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नौजवानो, अपना विश्वास मज़बूत कीजिए

नौजवानो, अपना विश्वास मज़बूत कीजिए

“विश्वास . . . उन असलियतों का साफ सबूत है, जो अभी दिखायी नहीं देतीं।”—इब्रा. 11:1.

गीत: 41, 11

1, 2. (क) यहोवा के जवान सेवकों पर क्या दबाव आ सकता है? (ख) बाइबल में उनके लिए क्या सलाह दी गयी है?

ब्रिटेन की रहनेवाली एक जवान बहन को उसके साथ पढ़नेवाली एक लड़की ने कहा, “मुझे लगता था कि तुम समझदार हो, पर तुम तो परमेश्वर को मानती हो।” जर्मनी के रहनेवाले एक भाई ने लिखा, “मेरे टीचर मानते हैं कि बाइबल में सृष्टि के बारे में जो कुछ बताया गया है वह कथा-कहानी है। उन्हें लगता है कि सभी विद्यार्थी विकासवाद को मानते हैं।” फ्राँस की रहनेवाली एक जवान बहन कहती है, “टीचरों को यह जानकर बड़ी हैरानी होती है कि ऐसे भी बच्चे हैं जो बाइबल को मानते हैं।”

2 आज कई लोग यह नहीं मानते कि परमेश्वर ने हमें बनाया है। अगर आप यहोवा की सेवा करनेवाले एक जवान हैं या उसके बारे में सीख रहे हैं, तो शायद आप पर भी यह दबाव आए कि आप परमेश्वर के बजाय विकासवाद को मानें। ऐसे में आपको अपना विश्वास मज़बूत करने की ज़रूरत है। इसका एक तरीका है, अपनी “सोचने-परखने की शक्ति” का इस्तेमाल करना जो ‘आप पर नज़र रखेगी।’ (एन.डब्ल्यू.) सोचने-परखने की शक्ति का इस्तेमाल करने का मतलब है, आप जो सुनते या पढ़ते हैं उसके बारे में गहराई से सोचना और खुद को यकीन दिलाना। तब आप झूठी शिक्षाओं को ठुकरा पाएँगे और यहोवा पर अपना विश्वास मज़बूत कर पाएँगे।—नीतिवचन 2:10-12 पढ़िए।

3. इस लेख में क्या बताया जाएगा?

3 यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि हम उसे अच्छी तरह जानें। (1 तीमु. 2:4) इसलिए जब आप बाइबल और हमारी किताबों-पत्रिकाओं से कुछ पढ़ते हैं तो थोड़ा रुककर उनके बारे में सोचिए। उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। (मत्ती 13:23) इस लेख में बताया जाएगा कि अगर आप इस तरह से अध्ययन करेंगे, तो आपको इस बात के ढेरों सबूत मिलेंगे कि यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है और बाइबल उसी की तरफ से है।—इब्रा. 11:1.

अपना विश्वास कैसे मज़बूत करें

4. (क) किस मायने में विकासवाद पर विश्वास करना और परमेश्वर पर विश्वास करना एक जैसा है? (ख) हम सबको क्या करना चाहिए?

4 एक व्यक्ति शायद कहे, “मैं विकासवाद को मानता हूँ क्योंकि वैज्ञानिक कहते हैं कि यह सच है। मगर आप ईश्वर को क्यों मानते हैं? उसे तो किसी ने नहीं देखा।” बहुत-से लोग ऐसा ही सोचते हैं। यह सच है कि किसी ने परमेश्वर को नहीं देखा है, न ही उसे किसी चीज़ की सृष्टि करते देखा है। (यूह. 1:18) मगर विकासवाद में भी तो कुछ ऐसा ही है। आज तक किसी वैज्ञानिक या इंसान ने एक किस्म के जानवर का दूसरे किस्म के जानवर में विकास होते नहीं देखा है। उदाहरण के लिए, किसी ने एक साँप या छिपकली को शेर या हाथी जैसे बड़े जानवर में बदलते हुए नहीं देखा। (अय्यू. 38:1, 4) इसलिए हम सभी को सबूतों पर ध्यान देना चाहिए, उनके बारे में गहराई से सोचना चाहिए और फिर तय करना चाहिए कि इन सबूतों से क्या साबित होता है। कई लोगों ने सृष्टि की चीज़ों पर ध्यान दिया है और वे ‘समझ’ गए हैं कि एक परमेश्वर है। वे ‘साफ देख’ पाए हैं कि परमेश्वर ने ही सबकुछ बनाया है, वह शक्तिशाली है और उसमें बहुत-से अच्छे-अच्छे गुण हैं।—रोमि. 1:20.

