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अध्ययन लेख 39

‘देखो! एक बड़ी भीड़’

‘देखो! एक बड़ी भीड़’

‘देखो मैंने क्या देखा! एक बड़ी भीड़, जिसे कोई आदमी गिन नहीं सकता, राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है।’—प्रका. 7:9.

गीत 60 ज़िंदगी दाँव पर लगी है

लेख की एक झलक *

1. ईसवी सन्‌ 95 के आस-पास प्रेषित यूहन्‍ना किन मुश्‍किलों का सामना कर रहा था?

बात ईसवी सन्‌ 95 के आस-पास की है। प्रेषित यूहन्‍ना कई मुश्‍किलों का सामना कर रहा था। वह बूढ़ा हो गया था और उसे पतमुस नाम के द्वीप में कैद किया गया था। ऐसा मालूम होता है कि प्रेषितों में वही ज़िंदा रह गया था, बाकी सभी की मौत हो चुकी थी। (प्रका. 1:9) इसके अलावा उसे यह भी खबर मिली कि विरोधी, मसीहियों को झूठी बातें सिखा रहे थे और मंडलियों में फूट डाल रहे थे। यूहन्‍ना को ऐसा लगा होगा जैसे जल्द ही सच्चे मसीहियों का नामो-निशान मिट जाएगा।—यहू. 4; प्रका. 2:15, 20; 3:1, 17.

प्रेषित यूहन्‍ना ने “एक बड़ी भीड़” देखी जो सफेद चोगे पहने और हाथों में खजूर की डालियाँ लिए खड़ी है (पैराग्राफ 2 देखें)

2. प्रकाशितवाक्य 7:9-14 के मुताबिक यूहन्‍ना ने भविष्य के बारे में क्या दर्शन देखा? (बाहर दी तसवीर देखें।)

2 जब यूहन्‍ना इन मुश्‍किल हालात से गुज़र रहा था, तो परमेश्‍वर ने उसे भविष्य के बारे में एक रोमांचक दर्शन दिखाया। दर्शन में स्वर्गदूतों से कहा गया कि वे महा-संकट की विनाशकारी हवाओं को तब तक थामे रहें, जब तक कि दासों के एक समूह पर आखिरी मुहर नहीं लगायी जाती। (प्रका. 7:1-3) यह समूह 1,44,000 जनों से मिलकर बना है और ये लोग यीशु के साथ स्वर्ग में राज करेंगे। (लूका 12:32; प्रका. 7:4) फिर यूहन्‍ना एक और समूह को देखता है, जो इतना बड़ा है कि वह कहता है, ‘इसके बाद देखो मैंने क्या देखा! सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं में से निकली एक बड़ी भीड़, जिसे कोई आदमी गिन नहीं सकता, राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है।’ (प्रकाशितवाक्य 7:9-14 पढ़िए।) यूहन्‍ना को यह जानकर बहुत खुशी हुई होगी कि भविष्य में लाखों की तादाद में लोग सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करेंगे।

3. (क) यूहन्‍ना के दर्शन से हमारा विश्‍वास क्यों मज़बूत होना चाहिए? (ख) इस लेख में हम क्या सीखेंगे?

3 यह दर्शन देखकर यूहन्‍ना का विश्‍वास ज़रूर मज़बूत हुआ होगा। इससे हमारा विश्‍वास और भी मज़बूत होना चाहिए क्योंकि हम उस समय में जी रहे हैं, जब यह दर्शन पूरा हो रहा है। आज लाखों लोगों को इकट्ठा किया जा रहा है, जो महा-संकट से ज़िंदा बच निकलने और धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते हैं। इस लेख में हम सीखेंगे कि करीब 80 साल पहले यहोवा ने किस तरह बड़ी भीड़ की पहचान अपने लोगों पर ज़ाहिर की। फिर हम बड़ी भीड़ के बारे में दो बातों पर ध्यान देंगे: (1) यह बहुत बड़ी होगी और (2) इसके लोग दुनिया के अलग-अलग देशों से होंगे। इन बातों पर मनन करने से उन सभी का विश्‍वास मज़बूत होगा, जो बड़ी भीड़ का हिस्सा होना चाहते हैं।

बड़ी भीड़ के लोग कहाँ रहेंगे?

4. (क) ईसाईजगत के चर्च बाइबल की कौन-सी शिक्षा नहीं समझ पाए हैं? (ख) बाइबल विद्यार्थी कैसे उनसे अलग थे?

