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अध्ययन लेख 39

जब हमारा कोई अपना यहोवा को छोड़ देता है

जब हमारा कोई अपना यहोवा को छोड़ देता है

“कितनी ही बार उन्होंने . . . उसे दुख पहुँचाया!”​—भज. 78:40.

गीत 102 ‘कमज़ोरों की मदद करें’

लेख की एक झलक *

1. जब किसी व्यक्‍ति का बहिष्कार होता है, तो उसके परिवारवालों को कैसा लगता है?

क्या आपके परिवार के किसी सदस्य का मंडली से बहिष्कार हुआ है? अगर हाँ, तो आपको ज़रूर बहुत दुख पहुँचा होगा। बहन हिल्डा * कहती है, “शादी के 41 साल बाद जब मेरे पति की मौत हुई, तो मुझे लगा कि इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता। लेकिन जब मेरे बेटे ने मंडली से नाता तोड़ दिया और अपने बीवी-बच्चों को भी छोड़ दिया, तो यह दुख मेरे बरदाश्‍त के बिलकुल बाहर था।”

जब कोई यहोवा को छोड़ देता है, तो यहोवा उसके परिवारवालों की तकलीफ समझता है (पैराग्राफ 2-3 देखें) *

2-3. भजन 78:40, 41 के मुताबिक, जब कोई सच्चाई छोड़ देता है, तो यहोवा को कैसा लगता है?

2 यहोवा आपका दर्द अच्छी तरह समझता है, क्योंकि वह भी इस दर्द से गुज़र चुका है। स्वर्ग में उसके कुछ बेटे उसके खिलाफ हो गए थे। (यहू. 6) और धरती पर उसके लोगों ने बार-बार उसका दिल दुखाया था। (भजन 78:40, 41 पढ़िए।) आज भी जब कोई उसे छोड़ देता है, तो उसे बहुत दुख होता है। इसलिए यकीन रखिए कि वह आपकी मदद करेगा और आपकी हिम्मत बँधाएगा।

3 लेकिन उससे मदद पाने के लिए आपको कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। इस लेख में बताया जाएगा कि वे कदम क्या हैं। इसमें यह भी बताया जाएगा कि मंडली के भाई-बहन आपकी मदद कैसे कर सकते हैं। लेकिन आइए पहले जानें कि आपको क्या नहीं करना चाहिए।

खुद को दोष मत दीजिए

4. जब एक बच्चा यहोवा को छोड़ देता है, तो माता-पिता को कैसा लगता है?

4 जब एक बच्चा यहोवा को छोड़ देता है, तो माता-पिता अकसर सोचते हैं कि काश! उन्होंने उसे यहोवा के बारे में और अच्छी तरह सिखाया होता। भाई लूक के बेटे का जब बहिष्कार हुआ, तो उसे भी ऐसा ही लगा। वह कहता है, “मुझे लगा कि इसमें मेरी ही गलती है। मुझे बुरे-बुरे सपने आते थे। कई बार तो मैं फूट-फूटकर रोता था।” बहन एलीज़बेथ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वह सोचती रहती थी, “मेरी परवरिश में कहाँ कमी रह गयी थी कि मेरे बेटे ने सच्चाई छोड़ दी?”

5. जब कोई यहोवा को छोड़ देता है, तो इसमें किसकी गलती होती है?

5 याद रखिए, यहोवा ने हम सबको खुद फैसले लेने की आज़ादी दी है। यानी हरेक को खुद चुनना है कि वह यहोवा की सेवा करेगा या नहीं। (यहो. 24:15) देखा गया है कि जिन नौजवानों के माता-पिता सच्चाई में नहीं थे या जिन्होंने उन्हें यहोवा के बारे में अच्छी तरह नहीं सिखाया, उनमें से कुछ ने यहोवा की सेवा करने का फैसला लिया है। वहीं दूसरी तरफ, ऐसे भी नौजवान हैं, जिनके माता-पिता ने उन्हें यहोवा के बारे में अच्छी तरह सिखाया, लेकिन उन्होंने सच्चाई छोड़ दी। अगर आपके बच्चे ने यहोवा की सेवा करनी छोड़ दी है, तो खुद को दोष मत दीजिए।

6. जब माता या पिता सच्चाई छोड़ देता है, तो बच्चों को कैसा लगता है?

