इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

जीवन कहानी

मुझे प्रौढ़ भाइयों के साथ काम करने का सम्मान मिला है

मुझे प्रौढ़ भाइयों के साथ काम करने का सम्मान मिला है

सन्‌ 1935 में मेरे माता-पिता जेम्स और जैस्सी सिनक्लैर, ब्रौंक्स जाकर बस गए जो न्यू यॉर्क सिटी का हिस्सा है। वहाँ उनकी मुलाकात विली स्नेडन से हुई जो मेरे माता-पिता की तरह स्कॉटलैंड से थे। पहली मुलाकात में ही वे इतने घुल-मिल गए कि अपने परिवारों के बारे में बात करने लगे। उस वक्‍त मेरा जन्म नहीं हुआ था।

माँ ने विली को बताया कि पहले विश्व युद्ध से कुछ समय पहले उनके पिता और बड़े भाई की मौत हो गयी थी। दरअसल हुआ यह कि वे दोनों उत्तर सागर में मछली पकड़ने गए थे। तभी उनकी बोट एक बारूदी सुरंग से जा टकरायी और वे डूबकर मर गए। विली ने कहा, “आपको पता है, आपके पिता नरक में हैं!” यह सुनते ही माँ को झटका लगा। विली यहोवा का एक साक्षी था और इस तरह माँ पहली बार बाइबल की सच्चाई से रू-ब-रू हुई।

विली और लिज़ स्नेडन

विली की बात से माँ को दुख हुआ क्योंकि वह जानती थी कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान थे। फिर विली ने कहा, “क्या आपको पता है, यीशु भी नरक गया था?” माँ को याद आया कि चर्च की मूल शिक्षाओं में भी यही बात कही गयी थी। यीशु नरक गया था और तीसरे दिन उसे ज़िंदा किया गया। वह सोचने लगी, ‘अगर नरक ऐसी जगह है जहाँ दुष्ट लोगों को आग में तड़पाया जाता है, तो फिर यीशु वहाँ क्यों गया?’ इसके बाद से माँ सच्चाई में दिलचस्पी लेने लगी। वह ब्रौंक्स मंडली की सभाओं में जाने लगी और उसने 1940 में बपतिस्मा लिया।

माँ के साथ और बाद में पिताजी के साथ

उस वक्‍त मसीही माता-पिताओं को कोई खास बढ़ावा नहीं दिया जाता था कि वे अपने बच्चों के साथ बाइबल का अध्ययन करें। जब मैं बहुत छोटा था तो माँ शनिवार-रविवार के दिन सभाओं और प्रचार में जाती थी। उस वक्‍त घर में पिताजी मेरी देखभाल करते थे। कुछ सालों बाद मैं और पिताजी भी माँ के साथ सभाओं में जाने लगे। माँ बहुत जोश के साथ खुशखबरी सुनाती थी और दिलचस्पी रखनेवाले कई लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करती थी। एक समय पर तो माँ के पास इतने बाइबल अध्ययन हो गए थे कि जो विद्यार्थी एक ही इलाके में रहते थे उन्हें वह एक-साथ पढ़ाती थी। स्कूल की छुट्टियों में, मैं भी माँ के साथ प्रचार करने जाता था। इस तरह मैं बाइबल के बारे में काफी कुछ सीख पाया। मैंने यह भी सीखा कि कैसे दूसरों को बाइबल के बारे में बताएँ।

बचपन में सच्चाई के लिए मेरे दिल में इतनी कदर नहीं थी। लेकिन जब मैं 12 साल का हुआ तो मैं राज का प्रचारक बना और तब से मैं लगातार प्रचार में जाने लगा। सोलह साल की उम्र में मैंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया और 24 जुलाई, 1954 के एक अधिवेशन में बपतिस्मा लिया। यह अधिवेशन कनाडा के टोरंटो शहर में रखा गया था।

