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अध्ययन लेख 52

मुश्‍किलों के दौरान दूसरों की मदद कीजिए

मुश्‍किलों के दौरान दूसरों की मदद कीजिए

“जिनका भला करना चाहिए, अगर उनका भला करना तेरे बस में हो तो पीछे मत हटना।”​—नीति. 3:27.

गीत 103 चरवाहे, आदमियों के रूप में तोहफे

एक झलक a

1. जब यहोवा का कोई सेवक उसे पुकारता है, तो अकसर वह कैसे उसकी मदद करता है?

 क्या आपको पता है कि जब यहोवा का कोई सेवक उसे मदद के लिए पुकारता है, तो वह आपके ज़रिए उसकी मदद कर सकता है? चाहे आप प्राचीन हों या सहायक सेवक, पायनियर हों या प्रचारक, बुज़ुर्ग हों या जवान, भाई हों या बहन, आप यहोवा के काम आ सकते हैं। यहोवा अकसर प्राचीनों और अपने दूसरे वफादार सेवकों के ज़रिए उन लोगों को “दिलासा” देता है जो उसे पुकारते हैं। (कुलु. 4:11) सोचिए यह कितनी बड़ी बात है कि हम इस तरह यहोवा के काम आ सकते हैं! हम खासकर तब भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं जब कोई बीमारी फैलती है, विपत्ति आती है या ज़ुल्म किए जाते हैं।

जब कोई बीमारी फैले

2. जब कोई बीमारी फैलती है, तो भाई-बहनों की मदद करना मुश्‍किल क्यों हो सकता है?

2 जब कोई बीमारी या महामारी फैलती है, तो भाई-बहनों की मदद करना मुश्‍किल हो जाता है। जैसे शायद हम भाई-बहनों से मिलना चाहें या किसी ऐसे परिवार को अपने यहाँ खाने पर बुलाना चाहें जिसे पैसों की दिक्कत है, लेकिन महामारी की वजह से ऐसा ना कर पाएँ। यह भी हो सकता है कि हम दूसरों की मदद तो करना चाहते हों, लेकिन हमें खुद पैसों की दिक्कत हो या हमारे घरवाले बीमार हों। फिर भी अगर हमसे जो हो सकता है हम वह करने की कोशिश करें, तो यहोवा हमसे खुश होगा। (नीति. 3:27; 19:17) तो हम भाई-बहनों की मदद कैसे कर सकते हैं?

3. हम बहन डेज़ी की मंडली के प्राचीनों से क्या सीखते हैं? (यिर्मयाह 23:4)

3 प्राचीन क्या कर सकते हैं?  अगर आप एक प्राचीन हैं, तो भेड़ों को अच्छी तरह जानने की कोशिश कीजिए। (यिर्मयाह 23:4 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि इस बारे में बहन डेज़ी क्या कहती हैं, जिनका पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था, “हमारे प्रचार समूह के प्राचीन मेरे साथ और दूसरे भाई-बहनों के साथ प्रचार करते थे और हमारे साथ मिलकर मज़े भी करते थे।” b उनकी मंडली के प्राचीन भाई-बहनों के साथ घुलते-मिलते थे, उनके साथ समय बिताते थे। इसलिए जब कोविड-19 महामारी फैली और बहन डेज़ी के कुछ परिवारवालों की मौत हो गयी, तो वे और अच्छी तरह बहन की मदद कर पाए।

4. बहन डेज़ी की मंडली के प्राचीन क्यों उनकी मदद कर पाए और इससे प्राचीन क्या सीख सकते हैं?

4 बहन डेज़ी बताती हैं, “मेरी मंडली के प्राचीन मेरे दोस्त हैं। इसलिए मैं खुलकर उन्हें बता पायी कि मैं कैसा महसूस कर रही हूँ और किन बातों को लेकर मुझे चिंता हो रही है।” इससे प्राचीन क्या सीख सकते हैं? कोई मुश्‍किल आने का इंतज़ार मत कीजिए। पहले से ही भेड़ों को जानने की कोशिश कीजिए, उनके दोस्त बनिए। अगर किसी बीमारी या महामारी की वजह से आप भाई-बहनों से मिल नहीं पा रहे हैं, तो दूसरे तरीकों से उनसे बात करने की कोशिश कीजिए। बहन डेज़ी बताती हैं, ‘कई बार तो एक ही दिन में मुझे कई प्राचीनों का फोन आया या फिर उन्होंने मैसेज भेजे। उन्होंने मुझे अलग-अलग आयतें बतायीं। मैंने उन आयतों को पहले भी कई बार पढ़ा था, पर उन्हें फिर से पढ़कर मुझे बहुत हिम्मत मिली।’

5. प्राचीन कैसे जान सकते हैं कि भाई-बहनों को किन चीज़ों की ज़रूरत है और वे कैसे उनकी मदद कर सकते हैं?