4 बाइबल सिखाती है कि एक समय आनेवाला है, जब परमेश्‍वर की आज्ञा माननेवाले इंसान धरती पर हमेशा जीएँगे। लेकिन ईसाईजगत में आम तौर पर यह शिक्षा नहीं दी जाती। (2 कुरिं. 4:3, 4) आज ज़्यादातर चर्चों में यही सिखाया जाता है कि अच्छे लोग मरने के बाद स्वर्ग चले जाते हैं। लेकिन बाइबल विद्यार्थी, जो 1879 से प्रहरीदुर्ग  पत्रिका छाप रहे थे, ऐसी शिक्षा नहीं देते थे। वे अच्छी तरह समझते थे कि परमेश्‍वर धरती को दोबारा फिरदौस बना देगा और आज्ञा माननेवाले लाखों लोग स्वर्ग में नहीं बल्कि इसी धरती पर  हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे। लेकिन ये लोग ठीक कौन होंगे, इसे समझने में बाइबल विद्यार्थियों को वक्‍त लगा।—मत्ती 6:10.

5. बाइबल विद्यार्थियों का 1,44,000 लोगों के बारे में क्या मानना था?

5 बाइबल विद्यार्थियों ने बाइबल से यह भी समझा कि स्वर्ग में यीशु के साथ राज करने के लिए कुछ लोगों को “धरती से खरीदा” जाएगा। (प्रका. 14:3) इन लोगों की कुल गिनती 1,44,000 होगी। ये समर्पित और जोशीले मसीही होंगे जिन्होंने धरती पर रहते वक्‍त वफादारी से परमेश्‍वर की सेवा की थी। लेकिन बड़ी भीड़ के बारे में बाइबल विद्यार्थियों का क्या मानना था?

6. बाइबल विद्यार्थी बड़ी भीड़ के बारे में क्या सोचते थे?

6 दर्शन में यूहन्‍ना ने देखा कि बड़ी भीड़ ‘राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने’ खड़ी है। (प्रका. 7:9) इन शब्दों को पढ़कर बाइबल विद्यार्थी इस नतीजे पर पहुँचे कि 1,44,000 जनों की तरह बड़ी भीड़ के लोग भी स्वर्ग जाएँगे। मगर सवाल उठता है कि अगर 1,44,000 जन और बड़ी भीड़ के लोग स्वर्ग जाएँगे, तो फिर दोनों समूहों में क्या फर्क है? बाइबल विद्यार्थी सोचते थे कि बड़ी भीड़ में ऐसे मसीही शामिल हैं, जो नैतिक तौर पर शुद्ध ज़िंदगी जीते हैं लेकिन जिनमें से कुछ लोग अब भी चर्चों से जुड़े हुए हैं और पूरी तरह से परमेश्‍वर के वफादार नहीं हैं। ऐसे लोग परमेश्‍वर से प्यार तो करते हैं, मगर इतना नहीं कि वे यीशु के साथ राज करने के योग्य हों। इस वजह से बाइबल विद्यार्थियों का मानना था कि बड़ी भीड़ के लोग स्वर्ग में राजगद्दी के सामने  खड़े होने के लायक तो हैं, मगर राजगद्दियों पर बैठने  के लायक नहीं।

7. (क) बाइबल विद्यार्थियों के मुताबिक मसीह के राज में कौन धरती पर जीएँगे? (ख) बाइबल विद्यार्थी पुराने ज़माने के वफादार लोगों के बारे में क्या सोचते थे?

7 अगर 1,44,000 जन और बड़ी भीड़ के लोग स्वर्ग जाते, तो फिर धरती पर कौन रहेंगे? बाइबल विद्यार्थी मानते थे कि जब दोनों समूहों के लोग स्वर्ग चले जाएँगे, तब लाखों की तादाद में दूसरे लोगों को मसीह के हज़ार साल के राज में धरती पर जीवन मिलेगा। लेकिन वे मसीह के राज से पहले  यहोवा की उपासना नहीं करेंगे, बल्कि उन्हें हज़ार साल के दौरान  यहोवा के बारे में सिखाया जाएगा। इसके बाद जो लोग यहोवा के स्तरों पर चलेंगे, उन्हें धरती पर हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी और जो नहीं चलेंगे, उनका नाश कर दिया जाएगा। बाइबल विद्यार्थी यह भी सोचते थे कि हज़ार साल के दौरान कुछ आदमी धरती पर ‘हाकिमों’ के नाते सेवा करेंगे और इसके आखिर में वे स्वर्ग चले जाएँगे। इनमें पुराने ज़माने के वफादार लोग भी होंगे, जो मसीह से पहले जीए थे।—भज. 45:16.

8. बाइबल विद्यार्थियों के मुताबिक कौन-से तीन समूह थे?

