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अध्ययन लेख 23

“याह की लपटें” बुझने मत दीजिए

“याह की लपटें” बुझने मत दीजिए

“[प्यार की] लपटें धधकती आग की लपटें हैं, हाँ, याह की लपटें हैं।”​—श्रेष्ठ. 8:6.

गीत 131 “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा”

एक झलक a

1. सच्चे प्यार के बारे में बाइबल में क्या बताया गया है?

 प्यार की “लपटें धधकती आग की लपटें हैं, हाँ, याह की लपटें हैं। न उफनती लहरें प्यार को बुझा सकती हैं, न नदियाँ इसे बहाकर ले जा सकती हैं।” b (श्रेष्ठ. 8:6, 7) राजा सुलैमान ने कितने बढ़िया तरीके से बताया कि सच्चा प्यार कैसा होता है! तो पति-पत्नियो, यकीन रखिए कि आप भी एक-दूसरे से सच्चा प्यार कर सकते हैं, ऐसा प्यार जो कभी नहीं मिटता।

2. पति-पत्नी क्या कर सकते हैं ताकि उनका प्यार हमेशा बना रहे?

2 पति-पत्नी के बीच हमेशा प्यार रहेगा या नहीं, यह उन्हीं पर निर्भर करता है। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। सोचिए आपने सर्दी से बचने के लिए आग जलायी है। वह आग हमेशा तक जलती रह सकती है, लेकिन तभी जब आप उसमें लकड़ियाँ डालते रहें। अगर आप ऐसा ना करें, तो धीरे-धीरे आग बुझ जाएगी। उसी तरह, पति-पत्नी के प्यार की लौ भी हमेशा तक जलती रह सकती है, लेकिन तभी जब वे अपना बंधन मज़बूत करते रहें। लेकिन कई बार पति-पत्नी को लग सकता है कि उनका प्यार कम होता जा रहा है। इसकी कई वजह हो सकती हैं। हो सकता है, उन्हें पैसों की तंगी हो, किसी की सेहत ठीक ना हो या वे बच्चों की परवरिश करने में लगे रहते हों। अगर आप शादीशुदा हैं, तो आप “याह की लपटें” यानी सच्चे प्यार की लौ कैसे जलाए रख सकते हैं? इस लेख में हम ऐसे तीन तरीकों पर ध्यान देंगे जिनसे पति-पत्नी अपना बंधन मज़बूत बनाए रख सकते हैं और खुश रह सकते हैं। c

यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करते रहिए

यूसुफ और मरियम की तरह, पति और पत्नी दोनों का यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता होना चाहिए (पैराग्राफ 3)

3. पति-पत्नी का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होने से उनका आपसी रिश्‍ता कैसे मज़बूत हो सकता है? (सभोपदेशक 4:12) (तसवीर भी देखें।)

3 पति-पत्नियो, अगर आप चाहते हैं कि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में “याह की लपटें” ना बुझें, तो आप दोनों को यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करना होगा। इससे आपका आपसी रिश्‍ता भी मज़बूत होगा। वह कैसे? जब एक पति-पत्नी यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को अहमियत देते हैं, तो वे आसानी से उसकी सलाह मान पाते हैं। इस तरह वे काफी हद तक ऐसी समस्याओं से बच पाते हैं जिनसे उनका प्यार ठंडा पड़ सकता है। और अगर ऐसी समस्याएँ आती भी हैं, तो वे उन्हें सुलझा पाते हैं। (सभोपदेशक 4:12 पढ़िए।) इसके अलावा, जिनका यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होता है, वे उसके जैसा बनने की कोशिश करते हैं। यहोवा की तरह वे सब्र रखते हैं, दूसरों को माफ कर देते हैं और सबके साथ प्यार से पेश आते हैं। (इफि. 4:32–5:1) इस वजह से उनके बीच प्यार की लौ जलती रहती है। बहन लीना की शादी को 25 साल से भी ज़्यादा हो चुके हैं। वे कहती हैं, “जिस व्यक्‍ति का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होता है, उससे प्यार करना और उसका आदर करना आसान होता है।”

4. यहोवा ने यूसुफ और मरियम को ही मसीहा के माता-पिता होने के लिए क्यों चुना?

