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अध्ययन लेख 46

शादी के बाद यहोवा की और सेवा कीजिए

शादी के बाद यहोवा की और सेवा कीजिए

‘यहोवा मेरी ताकत है। मेरा दिल उसी पर भरोसा करता है।’​—भज. 28:7.

गीत 131 “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा”

लेख की एक झलक *

1-2. (क) नए शादीशुदा जोड़ों को यहोवा पर भरोसा क्यों रखना चाहिए? (भजन 37:3, 4) (ख) इस लेख में हम क्या सीखेंगे?

अगर आपकी शादी होनेवाली है या आपकी नयी-नयी शादी हुई है, तो आप अपने जीवन-साथी के साथ ज़िंदगी बिताने के लिए बेताब होंगे। लेकिन शादी के बाद कुछ मुश्‍किलें ज़रूर आएँगी। आपको कुछ बड़े-बड़े फैसले भी लेने पड़ेंगे। आप जिस तरह इन मुश्‍किलों का सामना करेंगे और फैसले लेंगे, उनका असर आपकी शादीशुदा ज़िंदगी पर पड़ेगा। अगर आप यहोवा पर भरोसा रखेंगे और सही फैसले लेंगे, तो आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा और आप खुश रहेंगे। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो हो सकता है आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में ऐसी मुश्‍किलें आएँ जिनसे आपकी खुशी छिन जाए।​—भजन 37:3, 4 पढ़िए।

2 हालाँकि यह लेख नए शादीशुदा जोड़ों के लिए है, लेकिन दूसरे शादीशुदा जोड़े भी इससे सीख सकते हैं। इसमें कुछ ऐसी मुश्‍किलों के बारे में बताया गया है जिनका शायद उन्हें भी सामना करना पड़े। इस लेख में बाइबल के कुछ वफादार लोगों के उदाहरण दिए गए हैं। उनसे हम बहुत-सी बातें सीखेंगे, खासकर शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में। इस मामले में हम आज के ज़माने के कुछ पति-पत्नियों से भी सीखेंगे।

नए शादीशुदा जोड़ों के सामने कौन-सी मुश्‍किलें आ सकती हैं?

किन फैसलों की वजह से नए शादीशुदा जोड़े यहोवा की ज़्यादा सेवा नहीं कर पाते? (पैराग्राफ 3-4 देखें)

3-4. नए शादीशुदा जोड़ों के सामने कौन-सी मुश्‍किलें आ सकती हैं?

3 कुछ लोग शायद नए शादीशुदा जोड़ों से कहें कि वे बाकियों की तरह एक आम ज़िंदगी जीएँ। हो सकता है कि उनके माता-पिता, रिश्‍तेदार या दोस्त उन पर ज़ोर डालें कि वे अपना परिवार बढ़ाएँ या फिर अपने लिए एक घर खरीदें और आराम की ज़िंदगी जीएँ।

4 अगर पति-पत्नी उनकी बातों में आ जाएँ, तो शायद वे ऐसे फैसले लें जिनसे वे कर्ज़ में डूब जाएँ। फिर अपना कर्ज़ चुकाने के लिए शायद उन्हें ज़्यादा घंटे काम करना पड़े और उनके पास निजी अध्ययन, पारिवारिक उपासना, प्रचार और सभाओं के लिए वक्‍त ही न बचे। अगर ऐसा होगा तो वे यहोवा की और ज़्यादा सेवा करने के मौके गँवा देंगे।

5. आपने क्लौस और मरीसा से क्या सीखा?