5 भाई-बहनों को किन चीज़ों की ज़रूरत है, यह जानने के लिए आप उनसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं, पर कुछ ऐसा मत पूछिए जिससे उन्हें बुरा लग जाए। (नीति. 20:5) आप उनसे पूछ सकते हैं कि क्या उनके पास खाना, दवाइयाँ और ज़रूरत की दूसरी चीज़ें हैं या कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी नौकरी छूट सकती है या घर का किराया भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। या अगर सरकार ने लोगों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए कोई इंतज़ाम किया है, तो आप भाई-बहनों से पूछ सकते हैं कि उससे फायदा पाने के लिए क्या उन्हें कुछ मदद चाहिए। भाई-बहनों ने बहन डेज़ी की ज़रूरतों का खयाल रखा। पर प्राचीनों ने उनके लिए जो प्यार ज़ाहिर किया और उन्हें जो आयतें दिखायीं, खासकर उससे उन्हें बहुत हिम्मत मिली और वे मुश्‍किलें सह पायीं। वे कहती हैं, “प्राचीनों ने कई बार मेरे साथ प्रार्थना की। मुझे यह तो याद नहीं कि उन्होंने क्या कहा था, पर यह ज़रूर याद है कि उस वक्‍त मुझे कैसा लगा था। ऐसा लगा मानो यहोवा मुझसे कह रहा है, ‘तू अकेली नहीं है, मैं तेरे साथ हूँ।’”​—यशा. 41:10, 13.

एक भाई राज-घर में आए भाई-बहनों और वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए जुड़े एक बीमार भाई को जवाब देने का मौका दे रहा है और उनके जवाब सुनकर खुश हो रहा है (पैराग्राफ 6)

6. दूसरों की मदद करने के लिए मंडली के भाई-बहन क्या कर सकते हैं? (तसवीर देखें।)

6 दूसरे भाई-बहन क्या कर सकते हैं?  हम प्राचीनों से उम्मीद करते हैं कि वे मंडली के भाई-बहनों का खयाल रखें। लेकिन यहोवा हम सबको बढ़ावा देता है कि हम एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएँ और एक-दूसरे की मदद करें। (गला. 6:10) अगर कोई भाई या बहन बीमार है, तो हम उनके लिए क्या कर सकते हैं? छोटे बच्चे उनके लिए कोई कार्ड या ड्रॉइंग बना सकते हैं। जवान भाई-बहन उनके लिए खरीदारी कर सकते हैं या कोई काम करने में उनकी मदद कर सकते हैं। या फिर हम उनके घर खाना पहुँचा सकते हैं। हमें शायद यह छोटी-सी बात लगे, पर इससे उनका बहुत हौसला बढ़ सकता है। और महामारी के दौरान तो हर किसी को हौसले की ज़रूरत होती है, चाहे वह बीमार ना भी हो। तो क्यों ना आप सभाओं के बाद कुछ देर रुककर भाई-बहनों से बात करें, फिर चाहे आप राज-घर गए हों या वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए जुड़े हों? प्राचीनों को भी हौसले की ज़रूरत होती है। और जब कोई बीमारी फैलती है, तब तो उनका काम और बढ़ जाता है। इसलिए कुछ भाई-बहन उन्हें शुक्रिया कहने के लिए मैसेज या कार्ड भेजते हैं। तो आइए हममें से हर कोई ‘एक-दूसरे का हौसला बढ़ाता रहे और एक-दूसरे को मज़बूत करता रहे’!​—1 थिस्स. 5:11.

जब कोई विपत्ति आए

7. जब कोई विपत्ति आती है, तो क्या-क्या हो सकता है?

