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संयम का गुण बढ़ाइए

संयम का गुण बढ़ाइए

“पवित्र शक्‍ति का फल है . . . संयम।”​—गला. 5:22, 23.

गीत: 52, 26

1, 2. (क) संयम न रखने के क्या बुरे अंजाम होते हैं? (ख) यह क्यों ज़रूरी है कि हम संयम रखने के बारे में चर्चा करें?

संयम परमेश्वर का एक गुण है। (गला. 5:22, 23) यहोवा परिपूर्ण है और पूरी तरह संयम रखता है। लेकिन हम अपरिपूर्ण हैं इसलिए हमारे लिए संयम रखना आसान नहीं। देखा जाए तो आज ज़्यादातर परेशानियों की वजह यही है कि लोगों में संयम नहीं। इस वजह से स्कूल या नौकरी की जगह लोग काम टालते हैं या अपना काम अच्छे से नहीं करते। संयम न रखने के और भी बुरे अंजाम हो सकते हैं जैसे, किसी को बुरा-भला कहना, हद-से-ज़्यादा शराब पीना, हिंसा करना, तलाक की नौबत आना, बेवजह कर्ज़ लेना, कोई बुरी लत लगना, जेल होना, मन को चोट पहुँचना, नाजायज़ यौन-संबंध रखने से बीमारियाँ होना और अनचाहा गर्भ ठहरना।​—भज. 34:11-14.

2 हम साफ देख सकते हैं कि संयम न रखने से एक इंसान खुद पर और दूसरों पर मुसीबतें ले आता है। हाल के सालों में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि पहले के मुकाबले आज लोगों में संयम की कमी है और हालात बदतर होते जा रहे हैं। परमेश्वर के सेवकों को इस बात से कोई हैरानी नहीं होती क्योंकि बाइबल में पहले से बताया गया था कि “आखिरी दिनों में” लोग “संयम न रखनेवाले” होंगे।​—2 तीमु. 3:1-3.

3. मसीहियों को क्यों संयम का गुण बढ़ाना चाहिए?

3 मसीहियों के लिए संयम का गुण बढ़ाना ज़रूरी है। इसकी दो अहम वजहों पर गौर कीजिए। पहली वजह, संयम रखनेवाला इंसान बड़ी-बड़ी मुश्किलों से बचता है। वह आसानी से भावनाओं में नहीं बहता और दूसरों के साथ मधुर रिश्ता बनाए रखता है। उतावले लोगों के मुकाबले वह जल्दी गुस्सा नहीं होता, न ही बेवजह चिंता करता है या मायूस हो जाता है। दूसरी वजह, परमेश्वर के दोस्त बने रहने के लिए ज़रूरी है कि हम गलत इच्छाओं पर काबू पाएँ और लुभाए जाने पर गलत काम न करें। आदम और हव्वा ऐसा करने से चूक गए। (उत्प. 3:6) उनकी तरह आज भी कई लोग संयम नहीं रखते और इसके बुरे अंजाम भुगतते हैं।

4. जिनके लिए संयम का गुण दिखाना आसान नहीं, उन्हें किस बात से हिम्मत मिल सकती है?

4 यहोवा जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और हमारे लिए संयम रखना आसान नहीं। लेकिन वह हमारी मदद करना चाहता है ताकि हम अपनी पापी इच्छाओं को काबू में रख सकें। (1 राजा 8:46-50) कुछ लोग अपनी भावनाओं और इच्छाओं को काबू में करने की कोशिश करते हैं, मगर कभी-कभी वे नाकाम हो जाते हैं। यहोवा एक प्यारे दोस्त की तरह उन्हें बढ़ावा देता है कि वे हिम्मत न हारें। इस लेख में हम यहोवा की बेहतरीन मिसाल पर गौर करेंगे। फिर हम बाइबल से कुछ अच्छी और बुरी मिसालों पर ध्यान देंगे। इसके बाद, हम उन सुझावों पर गौर करेंगे जिससे हम और भी अच्छी तरह संयम रख पाएँगे।

यहोवा की बेहतरीन मिसाल

5, 6. संयम रखने में यहोवा ने कैसे एक बढ़िया मिसाल रखी?