इन प्रकाशनों में खोजबीन करके आप दूसरों को अपने विश्वास के बारे में बता सकते हैं (पैराग्राफ 5 देखिए)

5. सृष्टि के बारे में ज़्यादा जानने के लिए हमारे पास कौन-से प्रकाशन हैं?

5 जब हम कुदरत की चीज़ें देखते हैं और उनके बारे में गहराई से सोचते हैं तो हम समझ पाते हैं कि सबकुछ बेहतरीन तरीके से बना है। “विश्वास ही से हम यह समझ पाते हैं” कि एक सृष्टिकर्ता है, इसके बावजूद कि वह अदृश्य है। हम यह भी समझ पाते हैं कि वह बहुत बुद्धिमान है और उसमें कई बढ़िया गुण भी हैं। (इब्रा. 11:3, 27) सृष्टि के बारे में और जानने के लिए हम वह जानकारी पढ़ सकते हैं जो वैज्ञानिकों ने खोजी है। आपको यह जानकारी इन प्रकाशनों में मिल सकती है: सृष्टि के अजूबे परमेश्वर की महिमा करते हैं (अँग्रेज़ी) नाम का विडियो, वॉज़ लाइफ क्रिएटेड (अँग्रेज़ी) और जीवन की शुरूआत—पाँच सवाल जवाब जानना ज़रूरी ब्रोशर और इज़ देअर ए क्रिएटर हू केअर्स अबाउट यू? किताब। इसके अलावा, सजग होइए! पत्रिका में अकसर वैज्ञानिकों या दूसरे लोगों के इंटरव्यू दिए होते हैं जिनमें बताया जाता है कि वे क्यों अब परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। इस पत्रिका में “क्या इसे रचा गया था?” नाम की श्रृंखला भी आती है, जिसमें जानवरों और कुदरत की दूसरी चीज़ों की बारीक जानकारी दी होती है और यह भी बताया जाता है कि किस तरह वैज्ञानिक इनकी नकल करके चीज़ें बनाते हैं।

6. हमारे प्रकाशनों से आपको क्या मदद मिल सकती है?

6 अमरीका का रहनेवाला 19 साल का एक भाई पिछले पैराग्राफ में बताए दो ब्रोशरों के बारे में कहता है, “इनसे मुझे बहुत मदद मिली है। मैंने इनको हज़ारों बार पढ़ा है।” फ्राँस की रहनेवाली एक बहन कहती है, “‘क्या इसे रचा गया था?’ लेखों में दी जानकारी पढ़कर मैं हैरान रह जाती हूँ! ये लेख दिखाते हैं कि बड़े-बड़े इंजीनियर कुदरत की चीज़ों की चाहे कितनी भी नकल कर लें, वे उनकी बनावट की बराबरी नहीं कर सकते जो बहुत ही पेचीदा है।” दक्षिण अफ्रीका के रहनेवाले एक माता-पिता, जिनकी 15 साल की एक बेटी है, कहते हैं, “जब हमें सजग होइए! मिलती है तो हमारी बेटी सबसे पहले इंटरव्यूवाला लेख पढ़ती है।” इन प्रकाशनों से आपको भी मदद मिल सकती है। आप देख पाएँगे कि इस बात के ढेरों सबूत हैं कि एक सृष्टिकर्ता है। फिर आप जान पाएँगे कि कौन-सी शिक्षाएँ झूठी हैं और आप उन्हें ठुकरा पाएँगे। आपका विश्वास इतना मज़बूत होगा कि आप उस पेड़ की तरह होंगे जिसकी जड़ें गहराई तक फैली होती हैं और जो तूफान में भी खड़ा रहता है।—यिर्म. 17:5-8.

