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अध्ययन लेख 11

बपतिस्मे के लिए कैसे तैयारी करें?

बपतिस्मे के लिए कैसे तैयारी करें?

“मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?”​—प्रेषि. 8:36.

गीत 50 सब अर्पण तुझे

एक झलक a

दुनिया-भर में बहुत-से जवान और बुज़ुर्ग मेहनत कर रहे हैं और बपतिस्मा ले रहे हैं (पैराग्राफ 1-2)

1-2. अगर आप फिलहाल बपतिस्मा लेने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आपको निराश क्यों नहीं होना चाहिए? (बाहर दी तसवीर देखें।)

 क्या आप बपतिस्मा लेने की सोच रहे हैं? अगर हाँ, तो यह बहुत ही बढ़िया लक्ष्य है। क्या आप अभी बपतिस्मा लेने के लिए तैयार हैं? अगर आपको और आपके प्राचीनों को लगता है कि आप तैयार हैं, तो देरी किस बात की? जैसे ही मौका मिले, फौरन यह कदम उठाइए। ऐसा करने पर आप यहोवा के लिए बहुत कुछ कर पाएँगे और आपको ढेरों आशीषें मिलेंगी।

2 ऐसा भी हो सकता है कि आपको बताया गया हो कि बपतिस्मा लेने के लिए आपको थोड़ा रुकना होगा, इसके योग्य बनने के लिए आपको थोड़ी और मेहनत करनी होगी। या फिर शायद आपको खुद इस बात का एहसास हुआ हो। अगर ऐसा है, तो निराश मत होइए। आप यह ज़रूरी कदम उठाने के लिए तैयार हो सकते हैं, फिर चाहे आप जवान हों या बुज़ुर्ग।

“मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?”

3. इथियोपिया के एक दरबारी ने फिलिप्पुस से क्या पूछा? और इससे क्या सवाल खड़ा होता है? (प्रेषितों 8:36, 38)

3 प्रेषितों 8:36, 38 पढ़िए। एक बार इथियोपिया के एक दरबारी ने फिलिप्पुस नाम के एक प्रचारक से पूछा, “मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?” वह आदमी बपतिस्मा लेना चाहता था, पर क्या वह सच में इसके लिए तैयार था?

इथियोपिया के दरबारी ने पक्का इरादा कर लिया था कि वह यहोवा के बारे में सीखता रहेगा (पैराग्राफ 4)

4. हम क्यों कह सकते हैं कि इथियोपिया का आदमी और भी सीखना चाहता था?

4 इथियोपिया का वह आदमी “यरूशलेम में उपासना करने गया था।” (प्रेषि. 8:27) इससे पता चलता है कि वह एक गैर-यहूदी होगा जिसने यहूदी धर्म अपनाया था। उसने ज़रूर इब्रानी शास्त्र में लिखी बातों से यहोवा के बारे में जाना होगा। लेकिन वह और भी जानना चाहता था। यह हम कैसे कह सकते हैं? गौर कीजिए कि जब फिलिप्पुस सड़क पर उससे मिला, तो वह क्या कर रहा था। वह बड़े ध्यान से भविष्यवक्‍ता यशायाह की किताब पढ़ रहा था। (प्रेषि. 8:28) इसका मतलब, उसने अब तक जो सीखा था, वह उसके लिए काफी नहीं था। वह और भी सीखना चाहता था, शास्त्र की गहरी बातें समझना चाहता था।

5. इथियोपिया के आदमी ने जो सीखा था, उसके मुताबिक उसने क्या किया?

