में हमारे साथ होते हैं और हमें ताकत देते हैं। सोचिए यह देखकर यहोवा को कैसा लगता होगा कि आप उसके और उसके बेटे के करीब आने के लिए जी-जान से लगे हैं।

15. जब हम सभाओं में जाते हैं, तो हम परमेश्वर को यह कैसे जताते हैं कि हम उसकी आज्ञा मानना चाहते हैं?

15 जब हम सभाओं में जाते हैं, तो हम यह जताते हैं कि हम यहोवा की आज्ञा मानना चाहते हैं। यहोवा हमसे ज़बरदस्ती अपनी बात नहीं मनवाता। (यशा. 43:23) इसलिए जब हम अपनी इच्छा से उसकी आज्ञा मानते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हमें यहोवा से प्यार है और हम मानते हैं कि उसे यह बताने का हक है कि हमें क्या करना चाहिए। (रोमि. 6:17) ज़रा इन हालात पर गौर कीजिए। काम की जगह पर हमारा मालिक शायद हमसे इतना काम करने के लिए कहे कि हम लगातार सभाओं में न जा पाएँ। या शायद हमारे देश की सरकार कहे कि अगर कोई यहोवा की उपासना के लिए इकट्ठा हुआ, तो उसे जुरमाना भरना पड़ेगा या जेल जाना होगा या इससे भी कड़ी सज़ा भुगतनी पड़ेगी। या हो सकता है कभी-कभी सभाओं में जाने के बजाय हमारा कुछ और करने का मन करे। हर हालात में फैसला हमारे हाथ में है कि हम क्या करेंगे। (प्रेषि. 5:29) जब हम यहोवा की आज्ञा मानने का फैसला करते हैं तो हम उसका दिल खुश करते हैं।—नीति. 27:11.

भाइयों के साथ इकट्ठा होते रहिए

16, 17. (क) हम कैसे जानते हैं कि पहली सदी के मसीहियों के लिए सभाएँ बहुत मायने रखती थीं? (ख) भाई जॉर्ज गैंगस् मसीही सभाओं के बारे में कैसा महसूस करते थे?

16 ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन एक साथ इकट्ठा होने के बाद, मसीही लगातार यहोवा की उपासना के लिए इकट्ठा होते रहे। वे ‘सब एक मन से प्रेषितों से शिक्षा पाने में लगे रहे और हर दिन मंदिर में हाज़िर रहते थे।’ (प्रेषि. 2:42, 46) उन मसीहियों पर जब रोमी सरकार ने और यहूदी धर्म गुरुओं ने ज़ुल्म ढाए, तब भी उन्होंने एक साथ इकट्ठा होना नहीं छोड़ा। ऐसा करना आसान तो नहीं था, फिर भी इसके लिए उनसे जो हो सकता था, वह सब उन्होंने किया।

17 आज भी यहोवा के सेवक सभाओं की बहुत कदर करते हैं और खुशी-खुशी वहाँ आते हैं। बाईस साल से भी ज़्यादा समय तक शासी निकाय के सदस्य रह चुके, भाई जॉर्ज गैंगस् ने कहा, “भाइयों के साथ इकट्ठा होना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है और इससे मेरा बहुत हौसला बढ़ता है। अगर मुमकिन हो तो मुझे राज घर में सबसे पहले पहुँचना और सबसे आखिर में निकलना अच्छा लगता है। परमेश्वर के लोगों से बात करके मुझे सच्ची खुशी मिलती है। जब मैं उनके साथ होता हूँ तो मुझे लगता है जैसे मैं आध्यात्मिक फिरदौस में घर पर अपने परिवार के साथ हूँ।” उन्होंने यह भी कहा, “सभाओं में हाज़िर होना मेरी दिली ख्वाहिश है।”

18. (क) आप सभाओं के बारे में कैसा महसूस करते हैं? (ख) आपने क्या करने की ठान ली है?

18 यहोवा की उपासना करने के बारे में क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो सभाओं में भाइयों के साथ इकट्ठा होने की हर मुमकिन कोशिश करते रहिए, फिर चाहे कितने ही मुश्किल हालात क्यों न हों। यहोवा को यह जताइए कि आप भी राजा दाविद की तरह महसूस करते हैं जिसने कहा, “हे यहोवा, मैं तेरे निवासस्थान से . . . प्रीति रखता हूँ।”—भज. 26:8, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

^ [1] (पैराग्राफ 3) हमारे कुछ भाई-बहन नियमित तौर पर सभाओं में नहीं जा सकते, क्योंकि उनके हालात ऐसे हैं जो उनके बस में नहीं हैं। जैसे, वे शायद बहुत बीमार हों। ऐसे भाई-बहन यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उनके हालात समझता है और वे उसकी उपासना करने के लिए जो भी करते हैं, उसकी वह बहुत कदर करता है। इन भाई-बहनों को सभाओं का कार्यक्रम सुनाने के लिए प्राचीन कुछ इंतज़ाम कर सकते हैं। चाहे तो टेलीफोन से कार्यक्रम सुनने में वे उनकी मदद कर सकते हैं या उनके लिए सभाओं की रिकॉर्डिंग कर सकते हैं।

^ [2] (पैराग्राफ 3) “सभाओं में हाज़िर होने की वजह” बक्स देखिए।