बाइबल पर अपना विश्वास मज़बूत कीजिए

7. यहोवा क्यों चाहता है कि आप अपनी सोचने-समझने की शक्ति का इस्तेमाल करें?

7 ‘बाइबल जो बताती है मैं उस पर क्यों विश्वास करता हूँ?’ क्या इस तरह के सवाल पूछना गलत है? बिलकुल नहीं। यहोवा नहीं चाहता कि आप किसी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास करें क्योंकि दूसरे विश्वास करते हैं। इसके बजाय वह चाहता है कि आप “अपनी सोचने-समझने की शक्ति” का इस्तेमाल करके बाइबल के बारे में जानें और उन सबूतों की जाँच करें जो सचमुच उसकी तरफ से हैं। आप जितना ज़्यादा बाइबल के बारे में जानेंगे उतना ज़्यादा आपका विश्वास मज़बूत होगा। (रोमियों 12:1, 2; 1 तीमुथियुस 2:4 पढ़िए।) बाइबल के बारे में जानने का एक तरीका है, उन विषयों का अध्ययन करना जिनके बारे में आप ज़्यादा जानना चाहते हैं।

8, 9. (क) कुछ लोगों को किन विषयों पर अध्ययन करना अच्छा लगता है? (ख) कुछ लोगों को बाइबल पर मनन करने से क्या फायदा हुआ?

8 कुछ लोगों को बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करना अच्छा लगता है। दूसरे ऐसे हैं जिन्हें यह अध्ययन करना पसंद है कि इतिहासकारों, वैज्ञानिकों या पुरातत्व-विज्ञानियों ने जो बातें कही हैं उनसे कैसे साबित होता है कि बाइबल में दिया ब्यौरा सच है। उदाहरण के लिए उत्पत्ति 3:15 को ही लीजिए। जब आदम और हव्वा, यहोवा और उसकी हुकूमत के खिलाफ गए तो यहोवा ने फौरन एक अहम भविष्यवाणी की। यह बाइबल की उन भविष्यवाणियों में से पहली है, जो हमें यह समझने में मदद करती हैं कि परमेश्वर का राज कैसे साबित करेगा कि यहोवा की हुकूमत करने का तरीका ही सबसे बढ़िया है और यह राज कैसे सारी दुख-तकलीफों को मिटाएगा। आप उत्पत्ति 3:15 का कैसे अध्ययन कर सकते हैं? आप उन आयतों की एक सूची बना सकते हैं जिनमें बारीकी से बताया गया है कि यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी। फिर पता लगाइए कि ये आयतें कब लिखी गयी थीं और इन्हें उस हिसाब से लिखिए। फिर जल्द ही आपको पता चलेगा कि बाइबल लिखनेवाले अलग-अलग समय में जीए थे, मगर फिर भी उन्होंने उस भविष्यवाणी के पूरा होने के बारे में कुछ-न-कुछ लिखा है। इससे आप खुद को यह यकीन दिला पाएँगे कि यहोवा की पवित्र शक्ति ने उनको प्रेरित किया था।—2 पत. 1:21.