5 वह आदमी इथियोपिया की रानी कन्दाके के दरबार में ऊँचे पद पर था और “उसके सारे खज़ाने का अधिकारी था।” (प्रेषि. 8:27) इसका मतलब, उसे बहुत-से काम सँभालने पड़ते होंगे। फिर भी उसने यहोवा की उपासना के लिए वक्‍त निकाला। उसने सिर्फ शास्त्र में लिखी सच्चाइयाँ नहीं सीखीं,  बल्कि उनके मुताबिक काम  भी किया। इसी वजह से उसने इथियोपिया से यरूशलेम तक का लंबा सफर तय किया, ताकि वह यहोवा के मंदिर में उसकी उपासना कर सके। इस सफर में काफी समय लगा होगा और काफी खर्चा भी हुआ होगा। लेकिन जब यहोवा की उपासना की बात आयी, तो उसने किसी बात की चिंता नहीं की।

6-7. इथियोपिया के एक आदमी के दिल में यहोवा के लिए प्यार कैसे बढ़ा?

6 इथियोपिया के उस आदमी ने फिलिप्पुस से ऐसी कई अहम सच्चाइयाँ सीखीं जो वह पहले नहीं जानता था। जैसे उसने सीखा कि यीशु ही मसीहा है। (प्रेषि. 8:34, 35) जब उसने यह जाना कि यीशु ने उसके लिए क्या-क्या किया है, तो ये बातें ज़रूर उसके दिल को छू गयी होंगी। फिर उसने क्या किया? वैसे तो उसने यहूदी धर्म अपना लिया था और समाज में उसकी काफी इज़्ज़त थी, इसलिए वह चाहता तो इतने में ही खुश रह सकता था। लेकिन यहोवा और यीशु के लिए उसका प्यार और गहरा हो गया था, इसलिए उसने एक बहुत ही अहम फैसला लेने की सोची। उसके मन में आया कि वह बपतिस्मा लेकर यीशु मसीह का चेला बने। और जब फिलिप्पुस ने देखा कि वह ऐसा करने के लिए तैयार है, तो उसने उसे बपतिस्मा दिया।

7 उस आदमी ने जो किया अगर आप भी वही करें, तो आप बपतिस्मा लेने के योग्य बन सकते हैं। फिर आप भी पूरे यकीन से कह पाएँगे, “मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?” आइए गौर करें कि इथियोपिया के उस आदमी ने जो किया, वह आप भी कैसे कर सकते हैं। (1) वह सीखता रहा। (2) उसने जो सीखा, उसके मुताबिक काम भी किए और (3) वह परमेश्‍वर के लिए अपना प्यार बढ़ाता रहा।

सीखते रहिए

8. यूहन्‍ना 17:3 से आप क्या सीखते हैं?

8 यूहन्‍ना 17:3 और फुटनोट पढ़िए। क्या आपने यीशु के ये शब्द सुनकर ही बाइबल अध्ययन करने का फैसला किया था? हममें से कई लोगों के साथ ऐसा ही हुआ। लेकिन क्या इन शब्दों से यह भी पता चलता है कि हमें आगे भी सीखते रहना है? बिलकुल। हम ‘एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर को जानना’ कभी बंद नहीं करेंगे। (सभो. 3:11) हम हमेशा तक यहोवा के बारे में कुछ-न-कुछ नया सीखते रहेंगे। और हम जितना अच्छे-से उसे जानेंगे, उतना ही उसके करीब आएँगे।​—भज. 73:28.

9. बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ सीखने के बाद हमें क्या करना चाहिए?

9 ज़ाहिर-सी बात है कि जब हम यहोवा को जानना शुरू करते हैं, तो पहले तो हम मोटी-मोटी बातें ही सीखते हैं। पौलुस ने इब्री मसीहियों को लिखी चिट्ठी में इन बातों को शास्त्र की “बुनियादी बातें” या ‘बुनियादी शिक्षाएँ’ कहा। ऐसा कहकर वह इन्हें कम नहीं आँक रहा था। उसने इनकी तुलना उस दूध से की जिससे एक छोटे बच्चे को पोषण मिलता है। (इब्रा. 5:12; 6:1) लेकिन उसने सभी मसीहियों से यह भी कहा कि वे इन बुनियादी शिक्षाओं से आगे बढ़ें और परमेश्‍वर के वचन की गहरी बातें सीखें। क्या आपमें बाइबल की गहरी बातें सीखने की भूख है? क्या आप इस भूख को और भी बढ़ाना चाहते हैं और यहोवा और उसके मकसद के बारे में और भी जानना चाहते हैं?