5 कई लोगों के उदाहरणों से पता चलता है कि ऐशो-आराम की चीज़ें सच्ची खुशी नहीं दे सकतीं। क्लौस और मरीसा के उदाहरण पर गौर कीजिए। * जब उनकी नयी-नयी शादी हुई थी, तो उन्होंने फैसला किया कि वे दोनों नौकरी करेंगे ताकि वे आराम की ज़िंदगी जी सकें। लेकिन फिर भी वे दोनों खुश नहीं थे। क्लौस कहता है, “हमारे पास सबकुछ था, फिर भी हम यहोवा की सेवा ज़्यादा नहीं कर रहे थे। ऊपर से हम हर वक्‍त तनाव में ही रहते हैं।” शायद आपको भी लगा हो कि ऐशो-आराम की चीज़ें सच्ची खुशी नहीं दे सकतीं। लेकिन अभी देर नहीं हुई। आप दूसरों के उदाहरणों से सीखकर ज़रूरी बदलाव कर सकते हैं। सबसे पहले आइए देखें कि राजा यहोशापात के उदाहरण से पति क्या सीख सकते हैं।

राजा यहोशापात की तरह यहोवा पर भरोसा रखिए

6. जब राजा यहोशापात के सामने मुश्‍किल आयी, तो उसने क्या किया? (नीतिवचन 3:5, 6)

6 पतियो, क्या आपको यह सोचकर चिंता होती है कि आप पर बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ हैं? अगर हाँ, तो राजा यहोशापात के उदाहरण पर गौर कीजिए। उसे पूरे देश के लोगों की हिफाज़त करनी थी। यह बहुत ही बड़ी ज़िम्मेदारी थी। उसने यह ज़िम्मेदारी कैसे सँभाली? उससे जो हुआ उसने वह किया। उसने यहूदा के शहरों की दीवारें मज़बूत कीं और 11,60,000 सैनिकों की सेना तैयार की। (2 इति. 17:12-19) बाद में उसके सामने एक बड़ी मुश्‍किल आयी। अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी प्रदेश के लोगों की एक बड़ी सेना उससे युद्ध करने आयी। (2 इति. 20:1, 2) ऐसे में उसने यहोवा पर भरोसा रखा और उससे मदद माँगी। नीतिवचन 3:5, 6 में यही सलाह दी गयी है। (पढ़िए।) बाइबल में दर्ज़ यहोशापात की प्रार्थना से पता चलता है कि उसे यहोवा पर कितना भरोसा था। (2 इति. 20:5-12) क्या यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी?

7. यहोवा ने यहोशापात की प्रार्थना का क्या जवाब दिया?

7 यहोवा ने यहजीएल नाम के एक लेवी के ज़रिए यहोशापात से कहा, “तुम अपनी जगह खड़े रहना और देखना कि यहोवा कैसे तुम्हारा उद्धार करता है।” (2 इति. 20:13-17) खड़े होकर कोई युद्ध नहीं लड़ा जाता! मगर यह हिदायत यहोवा की तरफ से थी। इसलिए यहोशापात ने यहोवा पर भरोसा किया और उसकी सारी हिदायतें मानीं। जब वह युद्ध करने गया, तो उसने अपनी सेना के आगे वीर योद्धाओं को नहीं बल्कि गायकों को खड़ा किया, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था। और यहोवा ने अपना वादा निभाया। उसने दुश्‍मनों को हरा दिया।​—2 इति. 20:18-23.

यहोवा की ज़्यादा सेवा करने के लिए नए शादीशुदा जोड़े यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं और बाइबल का अध्ययन कर सकते हैं (पैराग्राफ 8, 10, देखें)

8. यहोशापात से पति क्या सीख सकते हैं?

8 पतियो, आप पर भी आपके परिवार की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी है। जब मुश्‍किलें आएँ, तो ऐसा मत सोचिए कि आप इनका सामना खुद कर सकते हैं। इसके बजाय यहोवा पर भरोसा रखिए। अकेले में उससे प्रार्थना कीजिए। अपनी पत्नी के साथ भी प्रार्थना कीजिए। बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशनों का अध्ययन कीजिए और उनमें दी सलाह लागू कीजिए। आपके फैसलों से शायद दूसरे खुश न हों और वे आपका मज़ाक उड़ाएँ। हो सकता है कि वे आपसे कहें कि अगर पैसा होगा तो ही परिवार की हिफाज़त होगी। लेकिन यहोशापात को याद रखिए। उसके शहर की दीवारें बहुत मज़बूत थीं और उसके पास एक बड़ी सेना थी, फिर भी उसने यहोवा पर भरोसा रखा और उसकी सारी हिदायतें मानीं। वह वफादार था, इसलिए यहोवा ने उसे कभी नहीं छोड़ा। वह आपको भी नहीं छोड़ेगा। (भज. 37:28; इब्रा. 13:5) पति-पत्नी और क्या कर सकते हैं ताकि वे खुश रहें?