8 अब तक हमने जो देखा, उसके आधार पर बाइबल विद्यार्थियों का मानना था कि तीन समूह हैं: (1) यीशु के साथ स्वर्ग में राज करनेवाले 1,44,000 जन; (2) बड़ी भीड़ के लोग, जिनमें पहले समूह के मुकाबले कम जोश होता और जो स्वर्ग में राजगद्दी और मेम्ने के सामने खड़े होते और (3) ऐसे लाखों लोग जिन्हें मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान धरती पर यहोवा के बारे में सिखाया जाता। * लेकिन सही समय आने पर यहोवा ने बाइबल विद्यार्थियों को इस विषय पर और भी समझ दी।—नीति. 4:18.

सच्चाई की रौशनी बढ़ती गयी

सन्‌ 1935 के अधिवेशन में, धरती पर जीने की आशा रखनेवाले कई लोगों ने बपतिस्मा लिया (पैराग्राफ 9 देखें)

9. (क) धरती पर बड़ी भीड़ किस मायने में ‘राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने’ खड़ी है? (ख) प्रकाशितवाक्य 7:9 के बारे में मिली समझ क्यों बिलकुल सही है?

9 सन्‌ 1935 में यहोवा के साक्षियों को इस बारे में साफ समझ मिली कि यूहन्‍ना के दर्शन में बतायी बड़ी भीड़ कहाँ रहेगी। वे समझ गए कि बड़ी भीड़ के लोगों को ‘राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने’ खड़े होने के लिए स्वर्ग जाने की ज़रूरत नहीं है। तो फिर वे किस मायने में “राजगद्दी के सामने” खड़े होते हैं? इस मायने में कि वे यहोवा को सारे जहान का मालिक मानते हैं और उसके अधिकार के अधीन रहते हैं। (यशा. 66:1) वे किस मायने में “मेम्ने के सामने” खड़े होते हैं? यीशु के फिरौती बलिदान पर विश्‍वास करके। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए मत्ती 25:31, 32 पर ध्यान दीजिए। वहाँ लिखा है कि जब यीशु अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा, तब “सब राष्ट्रों के लोग,” जिनमें दुष्ट लोग भी शामिल हैं, उसके “सामने इकट्ठे किए जाएँगे।” ज़ाहिर है कि ये राष्ट्र स्वर्ग में नहीं, बल्कि धरती पर हैं। हमारी समझ में हुआ यह फेरबदल बिलकुल सही है। इससे हम साफ समझ पाते हैं कि बाइबल में बड़ी भीड़ के स्वर्ग जाने का क्यों कहीं कोई ज़िक्र नहीं मिलता। सिर्फ 1,44,000 जनों से वादा किया गया है कि उन्हें स्वर्ग में हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी और वे यीशु के साथ “राजाओं की हैसियत से धरती पर राज करेंगे।”—प्रका. 5:10.

10. बड़ी भीड़ के लोगों को अभी से  यहोवा के बारे में क्यों सीखना चाहिए?

10 सन्‌ 1935 से यहोवा के साक्षी यह मानते आए हैं कि बड़ी भीड़ उन वफादार मसीहियों से बनी है, जिन्हें धरती पर हमेशा जीने की आशा है। महा-संकट से बच निकलने के लिए उन्हें हज़ार साल के दौरान नहीं बल्कि अभी से यहोवा के बारे में सीखना होगा और उसकी उपासना करनी होगी। उन्हें मज़बूत विश्‍वास रखना होगा, ताकि वे मसीह के राज से पहले होनेवाली ‘उन बातों से बच सकें जिनका होना तय है।’—लूका 21:34-36.

11. बाइबल विद्यार्थी यह क्यों मानते थे कि कुछ लोग हज़ार साल के बाद स्वर्ग जाएँगे?

11 बाइबल विद्यार्थियों की इस धारणा के बारे में क्या कहा जा सकता है कि हज़ार साल के बाद धरती से कुछ वफादार लोग स्वर्ग जाएँगे? यह धारणा बहुत साल पहले 15 फरवरी, 1913 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग  में बतायी गयी थी। शायद कुछ लोगों ने सोचा हो: ‘जो मसीही पूरी तरह वफादार नहीं हैं, जब उन्हें स्वर्ग जाने का इनाम मिलेगा, तो पुराने ज़माने के कुछ वफादार लोगों को क्यों नहीं?’ बेशक उस वक्‍त यह गलत सोच इन दो बातों की वजह से थी: (1) बड़ी भीड़ स्वर्ग जाएगी और (2) बड़ी भीड़ उन मसीहियों से मिलकर बनी होगी, जिनमें कम जोश होगा।

12-13. अभिषिक्‍त मसीही और बड़ी भीड़ के लोग अपने इनाम के बारे में क्या बात जानते हैं?