10. कुछ लोगों को अध्ययन करना क्यों मुश्‍किल लगता है?

10 लेकिन कई लोगों के सामने एक दिक्कत आती है। उन्हें अध्ययन करना बड़ा मुश्‍किल लगता है। आप अपने बारे में क्या कहेंगे? क्या स्कूल में आपने अच्छे-से पढ़ना-लिखना सीखा था? क्या आपको पढ़ाई-लिखाई करना अच्छा लगता था? और जब भी आप कुछ नया सीखते थे, तो क्या आपको खुशी होती थी? या फिर आपको लगता था, ‘पढ़ना-लिखना मेरे बस की बात नहीं’? अगर ऐसा है, तो आप अकेले नहीं हैं, बहुत-से लोगों को ऐसा ही लगता है। लेकिन यहोवा आपकी मदद कर सकता है। उसके सिखाने में कोई कमी नहीं है। वह दुनिया का सबसे अच्छा टीचर है।

11. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा हमारा “महान उपदेशक” है?

11 यहोवा ने बाइबल में लिखवाया है कि वह हमारा “महान उपदेशक” है। (यशा. 30:20, 21) वह एक ऐसा टीचर है जो अपने विद्यार्थियों के साथ सब्र रखता है, प्यार से पेश आता है और उन्हें अच्छी तरह समझता है। वह उनमें अच्छाइयाँ ढूँढ़ने की कोशिश करता है। (भज. 130:3) वह कभी-भी हमसे कुछ ऐसा करने की उम्मीद नहीं करता जो हम नहीं कर सकते। याद रखिए, यहोवा ने ही हमारा दिमाग रचा है और यह बहुत कमाल का है। (भज. 139:14) हममें कुछ-ना-कुछ नया सीखते रहने की इच्छा होती है। यहोवा चाहता है कि हम हमेशा सीखते रहें और उससे खुशी पाएँ। तो कितना अच्छा होगा कि हम अभी से बाइबल की सच्चाइयाँ जानने के लिए ‘ज़बरदस्त भूख पैदा करें’! (1 पत. 2:2) छोटे-छोटे लक्ष्य रखिए और बाइबल पढ़ने और अध्ययन करने के लिए शेड्‌यूल बनाइए और उसके हिसाब से चलिए। (यहो. 1:8) फिर यहोवा आपकी मेहनत पर आशीष देगा और धीरे-धीरे आपको बाइबल पढ़ना अच्छा लगने लगेगा और आप यहोवा के बारे में और भी जानना चाहेंगे।

12. हमें यीशु की ज़िंदगी और सेवा के बारे में क्यों अध्ययन करना चाहिए?

12 इस बारे में सोचते रहिए कि यीशु ने कैसी ज़िंदगी जी और किस तरह सेवा की। जब हम यीशु के नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलेंगे, तभी यहोवा की सेवा कर पाएँगे, खासकर इस मुश्‍किल समय में। (1 पत. 2:21) यीशु ने अपने चेलों को साफ-साफ बताया था कि उन पर मुश्‍किलें आएँगी। (लूका 14:27, 28) पर उसे इस बात का भी यकीन था कि वे उन मुश्‍किलों को पार कर पाएँगे, ठीक जैसे उसने पार की थीं। (यूह. 16:33) तो यीशु की ज़िंदगी में हुई अलग-अलग घटनाओं के बारे में गहराई से अध्ययन कीजिए और सोचिए कि आप हर दिन उसकी तरह कैसे बन सकते हैं।

13. आपको यहोवा से किस बात के लिए बिनती करते रहनी चाहिए और क्यों?