यशायाह और उसकी पत्नी की तरह यहोवा की और ज़्यादा सेवा कीजिए

9. भविष्यवक्‍ता यशायाह और उसकी पत्नी की ज़िंदगी कैसी थी?

9 यशायाह और उसकी पत्नी के लिए यहोवा की सेवा करना सबसे ज़रूरी था। यशायाह एक भविष्यवक्‍ता था और शायद उसकी पत्नी भी भविष्यवाणी करती थी। क्योंकि बाइबल में उसे “भविष्यवक्‍तिन” कहा गया है। (यशा. 8:1-4) उन दोनों ने परमेश्‍वर की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दी। वे नए शादीशुदा जोड़ों के लिए एक अच्छी मिसाल हैं।

10. यहोवा की और ज़्यादा सेवा करने के लिए पति-पत्नियों को क्या करना चाहिए?

10 यशायाह और उसकी पत्नी की तरह, मसीही जोड़े भी यहोवा की ज़्यादा-से-ज़्यादा सेवा कर सकते हैं। वे बाइबल की भविष्यवाणियों के बारे में अध्ययन कर सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं कि वे आज कैसे पूरी हो रही हैं। * इस तरह यहोवा पर उनका भरोसा बढ़ेगा। (तीतु. 1:2) वे इस बारे में भी सोच सकते हैं कि इन भविष्यवाणियों को पूरा करने में वे क्या कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अंत आने से पहले पूरी दुनिया में खुशखबरी का प्रचार होना है, तो वे सोच सकते हैं कि वे इस काम में और ज़्यादा हिस्सा कैसे ले सकते हैं। (मत्ती 24:14) उन्हें जितना यकीन होगा कि बाइबल की भविष्यवाणियाँ आज पूरी हो रही हैं, उतना ही उनका इरादा मज़बूत होगा कि वे यहोवा की सेवा ज़्यादा-से-ज़्यादा करें।

प्रिस्किल्ला और अक्विला की तरह राज के कामों को पहली जगह दीजिए

11. प्रिस्किल्ला और अक्विला ने क्या किया और क्यों?

11 नए शादीशुदा जोड़े प्रिस्किल्ला और अक्विला से बहुत कुछ सीख सकते हैं। वे यहूदी थे और रोम शहर में रहते थे। वहाँ उन्होंने यीशु के बारे में खुशखबरी सुनी और मसीही बन गए। वे दोनों अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश थे। लेकिन अचानक उनकी ज़िंदगी बदल गयी। सम्राट क्लौदियुस ने सभी यहूदियों को आदेश दिया कि वे रोम छोड़कर चले जाएँ। इस वजह से प्रिस्किल्ला और अक्विला पर कुछ मुश्‍किलें आयीं। उन्हें अपना शहर छोड़ना पड़ा, नया घर बसाना पड़ा और तंबू बनाने का कारोबार फिर से शुरू करना पड़ा। लेकिन क्या इन मुश्‍किलों की वजह से उन्होंने परमेश्‍वर की सेवा करना कम कर दिया? नहीं, उन्होंने राज के कामों को पहली जगह दी। जब वे कुरिंथ गए, तो उन्होंने वहाँ की मंडली के भाई-बहनों की मदद की और पौलुस के साथ मिलकर भाई-बहनों का हौसला बढ़ाया। बाद में वे अलग-अलग शहरों में गए जहाँ पर प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। (प्रेषि. 18:18-21; रोमि. 16:3-5) वे दोनों परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहे और खुश थे।

12. मसीही जोड़ों को परमेश्‍वर की सेवा ज़्यादा करने के लक्ष्य क्यों रखने चाहिए?