7 जब कोई विपत्ति आती है, तो पलक झपकते ही सबकुछ बदल जाता है। शायद हम अपनी चीज़ें गँवा दें, हमारा घर तबाह हो जाए या फिर हमारे अपनों की मौत हो जाए। और ऐसा नहीं है कि ये तकलीफें सिर्फ दुनिया के लोगों पर आती हैं, यहोवा के लोगों को भी इनका सामना करना पड़ता है। अगर ऐसा कुछ होता है, तो हम दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं?

8. विपत्ति आने से पहले प्राचीन और परिवार के मुखिया क्या कर सकते हैं?

8 प्राचीन क्या कर सकते हैं?  प्राचीनो, विपत्ति का सामना करने के लिए भाई-बहनों को पहले से तैयार कीजिए। इस बात का ध्यान रखिए कि सभी को पता हो कि विपत्ति आने पर उन्हें क्या करना है और उन्हें बताइए कि जब ऐसा कुछ हो, तो वे आपसे संपर्क करें। बहन मारगरेट, जिनका पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था, कहती हैं, “मंडली की ज़रूरतों में प्राचीनों ने हमें बताया था कि जंगल में आग लगने का खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर अधिकारी हमसे इलाका खाली करने को कहें या अगर हमें लगे कि खतरा बढ़ गया है, तो हमें फौरन वहाँ से निकल जाना चाहिए।” प्राचीनों ने भाई-बहनों को यह हिदायत बिलकुल सही समय पर दी, क्योंकि इसके पाँच हफ्तों बाद ही पास ही के जंगल में आग लग गयी और लोगों को उस इलाके से निकलना पड़ा। अगर आप एक परिवार के मुखिया हैं, तो पारिवारिक उपासना के दौरान इस बारे में बात कीजिए कि अगर कोई विपत्ति आयी तो हरेक जन क्या करेगा। इस तरह आप और आपके बच्चे विपत्ति आने पर घबराएँगे नहीं, बल्कि शांत रह पाएँगे।

9. विपत्ति आने से पहले और उसके बाद प्राचीन क्या कर सकते हैं?

9 अगर आप एक समूह निगरान हैं, तो कोई विपत्ति आने से पहले ही अपने समूह के हरेक भाई-बहन का फोन नंबर और पता लिखिए। आप चाहें तो इसकी एक सूची बना सकते हैं और फिर समय-समय पर देख सकते हैं कि कहीं कुछ बदलने की ज़रूरत तो नहीं। फिर जब कोई विपत्ति आएगी, तो आप सभी से संपर्क कर पाएँगे और जान पाएँगे कि उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है। जैसे ही आपको यह जानकारी मिलती है, तुरंत प्राचीनों के निकाय के संयोजक को इस बारे में बताइए। फिर वह सर्किट निगरान को इस बारे में बताएगा। इस तरह मिलकर काम करने से ये भाई सभी की अच्छी तरह मदद कर पाते हैं। ध्यान दीजिए कि जब बहन मारगरेट के इलाके में आग लगी, तो प्राचीनों ने कैसे भाई-बहनों की मदद की। उन्होंने तुरंत सबको फोन किया और फिर सर्किट निगरान को सारी जानकारी दी। करीब 450 भाई-बहनों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा। सभी के रहने का इंतज़ाम करने के लिए उनके सर्किट निगरान प्राचीनों से लगातार बात करते रहे और इस वजह से 36 घंटों तक नहीं सोए। (2 कुरिं. 11:27) आखिरकार सभी भाई-बहनों के रहने का इंतज़ाम हो गया!

10. प्राचीन रखवाली भेंट क्यों करते हैं? (यूहन्‍ना 21:15)