13 ज्ञान लेना अच्छा तो है, पर इसके पीछे हमारा मकसद होना चाहिए कि हम यहोवा को और अच्छे-से जानें और उससे प्यार करें, उस पर विश्‍वास करें और दूसरे गुण बढ़ाएँ। तभी उस ज्ञान से हमें फायदा होगा। (1 कुरिं. 8:1-3) तो जब आप यहोवा को जानने लगते हैं, उससे बिनती कीजिए कि वह आपका विश्‍वास बढ़ाए। (लूका 17:5) वह ऐसी प्रार्थनाएँ ज़रूर सुनेगा। जब आप सही ज्ञान के आधार पर यहोवा पर विश्‍वास करेंगे, तो आप तरक्की कर पाएँगे।​—याकू. 2:26.

आप जो सीखते हैं, उसके मुताबिक काम भी कीजिए

जलप्रलय आने से पहले, नूह और उसके परिवार को जो बताया गया था, उसके मुताबिक उन्होंने काम भी किया (पैराग्राफ 14)

14. पतरस ने कैसे बताया कि हम जो सीखते हैं, उसके मुताबिक काम करना भी ज़रूरी है? (तसवीर भी देखें।)

14 प्रेषित पतरस ने बताया कि यीशु के चेले जो सीखते हैं, उसके मुताबिक काम करना भी ज़रूरी है। इसे समझाने के लिए उसने नूह के किस्से का ज़िक्र किया। यहोवा ने नूह को बताया था कि वह एक जलप्रलय लानेवाला है जिसमें वह सभी बुरे लोगों का नाश कर देगा। लेकिन सिर्फ यह जानने से कि जलप्रलय आनेवाला है, नूह और उसके परिवार की जान नहीं बच जाती। गौर कीजिए कि पतरस ने जलप्रलय का नहीं, बल्कि उससे पहले के समय का ज़िक्र किया जब “नूह का जहाज़ बन रहा था।”  (1 पत. 3:20) इससे पता चलता है कि यहोवा ने नूह को जो बताया था, उसने और उसके परिवार ने उसके मुताबिक काम किया। उन्होंने एक बहुत बड़ा जहाज़ बनाया। (इब्रा. 11:7) नूह ने जो किया था, उसकी तुलना फिर पतरस ने बपतिस्मे से की। उसने लिखा, “यह घटना बपतिस्मे की निशानी है जो आज तुम्हें . . . बचा रहा है।” (1 पत. 3:21) तो हम कह सकते हैं कि आज आप बपतिस्मे के लिए जो तैयारी करते हैं, वह कुछ वैसा ही है जैसे नूह और उसके परिवार ने जहाज़ बनाने के लिए सालों मेहनत की थी। तो फिर आप बपतिस्मा लेने के लिए कैसे तैयारी कर सकते हैं?

15. दिल से पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है?

15 सबसे पहले हमें अपने गलत कामों के लिए दिल से पश्‍चाताप करना होगा। (प्रेषि. 2:37, 38) जब हम दिल से पश्‍चाताप करेंगे, तो खुद को बदलेंगे भी। जैसे हो सकता है, कुछ लोग अनैतिक ज़िंदगी जीते हों, तंबाकू खाते हों या गाली-गलौज करते हों। अगर आपकी ऐसा कुछ करने की आदत थी, तो क्या आपने यहोवा को खुश करने के लिए यह सब छोड़ दिया है? (1 कुरिं. 6:9, 10; 2 कुरिं. 7:1; इफि. 4:29) अगर आप अब तक इन्हें नहीं छोड़ पाए हैं, तो हिम्मत मत हारिए। इन्हें छोड़ने की कोशिश करते रहिए। जो आपको बाइबल अध्ययन कराता है, आप उससे या मंडली के प्राचीनों से बात कर सकते हैं। अगर आप छोटे हैं, तो आप अपने मम्मी-पापा से मदद माँग सकते हैं, ताकि आप अपनी बुरी आदतें छोड़ सकें और बपतिस्मे के लिए तैयार हो पाएँ।

16. हम उपासना से जुड़े कामों में कैसे लगे रह सकते हैं?