12 प्रिस्किल्ला और अक्विला की तरह, नए शादीशुदा जोड़े भी राज के कामों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दे सकते हैं। इस मामले में वे क्या लक्ष्य रखेंगे, इस बारे में वे शादी से पहले ही बात कर सकते हैं। फिर शादी के बाद वे उन लक्ष्यों को पाने के लिए साथ मिलकर मेहनत कर सकते हैं। तब वे देख पाएँगे कि यहोवा उन्हें किस तरह से आशीषें दे रहा है। (सभो. 4:9, 12) रसल और एलीज़बेथ पर गौर कीजिए। रसल कहता है, “हमने शादी से पहले ही इस बारे में बात की थी कि हम और किस तरह यहोवा की सेवा करेंगे।” एलीज़बेथ कहती है, “इस बारे में बात करने से हम आगे चलकर सही फैसले ले पाए और अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाए।” कुछ समय बाद रसल और एलीज़बेथ, माइक्रोनेशिया में सेवा करने लगे क्योंकि वहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी।

यहोवा की ज़्यादा सेवा करने के लिए नए शादीशुदा जोड़े लक्ष्य रख सकते हैं (पैराग्राफ 13 देखें)

13. भजन 28:7 के मुताबिक, अगर हम यहोवा पर भरोसा रखेंगे, तो क्या होगा?

13 रसल और एलीज़बेथ की तरह बहुत-से पति-पत्नियों ने फैसला किया है कि वे सादी ज़िंदगी जीएँगे और अपना ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त लोगों को प्रचार करने और सिखाने में लगाएँगे। जब पति-पत्नी यहोवा की सेवा ज़्यादा करने के लक्ष्य रखते हैं और उसे हासिल करने में मेहनत करते हैं, तो उन्हें बहुत फायदा होता है। वे देख पाते हैं कि यहोवा उनकी देखभाल कर रहा है, उस पर उनका भरोसा बढ़ता है और वे सच में खुश रहते हैं।​—भजन 28:7 पढ़िए।

पतरस और उसकी पत्नी की तरह यहोवा के वादों पर भरोसा रखिए

14. (क) प्रेषित पतरस और उसकी पत्नी ने यहोवा के किस वादे पर भरोसा किया? (मत्ती 6:25, 31-34) (ख) उन्होंने क्या फैसला लिया?

14 नए शादीशुदा जोड़े, प्रेषित पतरस और उसकी पत्नी से भी सीख सकते हैं। जब पतरस कुछ महीने बाद फिर से यीशु से मिला, तो यीशु ने उससे कहा कि वह उसके साथ पूरे समय प्रचार करे। यह पतरस के लिए बहुत बड़ा फैसला था। उसका एक परिवार था और घर चलाने के लिए वह मछुवाई का काम करता था। (लूका 5:1-11) फिर भी पतरस ने सही फैसला लिया। वह यीशु के साथ पूरे समय प्रचार करने लगा। उसकी पत्नी ने भी उसके फैसले में उसका साथ दिया। बाइबल में लिखा है कि यीशु के ज़िंदा होने के बाद, पतरस की पत्नी ने कुछ समय के लिए उसके साथ सफर किया। (1 कुरिं. 9:5) वाकई वह एक अच्छी पत्नी थी, इसलिए पतरस बिना झिझके मसीही पति-पत्नियों को अच्छी सलाह दे पाया। (1 पत. 3:1-7) पतरस और उसकी पत्नी को भरोसा था कि अगर वे राज के कामों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे, तो यहोवा उनका खयाल रखेगा।​—मत्ती 6:25, 31-34 पढ़िए।

15. टीयागू और एस्थर से आपने क्या सीखा?

15 अगर आपकी शादी को कुछ साल हो गए हैं, तो आप परमेश्‍वर की सेवा और ज़्यादा करने की इच्छा कैसे बढ़ा सकते हैं? आप दूसरे पति-पत्नियों के अनुभवों से सीख सकते हैं। जैसे, आप “उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया” शृंखला पढ़ सकते हैं। ब्राज़ील में रहनेवाले टीयागू और एस्थर ने भी ऐसा ही किया। ये लेख पढ़कर उनकी इच्छा हुई कि वे वहाँ जाकर सेवा करें, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। टीयागू कहता है, “जब हमने पढ़ा कि यहोवा अपने सेवकों की मदद कैसे करता है, हमारी भी इच्छा हुई कि हम यहोवा की सेवा और ज़्यादा करें और उसका प्यार महसूस करें।” कुछ समय बाद वे पराग्वे चले गए और 2014 से वे पुर्तगाली भाषा बोलनेवाले इलाके में सेवा कर रहे हैं। एस्थर कहती है, “हमें इफिसियों 3:20 की आयत बहुत अच्छी लगती है। इसमें लिखी बात को हमने कई बार सच होते देखा है।” इस आयत में पौलुस ने कहा कि हम यहोवा से जो माँगते हैं, वह उससे कहीं ज़्यादा देता है। यह बात वाकई सच है!