4 ज़रा बाइबल में दिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब यहोवा को चुनना था कि धरती पर कौन मसीहा के माता-पिता होंगे, तो वह दाविद के खानदान से किसी को भी चुन सकता था। फिर उसने यूसुफ और मरियम को ही क्यों चुना? क्योंकि उन दोनों का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता था और यहोवा जानता था कि पति-पत्नी के तौर पर भी वे उसे अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे। तो पति-पत्नियो, आप यूसुफ और मरियम से क्या सीख सकते हैं?

5. पति यूसुफ से क्या सीख सकते हैं?

5 जब यहोवा ने यूसुफ को कोई सलाह दी, तो उसने फौरन उसे माना। इस वजह से वह एक अच्छा पति बन पाया। बाइबल में ऐसे तीन किस्से बताए गए हैं जब यहोवा ने परिवार के मामले में उसे हिदायतें दीं। हालाँकि उन हिदायतों को मानने के लिए उसे बड़े-बड़े बदलाव करने थे, फिर भी हर बार उसने उन्हें माना। (मत्ती 1:20, 24; 2:13-15, 19-21) यहोवा की सलाह मानकर यूसुफ मरियम की हिफाज़त कर पाया, उसका साथ दे पाया और उसकी ज़रूरतें पूरी कर पाया। सोचिए, जब मरियम ने देखा होगा कि यूसुफ किस तरह यहोवा की हिदायतें मान रहा है, तो कैसे वह उससे और ज़्यादा प्यार करने लगी होगी, उसका और आदर करने लगी होगी! पतियो, आप भी परिवार की देखभाल करने के मामले में बाइबल की सलाह मानकर यूसुफ की तरह बन सकते हैं। d शायद ऐसा करने के लिए आपको बड़े-बड़े बदलाव करने पड़ें, लेकिन ऐसा करके आप दिखाएँगे कि आप अपनी पत्नी से प्यार करते हैं। इस तरह आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत हो जाएगा। वनुआतु देश में रहनेवाली एक बहन की शादी को 20 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं। वे कहती हैं, “जब मेरे पति यह जानने की कोशिश करते हैं कि किसी मामले के बारे में यहोवा ने क्या सलाह दी है और फिर उसे मानते हैं, तो उनके लिए मेरे दिल में इज़्ज़त बढ़ जाती है। मुझे भरोसा होता है कि वे जो भी फैसला लेंगे, वह सही होगा और फिर मुझे किसी बात की चिंता नहीं होती।”

6. पत्नियाँ मरियम से क्या सीख सकती हैं?

6 मरियम का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता था। अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए वह यूसुफ पर निर्भर नहीं थी, बल्कि उसने खुद मेहनत की। उसे शास्त्र का अच्छा ज्ञान था। (लूका 1:46 का अध्ययन नोट देखें।) वह जो बातें सीखती थी, उन पर गहराई से सोचने के लिए समय भी निकालती थी। (लूका 2:19, 51) यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होने से ही मरियम एक अच्छी पत्नी बन पायी। आज बहुत-सी शादीशुदा बहनें मरियम की तरह बनने की कोशिश करती हैं। ज़रा बहन एमीको के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे कहती हैं, “शादी से पहले उपासना से जुड़े काम करने का मेरा एक अच्छा शेड्‌यूल था। लेकिन शादी के बाद, मेरे पति हमारे लिए प्रार्थना करते थे और पारिवारिक उपासना में अगुवाई लेते थे। इसलिए यह सब करने के लिए मैं उन्हीं पर निर्भर हो गयी थी। फिर मुझे एहसास हुआ कि मुझे खुद अपना बोझ उठाना होगा और यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए खुद भी कुछ करना होगा। इसलिए अब मैं अपने परमेश्‍वर के लिए अलग से समय निकालती हूँ, तब मैं उससे प्रार्थना करती हूँ, बाइबल पढ़ती हूँ और उस पर मनन करती हूँ।” (गला. 6:5) पत्नियो, जब आप यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए मेहनत करती रहेंगी, तो आपके पति आपसे और भी प्यार करेंगे और आपकी तारीफ करेंगे।—नीति. 31:30.

7. पति-पत्नी मिलकर उपासना करने के बारे में यूसुफ और मरियम से क्या सीख सकते हैं?