6 कई बार माता-पिता में से कोई, यहोवा को और अपने परिवार को छोड़ देता है। (भज. 27:10) इसका बच्चों पर बहुत बुरा असर होता है, क्योंकि वे अपने मम्मी-पापा से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें बहुत मानते हैं। जब बहन एस्तर के पापा का बहिष्कार हुआ, तो उसके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वह कहती है, “मैं बहुत रोती थी, क्योंकि मैं समझ गयी थी कि वे सिर्फ सच्चाई से दूर नहीं गए हैं। उन्होंने यहोवा को पूरी तरह छोड़ दिया है। मैं अपने पापा से बहुत प्यार करती हूँ। इसलिए मैं सोच-सोचकर परेशान हो जाती थी कि उनका क्या होगा। कई बार तो बुरी तरह घबरा जाती थी।”

7. यहोवा उन बच्चों के लिए कैसा महसूस करता है, जिनके मम्मी-पापा में से किसी का बहिष्कार हुआ है?

7 बच्चो, अगर आपके मम्मी-पापा में से किसी का बहिष्कार हुआ है, तो आपको तकलीफ में देखकर हमें भी तकलीफ होती है। यकीन रखिए कि यहोवा भी आपकी तकलीफ समझता है। वह आपसे प्यार करता है। वह यह देखकर भी बहुत खुश होता है कि आप उसके वफादार बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। और हमें भी यह देखकर खुशी होती है। याद रखिए, आपकी मम्मी या पापा ने जो फैसला लिया है, उसके लिए आप ज़िम्मेदार नहीं हैं।  जैसे कि हमने पहले बात की थी, यहोवा ने इंसान को अपने फैसले खुद लेने की आज़ादी दी है। और हरेक मसीही को ‘अपनी ज़िम्मेदारी का बोझ खुद उठाना है।’​—गला. 6:5, फु.

8. जब एक व्यक्‍ति बहिष्कृत होता है, उस वक्‍त उसके परिवारवाले क्या कर सकते हैं? (“ यहोवा के पास लौट आइए” नाम का बक्स भी पढ़ें।)

8 जब आपके परिवार का कोई सदस्य यहोवा की सेवा करना छोड़ देता है, तो ज़ाहिर-सी बात है कि आप यह उम्मीद करेंगे कि वह एक दिन ज़रूर वापस आएगा। तब तक अपना विश्‍वास मज़बूत करने में मेहनत कीजिए। आपके उदाहरण से, आपके परिवारवाले भी सीखेंगे और शायद वह व्यक्‍ति भी, जिसका बहिष्कार हुआ है। आपको अपने दर्द से उबरने की भी ताकत मिलेगी। आइए देखें कि अपना विश्‍वास मज़बूत करने के लिए आप कौन-से कदम उठा सकते हैं।

आप अपना विश्‍वास कैसे मज़बूत रख सकते हैं

9. आप किस तरह अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं? (“ आयतें, जिनसे हौसला मिलेगा,” नाम का बक्स भी पढ़ें।)

9 उपासना से जुड़े कामों में लगे रहिए। जैसे, रोज़ बाइबल पढ़िए, उस पर मनन कीजिए और सभाओं में लगातार जाइए। इस तरह आपका और आपके परिवारवालों का विश्‍वास मज़बूत होगा। बहन जोएना के पिता और बहन ने सच्चाई छोड़ दी थी। वह कहती है, “जब मैं बाइबल में अबीगैल, एस्तेर, अय्यूब, यूसुफ, यीशु और दूसरे लोगों के बारे में पढ़ती हूँ, तो मुझे सुकून मिलता है। मैं अच्छी बातों पर मन लगा पाती हूँ। मुझे ब्रॉडकास्टिंग के गानों से भी बहुत हिम्मत मिलती है।”

10. भजन 32:6-8 के मुताबिक, अपना दर्द सहने के लिए आपको क्या करना चाहिए?

10 यहोवा को अपने दिल की बात बताइए। आप चाहे कितने ही मायूस क्यों न हों, उससे प्रार्थना करना मत छोड़िए। यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह हालात को उस नज़र से देखने में आपकी मदद करे, जिस तरह वह देखता है। आप यह भी कह सकते हैं कि वह आपको ‘अंदरूनी समझ दे और उस राह पर चलना सिखाए, जिस पर आपको चलना चाहिए।’ (भजन 32:6-8 पढ़िए।) हो सकता है कि इस बारे में प्रार्थना करने से आपको दोबारा वे सारी बातें याद आ जाएँ। लेकिन यकीन रखिए, यहोवा आपका दर्द समझता है। वह आपसे बहुत प्यार करता है और चाहता है कि आप उसे अपने दिल का हाल बताएँ।​—निर्ग. 34:6; भज. 62:7, 8.