10 जब कोई विपत्ति आती है, तो प्राचीन सबसे पहले इस बात का ध्यान रखते हैं कि भाई-बहनों के पास खाना, कपड़े और रहने की जगह हो। लेकिन उनकी यह ज़िम्मेदारी भी है कि वे बाइबल से भाई-बहनों को दिलासा दें और जो दुखी या परेशान हैं, उनकी हिम्मत बँधाएँ। (1 पत. 5:2) विपत्ति आने के कई महीनों बाद भी बहुत-से भाई-बहनों को इस तरह के हौसले की ज़रूरत होती है। (यूहन्‍ना 21:15 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि इस बारे में भाई हैरल्ड क्या कहते हैं, जो एक शाखा-समिति के सदस्य हैं। वे ऐसे कई भाई-बहनों से मिले हैं जिन्होंने किसी विपत्ति का सामना किया था। वे बताते हैं, ‘भाई-बहनों को गम से उबरने में वक्‍त लगता है। शायद उनकी ज़िंदगी तो पटरी पर लौट आयी हो, लेकिन रह-रहकर उन्हें बुरी यादें सताती हों। शायद विपत्ति की वजह से उनके किसी अज़ीज़ की मौत हो गयी हो, उन्होंने अपनी कोई कीमती चीज़ खो दी हो या वे बाल-बाल बचे हों। उस बारे में सोचकर वे फिर से परेशान हो सकते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उनका विश्‍वास कमज़ोर पड़ गया है, आखिर वे भी तो इंसान ही हैं।’

11. प्राचीन किस तरह परिवारों की मदद कर सकते हैं?

11 प्राचीनों को बाइबल में लिखी यह सलाह माननी चाहिए: “रोनेवालों के साथ रोओ।” (रोमि. 12:15) जिन भाई-बहनों ने विपत्ति का सामना किया है, प्राचीनों को उन्हें यकीन दिलाना चाहिए कि यहोवा अभी-भी उनसे प्यार करता है और उनके भाई-बहन भी उनसे प्यार करते हैं। उन्हें सभी परिवारों को यह बढ़ावा भी देना चाहिए कि वे उपासना से जुड़े कामों में लगे रहें, जैसे प्रार्थना करते रहें, अध्ययन करते रहें, सभाओं में आते रहें और प्रचार करते रहें। प्राचीनों को माता-पिताओं से कहना चाहिए कि वे बच्चों को याद दिलाएँ कि विपत्ति में उन्होंने सबकुछ नहीं खो दिया है, उनके पास कुछ ऐसा है जो कोई भी विपत्ति उनसे छीन नहीं सकती। जैसे, माता-पिता अपने बच्चों को बता सकते हैं कि यहोवा अभी-भी उनका दोस्त है और वह हमेशा उनके साथ रहेगा। वे उन्हें यह भी बता सकते हैं कि उनका एक बहुत बड़ा परिवार है, दुनिया-भर में उनके ढेरों भाई-बहन हैं जो उनसे प्यार करते हैं और उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हैं।​—1 पत. 2:17.

कोई विपत्ति आने के बाद क्या आप भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं? (पैराग्राफ 12) e

12. दूसरे भाई-बहन विपत्ति आने पर क्या कर सकते हैं? (तसवीर देखें।)

12 दूसरे भाई-बहन क्या कर सकते हैं?  अगर किसी पास के इलाके में विपत्ति आए, तो प्राचीनों से पूछिए कि आप किस तरह मदद कर सकते हैं। शायद आप उन भाई-बहनों को अपने घर पर रुका सकते हैं, जिन्हें अपना घर छोड़कर भागना पड़ा या उन्हें जो निर्माण काम में हाथ बँटाने के लिए आए हैं। या फिर आप खाना या ज़रूरत की दूसरी चीज़ें पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन अगर विपत्ति किसी दूर के इलाके में आए, तब आप क्या कर सकते हैं? आप उन भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। (2 कुरिं. 1:8-11) राहत काम में हाथ बँटाने के लिए आप पूरी दुनिया में होनेवाले काम के लिए दान भी कर सकते हैं। (2 कुरिं. 8:2-5) अगर आप वहाँ जाकर मदद कर सकते हैं, तो इस बारे में प्राचीनों से बात कीजिए। और अगर आपको वहाँ बुलाया जाए, तो भाई आपको ट्रेनिंग देंगे ताकि आप ज़्यादा-से-ज़्यादा मदद कर सकें।

जब ज़ुल्म किए जाएँ

13. जिन देशों में हमारे काम पर रोक लगी है, वहाँ भाई-बहनों पर कौन-सी मुश्‍किलें आती हैं?

