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अध्ययन लेख 47

आपका विश्‍वास कितना पक्का है?

आपका विश्‍वास कितना पक्का है?

“तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों। परमेश्‍वर पर विश्‍वास करो।”​—यूह. 14:1.

गीत 119 हमारा विश्‍वास पक्का हो!

लेख की एक झलक *

1. हमारे मन में कौन-सा खयाल आ सकता है?

बहुत जल्द झूठे धर्मों का नाश होगा, मागोग देश के गोग का हमला होगा और हर-मगिदोन की लड़ाई होगी। क्या इनके बारे में सोचकर आप घबरा जाते हैं? क्या आप सोचते हैं, ‘पता नहीं, उस वक्‍त मैं वफादार रह पाऊँगा या नहीं?’ अगर आपके मन में ऐसा खयाल आता है, तो यीशु के शब्दों से आपको हौसला मिलेगा। यीशु ने अपने चेलों से कहा था, “तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों। परमेश्‍वर पर विश्‍वास करो।” (यूह. 14:1) इस लेख में यीशु की कही इसी बात पर चर्चा की जाएगी। अगर हमारा विश्‍वास पक्का होगा, तो हम आनेवाली हर मुश्‍किल का सामना डटकर कर पाएँगे।

2. (क) आनेवाली मुश्‍किलों का सामना करने के लिए हमें आज क्या करना होगा? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

2 आनेवाली बड़ी-बड़ी मुश्‍किलों का सामना करने के लिए हमें ध्यान देना होगा कि आज हम मुश्‍किलों का सामना कैसे करते हैं। अगर हमें लगता है कि हममें विश्‍वास की कमी है, तो हमें उसे बढ़ाना चाहिए। इस लेख में हम जानेंगे कि किन चार मामलों में यीशु ने अपने चेलों को और विश्‍वास बढ़ाने की सलाह दी। फिर हम जानेंगे कि उनकी तरह आज हमारे सामने कौन-सी मुश्‍किलें आ सकती हैं और हम अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं।

विश्‍वास रखिए कि यहोवा आपकी ज़रूरतें पूरी करेगा

अगर हममें विश्‍वास होगा, तो आर्थिक समस्याओं के बावजूद हम राज के कामों में लगे रहेंगे (पैराग्राफ 3-6 देखें)

3. मत्ती 6:30, 33 में यीशु ने किस मामले में अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए कहा?

3 हर परिवार का मुखिया चाहता है कि उसके परिवार के पास रोटी, कपड़ा और मकान हो। लेकिन आज की दुनिया में इन ज़रूरतों को पूरा करना इतना आसान नहीं है। हमारे कुछ भाई-बहनों की नौकरी चली गयी है और लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें दूसरी नौकरी नहीं मिल रही। कुछ भाई-बहनों ने ऐसी नौकरी करने से मना कर दिया, जो मसीहियों के लिए सही नहीं है। इन हालात में हममें पक्का विश्‍वास होना चाहिए कि यहोवा हमारे परिवार की ज़रूरतें पूरी करेगा। अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने अपने चेलों से यही बात कही थी। (मत्ती 6:30, 33 पढ़िए।) जब हमें इस बात का पूरा यकीन होगा कि यहोवा हमें नहीं छोड़ेगा, तो हम अपना पूरा ध्यान उसके राज के कामों पर लगा पाएँगे। जब हम देखेंगे कि यहोवा हमारी ज़रूरतें पूरी कर रहा है, तो उसके साथ हमारी दोस्ती गहरी होगी और उस पर हमारा विश्‍वास और बढ़ेगा।

4-5. जब एक परिवार आर्थिक समस्याओं से गुज़र रहा था, तो उन्होंने क्या किया?

4 आइए वेनेज़ुएला में रहनेवाले भाई मीगल कैस्ट्रो के परिवार का उदाहरण लें। एक वक्‍त पर उनकी अपनी ज़मीन थी और वे उस पर खेती-बाड़ी करके गुज़ारा चलाते थे। लेकिन फिर एक गुट के लोगों ने उनकी ज़मीन हथिया ली और उन्हें वहाँ से भगा दिया। भाई मीगल कहते हैं, “अभी हमने किसी से एक छोटी-सी ज़मीन उधार ली है और हम उसी पर खेती-बाड़ी करके अपना गुज़ारा चलाते हैं। मैं हर दिन सुबह-सुबह यहोवा से प्रार्थना करता हूँ कि वह हमें उस दिन की रोटी दे।” हालाँकि मीगल के परिवार के लिए ज़िंदगी इतनी आसान नहीं है, लेकिन उन्हें पूरा यकीन है कि यहोवा उनकी ज़रूरतों का खयाल रखेगा। इसलिए वे हर सभा में जाते हैं और प्रचार काम में लगातार हिस्सा लेते हैं। उन्होंने परमेश्‍वर के राज के कामों को पहली जगह दी है, इसलिए यहोवा उनकी ज़रूरतों का खयाल रखता है।