11. इब्रानियों 12:11 के मुताबिक, हमें बहिष्कार करने के इंतज़ाम का साथ क्यों देना चाहिए? (“ बहिष्कार करने का इंतज़ाम​—यहोवा के प्यार का सबूत” नाम का बक्स भी पढ़ें।)

11 प्राचीनों का फैसला मानिए। किसी को बहिष्कृत करना, यहोवा का इंतज़ाम है और इससे उसका प्यार झलकता है। इस इंतज़ाम से सबका भला होता है, उसका भी जिसने पाप किया है। (इब्रानियों 12:11 पढ़िए।) मंडली में कुछ लोग शायद पाप करनेवाले की गलती पर ध्यान न देकर, प्राचीनों के फैसले में नुक्स निकालें। ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि हमें पूरी जानकारी नहीं है। इसलिए अच्छा होगा कि हम प्राचीनों पर भरोसा रखें। वे जो भी कार्रवाई करते हैं, बाइबल के सिद्धांतों के आधार पर करते हैं और ‘यहोवा की तरफ से न्याय करते हैं।’​—2 इति. 19:6.

12. जब लोगों ने बहिष्कार करने के इंतज़ाम का साथ दिया, तो क्या हुआ?

12 जब हम प्राचीनों के फैसले को मानते हैं, हम एक बहिष्कृत व्यक्‍ति को यहोवा के पास लौटने में मदद देते हैं। एलीज़बेथ, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “अपने बेटे के साथ पूरी तरह नाता तोड़ना बहुत मुश्‍किल था, लेकिन इसके अच्छे नतीजे निकले। जब मेरा बेटा यहोवा के पास लौट आया, उसने कहा कि प्राचीनों ने उसे बहिष्कृत करके सही किया और इस दौरान उसने कई ज़रूरी सबक सीखे। मैं इस बात को समझ पायी कि जब भी यहोवा किसी को सुधारता है, तो उससे उसका भला होता है।” उसका पति, मार्क कहता है, “बाद में हमारे बेटे ने हमें बताया कि उसके वापस आने की एक वजह यह थी कि हमने उससे पूरी तरह नाता तोड़ दिया था। मैं बहुत खुश हूँ कि यहोवा ने हमें उसकी आज्ञा मानने की ताकत दी।”

13. अपने दर्द से उबरने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

13 ऐसे दोस्तों से बात कीजिए, जो आपकी तकलीफ समझते हैं। अनुभवी भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताइए। वे अपनी बातों से आपका हौसला बढ़ाएँगे। (नीति. 12:25; 17:17) जोएना, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “मैं बहुत अकेला महसूस करती थी। लेकिन जब मैं अपने दोस्तों से बात करती थी, वे मेरा हौसला बढ़ाते थे।” लेकिन तब क्या, जब मंडली में कोई कुछ ऐसा कह देता है, जिससे आपकी तकलीफ और बढ़ जाती है?

14. हमें भाई-बहनों के साथ सब्र क्यों रखना चाहिए?

14 भाई-बहनों के साथ सब्र रखिए। हर कोई हमेशा सही बात नहीं बोलेगा। (याकू. 3:2) हम सब अपरिपूर्ण हैं। इसलिए हो सकता है कि कुछ लोगों को समझ न आए कि वे क्या कहें। या फिर शायद वे अनजाने में कुछ ऐसा कह दें, जिससे आपको दुख हो। ऐसे में प्रेषित पौलुस की सलाह याद रखिए, “अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो भी एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहो।” (कुलु. 3:13) एक बहन, जिसके एक रिश्‍तेदार का बहिष्कार हुआ था, कहती है, “कई बार भाई-बहन मेरा हौसला बढ़ाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने अनजाने में मुझे दुख पहुँचाया। यहोवा की मदद से मैं उन्हें माफ कर पायी।” अब आइए देखें कि मंडली ऐसे लोगों की मदद कैसे कर सकती है, जिनके परिवार के किसी सदस्य का बहिष्कार हुआ है।

भाई-बहन मदद कर सकते हैं

15. जब किसी का बहिष्कार होता है, तो हम उसके परिवारवालों की मदद कैसे कर सकते हैं?

15 बहिष्कृत व्यक्‍ति के परिवारवालों के साथ प्यार से पेश आइए। जब मिरियम के भाई का बहिष्कार हुआ, तो वह सभाओं में जाने से घबराती थी। वह कहती है, “मैं चिंता करती थी कि लोग क्या कहेंगे। लेकिन मंडली में ऐसे बहुत-से भाई-बहन थे, जो मेरे भाई के बहिष्कार होने से दुखी थे। उन्होंने उसके बारे में कुछ बुरा-भला नहीं कहा। उनकी वजह से मुझे लगा कि मैं इस मुश्‍किल घड़ी में अकेली नहीं हूँ।” एक और बहन कहती है, “जब हमारे बेटे का बहिष्कार हुआ, कई भाई-बहन हमारी हिम्मत बढ़ाने आए। कुछ लोगों को समझ नहीं आता था कि वे क्या कहें, लेकिन वे फिर भी आए। कई भाई-बहन मेरे साथ रोए और कई ने मुझे हौसला बढ़ानेवाले खत लिखे। उन्होंने जो किया, उससे मेरी बहुत हिम्मत बढ़ी।”

16. मंडली किन तरीकों से परिवारवालों की लगातार मदद कर सकती है?