बेथेल सेवा

हमारी मंडली में कुछ ऐसे भाई थे जो पहले बेथेल में सेवा करते थे। वे बोलने में निपुण थे और बाइबल की सच्चाइयों को अच्छी तरह सिखाते-समझाते थे। उन भाइयों का मुझ पर अच्छा असर हुआ। मैं भी बेथेल जाना चाहता था जबकि मेरे स्कूल के टीचर चाहते थे कि मैं यूनिवर्सिटी जाऊँ। मैंने टोरंटो के उसी अधिवेशन में बेथेल के लिए अर्ज़ी भरी, जिसमें मेरा बपतिस्मा हुआ था। फिर 1955 में न्यू यॉर्क सिटी के यैंकी स्टेडियम में एक अधिवेशन हुआ। मैंने एक बार फिर बेथेल की अर्ज़ी भरी। कुछ समय बाद मुझे ब्रुकलिन बेथेल में बुलाया गया। मैंने 19 सितंबर, 1955 में बेथेल सेवा शुरू की। उस वक्‍त मैं 17 साल का था। बेथेल में दूसरे दिन मुझे 117 ऐडम्स स्ट्रीट में जिल्दसाज़ी (या बाइन्ड्री) विभाग में डाला गया। कुछ ही समय में मैं एक ऐसी मशीन पर काम करने लगा जिस पर हम 32 पन्नोंवाले गट्ठे इकट्ठा करते थे। फिर इन्हें दूसरी मशीन पर भेजा जाता था जहाँ इन्हें सिलकर किताबें तैयार की जाती थीं।

मैंने 17 साल की उम्र में ब्रुकलिन बेथेल में सेवा शुरू की

मैंने उस विभाग में एक महीने काम किया। इसके बाद मुझे पत्रिका विभाग में भेजा गया क्योंकि मुझे टाइप करना आता था। उस ज़माने में जो लोग प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ डाक से लगातार मँगवाते थे उनके पते धातु की प्लेट पर टाइप किए जाते थे। फिर हर बार लोगों को पत्रिका भेजते वक्‍त पते छापने के लिए इन्हीं प्लेट का इस्तेमाल किया जाता था। कुछ महीने बाद मुझे शिपिंग विभाग में डाला गया। विभाग के निगरान क्लॉस जेनसन ने मुझे उस भाई के साथ काम करने के लिए कहा जो हमारी किताबें-पत्रिकाएँ ट्रक से बंदरगाह पहुँचाता था। वहाँ से ये प्रकाशन जहाज़ में दूर-दूर की जगहों में पहुँचाए जाते थे। इसके अलावा, हमें ढेरों पत्रिकाओं को पोस्ट ऑफिस तक ले जाना होता था जहाँ से वे अमरीका की अलग-अलग मंडलियों में भेजी जाती थीं। उस वक्‍त मेरा वज़न सिर्फ 57 किलो था और मैं बहुत दुबला-पतला था। यह बहुत मेहनत का काम था मगर भाई जेनसन जानते थे कि इससे मुझे फायदा होगा और ऐसा ही हुआ। किताबों-पत्रिकाओं के भारी बक्से और बोरियाँ उठाने से मुझमें अच्छा दमखम आ गया। सच, भाई जेनसन जानते थे कि मेरे लिए क्या अच्छा था!

पत्रिका विभाग एक और काम करता था। अलग-अलग मंडलियाँ जिन पत्रिकाओं की गुज़ारिश करती थीं, यह विभाग उन्हें भी पत्रिकाएँ भेजता था। यहाँ काम करके मुझे पता चला कि ब्रुकलिन में कितनी अलग-अलग भाषाओं में पत्रिकाएँ छापी जाती थीं और दुनिया-भर में भेजी जाती थीं। कई भाषाओं के नाम तो मैंने पहली बार सुने थे! लेकिन मुझे इस बात से खुशी होती थी कि लाखों की तादाद में ये पत्रिकाएँ दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में भेजी जा रही हैं। मुझे तब पता नहीं था लेकिन आगे चलकर इनमें से ज़्यादातर जगहों में मुझे जाने का सुअवसर मिला।