13 जिन देशों में हमारे काम पर रोक लगी है, वहाँ तो भाई-बहनों पर और भी मुश्‍किलें आती हैं। दुनिया-भर के दूसरे भाई-बहनों की तरह उन्हें भी पैसों की दिक्कत होती है, वे बीमार पड़ जाते हैं और उनके अपनों की मौत हो जाती है, लेकिन पाबंदी की वजह से प्राचीन उनसे आसानी से मिल नहीं पाते और बात नहीं कर पाते। भाई आंद्रे जिनका पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था, उनके सामने भी यही मुश्‍किल आयी। उनके प्रचार समूह में एक बहन थी, जिन्हें पैसों की दिक्कत हो रही थी, ऊपर से उनका एक्सीडेंट हो गया। डॉक्टरों ने कहा कि उनके कई ऑपरेशन करने पड़ेंगे और अब वे कोई काम भी नहीं कर सकती थीं। पाबंदी और महामारी की वजह से भाई-बहनों के लिए उनकी मदद करना आसान नहीं था, पर यहोवा सबकुछ देख रहा था और उसने भाई-बहनों को उभारा कि उनसे जो हो सकता है वे करें।

14. मुश्‍किलें आने पर प्राचीन यहोवा पर कैसे भरोसा रख सकते हैं?

14 प्राचीन क्या कर सकते हैं?  भाई आंद्रे ने यहोवा से प्रार्थना की और वे जो कर सकते थे, उन्होंने किया। और यहोवा ने उनकी प्रार्थना सुनी। यहोवा ने दूसरे भाई-बहनों को उभारा कि वे उस बहन की मदद करने के लिए आगे आएँ। कुछ भाई-बहन उन्हें डॉक्टर के पास ले गए और कुछ ने पैसे देकर उनकी मदद की। उन्होंने हिम्मत से काम लिया और मिलकर बहन की मदद की, इसलिए यहोवा ने उन्हें आशीष दी और बहन की ज़रूरतें पूरी हो पायीं। (इब्रा. 13:16) इससे प्राचीन क्या सीख सकते हैं? जब हमारे काम पर रोक लगी हो, तो अपना कुछ काम दूसरे भाई-बहनों को सौंपिए। (यिर्म. 36:5, 6) सबसे बढ़कर, यहोवा पर भरोसा रखिए। वह भाई-बहनों की देखभाल करने में आपकी मदद करेगा।

15. अगर हमारे काम पर रोक लगी हो, तो हम क्या कर सकते हैं ताकि हमारे बीच एकता बनी रहे?

15 दूसरे भाई-बहन क्या कर सकते हैं?  हम जहाँ रहते हैं, अगर वहाँ हमारे काम पर रोक लगी हो, तो हमें शायद छोटे समूहों में मिलना पड़े। ऐसे वक्‍त में यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हम अपने भाई-बहनों के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाकर रखें। हमें शैतान से लड़ना है, एक-दूसरे से नहीं। अगर कोई भाई या बहन कुछ ऐसा करे जो आपको अच्छा ना लगे, तो उस बात को जाने दीजिए। या अगर आपकी किसी से अनबन हो जाती है, तो जल्द-से-जल्द सुलह कीजिए। (नीति. 19:11; इफि. 4:26) और आगे बढ़कर एक-दूसरे की मदद कीजिए। (तीतु. 3:14) जानते हैं, जब भाई-बहनों ने उस बहन की मदद की जिसका एक्सीडेंट हो गया था तो क्या हुआ? वे एक-दूसरे के और करीब आ गए और एक परिवार जैसे बन गए। उसी तरह जब हम एक-दूसरे की मदद करेंगे, तो हमारे बीच प्यार बढ़ जाएगा। इस सब से हमारे बीच एकता बनी रहेगी।​—भज. 133:1.

16. कुलुस्सियों 4:3, 18 के मुताबिक हम उन भाई-बहनों की कैसे मदद कर सकते हैं जिन पर ज़ुल्म किए जा रहे हैं?