9 जर्मनी का रहनेवाला एक भाई कहता है, “40 आदमियों ने बाइबल लिखी है। उनमें से ज़्यादातर अलग-अलग समय में जीए थे और एक दूसरे को जानते तक नहीं थे,” फिर भी उन्होंने बाइबल की हर किताब में राज के बारे में कुछ-न-कुछ जानकारी लिखी है। ऑस्ट्रेलिया की रहनेवाली एक बहन प्रहरीदुर्ग के एक लेख का अध्ययन कर रही थी और उसने सीखा कि फसह का त्योहार कैसे उत्पत्ति 3:15 से और मसीहा से जुड़ा है। [1] वह कहती है, “इस अध्ययन से मेरी आँखें खुल गयीं और मैं समझ पायी कि यहोवा कितना महान परमेश्वर है। उसने जिस तरह इसराएलियों के लिए इस त्योहार का इंतज़ाम किया और इसे यीशु के बलिदान से जोड़ा, उसके बारे में सोचकर मैं हैरान रह गयी। मैं अध्ययन के बीच ही रुककर सोचने लगी कि यह कितनी अनोखी बात है कि फसह का भोज भविष्य में होनेवाली किसी बड़ी बात को दर्शाता था!” उस बहन को ऐसा क्यों लगा? क्योंकि उसने जो पढ़ा था उसके बारे में उसने गहराई से सोचा और उसे समझा। इससे उसका विश्वास मज़बूत हुआ और वह यहोवा के और करीब आ पायी।—मत्ती 13:23.

10. बाइबल लिखनेवालों की ईमानदारी से कैसे बाइबल पर हमारा विश्वास मज़बूत होता है?

10 ज़रा बाइबल लिखनेवालों की ईमानदारी के बारे में भी सोचिए। उन्होंने जो भी लिखा सब सच-सच लिखा और वे ऐसा करने से डरे नहीं। उस समय के लेखक अपने देश और अपने राजाओं के बारे में सिर्फ अच्छी-अच्छी बातें लिखते थे। मगर यहोवा के भविष्यवक्ताओं ने इसराएल के राजाओं और लोगों के बारे में न सिर्फ अच्छी बातें लिखीं बल्कि उनके बुरे कामों के बारे में भी लिखा। (2 इति. 16:9, 10; 24:18-22) यहाँ तक कि उन्होंने अपनी और परमेश्वर के दूसरे सेवकों की गलतियाँ भी बतायीं। (2 शमू. 12:1-14; मर. 14:50) ब्रिटेन का रहनेवाला एक जवान भाई कहता है, “इस तरह की ईमानदारी बहुत कम देखने को मिलती है। इससे हमारा यकीन बढ़ता है कि बाइबल सचमुच यहोवा की तरफ से है।”

11. बाइबल के सिद्धांतों से कैसे बाइबल पर हमारा विश्वास बढ़ता है?

11 जब लोग बाइबल के सिद्धांतों पर चलते हैं तो उन्हें फायदा होता है। और इससे उनका विश्वास बढ़ता है कि बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। (भजन 19:7-11 पढ़िए।) जापान की रहनेवाली एक जवान बहन ने लिखा, “जब मेरा परिवार बाइबल की शिक्षाओं पर चलता है तो हमें सच्ची खुशी मिलती है। हमारे परिवार में शांति, एकता और प्यार बना रहता है।” बाइबल के बारे में सीखकर बहुत-से लोग जान पाए हैं कि जिन बातों पर वे विश्वास करते थे वे सच नहीं थीं। (भज. 115:3-8) बाइबल से लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा पर भरोसा करना सीखते हैं और उन्हें एक अच्छे भविष्य की आशा मिलती है। लेकिन जो लोग नहीं मानते कि परमेश्वर है वे कुदरत की उपासना करते हैं। दूसरे ऐसे हैं जो अच्छे भविष्य के लिए इंसानों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब हम देखते हैं कि इंसानों ने अब तक क्या किया है, उससे साफ ज़ाहिर होता है कि वे दुनिया की समस्याओं को नहीं सुलझा सकते।—भज. 146:3, 4.