5 यहोवा का हर काम खरा है इसलिए जब वह संयम का गुण दिखाता है, तो कोई उसमें खोट नहीं निकाल सकता। (व्यव. 32:4) लेकिन हमारे बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। फिर भी, यहोवा की मिसाल पर ध्यान देने से हम यह गुण और अच्छी तरह दिखा सकेंगे। यहोवा ने किस तरह यह लाजवाब गुण दिखाया?

6 अदन के बाग में हुई घटना के बारे में सोचिए। जब शैतान ने यहोवा के खिलाफ बगावत की, तो वफादार स्वर्गदूत गुस्से और नफरत से भर गए होंगे। जब आप गौर करते हैं कि शैतान की वजह से कितनी तबाही मची है, तो शायद आप भी उन स्वर्गदूतों के जैसा महसूस करें। बेशक अदन के बाग में शैतान ने जो सवाल खड़ा किया था, उसका जवाब देना ज़रूरी था। लेकिन यहोवा ने उतावली नहीं की। उसने बहुत सोच-समझकर कदम उठाया। उसने शैतान को अपना दावा साबित करना का मौका दिया। इस तरह उसने दिखाया कि वह क्रोध करने में धीमा है और न्याय का परमेश्वर है। (निर्ग. 34:6; अय्यू. 2:2-6) लेकिन यहोवा ने इतना वक्‍त क्यों दिया? क्योंकि वह नहीं चाहता है कि कोई भी नाश हो, “बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।”​—2 पत. 3:9.

7. हम यहोवा की मिसाल से क्या सीखते हैं?

7 यहोवा से हम सीखते हैं कि हमें उतावली में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। जब आपको कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो पहले रुककर उस बारे में सोचिए, तभी आप समझ से काम ले पाएँगे। यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह आपको सही बात कहने या सही कदम उठाने की बुद्धि दे। (भज. 141:3) गुस्से में एक इंसान अकसर बिना सोचे-समझे कुछ भी कह देता है या कर बैठता है। कइयों के साथ ऐसा हुआ है मगर बाद में उन्हें बहुत पछतावा हुआ है।​—नीति. 14:29; 15:28; 19:2.

संयम की अच्छी और बुरी मिसालें

8. (क) संयम की अच्छी मिसालें कहाँ दी गयी हैं? (ख) यूसुफ किस वजह से संयम रख पाया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

8 क्या आपको बाइबल में दी कोई मिसाल याद है जो दिखाती है कि संयम रखना बहुत ज़रूरी है? आपको शायद याकूब के बेटे यूसुफ की मिसाल याद आए जिसने लुभाए जाने पर गलत कदम उठाने से खुद को रोका था। वह पहरेदारों के सरदार पोतीफर के घर में सेवा करता था। पोतीफर की पत्नी ने देखा कि यूसुफ ‘दिखने में बड़ा सजीला और मज़बूत कद-काठी का है।’ वह उस पर डोरे डालने लगी और बार-बार उससे कहने लगी कि वह उसके साथ सोए। यूसुफ किस वजह से संयम रख पाया? उसने ज़रूर सोचा होगा कि इसके क्या बुरे अंजाम हो सकते हैं। फिर जब एक दिन पोतीफर की पत्नी ने ज़बरदस्ती यूसुफ को पकड़ा तो वह वहाँ से भाग गया। यूसुफ का कहना था, “भला मैं इतना बड़ा दुष्ट काम करके परमेश्वर के खिलाफ पाप कैसे कर सकता हूँ?”​—उत्प. 39:6, 9; नीतिवचन 1:10 पढ़िए।

9. बुरे कामों से दूर रहने के लिए आप खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं?

9 यूसुफ की मिसाल से हम क्या सीखते हैं? यही कि जब परमेश्वर का कानून तोड़ने के लिए हमें लुभाया जाता है, तो हमें ऐसे हालात से दूर भागना चाहिए। सच्चाई में आने से पहले कुछ लोगों में ड्रग्स लेने, सिगरेट पीने, नाजायज़ यौन-संबंध रखने, हद-से-ज़्यादा खाने-पीने जैसी बुरी आदतें थीं। हो सकता है, बपतिस्मा लेने के बाद भी वे कभी-कभी उन कामों को करने के लिए लुभाए जाएँ। अगर आपके सामने ऐसे हालात आएँ, तो ज़रा सोचिए कि इससे यहोवा के साथ आपके रिश्ते पर क्या असर पड़ेगा। इसके अलावा, पहले से सोचकर रखिए कि किन हालात में आप पर बुरे काम करने का दबाव आ सकता है और उन हालात से दूर रहिए। (भज. 26:4, 5; नीति. 22:3) हमेशा यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह आपको बुद्धि दे और संयम रखने में आपकी मदद करे।

10, 11. (क) आज स्कूल में नौजवानों को किस परीक्षा का सामना करना पड़ता है? (ख) मसीही नौजवान गलत काम के दबाव का कैसे सामना कर सकते हैं?

10 आज कई मसीही नौजवानों के सामने कुछ वैसी ही परीक्षाएँ आती हैं जैसे यूसुफ के सामने आयी थीं। किम नाम की बहन का उदाहरण लीजिए। उसकी क्लास के बच्चे शनिवार-रविवार के दिन मौज-मस्ती और सेक्स करते हैं। फिर वे स्कूल आकर इस बारे में शेखी मारते हैं। लेकिन किम उनसे बिलकुल अलग है और कबूल करती है कि इस वजह से वह कभी-कभी खुद को “अकेला” महसूस करती है। उसके साथी उससे कहते हैं, “तू एक नंबर की बेवकूफ है जो लड़कों के साथ डेट पर नहीं जाती।” मगर किम अच्छी तरह जानती है कि जवानी में सेक्स करने की इच्छा ज़बरदस्त होती है। इसलिए डेट पर न जाकर वह दरअसल समझदारी दिखा रही है। (2 तीमु. 2:22) उसके साथी अकसर उससे पूछते हैं, “क्या तूने अब तक सेक्स नहीं किया?” किम इस मौके का फायदा उठाकर उन्हें समझाती है कि वह क्यों शादी से पहले सेक्स नहीं करना चाहती। हमें उन नौजवानों पर नाज़ है जो ऐसे दबावों का डटकर सामना करते हैं। यहोवा को भी उन पर बहुत नाज़ है!

11 बाइबल में ऐसे लोगों की मिसाल भी दी गयी हैं जिन्होंने सेक्स के मामले में संयम नहीं रखा और इस वजह से उन्हें बुरे अंजाम भुगतने पड़े। अगर एक मसीही के सामने किम के जैसे हालात आते हैं, तो उसे नीतिवचन अध्याय 7 पढ़ना चाहिए और उसमें बताए नादान नौजवान से सबक सीखना चाहिए। उसे इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि अम्नोन ने क्या किया और उसकी करतूत के क्या भयानक अंजाम हुए। (2 शमू. 13:1, 2, 10-15, 28-32) माँ-बाप पारिवारिक उपासना के दौरान इन मिसालों पर बच्चों के साथ चर्चा कर सकते हैं। इस तरह उनके बच्चे समझ पाएँगे कि संयम रखना और समझ से काम लेना कितना ज़रूरी है।

12. (क) यूसुफ ने कैसे अपने भाइयों के सामने अपनी भावनाओं पर काबू रखा? (ख) हमें किन हालात में संयम रखना चाहिए?

12 यूसुफ ने एक और मौके पर संयम का गुण दिखाया। जब उसके भाई खाना खरीदने मिस्र आए, तो यूसुफ देखना चाहता था कि वे बदल गए हैं या नहीं। इसलिए उसने अपनी पहचान उनसे छिपाए रखी। एक बार जब अपने भाइयों को देखकर उसका दिल भर आया, तब वह उनके सामने से चला गया ताकि अकेले में रो सके। (उत्प. 43:30, 31; 45:1) यूसुफ की मिसाल से आप क्या सीखते हैं? अगर कोई मसीही भाई नासमझी का काम करता है, तो खुद पर काबू रखने से आप उतावली में आकर कोई काम नहीं करेंगे। (नीति. 16:32; 17:27) अगर आपके किसी रिश्तेदार का बहिष्कार हुआ है तब आपको अपनी भावनाओं को काबू में रखना चाहिए ताकि आप छोटी-छोटी बात पर उससे मेल-जोल न रखें। ऐसे हालात में संयम रखना आसान नहीं। लेकिन याद रखिए ऐसा करने से आप यहोवा की मिसाल पर चल रहे होंगे और उसकी आज्ञा मान रहे होंगे।

13. राजा दाविद के साथ जो हुआ उससे हम क्या सीखते हैं?

13 अब राजा दाविद की मिसाल पर गौर कीजिए। उसके पास बहुत ताकत और अधिकार था। मगर जब शाऊल और शिमी ने उसे गुस्सा दिलाने की कोशिश की तो उसने खुद पर काबू रखा और अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं किया। (1 शमू. 26:9-11; 2 शमू. 16:5-10) लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दाविद ने हर बार खुद पर संयम रखा। उसने बतशेबा के साथ पाप किया और एक मौके पर नाबाल को मारने निकल पड़ा। (1 शमू. 25:10-13; 2 शमू. 11:2-4) फिर भी हम दाविद से कुछ अनमोल सबक सीखते हैं। एक, निगरानी करनेवाले भाइयों को खास तौर पर संयम बरतना चाहिए ताकि वे अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल न करें। दो, किसी को भी खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए, न ही यह सोचना चाहिए कि वह किसी परीक्षा में नहीं गिरेगा।​—1 कुरिं. 10:12.

संयम बढ़ाने के कुछ सुझाव

14. एक भाई के साथ क्या हुआ? ऐसे हालात में हमारा रवैया क्यों मायने रखता है?

14 आप अपने अंदर संयम का गुण कैसे बढ़ा सकते हैं? आइए ध्यान दें कि लूइजी नाम के एक भाई के साथ क्या हुआ। एक आदमी ने उसकी गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी। गलती उस आदमी की थी फिर भी वह लूइजी को बुरा-भला कहने लगा और उससे झगड़ने लगा। लूइजी ने छोटी-सी प्रार्थना की ताकि वह अपना आपा न खोए। यही नहीं, उसने उस आदमी को शांत करने की कोशिश की, फिर भी वह चिल्लाता रहा। लूइजी ने उस आदमी की इंशौरन्स की जानकारी ली और वहाँ से चुपचाप चला गया। एक हफ्ते बाद लूइजी एक औरत के यहाँ वापसी भेंट करने गया। उसे पता चला कि उसका पति वही आदमी है जिसने उसे टक्कर मारी थी। वह आदमी बहुत शर्मिंदा था और उसने अपने बुरे बरताव के लिए माफी माँगी। उसने यह भी कहा कि वह इंशौरन्स कंपनी को फोन करेगा ताकि लूइजी को जल्द-से-जल्द मुआवज़ा मिल सके। फिर उस आदमी ने अपनी पत्नी के साथ बैठकर लूइजी की बातें सुनीं। उसे बाइबल की बातें बहुत अच्छी लगीं। इस अनुभव से लूइजी ने सीखा कि शांत रहने के कितने अच्छे नतीजे मिलते हैं! अगर उसने अपना आपा खोया होता तो शायद इसका अंजाम कुछ और ही होता।​—2 कुरिंथियों 6:3, 4 पढ़िए।

शांत रहने से या आपा खोने से हमारी सेवा पर अच्छा या बुरा असर हो सकता है (पैराग्राफ 14 देखिए)

15, 16. बाइबल का अध्ययन करने से कैसे आप और आपका परिवार संयम का गुण बढ़ा सकता है?

15 बाइबल का नियमित तौर पर और गहराई से अध्ययन करने से एक मसीही संयम का गुण बढ़ा सकता है। याद कीजिए कि परमेश्वर ने यहोशू से क्या कहा था, “कानून की इस किताब को अपने मुँह से दूर न करना, दिन-रात इसे धीमी आवाज़ में पढ़ना ताकि तू इसकी एक-एक बात का पालन कर सके। तब तू कामयाब होगा और बुद्धिमानी से चल पाएगा।” (यहो. 1:8) बाइबल का अध्ययन किस तरह आपकी मदद कर सकता है?

16 हमने अब तक देखा कि बाइबल में ऐसी कई मिसालें हैं जो दिखाती हैं कि संयम रखने के अच्छे नतीजे होते हैं और संयम न रखने के बुरे अंजाम होते हैं। यहोवा ने ये मिसालें इसलिए दर्ज़ करवायीं कि हम इनसे सीख सकें। (रोमि. 15:4) इसलिए बाइबल में दी उन घटनाओं को पढ़िए, उनका अध्ययन कीजिए और उन पर मनन कीजिए! यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि ये बातें आप पर और आपके परिवार पर कैसे लागू होती हैं। यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह सीखी बातों पर चलने में आपकी मदद करे। अगर आपको पता चलता है कि आप कुछ मामलों में संयम नहीं रख पाते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? अपनी कमज़ोरी को कबूल कीजिए। इस बारे में प्रार्थना कीजिए और सुधार करने की कोशिश कीजिए। (याकू. 1:5) हमारे प्रकाशनों में खोजबीन करने से भी आपको मदद मिल सकती है।

17. माँ-बाप किन तरीकों से अपने बच्चों में संयम का गुण बढ़ा सकते हैं?

17 संयम का गुण बढ़ाने में माँ-बाप अपने बच्चों की मदद कर सकते हैं। आप जानते हैं कि यह गुण बच्चों में पैदाइशी नहीं होता। बाकी गुणों की तरह संयम का गुण भी वे आप ही से सीखते हैं। इसलिए एक अच्छी मिसाल रखिए। (इफि. 6:4) अगर आपका बच्चा अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता, तो खुद से पूछिए, ‘क्या आप उसके लिए एक अच्छी मिसाल रख रहे हैं?’ नियमित तौर पर प्रचार में और सभाओं में जाने से और पारिवारिक उपासना करने से आपके बच्चे पर अच्छा असर होगा। आपको उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की ज़रूरत नहीं। यहोवा ने आदम और हव्वा के लिए हदें ठहरायी थीं और उन्हें मानकर वे उसके अधिकार का आदर कर सकते थे। उसी तरह, जब आप अपने बच्चे को सिखाते-समझाते हैं और उसके लिए अच्छी मिसाल रखते हैं तो वह संयम का गुण बढ़ा पाता है। जब आपका बच्चा परमेश्वर के अधिकार और उसके स्तरों का आदर करता है, तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है!​—नीतिवचन 1:5, 7, 8 पढ़िए।

18. आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि अच्छी संगति से आपको फायदा होगा?

18 सोच-समझकर दोस्त चुनना भी ज़रूरी है, फिर चाहे आप एक माता-पिता हों या न हों। ऐसे दोस्त चुनिए जो आपको परमेश्वर की सेवा में लक्ष्य हासिल करने का बढ़ावा दें। इससे आप मुसीबत में पड़ने से बचेंगे। (नीति. 13:20) प्रौढ़ मसीहियों की संगति का आप पर अच्छा असर होगा। जब आप देखेंगे कि किस तरह उन्होंने अपनी ज़िंदगी में संयम दिखाया है तो आप भी वैसा करने के लिए उभारे जाएँगे। बेशक आपके अच्छे चालचलन से आपके दोस्तों का भी हौसला बढ़ेगा। जी हाँ, संयम का गुण बढ़ाने से आप यहोवा की मंज़ूरी पाएँगे, ज़िंदगी में खुश रहेंगे और अपने अज़ीज़ों के साथ अच्छा वक्‍त बिता पाएँगे।