यहोवा की ज़्यादा सेवा करने के लिए नए शादीशुदा जोड़े अनुभवी भाई-बहनों से सलाह ले सकते हैं (पैराग्राफ 16 देखें)

16. अपने लक्ष्यों के बारे में पति-पत्नी किससे सलाह ले सकते हैं?

16 अगर आपकी हाल ही में शादी हुई है, तो आप ऐसे भाई-बहनों से भी सीख सकते हैं, जिन्होंने यहोवा पर भरोसा रखना सिखा। जैसे, कई मसीही जोड़े हैं, जो सालों से पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। आप उनसे अपने लक्ष्यों के बारे में सलाह ले सकते हैं। यहोवा पर भरोसा करने का यह एक और तरीका है। (नीति. 22:17, 19) इस मामले में आप प्राचीनों की भी मदद ले सकते हैं।

17. (क) क्लौस और मरीसा के साथ क्या हुआ? (ख) उनसे हम क्या सीखते हैं?

17 कई बार हम जिस तरह यहोवा की सेवा करना चाहते हैं, उस तरह नहीं कर पाते। यहोवा की कुछ और ही मरज़ी होती है। पैराग्राफ 5 में बताए क्लौस और मरीसा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। शादी के तीन साल बाद, वे अपने घर से दूर फिनलैंड शाखा दफ्तर के निर्माण काम में हाथ बँटाने के लिए गए। वहाँ जाकर उन्हें पता चला कि वे फिनलैंड में सिर्फ 6 महीने के लिए रह पाएँगे। वे दुखी हुए। लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें अरबी भाषा सीखने के लिए बुलाया गया। अब वे दूसरे देश में अरबी भाषा बोलनेवाले इलाके में सेवा कर रहे हैं। मरीसा कहती है, “जब हम अलग तरीके से यहोवा की सेवा करने की सोचते हैं, तो शायद हमें डर लगे। लेकिन हमें यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए। वह हमारी इस तरह मदद करता है, जिस तरह हम उम्मीद भी नहीं करते। अब यहोवा पर मेरा भरोसा और भी बढ़ गया है।” इस उदाहरण से पता चलता है कि अगर हम यहोवा पर भरोसा रखें, तो वह हमें ज़रूर आशीष देगा।

18. यहोवा पर भरोसा करते रहने के लिए पति-पत्नी क्या कर सकते हैं?

18 शादी, यहोवा की तरफ से एक तोहफा है। (मत्ती 19:5, 6) वह चाहता है कि आप अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में खुश रहें। (नीति. 5:18) इसलिए सोचिए कि आप अपनी ज़िंदगी कैसे बिता रहे हैं। क्या आप यहोवा की और ज़्यादा सेवा कर सकते हैं? इस बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। उसके वचन से ऐसे सिद्धांत ढूँढ़िए, जो आपकी मदद कर सकते हैं। फिर उन सिद्धांतों को मानिए। अगर आप यहोवा की सेवा ज़्यादा-से-ज़्यादा करेंगे, तो आपकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल होगी।

गीत 132 अब हम एक हुए

^ पैरा. 5 यहोवा की सेवा में हम कितनी ताकत और समय लगा पाएँगे, यह हमारे फैसलों पर निर्भर करता है। नए शादीशुदा जोड़ों को ऐसे ही फैसले लेने पड़ते हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि वे सही फैसले कैसे ले सकते हैं ताकि उनकी ज़िंदगी खुशहाल रहे।

^ पैरा. 5 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।