5 इन मुश्‍किलों के दौरान, भाई मीगल और उनकी पत्नी यूराय ने ध्यान दिया कि यहोवा ने किस तरह उनका खयाल रखा है। कई बार यहोवा ने भाई-बहनों के ज़रिए उन्हें ज़रूरत की कुछ चीजें दीं और भाई को नौकरी ढूँढ़ने में मदद दी। शाखा दफ्तर ने भी कई बार उन्हें ज़रूरत की चीजें दीं। यहोवा ने कभी-भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ा। इस वजह से उनके परिवार का विश्‍वास बढ़ा। उनकी सबसे बड़ी बेटी, होसलीन एक खास घटना को याद करते हुए कहती है, “जब मैंने देखा कि यहोवा ने किस तरह हमारी मदद की, तो मेरा हौसला बढ़ गया। अब वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है जिस पर मैं भरोसा कर सकती हूँ। हमारा परिवार जिन मुश्‍किलों से गुज़रा, उससे हमारा विश्‍वास और बढ़ गया। अब हम आनेवाली बड़ी-बड़ी मुश्‍किलों का सामना करने के लिए भी तैयार हैं।”

6. आर्थिक समस्याओं से गुज़रते वक्‍त आप अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं?

6 क्या आप भी आर्थिक समस्याओं से गुज़र रहे हैं? अगर हाँ, तो शायद आपको कई मुश्‍किलें झेलनी पड़ रही होंगी। लेकिन फिर भी आप अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं। यहोवा से प्रार्थना कीजिए। मत्ती 6:25-34 में लिखे यीशु के शब्द पढ़िए और उन पर मनन कीजिए। ऐसे अनुभव पढ़िए जिनसे पता चलता है कि जो लोग यहोवा की सेवा में लगे रहते हैं, यहोवा उनकी ज़रूरतों का खयाल रखता है। (1 कुरिं. 15:58) अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपका यकीन बढ़ेगा कि जिस तरह यहोवा ने उनका खयाल रखा, वह आपका भी खयाल रखेगा। वह जानता है कि आपको क्या चाहिए और वह आपकी ज़रूरतों को ज़रूर पूरा करेगा। जब आप देखेंगे कि यहोवा आपकी मदद कर रहा है, तो उस पर आपका विश्‍वास और बढ़ेगा। इस तरह आप आनेवाली बड़ी-बड़ी मुश्‍किलों का सामना कर पाएँगे।​—हब. 3:17, 18.

“ज़ोरदार आँधी” का सामना करने के लिए विश्‍वास बढ़ाइए

पक्के विश्‍वास की वजह से हम सचमुच की आँधी या आँधी जैसी मुश्‍किलों का सामना कर पाएँगे (पैराग्राफ 7-11 देखें)

7. जब ज़ोरदार आँधी आयी, तब चेलों के विश्‍वास की परख कैसे हुई? (मत्ती 8:23-26)

7 मत्ती 8:23-26 पढ़िए। एक बार यीशु अपने चेलों के साथ नाव पर सफर कर रहा था। अचानक ज़ोरदार आँधी आयी और नाव डूबने लगी। यीशु आराम से सो रहा था। घबराकर चेलों ने उसे जगाया और उससे कहा कि वह उन्हें बचाए। लेकिन यीशु ने उनसे पूछा, “अरे, कम विश्‍वास रखनेवालो, तुम क्यों इतना डर रहे हो?” चेलों को समझ जाना चाहिए था कि यहोवा अपने बेटे को बचा सकता है और उन्हें भी जो उसके साथ हैं। इससे हम क्या सीखते हैं? चाहे सचमुच की आँधी हो या फिर आँधी जैसी मुश्‍किल, अगर हममें पक्का विश्‍वास होगा, तो हम उसका सामना कर पाएँगे।

8-9. (क) अनल के विश्‍वास की परख कैसे हुई? (ख) अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए उसने क्या किया?