16 आज हमारे हज़ारों भाई-बहन ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ सरकार ने हमारे काम पर पाबंदी लगा रखी है। यहोवा की सेवा करने की वजह से कई भाई-बहनों को तो जेल में भी डाल दिया गया है। हम उनके लिए और उनके परिवारवालों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। c (कुलुस्सियों 4:3, 18 पढ़िए।) हम उनके लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं जो इन भाई-बहनों का हौसला बढ़ाते हैं, उन तक ज़रूरत की चीज़ें पहुँचाते हैं और अदालत में उनकी तरफ से लड़ते हैं। उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है, पर फिर भी वे डरते नहीं हैं बल्कि हिम्मत से दूसरों की मदद करते हैं। कभी ऐसा मत सोचिए कि आपके प्रार्थना करने या ना करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।​—2 थिस्स. 3:1, 2; 1 तीमु. 2:1, 2.

आप अभी से अपने परिवार को ज़ुल्मों का सामना करने के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं? (पैराग्राफ 17)

17. आप ज़ुल्मों का सामना करने के लिए अभी से तैयारी कैसे कर सकते हैं?

17 आप और आपका परिवार अभी से ज़ुल्मों का सामना करने की तैयारी कर सकता है। (प्रेषि. 14:22) सिर्फ बुरा-बुरा मत सोचते रहिए कि कहीं ऐसा हो गया या वैसा हो गया तो, बल्कि यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत कीजिए। अपने बच्चों की भी मदद कीजिए ताकि वे भी यहोवा के करीब बने रहें। अगर कभी आपको बहुत ज़्यादा चिंता होने लगे, तो यहोवा से दिल खोलकर प्रार्थना कीजिए। (भज. 62:7, 8) अपने परिवार के साथ मिलकर इस बारे में बात कीजिए कि आप क्यों यहोवा पर भरोसा कर सकते हैं। d जिस तरह आप विपत्ति का सामना करने के लिए पहले से तैयारी करते हैं और यहोवा पर भरोसा रखते हैं, उसी तरह ज़ुल्मों का सामना करने के लिए भी तैयारी कीजिए। तब आपको देखकर आपके बच्चे भी हिम्मत से काम ले पाएँगे और शांत रहेंगे।

18. भविष्य में यहोवा हमें क्या देगा?

18 ‘परमेश्‍वर की शांति’ होने से हम सुरक्षित महसूस करते हैं। (फिलि. 4:6, 7) चाहे कोई बीमारी फैले, विपत्ति आए या हम पर ज़ुल्म किए जाएँ, यहोवा हमें मन की शांति देता है। वह प्राचीनों के ज़रिए हमारा हौसला बढ़ाता है और हमारी देखभाल करता है। उसने हमें भी यह मौका दिया है कि हम एक-दूसरे की मदद करें। तो आइए हम अभी से कोशिश करें कि मुश्‍किलें आने पर हम शांत रहें और दूसरों की भी शांत रहने में मदद करें, क्योंकि आगे चलकर जब और भी बड़ी-बड़ी मुश्‍किलें आएँगी और “महा-संकट” आएगा, तब ऐसा करने की और भी ज़रूरत होगी। (मत्ती 24:21) महा-संकट के बाद हम पर फिर कभी ऐसी कोई मुश्‍किल नहीं आएगी और ना ही हमें चिंताएँ सताएँगी। उस वक्‍त यहोवा का मकसद पूरा होगा, वह इंसानों को सच्ची शांति देगा जो हमेशा-हमेशा तक बनी रहेगी।​—यशा. 26:3, 4.

गीत 109 दिल से प्यार करें

a जब यहोवा का कोई सेवक किसी मुश्‍किल से गुज़र रहा होता है, तो कई बार वह अपने दूसरे सेवकों के ज़रिए उसकी मदद करता है। यहोवा आपके ज़रिए भी भाई-बहनों का हौसला बढ़ा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि मुश्‍किल की घड़ी में हम दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं।

b इस लेख में कुछ लोगों के नाम, उनके असली नाम नहीं हैं।

c अगर आप ऐसे भाई-बहनों को खत लिखने की सोच रहे हैं जो जेल में हैं, तो वे खत शाखा दफ्तर या विश्‍व मुख्यालय मत भेजिए, क्योंकि वहाँ से उन तक खत पहुँचाने का कोई इंतज़ाम नहीं किया जाता।

d जुलाई 2019 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख “आनेवाले ज़ुल्मों की अभी से तैयारी कीजिए!” पढ़ें।

e तसवीर के बारे में: विपत्ति आने के बाद एक पति-पत्नी एक परिवार के लिए खाना लाए हैं, जो तंबू में रह रहा है।