7 यूसुफ और मरियम ने यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए साथ मिलकर भी बहुत कुछ किया। वे जानते थे कि एक परिवार के तौर पर यहोवा की उपासना करना बहुत ज़रूरी है। (लूका 2:22-24, 41; 4:16) जब उनके और बच्चे हुए, तो उनके लिए ऐसा करना काफी मुश्‍किल रहा होगा। फिर भी वे मिलकर उपासना करते रहे। यूसुफ और मरियम पति-पत्नियों के लिए कितनी बढ़िया मिसाल हैं! अगर उनकी तरह आपके भी बच्चे हैं, तो सभाओं में जाना और पारिवारिक उपासना के लिए समय निकालना आपके लिए भी आसान नहीं होता होगा। और पति-पत्नी के तौर पर साथ में अध्ययन करने और प्रार्थना करने के लिए समय निकालना तो और भी मुश्‍किल होता होगा। पर याद रखिए, जब आप मिलकर यहोवा की उपासना करेंगे, तो आप उसके और एक-दूसरे के भी और करीब आ जाएँगे। इसलिए यहोवा की उपासना को ज़िंदगी में हमेशा पहली जगह दीजिए।

8. जिन पति-पत्नियों के बीच दूरियाँ आ गयी हैं, वे पारिवारिक उपासना से पूरा फायदा पाने के लिए क्या कर सकते हैं?

8 हो सकता है, आप दोनों की आपस में ना बनती हो। ऐसे में शायद साथ मिलकर पारिवारिक उपासना करने का आपका मन ना करे। फिर भी साथ मिलकर थोड़ा-बहुत कुछ करने की कोशिश कीजिए। क्यों ना किसी ऐसी चीज़ से शुरू करें जिसमें आप दोनों को मज़ा आए? अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपके बीच की दूरियाँ कम होंगी और शायद साथ मिलकर यहोवा की उपासना करने का आपका मन करने लगे।

एक-साथ वक्‍त बिताइए

9. पति-पत्नियों को एक-दूसरे के साथ वक्‍त क्यों बिताना चाहिए?

9 पति-पत्नियो, आप एक-साथ वक्‍त बिताकर भी अपने प्यार की लौ जलाए रख सकते हैं। साथ में वक्‍त बिताकर आप जान पाएँगे कि आपका साथी कैसा महसूस करता है और किस तरह सोचता है। (उत्प. 2:24) ज़रा भाई रुसलान और बहन लिलिया के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिनकी शादी को 15 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं। गौर कीजिए कि शादी के कुछ ही समय बाद उन्हें किस बात का एहसास हुआ। बहन लिलिया बताती हैं, “हमने देखा कि हम एक-दूसरे को उतना समय नहीं दे पा रहे हैं जितना हमने सोचा था। पूरा दिन नौकरी और घर के कामों में ही निकल जाता था। और आगे चलकर जब बच्चे हुए, तो समय का पता ही नहीं चलता था। हम समझ गए कि अगर हम एक-दूसरे को समय नहीं देंगे, तो हमारे बीच दूरियाँ आ सकती हैं।”

10. पति-पत्नी इफिसियों 5:15, 16 में दी सलाह कैसे मान सकते हैं?

10 पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए क्या कर सकते हैं? पहले से तय कीजिए कि आप कब एक-दूसरे को वक्‍त देंगे। (इफिसियों 5:15, 16 पढ़िए।) नाइजीरिया में रहनेवाले भाई ऊज़ोन्डु बताते हैं, “जब मैं सोचता हूँ कि कौन-सा काम कब करूँगा, तो मैं यह भी तय करता हूँ कि मैं अपनी पत्नी के साथ कब वक्‍त बिताऊँगा। मैं कभी इस बात को हलके में नहीं लेता।” (फिलि. 1:10) गौर कीजिए कि मोलदोवा में रहनेवाली बहन ऐनस्टासीया कैसे अपने समय का अच्छा इस्तेमाल करती हैं। उनके पति एक सर्किट निगरान हैं। वे बताती हैं, “जब मेरे पति सर्किट के काम कर रहे होते हैं, तो मैं भी वे काम निपटा लेती हूँ जो मुझे अकेले करने होते हैं। इस तरह हम बाद में साथ में समय बिता पाते हैं।” लेकिन दूसरे कामों की वजह से अगर आपके लिए साथ में समय बिताना मुश्‍किल हो रहा है, तो आप क्या कर सकते हैं?