16 उपासना से जुड़े कामों में लगे रहना भी बहुत ज़रूरी है, जैसे लगातार सभाओं में जाना और उनमें हिस्सा लेना। (इब्रा. 10:24, 25) और अगर आप प्रचार में जाने के योग्य हो गए हैं, तो इस काम में भी लगातार हिस्सा लीजिए। जितना ज़्यादा आप लोगों को गवाही देंगे, उतना ही यह काम आपको अच्छा लगने लगेगा। (2 तीमु. 4:5) अगर आप छोटे हैं, तो खुद से पूछिए, ‘क्या सभाओं में जाने और प्रचार करने के लिए हर बार मम्मी-पापा मुझे याद दिलाते हैं? या मैं खुद इन बातों का ध्यान रखता हूँ?’ जब आप खुद इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो इससे पता चलता है कि आप यहोवा से प्यार करते हैं, उस पर विश्‍वास करते हैं और यहोवा ने आपके लिए जो भी किया है उसके लिए आप उसका एहसान मानते हैं। ये सभी “परमेश्‍वर की भक्‍ति के काम” हैं, ऐसे बलिदान जो आप यहोवा को चढ़ाते हैं। (2 पत. 3:11; इब्रा. 13:15) जब हम बिना किसी के कहे, अपनी मरज़ी से यहोवा के लिए कुछ करते हैं, तो उसे खुशी होती है। (2 कुरिंथियों 9:7 से तुलना करें।) हम यह सब इसलिए करते हैं, क्योंकि यहोवा को सबसे अच्छा बलिदान चढ़ाकर हमें बहुत खुशी होती है।

यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाते रहिए

17-18. कौन-सा खास गुण होने से आप बपतिस्मे के योग्य बन पाएँगे और ऐसा क्यों? (नीतिवचन 3:3-6)

17 बपतिस्मे के लिए तैयारी करते वक्‍त आपके सामने कुछ मुश्‍किलें भी आएँगी। हो सकता है, आप जो मानते हैं उस वजह से लोग आपका मज़ाक उड़ाएँ, आपका विरोध करें या आप पर ज़ुल्म करें। (2 तीमु. 3:12) या फिर अगर आप कोई बुरी आदत छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप फिर से वही गलत काम कर बैठें। कई बार शायद आप यह सोचकर परेशान हो जाएँ कि पता नहीं आप कब बपतिस्मा लेने के योग्य बन पाएँगे। ऐसे में क्या बात आपकी मदद करेगी कि आप हार ना मानें? यहोवा के लिए आपका प्यार।

18 आपमें जो खूबियाँ या गुण हैं, उनमें सबसे खास है यहोवा के लिए आपका प्यार। (नीतिवचन 3:3-6 पढ़िए।) यहोवा के लिए गहरा प्यार आपको मुश्‍किलों में भी डटे रहने की हिम्मत दे सकता है। बाइबल में कई बार बताया गया है कि यहोवा अपने लोगों से जो प्यार करता है, वह अटल है। इसका मतलब, वह कभी अपने लोगों का साथ नहीं छोड़ता और हमेशा उनसे प्यार करता है। (भज. 100:5) आपको भी यहोवा की छवि में बनाया गया है। (उत्प. 1:26) तो आप इस तरह का प्यार ज़ाहिर कैसे कर सकते हैं?

आप हर दिन यहोवा का धन्यवाद कर सकते हैं (पैराग्राफ 19) b

19. यहोवा ने आपके लिए जो भी किया है, उसके लिए आप कैसे उसका एहसान मान सकते हैं? (गलातियों 2:20)