8 आइए पोर्टोरिको में रहनेवाली एक अविवाहित बहन, अनल के उदाहरण पर गौर करें। कई मुश्‍किलों से गुज़रने के बाद उसका विश्‍वास और बढ़ा। सन्‌ 2017 में उसके इलाके में मारिया नाम का ज़ोरदार तूफान आया। इस वजह से अनल का घर तबाह हो गया और उसकी नौकरी भी छूट गयी। वह कहती है, “मैं उस वक्‍त बहुत परेशान रहती थी। लेकिन फिर भी मैं प्रार्थना करती थी और परमेश्‍वर की सेवा में लगी रहती थी। इस तरह मैंने यहोवा पर भरोसा करना सीखा।”

9 आज्ञा मानने की वजह से भी अनल अपनी मुश्‍किलों का सामना कर पायी। वह कहती है, “संगठन से मिली हिदायतों को मानने से मेरा मन शांत रह पाया। मैं देख पायी कि यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए मेरी हिम्मत बँधा रहा है और मुझ तक ज़रूरत की चीजें पहुँचा रहा है। मैंने जितना यहोवा से माँगा था, उसने मुझे उससे कहीं ज़्यादा दिया। इन सब वजहों से मेरा विश्‍वास और ज़्यादा बढ़ गया।”

10. अगर आप किसी बड़ी मुश्‍किल का सामना कर रहे हैं, तो आप क्या कर सकते हैं?

10 क्या आपकी ज़िंदगी में कोई “ज़ोरदार आँधी” आयी है? शायद आप किसी प्राकृतिक विपत्ति की वजह से परेशानी में हों या फिर किसी बड़ी बीमारी की वजह से। ऐसे में यहोवा पर भरोसा रखिए। उससे प्रार्थना कीजिए। उन घटनाओं के बारे में सोचिए जब यहोवा ने आपकी मदद की थी। इस तरह आपका विश्‍वास बढ़ेगा। (भज. 77:11, 12) यकीन रखिए कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा, न आज, न ही भविष्य में।

11. हमें संगठन और प्राचीनों से मिली हिदायतें क्यों माननी चाहिए?

11 जैसा कि हमने अनल से सीखा, आज्ञा मानने से भी हम मुश्‍किलों का सामना कर पाएँगे। हमें उन लोगों पर भरोसा रखना चाहिए, जिन पर यहोवा और यीशु भरोसा करते हैं। कई बार हमें लग सकता है कि संगठन और प्राचीनों से मिली हिदायतें सही नहीं हैं। लेकिन अगर हम उन हिदायतों को मानेंगे, तो यहोवा खुश होगा और हमारी जान बचेगी, जैसे बाइबल और दूसरे भाई-बहनों के उदाहरणों से पता चलता है। (निर्ग. 14:1-4; 2 इति. 20:17) हमें ऐसे उदाहरणों पर मनन करना चाहिए। ऐसा करने से हम संगठन से मिली सभी हिदायतें मान पाएँगे, आज भी और कल भी। (इब्रा. 13:17) और हम आनेवाले महा-संकट का सामना करने से नहीं घबराएँगे।​—नीति. 3:25.

नाइंसाफी सहने के लिए विश्‍वास होना ज़रूरी है

प्रार्थना में लगे रहने से हमारा विश्‍वास बढ़ेगा (पैराग्राफ 12 देखें)

12. नाइंसाफी सहने के लिए विश्‍वास का होना क्यों ज़रूरी है? (लूका 18:1-8)

12 यीशु जानता था कि उसके चेलों के साथ नाइंसाफी होगी, जिसकी वजह से उनके विश्‍वास की परख होगी। उनकी मदद करने के लिए उसने एक विधवा की कहानी सुनायी। वह विधवा इंसाफ माँगने के लिए एक बुरे न्यायी के पास बार-बार जाती थी। उसे यकीन था कि ऐसा करने से न्यायी उसकी फरियाद ज़रूर सुनेगा। आखिरकार न्यायी ने उसकी फरियाद सुन ली। इससे हम क्या सीखते हैं? यहोवा उस बुरे न्यायी की तरह नहीं है। इसलिए यीशु ने कहा, “तो क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं की खातिर इंसाफ नहीं करेगा, जो दिन-रात उससे फरियाद करते हैं?” (लूका 18:1-8 पढ़िए।) इसके बाद यीशु ने कहा, “जब इंसान का बेटा आएगा, तब क्या वह धरती पर ऐसा विश्‍वास  पाएगा?” जब हमारे साथ नाइंसाफी होती है, तो हमें भी उस विधवा की तरह सब्र रखना चाहिए और बार-बार यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। इससे पता चलेगा कि हमें पक्का विश्‍वास है कि यहोवा आज नहीं तो कल हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ज़रूर देगा। हमें यह भी यकीन रखना चाहिए कि प्रार्थनाओं में बहुत ताकत है। कई बार यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब इस तरह देता है, जिस तरह हमने सोचा भी नहीं था।

13. जब एक परिवार के साथ कुछ बुरा हुआ, तो उन्हें प्रार्थना से कैसे मदद मिली?