रॉबर्ट वॉलन, चार्ल्स मौलाहैन और डॉन एडम्स के साथ

सन्‌ 1961 में मुझे ट्रेज़रर ऑफिस में भाई ग्रान्ट सूटर की निगरानी में काम करने के लिए कहा गया। वहाँ मैंने कुछ साल काम किया। फिर एक दिन भाई नेथन नॉर ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया। उस वक्‍त वे दुनिया-भर में हो रहे हमारे काम की अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने मुझे बताया कि उनके ऑफिस में एक भाई राज-सेवा स्कूल में जानेवाला है और स्कूल के बाद वह सेवा विभाग में काम करेगा। मुझे उसका काम सौंपा गया और मैंने भाई डॉन एडम्स के साथ मिलकर काम किया। यह वही भाई थे जिन्होंने 1955 में हुए अधिवेशन में मेरी बेथेल की अर्ज़ी ली थी। उस ऑफिस में दो और भाई सेवा करते थे जिनके नाम थे रॉबर्ट वॉलन और चार्ल्स मौलाहैन। हम चारों भाइयों ने 50 से भी ज़्यादा साल साथ मिलकर काम किया। इन वफादार और प्रौढ़ भाइयों के साथ सेवा करके मुझे कितनी खुशी मिली है!​—भज. 133:1.

सन्‌ 1970 में वेनेज़ुएला में ज़ोन निगरान के तौर पर मेरा पहला दौरा

सन्‌ 1970 से मुझे वॉच टॉवर सोसाइटी के कई शाखा दफ्तरों का दौरा करने की ज़िम्मेदारी मिली, जिसे ज़ोन निगरान का दौरा कहा जाता था। यह दौरा दो साल में एक बार या फिर हर साल होता था। इस दौरे का मकसद था, बेथेल परिवार और मिशनरियों से मिलना और बाइबल से उनका हौसला बढ़ाना। इसके अलावा, शाखा दफ्तरों के रिकॉर्ड भी देखने होते थे। मुझे उन मिशनरियों से मिलने का मौका मिला जो गिलियड स्कूल के शुरूआती क्लासों से ग्रैजुएट हुए थे। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि वे अब भी वफादारी से उन देशों में सेवा कर रहे थे जहाँ उन्हें भेजा गया था। शाखा दफ्तरों का दौरा करने के लिए मुझे 90 से भी ज़्यादा देशों में जाने का सुअवसर मिला। यह मेरे लिए वाकई बड़े सम्मान और खुशी की बात है!

मुझे 90 से भी ज़्यादा देशों में भाइयों से मिलने का सुअवसर मिला

मुझे एक अच्छी पत्नी मिली

ब्रुकलिन में रहनेवाले बेथेल के सभी सदस्यों को न्यू यॉर्क सिटी की अलग-अलग मंडलियों में जाने के लिए कहा गया। मुझे ब्रौंक्स की एक मंडली में भेजा गया जो अप्पर ब्रौंक्स मंडली के नाम से जानी जाती थी। यह यहाँ की सबसे पहली मंडली थी और इसी से आगे चलकर और भी मंडलियाँ बनीं।

सन्‌ 1965 में एक साक्षी परिवार मेरी मंडली के इलाके में आकर रहने लगा। वे दरअसल लातविया से थे पर उन्होंने साउथ ब्रौंक्स में सच्चाई सीखी थी। लिविया उनकी सबसे बड़ी बेटी थी। हाई स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के तुरंत बाद उसने पायनियर सेवा शुरू की थी। कुछ महीने बाद वह मैसाचुसेट्‌स में जाकर सेवा करने लगी जहाँ राज प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। मैं उसे चिट्ठी लिखने लगा और उसे हमारी मंडली के बारे में बताने लगा। फिर वह भी मुझे चिट्ठी लिखने लगी और बॉसटन शहर में मिलनेवाले अच्छे अनुभव बताने लगी।

लिविया के साथ

कुछ साल बाद लिविया को खास पायनियर बनाया गया। वह यहोवा की सेवा में ज़्यादा-से-ज़्यादा करना चाहती थी इसलिए उसने बेथेल के लिए अर्ज़ी भरी। सन्‌ 1971 में उसे बेथेल बुलाया गया। मैंने इसे यहोवा की तरफ से एक इशारा समझा! बस फिर क्या था, 27 अक्टूबर, 1973 में हमने शादी कर ली। भाई नॉर ने हमारी शादी का भाषण दिया जो हमारे लिए सम्मान की बात थी। नीतिवचन 18:22 में लिखा है, “जिसने अच्छी पत्नी पा ली, उसने कुछ अनमोल पा लिया और उसे यहोवा की मंज़ूरी मिलती है।” यहोवा की मंज़ूरी या कृपा से मैंने और लिविया ने मिलकर 40 से भी ज़्यादा साल बेथेल में सेवा की है। हम आज भी ब्रौंक्स के इलाके में एक मंडली में सेवा कर रहे हैं।