19 सबसे पहले एहसानमंद होना सीखिए। (1 थिस्स. 5:18) हर दिन खुद से पूछिए, ‘आज यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह मुझसे प्यार करता है?’ फिर जब आप प्रार्थना करें, तो खासकर उन बातों के लिए यहोवा का धन्यवाद कीजिए। प्रेषित पौलुस की तरह यह देखने की कोशिश कीजिए कि यहोवा आपसे प्यार करता है, इसलिए उसने खासकर आपके लिए क्या-क्या किया है। (गलातियों 2:20 पढ़िए।) तो खुद से पूछिए, ‘क्या मैं भी अपने कामों से दिखाना चाहता हूँ कि मैं यहोवा से प्यार करता हूँ?’ यहोवा के लिए आपका प्यार आपको गलत कामों से दूर रहने और मुश्‍किलों का डटकर सामना करने की हिम्मत देगा। आपका मन करेगा कि आप उपासना से जुड़े कामों में लगे रहें और इस तरह हर दिन दिखाएँ कि आप अपने पिता यहोवा से कितना प्यार करते हैं।

20. (क) यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने के लिए आपको क्या करना होगा? (ख) यह फैसला कितना अहम है?

20 कुछ समय बाद यहोवा के लिए प्यार आपको उभारेगा कि आप एक खास प्रार्थना करके उसे अपनी ज़िंदगी समर्पित करें। ऐसा करने से आपको एक बढ़िया आशीष मिल सकती है: आप हमेशा-हमेशा के लिए यहोवा के हो सकते हैं। समर्पण करके आप मानो शपथ लेते हैं कि चाहे ज़िंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव आएँ, आप हमेशा यहोवा की सेवा करते रहेंगे। यह एक ऐसी शपथ है, जिसे बार-बार लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करना एक बड़ा फैसला तो है, पर आप ज़िंदगी में जितने भी अच्छे फैसले लेंगे, उनमें यह सबसे अच्छा फैसला होगा। (भज. 50:14) शैतान कोशिश करेगा कि यहोवा के लिए आपका प्यार कम हो जाए और आप उसके वफादार ना रहें। पर शैतान को कभी-भी कामयाब मत होने दीजिए! (अय्यू. 27:5) जब आपके दिल में यहोवा के लिए गहरा प्यार होगा, तो आप हर हाल में उससे किया अपना वादा निभाएँगे और उसके करीब आते जाएँगे।

21. हम क्यों कह सकते हैं कि बपतिस्मा सिर्फ एक शुरूआत है?

21 जब आप यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर देते हैं, तो अपनी मंडली के प्राचीनों को बताइए कि आप बपतिस्मा लेना चाहते हैं। लेकिन याद रखिए कि बपतिस्मा लेकर आपकी मसीही ज़िंदगी का सफर खत्म नहीं हो जाता। यह तो बस उस सफर की शुरूआत है। इस सफर पर निकलने से आप हमेशा यहोवा की सेवा करते रह पाएँगे। तो अभी से यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाइए। छोटे-छोटे लक्ष्य रखिए, ताकि दिन-ब-दिन यहोवा के लिए आपका प्यार और भी गहरा होता जाए। इस तरह आप बपतिस्मा लेने के योग्य बन पाएँगे। और जिस दिन आप बपतिस्मा लेंगे, वह क्या ही खुशी का दिन होगा! मगर यह तो सिर्फ एक शुरूआत है। इसके बाद यहोवा आपको और भी ढेरों आशीषें देगा। हमारी दुआ है कि यहोवा और उसके बेटे के लिए आपका प्यार दिनों-दिन बढ़ता जाए।

गीत 135 यहोवा की प्यार-भरी गुज़ारिश: “मेरे बेटे, बुद्धिमान बन”

a बपतिस्मा लेने के योग्य बनने के लिए ज़रूरी है कि हमारा इरादा सही हो, लेकिन साथ ही हमें कुछ करना भी होगा। इस लेख में हम इथियोपिया के एक दरबारी से सीखेंगे कि एक बाइबल विद्यार्थी को बपतिस्मा लेने के लिए क्या-क्या करना होगा।

b तसवीर के बारे में: एक जवान बहन इस बात के लिए यहोवा का धन्यवाद कर रही है कि उसने कितनी अच्छी चीज़ें दी हैं।