13 कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में रहनेवाली एक बहन, वेरो के परिवार का उदाहरण लेते हैं। उसके गाँव में कुछ सैनिकों ने हमला कर दिया था जिसकी वजह से उसे, उसके अविश्‍वासी पति और उसकी 15 साल की बेटी को वहाँ से भागना पड़ा। लेकिन रास्ते में कुछ सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया और धमकी दी कि वे उन्हें जान से मार डालेंगे। घबराकर वेरो रोने लगी। तभी उसे शांत करने के लिए उसकी बेटी ज़ोर-ज़ोर से प्रार्थना करने लगी और यहोवा का नाम बार-बार लेने लगी। जब उसने प्रार्थना कर ली, तो सैनिकों के अधिकारी ने उससे पूछा, “बेटा, तुम्हें यह प्रार्थना किसने सिखायी?” उसने कहा, ‘मेरी माँ ने मुझे बाइबल से सिखायी।’ (मत्ती 6:9-13) अधिकारी ने उससे कहा, “बेटा, अपने माँ-बाप के साथ बेफिक्र होकर जा। तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी रक्षा करे।”

14. हमारे विश्‍वास की परख कब हो सकती है और उस वक्‍त हमें क्या करना चाहिए?

14 इस तरह के उदाहरणों से हम सीखते हैं कि प्रार्थनाओं में बहुत ताकत है। लेकिन अगर यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब तुरंत न दे या किसी हैरतअँगेज़ तरीके से न दे, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें यीशु की मिसाल में दिए उस विधवा की तरह बनना चाहिए और प्रार्थना में लगे रहना चाहिए। हमें यकीन रखना चाहिए कि हमारा परमेश्‍वर हमें नहीं छोड़ेगा। वह सही समय पर हमारी प्रार्थना का जवाब देगा। हमें यहोवा से पवित्र शक्‍ति माँगते रहना चाहिए। (फिलि. 4:13) हमें याद रखना चाहिए कि बहुत जल्द वह हमें इतनी आशीषें देगा कि हम इन सारी तकलीफों को भूल जाएँगे। जब हम यहोवा की मदद से इन मुश्‍किलों को सहते हैं, तो हमारा विश्‍वास बढ़ता है और हम आनेवाली बड़ी मुश्‍किलों को सहने के लिए तैयार होते हैं।​—1 पत. 1:6, 7.

पहाड़ जैसी मुश्‍किलों का सामना करने के लिए विश्‍वास ज़रूरी है

15. जैसा मत्ती 17:19, 20 में बताया है, यीशु के चेलों के सामने कौन-सी मुश्‍किल आयी?

15 मत्ती 17:19, 20 पढ़िए। यीशु के चेले, लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाल पाते थे। लेकिन एक बार वे ऐसा नहीं कर पाए। क्यों? क्योंकि उनमें विश्‍वास की कमी थी। यीशु ने उनसे कहा कि अगर उनमें पक्का विश्‍वास होगा, तो वे पहाड़ जैसी मुश्‍किलों का सामना कर पाएँगे। हमारे सामने भी बड़ी-बड़ी मुश्‍किलें आ सकती हैं। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए?

हम चाहे दुखी हों या निराश, पक्के विश्‍वास की वजह से हम यहोवा की सेवा करते रहेंगे (पैराग्राफ 16 देखें)

16. गेडी अपने गम से कैसे उबर पायी?

16 ग्वाटेमाला में रहनेवाली एक बहन गेडी के उदाहरण पर ध्यान देते हैं। वह और उसका पति, ऐडी सभा के बाद घर लौट रहे थे। लेकिन रास्ते में उसके पति का खून हो गया। इस घटना ने उसे हिलाकर रख दिया। लेकिन गेडी अपने विश्‍वास की वजह से इस गम से उबर पायी। वह कहती है, “मैं प्रार्थना करके अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल देती थी। इससे मुझे मन की शांति मिलती थी। और यहोवा मेरे परिवारवालों और मंडली के भाई-बहनों के ज़रिए मेरा खयाल रखता था। यहोवा की सेवा में लगे रहने से भी मेरा दर्द कुछ कम हो जाता था और मैं अगले दिन के बारे में ज़्यादा चिंता नहीं करती थी। इस घटना से मैंने एक बात सीखी कि अब चाहे मेरे सामने कोई भी मुश्‍किल क्यों न आए, मैं यहोवा, यीशु और उसके संगठन की मदद से उसका सामना कर पाऊँगी।”

17. जब हमारे सामने पहाड़ जैसी मुश्‍किल आए, तो हमें क्या करना चाहिए?