दूसरों से कैसे तर्क करें

12, 13. हम दूसरों से सृष्टि या बाइबल के बारे में कैसे बात कर सकते हैं?

12 जब आप दूसरों से सृष्टि या बाइबल पर बात करते हैं, तो सबसे पहले यह पता लगाइए कि वे क्या मानते हैं। याद रखिए कि कुछ लोग विकासवाद पर विश्वास करने के साथ-साथ यह भी मानते हैं कि परमेश्वर है। वे कहते हैं कि परमेश्वर विकास के ज़रिए सब जीव-जन्तुओं को वजूद में लाया है। दूसरे लोग मानते हैं कि विकासवाद सच होगा क्योंकि यह स्कूलों में सिखाया जाता है। और कुछ धर्म से तंग आकर परमेश्वर पर विश्वास करना बंद कर देते हैं। इसलिए सबसे पहले सामनेवाले व्यक्ति से पूछिए कि वह क्या विश्वास करता है और क्यों। फिर ध्यान से उसकी बात सुनिए। अगर आप ऐसा करें तो वह भी आपकी बात सुनने के लिए तैयार होगा।—तीतु. 3:2.

13 अगर कोई आपसे कहे कि आप बेवकूफ हैं जो यह मानते हैं कि कोई सृष्टिकर्ता है, तो आप क्या जवाब दे सकते हैं? आदर के साथ उस व्यक्ति से पूछिए कि उसे क्या लगता है, जीवन की शुरूआत कैसे हुई। आप उससे कह सकते हैं कि जीवन का विकास एक सरल जीव से कैसे हो सकता है क्योंकि एक जीव को अपने जैसे जीव बनाने के लिए कई पेचीदा चीज़ों की ज़रूरत होती। रसायन विज्ञान के एक प्रोफेसर ने बताया कि ये चीज़ें हैं: (1) खुद की हिफाज़त करने के लिए त्वचा जैसी चीज़, (2) ऊर्जा पाने और उसका इस्तेमाल करने की काबिलीयत, (3) यह जानकारी कि उसका आकार कैसा होगा और वह किस तरह बढ़ेगा और (4) इस जानकारी की नकल तैयार करने की काबिलीयत। उस प्रोफेसर ने यह भी कहा, “हैरानी की बात है कि सबसे सरल जीव भी बहुत ही जटिल है।”

14. सृष्टि पर चर्चा करते वक्‍त आप कौन-सा तर्क दे सकते हैं?

14 सृष्टि पर बात करते वक्‍त आप यह आसान-सा तर्क दे सकते हैं, जो पौलुस ने दिया था। उसने कहा, “बेशक, हर घर का कोई न कोई बनानेवाला होता है, मगर जिसने सबकुछ बनाया वह परमेश्वर है।” (इब्रा. 3:4) हम सब जानते हैं कि घर अपने-आप नहीं बनता बल्कि एक बिल्डर उसे बनाता है। जीवित प्राणियों की बनावट एक घर से भी कहीं ज़्यादा पेचीदा होती है। तो ज़रूर उनका बनानेवाला कोई-न-कोई रहा होगा। सृष्टि पर तर्क करने के लिए आप हमारी किताबें-पत्रिकाएँ भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक बहन ने एक ऐसे नौजवान से बात की जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता था। उसने उसे पहले बताए दो ब्रोशर दिए। करीब एक हफ्ते बाद उस नौजवान ने बहन से कहा, “अब मैं परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ।” वह नौजवान बाइबल का अध्ययन करने लगा और बाद में एक साक्षी बन गया।

15, 16. (क) दूसरों को यह समझाने से पहले कि बाइबल परमेश्वर की तरफ से है, हमें क्या करना होगा? (ख) हमें क्या याद रखना चाहिए?