मसीह के भाइयों के साथ सेवा

भाई नॉर के साथ काम करने में मुझे बहुत खुशी मिली। वे सच्चाई की खातिर जी-जान से मेहनत करते थे और मिशनरियों के लिए उनके दिल में गहरी कदर थी। ऐसे कई मिशनरी थे जिन्हें उन देशों में भेजा गया था जहाँ कोई साक्षी नहीं था। सन्‌ 1976 से भाई नॉर कैंसर से जूझ रहे थे और यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। एक बार उनकी तबियत इतनी खराब थी कि वे बिस्तर से उठ नहीं पा रहे थे। लेकिन उन्होंने मुझे बुलाया और मुझे कुछ लेख पढ़कर सुनाने के लिए कहा ताकि उन्हें छपाई के लिए भेजा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि मैं पहले जाकर भाई फ्रेडरिक फ्रान्ज़ को बुला लाऊँ ताकि वे भी लेख सुन सकें। मुझे बाद में पता चला कि भाई फ्रान्ज़ की आँखें कमज़ोर हो गयी थीं, इसलिए भाई नॉर अकसर भाई फ्रान्ज़ के पास जाते थे और घंटों बैठकर उन्हें छपाई से पहले लेख पढ़कर सुनाते थे।

सन्‌ 1977 में डैनियल और मरीना सिडलिक के साथ ज़ोन दौरे पर

सन्‌ 1977 में भाई नॉर की मौत हो गयी। लेकिन उन्हें जाननेवालों और उनसे प्यार करनेवालों को इस बात से दिलासा मिला कि उन्होंने वफादारी से धरती पर अपनी सेवा पूरी की। (प्रका. 2:10) इसके बाद, भाई फ्रान्ज़ प्रचार काम की अगुवाई करने लगे।

उस वक्‍त तक मैं भाई मिल्टन हेन्शल का काम कर रहा था जिन्होंने दशकों से भाई नॉर के साथ काम किया था और उनके सेक्रेटरी थे। भाई हेन्शल ने मुझे बताया कि अब से मेरी मुख्य ज़िम्मेदारी होगी भाई फ्रान्ज़ की हर तरह से मदद करना। मैं उन्हें नियमित तौर पर छपाई से पहले लेख पढ़कर सुनाता था। भाई फ्रान्ज़ की याददाश्त कमाल की थी! उनमें एक और अनोखी काबिलीयत थी कि वे पढ़ी जानेवाली बातों पर पूरा ध्यान लगा पाते थे। उन्होंने दिसंबर 1992 में धरती पर अपनी सेवा पूरी की। उस वक्‍त तक उन्हें लेख पढ़कर सुनाने में मुझे बहुत खुशी मिली।

124 कोलम्बिया हाइट्‌स, जहाँ मैंने दशकों तक सेवा की

बेथेल में बिताए 61 साल कैसे गुज़र गए, पता ही नहीं चला। मेरे माता-पिता मौत तक यहोवा के वफादार रहे। मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है जब मैं नयी दुनिया में उनसे मिलूँगा। (यूह. 5:28, 29) मुझे बहुत खुशी है कि मैं ऐसे वफादार भाई-बहनों के साथ काम कर रहा हूँ जो परमेश्वर के लोगों की खातिर कड़ी मेहनत करते हैं। दुनिया का कोई भी काम ऐसी खुशी नहीं दे सकता। मैं और लिविया सच्चे दिल से कह सकते हैं कि पूरे समय की सेवा में ‘जो खुशी यहोवा ने हमें दी है वह हमारे लिए एक मज़बूत गढ़ है।’​—नहे. 8:10.

राज की सच्चाई फैलाने का काम आज भी जारी है। यह काम यहोवा के संगठन में किसी एक इंसान के बलबूते नहीं चलता। मुझे अपनी सेवा के दौरान कई वफादार और मज़बूत विश्वास रखनेवाले भाई-बहनों के साथ काम करने की खुशी और सम्मान मिला है। इनमें से कई अभिषिक्‍त जन आज धरती पर नहीं हैं। लेकिन मैं एहसानमंद हूँ कि इन वफादार और प्रौढ़ भाइयों के साथ मैंने काफी समय बिताया और यहोवा की सेवा कर पाया।