12 जैसे हमने देखा, 1935 में यहोवा के साक्षी अच्छी तरह समझ गए कि यूहन्‍ना के दर्शन में बतायी बड़ी भीड़ के लोग वही हैं जो हर-मगिदोन से ज़िंदा बच निकलेंगे। वे “महा-संकट से निकलकर” इसी धरती पर जीएँगे और ‘ज़ोरदार आवाज़ में बार-बार पुकारकर कहेंगे, “हम अपने उद्धार के लिए अपने परमेश्‍वर का जो राजगद्दी पर बैठा है और मेम्ने का एहसान मानते हैं।”’ (प्रका. 7:10, 14) बाइबल में यह भी बताया गया है कि स्वर्ग में जीवन पानेवालों की आशा, पुराने ज़माने के वफादार लोगों की आशा से “बेहतर” है। (इब्रा. 11:40) यह नयी समझ पाकर भाइयों ने लोगों को यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा देना शुरू किया, ताकि वे भी धरती पर हमेशा जीने की आशा पा सकें।

13 बड़ी भीड़ के लोग अपनी आशा के बारे में सोचकर बहुत खुश होते हैं। वे जानते हैं कि सिर्फ यहोवा को यह तय करने का अधिकार है कि उसके वफादार सेवक स्वर्ग में रहकर उसकी सेवा करेंगे या धरती पर। अभिषिक्‍त मसीही और बड़ी भीड़ के लोग यह भी मानते हैं कि यहोवा की महा-कृपा और उसके बेटे के फिरौती बलिदान की वजह से ही उन्हें अपना-अपना इनाम मिलता है।—रोमि. 3:24.

यह भीड़ वाकई बड़ी है!

14. सन्‌ 1935 के बाद कई लोग यह क्यों सोच रहे थे कि बड़ी भीड़ बड़ी होगी या नहीं?

14 सन्‌ 1935 में बड़ी भीड़ के बारे में साफ समझ मिलने के बाद भी कई लोग सोच रहे थे कि यह भीड़ कैसे बड़ी होगी। उदाहरण के लिए, भाई रॉनल्ड पार्किन 12 साल के थे, जब बड़ी भीड़ की पहचान साफ हुई। वे बताते हैं, “उस वक्‍त दुनिया-भर में करीब 56,000 प्रचारक थे और उनमें से ज़्यादातर लोग अभिषिक्‍त थे। ऐसा नहीं लग रहा था कि बड़ी भीड़ इतनी भी बड़ी होगी।”

15. बड़ी भीड़ की गिनती कैसे बढ़ती गयी है?

15 इसके बाद के सालों में भाई-बहनों को मिशनरियों के तौर पर बहुत-से देशों में भेजा जाने लगा और यहोवा के साक्षियों की गिनती तेज़ी से बढ़ने लगी। फिर 1968 में सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है  किताब से लोगों के साथ बाइबल अध्ययन किया जाने लगा। इस किताब में बाइबल की सच्चाइयाँ सरल तरीके से समझायी गयी थीं और बहुत-से नेकदिल लोग सच्चाई में आए। चार साल के अंदर पाँच लाख से ज़्यादा लोगों ने बपतिस्मा लिया। जब लैटिन अमरीका और दूसरे देशों में कैथोलिक चर्च का दबदबा कम होने लगा साथ ही, पूर्वी यूरोप में और अफ्रीका की कुछ जगहों में हमारे काम पर पाबंदियाँ हटायी गयीं, तो लाखों की तादाद में लोगों ने बपतिस्मा लिया। (यशा. 60:22) हाल के सालों में यहोवा के संगठन ने बाइबल की शिक्षाएँ सिखाने के लिए कई बढ़िया प्रकाशन तैयार किए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि बड़ी भीड़ को इकट्ठा किया जा रहा है, आज इसकी गिनती 80 लाख से भी ज़्यादा है!

अलग-अलग देशों से आयी बड़ी भीड़

16. बड़ी भीड़ कहाँ से इकट्ठी की जा रही है?

16 जब यूहन्‍ना ने दर्शन की बातें लिखीं, तो उसने कहा कि बड़ी भीड़ ‘सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं में से निकलेगी।’ भविष्यवक्‍ता जकरयाह ने भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी की थी। उसने लिखा, “उन दिनों अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों में से दस लोग, एक यहूदी के कपड़े का छोर पकड़ लेंगे। हाँ, वे उसका छोर पकड़कर कहेंगे, ‘हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।’”—जक. 8:23.