17 क्या आपके किसी अपने की मौत हो गयी है? अगर हाँ, तो बाइबल में ऐसे लोगों के बारे में पढ़िए, जिन्हें दोबारा ज़िंदा किया गया था और खुद को यकीन दिलाइए कि आपके अज़ीज़ को भी ज़िंदा किया जाएगा। क्या आपके किसी परिवारवाले का बहिष्कार हुआ है और आप दुखी हैं? तो अध्ययन करके खुद को यकीन दिलाइए कि यहोवा के सुधारने का तरीका ही सबसे अच्छा है। मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी अपना विश्‍वास बढ़ाइए। यहोवा को अपने दिल की सारी बात बताइए। भाई-बहनों के करीब रहिए, खुद को उनसे अलग मत कीजिए। (नीति. 18:1) जब आपको अपनी तकलीफों को याद करके रोना आए, तब भी परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहिए। (भज. 126:5, 6) सभाओं में और प्रचार में जाइए और बाइबल पढ़ते रहिए। उन आशीषों के बारे में सोचते रहिए, जो बहुत जल्द यहोवा आपको देनेवाला है। जब आप देखेंगे कि यहोवा किस तरह आपकी मदद कर रहा है, तो उस पर आपका विश्‍वास बढ़ेगा।

“हमारा विश्‍वास बढ़ा”

18. अगर आपको पता चले कि आपमें विश्‍वास की कमी है, तो आपको क्या करना चाहिए?

18 मुश्‍किलों से गुज़रने के बाद जब हमें पता चलता है कि हममें विश्‍वास की कमी है, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। हमें अपना विश्‍वास बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। यीशु के प्रेषितों की तरह, हम भी यहोवा से कह सकते हैं, “हमारा विश्‍वास बढ़ा।” (लूका 17:5) इसके अलावा, हम उन उदाहरणों के बारे में सोच सकते हैं, जिनके बारे में हमने इस लेख में पढ़ा था। हमें मीगल और यूराय की तरह याद रखना चाहिए कि यहोवा ने कब-कब हमारी मदद की है। वेरो की बेटी और अनल की तरह, यहोवा से दिल से प्रार्थना करनी चाहिए, खासकर जब हम किसी बड़ी मुश्‍किल में होते हैं। और गेडी की तरह हमें यकीन रखना चाहिए कि यहोवा हमारे परिवारवालों और दोस्तों के ज़रिए हमारा खयाल रखेगा। जब हम यहोवा की मदद से आज मुश्‍किलों का सामना करेंगे, तो हमारा यकीन बढ़ेगा कि वह आनेवाली मुश्‍किलों का सामना करने में भी हमारी मदद करेगा।

19. यीशु की तरह हमें किस बात का यकीन है?

19 यीशु ने अपने चेलों को बताया कि किन चार मामलों में उन्हें अपना विश्‍वास बढ़ाना होगा। वह जानता था कि अगर वे ऐसा करेंगे, तो यहोवा की मदद से वे आनेवाली मुश्‍किलों का सामना कर पाएँगे। (यूह. 14:1; 16:33) उसे इस बात का भी यकीन था कि पक्के विश्‍वास की वजह से एक बड़ी भीड़ महा-संकट से बचकर निकलेगी। (प्रका. 7:9, 14) क्या आप उस भीड़ में होंगे? अगर आप आज अपना विश्‍वास बढ़ाने की पूरी कोशिश करें, तो यहोवा की मदद से आप उस भीड़ में होंगे।​—इब्रा. 10:39.

गीत 118 “हमारा विश्‍वास बढ़ा”

^ पैरा. 5 हम सब चाहते हैं कि इस दुष्ट दुनिया का अंत बहुत जल्द हो। लेकिन क्या हमारा विश्‍वास इतना पक्का है कि हम आनेवाली मुश्‍किलों को सह सकें? इस लेख में हम कुछ भाई-बहनों के उदाहरणों पर गौर करेंगे और उनसे सीखेंगे कि हम अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं।