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बुज़ुर्ग मसीहियो​—यहोवा आपकी वफादारी की बहुत कदर करता है

बुज़ुर्ग मसीहियो​—यहोवा आपकी वफादारी की बहुत कदर करता है

पूरी दुनिया में प्राचीन उन ज़िम्मेदारियों की बहुत कदर करते हैं, जो उन्हें परमेश्‍वर के संगठन में दी जाती हैं। ये प्राचीन हम सबके लिए मानो एक तोहफा हैं। इस तोहफे के लिए हम बहुत एहसानमंद हैं! लेकिन कुछ समय पहले एक फेरबदल किया गया था। बुज़ुर्ग प्राचीनों से कहा गया कि वे अपनी कुछ बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ जवान प्राचीनों को दे दें। ये किस तरह की ज़िम्मेदारियाँ थीं?

सर्किट निगरानों और क्षेत्रीय शिक्षकों को हिदायत दी गयी कि वे अपनी खास ज़िम्मेदारियाँ 70 साल की उम्र तक ही निभा सकते हैं। * बाकी प्राचीनों को भी हिदायत दी गयी कि 80 साल के होने पर वे अपनी अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ जवान प्राचीनों को दें, जैसे, शाखा-समिति के संयोजक की या प्राचीनों के निकाय के संयोजक की ज़िम्मेदारी। जब हमारे प्यारे बुज़ुर्ग प्राचीनों को इस फेरबदल के बारे में पता चला, तो उन्होंने क्या किया? उन्होंने इस बदलाव के मुताबिक कदम उठाया और यहोवा की सेवा करते रहे और उसके संगठन का साथ देते रहे।

कैन नाम के भाई ने करीब 49 सालों तक शाखा-समिति के संयोजक के तौर पर सेवा की। वे बताते हैं, “मैं इस फैसले से पूरी तरह सहमत था। दरअसल, जिस दिन मुझे इस बारे में पता चला, उसी दिन सुबह मैंने यहोवा से प्रार्थना की थी कि संयोजक की ज़िम्मेदारी किसी जवान भाई को दी जाए, तो अच्छा होगा।” पूरी दुनिया में जो बुज़ुर्ग भाई हैं, वे भी कैन की तरह महसूस करते हैं। हाँ, यह ज़रूर है कि पहले उन्हें थोड़ा दुख हुआ, क्योंकि उन्हें भाई-बहनों की सेवा करना बहुत अच्छा लगता है।

एस्परानडीयू नाम के एक भाई प्राचीनों के निकाय के संयोजक थे। वे कहते हैं, ‘मैं थोड़ा दुखी तो हो गया था। लेकिन फिर मुझे लगा कि यह सही है, क्योंकि मुझे अपनी सेहत का खयाल रखना पड़ता है, जिसमें काफी वक्‍त लग जाता है।’ आज भी भाई एस्परानडीयू वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं और उनकी सेवा से मंडली को बहुत फायदा हो रहा है।

कुछ भाई काफी सालों से सफरी निगरान के तौर पर सेवा कर रहे थे। जब उनसे कहा गया कि अब वे अलग तरह की सेवा करेंगे, तो उन्हें कैसा लगा? अड़तीस साल से सफरी निगरान के तौर पर सेवा करनेवाले भाई एलन कहते हैं, “जब मुझे इस बारे में पता चला, तो मेरे दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया।” फिर भी उन्होंने समझा कि इस काम के लिए जवान भाइयों को प्रशिक्षण देना फायदेमंद रहेगा। भाई एलन अब भी वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

भाई रसल ने 40 साल तक सफरी निगरान और क्षेत्रीय शिक्षक के तौर पर सेवा की। उनका कहना है कि जब उन्हें और उनकी पत्नी को इस बदलाव के बारे में पता चला, तो वे निराश हो गए। वे कहते हैं, “हमें अपनी इस सेवा से बहुत लगाव था और हम सोचते थे कि यह सेवा करते रहने की अब भी हममें ताकत है।” फिर भी भाई रसल और उनकी पत्नी ने इस बदलाव को स्वीकार किया। उन्हें जो प्रशिक्षण मिला था और उनके पास जो तजुरबा है, उसकी वजह से अब वे अपनी मंडली के भाई-बहनों की मदद कर रहे हैं। उनकी मदद पाकर भाई-बहन बहुत खुश हैं।

हो सकता है कि इस बदलाव का असर आप पर न हुआ हो। लेकिन अगर आप 2 शमूएल में दिए ब्यौरे पर ध्यान दें, तो आप उन भाई-बहनों की भावनाएँ समझ सकेंगे, जिन पर इस बदलाव का असर हुआ है।

एक आदमी जो अपनी हदें जानता था

ज़रा वह घटना याद कीजिए, जब राजा दाविद के बेटे अबशालोम ने विद्रोह किया था। दाविद यरूशलेम से महनैम भाग गया, जो यरदन नदी के पूरब में था। वहाँ पहुँचने पर दाविद और जो लोग उसके साथ थे, उन्हें ज़रूरत की चीज़ें चाहिए थीं। क्या आपको याद है, तब क्या हुआ था?

आस-पास की जगहों के तीन आदमियों ने दाविद पर उदारता की। वे उनके लिए बिस्तर, तरह-तरह की खाने-पीने की चीज़ें और ज़रूरी बरतन ले आए। इन आदमियों में से एक था, बरजिल्लै। (2 शमू. 17:27-29) फिर विद्रोह खत्म हो जाने पर दाविद वापस यरूशलेम जाने के लिए निकल पड़ा। उसे विदा करने बरजिल्लै यरदन नदी तक आया। दाविद ने उससे गुज़ारिश की कि वह भी उसके साथ यरूशलेम चले। बरजिल्लै “एक अमीर आदमी था” और उसे खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी, फिर भी दाविद ने उससे कहा कि वह उसके खाने-पीने का खयाल रखेगा। (2 शमू. 19:31-33) उसने सोचा होगा कि बरजिल्लै उसे बढ़िया सलाह दे सकता है, क्योंकि उसे सालों का तजुरबा है। शायद इसी वजह से वह उसे अपने साथ ले जाना चाहता था। बरजिल्लै के पास भी यह एक बढ़िया मौका था कि वह महल में रहे और राज-दरबार में काम करे।

लेकिन बरजिल्लै अपनी हदें जानता था। उसने दाविद से कहा, “तेरा यह दास 80 साल का हो गया है। क्या अब मैं अच्छे-बुरे में फर्क कर सकता हूँ?” उसने ऐसा क्यों कहा? इतनी उम्र में तो उसमें काफी बुद्धि रही होगी, जिससे वह अच्छी सलाह दे सकता था, जैसे सालों बाद कुछ “बुज़ुर्गों” ने राजा रहूबियाम को अच्छी सलाह दी थी। (1 राजा 12:6, 7; भज. 92:12-14; नीति. 16:31) दरअसल बरजिल्लै के कहने का मतलब था कि उम्र ढलने की वजह से अब वह काफी कमज़ोर हो गया है और ज़्यादा कुछ नहीं कर पाता। उसके मुँह का स्वाद चला गया है और उसे कम सुनायी पड़ता है। (सभो. 12:4, 5) इस वजह से बरजिल्लै ने दाविद से बिनती की कि वह उसके बदले जवान आदमी किमहाम को यरूशलेम ले जाए। शायद किमहाम बरजिल्लै का बेटा था।​—2 शमू. 19:35-40.

संगठन ने आगे की सोची

लेख की शुरूआत में उम्र से जुड़े जिस बदलाव के बारे में बताया गया है, उसके पीछे कुछ वही वजह थी, जो बरजिल्लै ने बतायी थी। लेकिन यह बदलाव करने का फैसला किसी एक इंसान के हालात और काबिलीयत के आधार पर नहीं किया जा सकता था। इसके बजाय पूरी दुनिया में जो वफादार प्राचीन सेवा कर रहे हैं, उनकी भलाई को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया।

ये नम्र बुज़ुर्ग भाई देख सकते थे कि जो ज़िम्मेदारियाँ वे सालों से निभाते आए हैं, अगर वे जवान भाइयों को दी जाएँ, तो यहोवा का संगठन मज़बूत होगा और तरक्की करेगा। बहुत-से मामलों में इन्हीं बुज़ुर्ग भाइयों ने जवान भाइयों को प्रशिक्षण दिया, जैसे बरजिल्लै ने शायद अपने बेटे को और प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस को प्रशिक्षण दिया था। (1 कुरिं. 4:17; फिलि. 2:20-22) इन जवान भाइयों ने साबित किया कि अब वे “आदमियों के रूप में तोहफे” हैं और वे इस काबिल हैं कि ‘मसीह के शरीर को बढ़ाने में’ मदद करें।​—इफि. 4:8-12; गिनती 11:16, 17, 29 से तुलना करें।

सेवा करने के अलग-अलग तरीके

जैसे हमने देखा, बहुत-से बुज़ुर्ग प्राचीनों ने अपनी कुछ ज़िम्मेदारियाँ जवान प्राचीनों को दे दी हैं। अब ये बुज़ुर्ग प्राचीन दूसरे तरीकों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

भाई मार्को 19 साल तक सफरी निगरान के तौर पर सेवा कर चुके हैं। वे कहते हैं, “अब मैं जिस मंडली में हूँ, वहाँ कुछ बहनों के पति सच्चाई में नहीं हैं। मैं खास तौर पर उनके पतियों से मिलने की कोशिश करता हूँ।”

भाई ज़रालडू 28 साल सफरी निगरान रह चुके हैं। वे कहते हैं, “हमने कुछ नए लक्ष्य रखे हैं, जैसे, सच्चाई में कमज़ोर भाई-बहनों की मदद करना और ज़्यादा-से-ज़्यादा बाइबल अध्ययन चलाना।” वे बताते हैं कि वे और उनकी पत्नी मिलकर 15 बाइबल अध्ययन चला रहे हैं और अब ऐसे कई भाई-बहन सभाओं में आने लगे हैं, जो पहले नहीं आते थे।

भाई एलन का कहना है, “अब हम अलग-अलग तरीकों से प्रचार करने में काफी वक्‍त दे पाते हैं। जैसे, सरेआम गवाही देना और बिज़नेस इलाकों में प्रचार करना। हम अपने पड़ोसियों को भी गवाही दे पाते हैं। हमारे दो पड़ोसी तो सभाओं में भी आए। इन सब तरीकों से प्रचार करना हमें बहुत अच्छा लगता है।”

अगर आप इसी तरह के बुज़ुर्ग प्राचीनों में से एक हैं और वफादारी से सेवा कर रहे हैं, तो आप एक और खास तरीके से संगठन के काम में सहयोग दे सकते हैं। आपने अपनी ज़िंदगी में जो अनमोल बातें सीखी हैं, वे आप मंडली के जवान भाइयों को सिखा सकते हैं। भाई रसल, जिनका ज़िक्र पहले भी हुआ है, कहते हैं, “यहोवा कई अच्छे और काबिल जवानों को प्रशिक्षण दे रहा है और उन्हें ज़िम्मेदारियाँ सौंप रहा है। ये जवान जिस तरह जोश से सिखाते हैं और भाई-बहनों की देखभाल करते हैं, उससे भाइयों की पूरी बिरादरी को फायदा हो रहा है!”​—“ अपनी काबिलीयत बढ़ाने में जवान भाइयों की मदद कीजिए” नाम का बक्स देखिए।

यहोवा आपकी वफादारी की बहुत कदर करता है

अगर हाल ही में आपकी ज़िम्मेदारी बदल गयी है, तो निराश मत होइए। आपने पहले जो कड़ी मेहनत की, उसका बहुत-से लोगों की ज़िंदगी पर अच्छा असर हुआ है। आप अब भी लोगों की ज़िंदगी पर असर कर सकते हैं। आपसे भाई-बहन पहले भी प्यार करते थे और आगे भी करते रहेंगे।

सबसे बड़ी बात, आपने यहोवा के दिल पर अच्छी छाप छोड़ी है। वह ‘आपके काम और उस प्यार को नहीं भूलेगा, जो आपको उसके नाम के लिए है यानी कैसे आपने पवित्र जनों की सेवा की है और अब भी कर रहे हैं।’ (इब्रा. 6:10) यह आयत हमें यकीन दिलाती है कि परमेश्‍वर न सिर्फ हमारे उन कामों को याद रखता है, जो हमने पहले किए थे, बल्कि उन कामों को भी याद रखता है, जो आज हम कर रहे हैं। बुज़ुर्ग मसीहियो, आप यहोवा की नज़र में बहुत अनमोल हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता कि यहोवा आपकी वह मेहनत भूल जाए, जो आपने उसे खुश करने के लिए पहले की थी और आज भी कर रहे हैं।

शायद आप एक ऐसे मसीही हों, जिसकी ज़िम्मेदारी न बदली हो। फिर भी इस बदलाव का आप पर असर हो सकता है। वह कैसे?

अगर कोई वफादार बुज़ुर्ग भाई आपकी मंडली में है, जिसकी ज़िम्मेदारी बदल गयी है, तो उसकी संगति से आपको काफी फायदा हो सकता है। आप उसके तजुरबे और उसकी समझदारी से बहुत-कुछ सीख सकते हैं। उससे सलाह लीजिए, सुझाव माँगिए। यह भी ध्यान दीजिए कि आज वह भाई जो ज़िम्मेदारी सँभाल रहा है, उसमें वह अपनी सेवा के दौरान सीखी हुई बातें कैसे लागू कर रहा है।

चाहे आप एक बुज़ुर्ग प्राचीन हों, जिनकी ज़िम्मेदारी बदल गयी है या फिर ऐसे बुज़ुर्गों से सीखनेवाले जवान भाई या बहन हों, आप सब एक बात याद रख सकते हैं। वह यह कि यहोवा उन लोगों की वफादारी की बहुत कदर करता है, जिन्होंने काफी सालों तक उसकी सेवा की है और अब भी कर रहे हैं।

^ पैरा. 3 क्षेत्रीय शिक्षक वे प्राचीन हैं, जो राज प्रचारकों के लिए स्कूल, मंडली के प्राचीनों के लिए स्कूल और सर्किट निगरानों और उनकी पत्नियों के लिए स्कूल में सिखाते हैं।