पति-पत्नियो, आप कौन-से काम एक-साथ कर सकते हैं? (पैराग्राफ 11-12)

11. अक्विला और प्रिस्किल्ला ने साथ मिलकर क्या-क्या किया?

11 पति-पत्नियो, आप अक्विला और प्रिस्किल्ला से भी काफी कुछ सीख सकते हैं। पहली सदी के भाई-बहन उन दोनों की बहुत इज़्ज़त करते थे। (रोमि. 16:3, 4) उनकी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में बाइबल में ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि उन्होंने साथ मिलकर  काम किया, प्रचार किया और दूसरों की मदद भी की। (प्रेषि. 18:2, 3, 24-26) देखा जाए तो बाइबल में जब भी अक्विला और प्रिस्किल्ला का ज़िक्र आया है, तो साथ में ही आया है।

12. पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ और भी वक्‍त बिताने के लिए क्या कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

12 पति-पत्नियो, आप अक्विला और प्रिस्किल्ला से क्या सीख सकते हैं? सोचिए कि आप दोनों को क्या-क्या काम करने होते हैं। क्या उनमें से कुछ काम आप साथ मिलकर कर सकते हैं? अक्विला और प्रिस्किल्ला साथ में प्रचार करते थे। क्या आप अकसर साथ मिलकर प्रचार करते हैं? अक्विला और प्रिस्किल्ला साथ में काम भी करते थे। शायद आप और आपका साथी एक-साथ नौकरी ना करते हों। पर क्या आप घर के काम एक-साथ कर सकते हैं? (सभो. 4:9) जब पति-पत्नी किसी काम में एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं, तो उनके पास बात करने का अच्छा मौका होता है और वे एक-दूसरे के और भी करीब महसूस करते हैं। ज़रा भाई रॉबर्ट और बहन लिंडा के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिनकी शादी को 50 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं। भाई रॉबर्ट कहते हैं, “सच कहूँ तो हमारे पास इतना समय नहीं होता कि हम एक-दूसरे के साथ फुरसत के पल बिता पाएँ। पर जब मैं बरतन धोता हूँ और मेरी पत्नी पास खड़े होकर उन्हें कपड़े से पोंछती है या जब मैं बगीचे में काम करता हूँ और वह आकर मेरी मदद करती है, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। साथ मिलकर काम करने से हम एक-दूसरे के करीब महसूस करते हैं और एक-दूसरे के लिए हमारा प्यार बढ़ जाता है।”

13. एक-दूसरे के करीब आने के लिए पति-पत्नी को क्या करना चाहिए?

13 पति-पत्नियो, याद रखिए कि सिर्फ साथ होने से आप एक-दूसरे के करीब नहीं आ जाएँगे। ब्राज़ील में रहनेवाली एक शादीशुदा बहन बताती हैं, “कभी-कभी हमें लग सकता है कि हम एक छत के नीचे रह रहे हैं, तो एक-साथ वक्‍त बिता रहे हैं। पर असल में ऐसा सोचकर हम खुद को धोखा दे रहे होंगे, क्योंकि आज इतनी सारी ध्यान भटकानेवाली चीज़ें हैं कि हम साथ रहकर भी साथ नहीं होते। मुझे एहसास हुआ कि एक-साथ होना ही काफी नहीं है। मुझे अपने पति पर पूरा ध्यान भी देना है।” गौर कीजिए कि भाई ब्रूनो और उनकी पत्नी टाईज़ कैसे इस बात का खयाल रखते हैं कि वे एक-दूसरे पर ध्यान दें। भाई बताते हैं, “जब हम साथ होते हैं, तो हम अपने फोन एक तरफ रख देते हैं ताकि एक-दूसरे के साथ अच्छा समय बिता पाएँ।”

14. अगर किसी पति-पत्नी को एक-साथ वक्‍त बिताना अच्छा नहीं लगता, तो वे क्या कर सकते हैं?