17. सब राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों को प्रचार करने के लिए क्या किया जा रहा है?

17 यहोवा के साक्षी यह बात समझते हैं कि अलग-अलग भाषाओं में प्रचार करना ज़रूरी है, तभी ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को इकट्ठा किया जा सकेगा। हम करीब 130 साल से बाइबल पर आधारित प्रकाशन अनुवाद करते आए हैं, पर आज हम सैकड़ों भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं। इतिहास में पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर अनुवाद का काम नहीं हुआ। यहोवा जिस तरह सभी राष्ट्रों से बड़ी भीड़ को इकट्ठा कर रहा है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं। आज इतनी सारी भाषाओं में बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशन मौजूद हैं, इसलिए भले ही बड़ी भीड़ के लोग अलग-अलग देशों से हैं, फिर भी वे एक होकर यहोवा की उपासना करते हैं। वे जोश से प्रचार करने और एक-दूसरे से प्यार करने के लिए जाने जाते हैं। क्या इस बात से हमारा विश्‍वास मज़बूत नहीं होता?—मत्ती 24:14; यूह. 13:35.

यूहन्‍ना का दर्शन हमारे लिए क्या मायने रखता है?

18. (क) यशायाह 46:10, 11 के मुताबिक हमें यह ताज्जुब क्यों नहीं होता कि यहोवा बड़ी भीड़ के बारे में भविष्यवाणी पूरी कर रहा है? (ख) धरती पर जीने की आशा रखनेवाले क्या सोचकर दुखी नहीं होते?

18 इस लेख में हमने बड़ी भीड़ के बारे में जिस भविष्यवाणी पर चर्चा की, क्या उससे हममें खुशी की लहर नहीं दौड़ जाती? यह देखकर हमें कोई ताज्जुब नहीं होता कि यहोवा यह भविष्यवाणी बड़े ही शानदार तरीके से पूरी कर रहा है। (यशायाह 46:10, 11 पढ़िए।) बड़ी भीड़ के लोग अपनी आशा के लिए यहोवा के बहुत एहसानमंद हैं! वे यह सोचकर दुखी नहीं होते कि पवित्र शक्‍ति से उनका अभिषेक नहीं किया गया और वे यीशु के साथ स्वर्ग में राज नहीं करेंगे। बाइबल में ऐसे कई वफादार सेवकों के बारे में बताया गया है, जो 1,44,000 जनों में से नहीं थे, फिर भी उन पर यहोवा की पवित्र शक्‍ति ने ज़बरदस्त तरीके से काम किया था। यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला उनमें से एक था। (मत्ती 11:11) दाविद भी ऐसा ही एक व्यक्‍ति था। (प्रेषि. 2:34) नयी दुनिया में यूहन्‍ना, दाविद और अनगिनत लोगों को धरती पर दोबारा जीवन दिया जाएगा। उन्हें और बड़ी भीड़ के बाकी लोगों को यह साबित करने का मौका मिलेगा कि वे यहोवा के वफादार हैं और उसकी हुकूमत के अधीन हैं।

19. हम जिस समय में जी रहे हैं, उसे ध्यान में रखकर हमें क्या करना चाहिए?

19 इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि यहोवा ने सब राष्ट्रों के लोगों को इकट्ठा किया है और वे मिलकर उसकी उपासना कर रहे हैं। चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, हमें ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को गवाही देनी है, ताकि वे ‘दूसरी भेड़ों’ में गिने जाएँ और बड़ी भीड़ का हिस्सा बनें। (यूह. 10:16) बहुत जल्द यहोवा महा-संकट लानेवाला है और वह उन सभी सरकारों और धर्मों का नामो-निशान मिटा देगा, जो आज तक इंसानों को दुख-तकलीफें पहुँचाते आए हैं। इसके बाद बड़ी भीड़ के सभी लोगों को क्या ही सुनहरा मौका मिलेगा! वे इसी धरती पर हमेशा तक यहोवा की सेवा करेंगे।—प्रका. 7:14.

गीत 139 खुद को नयी दुनिया में देखें!

^ पैरा. 5 इस लेख में हम यूहन्‍ना के दर्शन पर चर्चा करेंगे जो उसने भविष्य के बारे में देखा था। दर्शन में “एक बड़ी भीड़” को इकट्ठा किया जा रहा था। इसमें कोई शक नहीं कि इस दर्शन से उन सभी का विश्‍वास मज़बूत होगा, जो बड़ी भीड़ का हिस्सा हैं।