15 अगर किसी को बाइबल पर शक है तो आप उसके साथ कैसे तर्क कर सकते हैं? जैसा कि पहले बताया गया था, सबसे पहले उसके विश्वास के बारे में पूछिए। यह भी पता लगाइए कि उसे किस बात में दिलचस्पी है। (नीति. 18:13) अगर उसे विज्ञान में दिलचस्पी है, तो उसे बाइबल से ऐसे उदाहरण बताइए जो दिखाते हैं कि बाइबल विज्ञान से जुड़ी जो भी बात बताती है सही बताती है। अगर उसे इतिहास में दिलचस्पी है, तो आप इतिहास की किताबों से उसे कोई घटना बता सकते हैं और फिर उसे बाइबल से दिखा सकते हैं कि घटना के होने से बहुत पहले ही इसकी भविष्यवाणी की गयी थी। कुछ लोग शायद आपकी बातों में तब दिलचस्पी लें जब आप बाइबल से उन्हें दिखाएँगे कि इसमें दी सलाहों को मानने से उनकी ज़िंदगी बेहतर हो सकती है। आप उन्हें पहाड़ी उपदेश में दी कुछ सलाह दिखा सकते हैं।

16 याद रखिए कि हम लोगों से बहस नहीं करना चाहते। हम चाहते हैं कि उन्हें हमसे बात करना और बाइबल के बारे में सीखना अच्छा लगे। इसलिए आदर के साथ सवाल पूछिए और फिर ध्यान से उनकी सुनिए। जब आप अपना विश्वास बताते हैं तो अदब से पेश आइए, खासकर अगर सामनेवाला आपसे उम्र में बड़ा है। अगर आप दूसरों का आदर करेंगे तो वे भी आपका आदर करेंगे। उन्हें यह देखकर अच्छा लगेगा कि आप एक नौजवान होकर भी अपने विश्वास के बारे में गहराई से सोचते हैं। लेकिन अगर कोई सिर्फ आपसे बहस करना चाहता है या आपका मज़ाक उड़ाना चाहता है, तो आपको उसके सवालों का जवाब देने की कोई ज़रूरत नहीं।—नीति. 26:4.

बाइबल की सच्चाइयाँ ढूँढ़िए और अपना विश्वास मज़बूत कीजिए

17, 18. (क) आप बाइबल पर अपना विश्वास कैसे मज़बूत कर सकते हैं? (ख) अगले लेख में क्या बताया जाएगा?

17 हम शायद बाइबल की खास शिक्षाओं से वाकिफ हों, लेकिन अपना विश्वास मज़बूत बनाए रखने के लिए ये काफी नहीं। हमें बाइबल की गहरी सच्चाइयों को भी ढूँढ़ने की ज़रूरत है। यह ऐसा है मानो हम छिपा हुआ खज़ाना ढूँढ़ रहे हों। (नीति. 2:3-6) अपना विश्वास मज़बूत करने का सबसे बढ़िया तरीका है, पूरी बाइबल पढ़ना। आप इसे एक साल के अंदर पढ़ने की कोशिश कर सकते हैं। एक सर्किट निगरान ने अपनी जवानी में ऐसा ही किया था। इससे वह यहोवा के करीब आ पाया। वह कहता है, “पूरी बाइबल पढ़ने से मैं समझ पाया कि यह परमेश्वर का वचन है। और मैंने बचपन में जो बाइबल की कहानियाँ पढ़ी थीं, वे भी मुझे अच्छे-से समझ में आयीं।” आप बाइबल से जो पढ़ते हैं, उसे समझने के लिए अपनी भाषा में उपलब्ध प्रकाशनों में खोजबीन कीजिए। जैसे वॉचटावर लाइब्रेरी, वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी, वॉचटावर पब्लिकेशन्स इंडेक्स और यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड।

18 माता-पिताओ, दूसरों से ज़्यादा आप अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखा सकते हैं। तो आप कैसे उनकी मदद कर सकते हैं ताकि यहोवा पर उनका विश्वास मज़बूत हो? ऐसा करने के कुछ तरीके अगले लेख में बताए जाएँगे।