14 हो सकता है, आपको एक-दूसरे के साथ वक्‍त बिताना अच्छा ना लगता हो। शायद आपकी पसंद-नापसंद अलग हो या आप दोनों एक-दूसरे की बातों से चिढ़ जाते हों। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? ज़रा एक बार फिर आग के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। आग जलाने पर तुरंत ही उससे लपटें नहीं उठने लगतीं। हमें धीरे-धीरे उसमें लकड़ियाँ डालनी होती हैं, पहले छोटी और फिर बड़ी। उसी तरह क्यों ना पहले हर दिन कुछ पल साथ बिताएँ? ध्यान रखिए कि आप ऐसा कोई काम ना करें जिससे आपके साथी को गुस्सा आए, बल्कि कुछ ऐसा करने की कोशिश कीजिए जिसमें आप दोनों को मज़ा आए। (याकू. 3:18) इस तरह जब आप थोड़ा-थोड़ा वक्‍त बिताकर शुरूआत करेंगे, तो शायद आपके प्यार की लौ फिर से जलने लगे।

एक-दूसरे का आदर कीजिए

15. यह क्यों ज़रूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे का आदर करें?

15 पति-पत्नी को एक-दूसरे का आदर भी करना चाहिए। यह उस हवा की तरह है, जिससे लगातार आग जलती रह पाती है। अगर हवा ना हो, तो जल्द ही आग बुझ जाएगी। उसी तरह अगर पति-पत्नी एक-दूसरे का आदर ना करें, तो जल्द ही उनका प्यार ठंडा पड़ सकता है। लेकिन अगर वे एक-दूसरे का आदर करने की पूरी कोशिश करें, तो उनके बीच प्यार बना रहेगा। पर एक बात ध्यान रखिए: शायद आपको  लगे कि आप अपने साथी का आदर करते हैं, लेकिन ज़रूरी बात यह है कि आपके साथी को  भी ऐसा महसूस हो कि आप उसका आदर करते हैं। भाई आरेट और बहन पेनी की शादी को 25 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं। बहन बताती हैं, “हम एक-दूसरे का आदर करते हैं, इसलिए हमारा घर प्यार का आशियाना है। हम खुलकर एक-दूसरे से अपनी बात कह पाते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हम एक-दूसरे की राय की कदर करेंगे।” तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे आपके साथी को महसूस हो कि आप उसका आदर करते हैं? आइए अब्राहम और सारा की मिसाल से सीखें।

एक मसीही पति को अपनी पत्नी की ध्यान से सुननी चाहिए; ऐसा करके वह उसका आदर कर रहा होगा (पैराग्राफ 16)

16. पति अब्राहम से क्या सीख सकते हैं? (1 पतरस 3:7) (तसवीर भी देखें।)

16 अब्राहम सारा की बहुत इज़्ज़त करता था। वह उसकी राय जानने की कोशिश करता था और उसके जज़्बातों का खयाल रखता था। एक बार सारा बहुत परेशान थी और उसने अब्राहम पर अपनी सारी भड़ास निकाल दी, यहाँ तक कि उस पर इलज़ाम भी लगाने लगी। ऐसे में क्या अब्राहम भी उस पर भड़क उठा? जी नहीं। अब्राहम जानता था कि सारा हमेशा उसके अधीन रहती है और उसका साथ देती है। इसलिए उसने ध्यान से उसकी सुनी और मामले को सुलझाने की कोशिश की। (उत्प. 16:5, 6) पति अब्राहम से क्या सीख सकते हैं? पतियो, यहोवा ने आपको अपने परिवार के लिए फैसले लेने का अधिकार दिया है। (1 कुरिं. 11:3) लेकिन कोई फैसला लेने से पहले अच्छा होगा कि आप अपनी पत्नी की भी राय लें, खासकर तब जब उस फैसले का असर उस पर भी होगा। (1 कुरिं. 13:4, 5) हो सकता है, कभी-कभी आपकी पत्नी बहुत परेशान हो और आपको बताना चाहे कि वह कैसा महसूस कर रही है। ऐसे में ध्यान से उसकी सुनिए। इस तरह भी आप दिखाएँगे कि आप उसका आदर करते हैं। (1 पतरस 3:7 पढ़िए।) भाई दिमित्री और बहन एंजेला के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिनकी शादी को कोई 30 साल हो गए हैं। बहन बताती हैं कि उन्हें क्यों लगता है कि उनके पति उनका आदर करते हैं। वे कहती हैं, “जब मैं परेशान होती हूँ या सिर्फ बात करना चाहती हूँ, तो दिमित्री हमेशा ध्यान से मेरी सुनते हैं। कई बार मैं भावुक हो जाती हूँ, तब भी वे मेरे साथ सब्र रखते हैं।”

17. पत्नियाँ सारा के उदाहरण से क्या सीख सकती हैं? (1 पतरस 3:5, 6)

17 जब भी अब्राहम कोई फैसला लेता था, सारा उसका साथ देती थी। (उत्प. 12:5) इस तरह उसने दिखाया कि वह अब्राहम का आदर करती है। एक बार जब अचानक कुछ मेहमान आ गए, तो अब्राहम ने उनकी खातिरदारी करने की सोची। उसने सारा से कहा कि वह जो कर रही है, उसे छोड़कर जल्दी से ढेर सारा आटा गूँधे और रोटियाँ बनाए। (उत्प. 18:6) सारा ने कोई आना-कानी नहीं की और फौरन काम में लग गयी। पत्नियो, क्या आप सारा की तरह अपने पति के फैसलों में उनका साथ दे सकती हैं? जब आप ऐसा करेंगी, तो आप दोनों का रिश्‍ता और भी मज़बूत हो जाएगा। (1 पतरस 3:5, 6 पढ़िए।) भाई दिमित्री, जिनका ज़िक्र पिछले पैराग्राफ में किया गया था, बताते हैं कि उन्हें किस बात से ऐसा लगता है कि उनकी पत्नी उनका आदर करती है। वे कहते हैं, “मुझे एंजेला की यह बात बहुत अच्छी लगती है कि वह हमेशा मेरा साथ देती है, तब भी जब किसी मामले पर हम दोनों की राय एक-दूसरे से नहीं मिलती। और अगर कभी बाद में ऐसा लगता है कि मेरा फैसला उतना अच्छा नहीं था, तो वह मुझे ताने नहीं मारती।” सच में, जो व्यक्‍ति आपका आदर करता है, उससे प्यार करना कितना आसान होता है!

18. जब पति-पत्नी अपने बीच प्यार बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं, तो उन्हें क्या फायदा होता है?

18 आज मसीही पति-पत्नियों के बीच जो प्यार की लौ जल रही है, शैतान उसे बुझाना चाहता है। वह जानता है कि अगर पति-पत्नी के बीच प्यार कम हो जाए, तो वे धीरे-धीरे यहोवा से भी दूर चले जाएँगे। लेकिन हम जानते हैं कि सच्चा  प्यार कभी नहीं मिटता। तो कोशिश कीजिए कि आप दोनों के बीच वैसा ही प्यार बना रहे जैसा श्रेष्ठगीत की किताब में बताया गया है। ठान लीजिए कि आप अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में यहोवा को पहली जगह देंगे, एक-दूसरे के साथ वक्‍त बिताएँगे, एक-दूसरे का आदर करेंगे और एक-दूसरे के जज़्बातों और ज़रूरतों का खयाल रखेंगे। पति-पत्नियो, जब आप ऐसा करेंगे तो आप यहोवा की महिमा कर पाएँगे जिससे सच्चे प्यार की शुरूआत हुई है और आपके प्यार की लौ हमेशा-हमेशा तक जलती रहेगी।

गीत 132 अब हम एक हुए

a शादी का बंधन यहोवा की तरफ से मिला एक बढ़िया तोहफा है। जब एक आदमी और औरत शादी करते हैं, तो वे एक खास रिश्‍ते में बँध जाते हैं और एक-दूसरे के लिए प्यार ज़ाहिर कर पाते हैं। लेकिन वक्‍त के गुज़रते शायद एक-दूसरे के लिए उनका प्यार कम हो जाए। अगर आप शादीशुदा हैं, तो इस लेख में दिए सुझाव मानने से आप अपने साथी के लिए प्यार बढ़ा पाएँगे और अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में खुश रह पाएँगे।

b सच्चा प्यार कभी नहीं मिटता, यह हमेशा कायम रहता है। बाइबल में ऐसे प्यार को “याह की लपटें” कहा गया है, क्योंकि इस प्यार की शुरूआत यहोवा से ही हुई है।

c अगर आपका साथी यहोवा की उपासना नहीं करता, तब भी ये सुझाव मानने से आपका बंधन मज़बूत हो सकता है।—1 कुरिं. 7:12-14; 1 पत. 3:1, 2.

d jw.org और JW लाइब्रेरी  ऐप पर “परिवार के लिए मदद” नाम की शृंखला में दिए लेख देखिए। इनमें काफी अच्छी सलाह दी गयी है।