16 बहिष्कृत व्यक्‍ति के परिवारवालों की मदद करते रहिए। कई बार देखा गया है कि मंडली के भाई-बहन बहिष्कृत व्यक्‍ति के साथ-साथ उसके परिवारवालों से भी बातचीत करना बंद कर देते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। इस वक्‍त उन्हें हमारे प्यार और हौसले की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। (इब्रा. 10:24, 25) खास तौर पर उन बच्चों को, जिनकी मम्मी या पापा ने सच्चाई छोड़ दी है। हमें उनका हौसला बढ़ाना चाहिए और उनकी तारीफ करनी चाहिए। जब मारिया के पति का बहिष्कार हुआ और उसने अपने बीवी-बच्चों को छोड़ दिया, तब मारिया को भाई-बहनों से बहुत मदद मिली। वह कहती है, “कुछ भाई-बहन घर आकर हमारे लिए खाना पकाते थे और बच्चों का अध्ययन कराने में मेरी मदद करते थे। वे मेरी तकलीफ समझते थे और मेरे साथ रोते थे। जब लोग मेरे बारे में झूठी बातें फैलाते थे, तो वे मेरी तरफ से बोलते थे। सच में, उन्होंने मेरा बहुत हौसला बढ़ाया।”​—रोमि. 12:13, 15.

मंडली के भाई-बहन, बहिष्कृत व्यक्‍ति के परिवारवालों की मदद कर सकते हैं (पैराग्राफ 17 देखें) *

17. प्राचीन उन लोगों को तसल्ली कैसे दे सकते हैं, जो तकलीफ में हैं?

17 प्राचीनो, आपको जब भी मौका मिले, बहिष्कृत व्यक्‍ति के परिवारवालों का हौसला बढ़ाइए। ऐसे लोगों को तसल्ली देना, खास तौर पर आपकी ज़िम्मेदारी है। (1 थिस्स. 5:14) सभाओं से पहले और बाद में उनसे बात कीजिए। उनके घर जाकर उनसे मिलिए और उनके लिए प्रार्थना कीजिए। उनके साथ प्रचार में जाइए और अपनी पारिवारिक उपासना में उन्हें बुलाइए। जो लोग तकलीफ में होते हैं, प्राचीनों को उनका खयाल रखना चाहिए, उनके साथ प्यार और करुणा से पेश आना चाहिए।​—1 थिस्स. 2:7, 8.

हार मत मानिए, यहोवा पर भरोसा रखिए

18. दूसरा पतरस 3:9 के मुताबिक जो लोग पाप करते हैं, यहोवा उनसे क्या चाहता है?

18 यहोवा “नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।” (2 पतरस 3:9 पढ़िए।) एक व्यक्‍ति कितना भी बड़ा पाप करे, फिर भी यहोवा की नज़र में उसका जीवन अनमोल है। यहोवा ने हम सबके लिए अपने इकलौते बेटे की कुरबानी दी, उस पापी व्यक्‍ति के लिए भी। यहोवा चाहता है कि जो लोग उससे दूर चले गए हैं, वे उसके पास लौट आएँ। यीशु ने खोए हुए बेटे की जो मिसाल दी, उससे पता चलता है कि यहोवा उन लोगों की राह देखता रहता है। (लूका 15:11-32) कई लोग यहोवा के पास लौट आए हैं और भाई-बहनों ने खुशी-खुशी उनका स्वागत किया। एलीज़बेथ, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, बहुत खुश हुई जब उसका बेटा यहोवा के पास लौट आया। वह कहती है, “मैं उन भाई-बहनों का बहुत एहसान मानती हूँ, जिन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया। उनकी वजह से हमने हिम्मत नहीं हारी।”

19. हम यहोवा पर भरोसा क्यों रख सकते हैं?

19 हम हमेशा यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं। वह कभी-भी हमें कुछ ऐसा करने के लिए नहीं कहता, जिससे हमारा नुकसान हो। वह दरियादिल और करुणा करनेवाला पिता है। वह उन लोगों से बहुत प्यार करता है, जो उससे प्यार करते हैं और उसकी उपासना करते हैं। इसलिए यकीन रखिए कि यहोवा मुश्‍किल की घड़ी में आपका साथ नहीं छोड़ेगा। (इब्रा. 13:5, 6) मार्क, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहता है, “यहोवा ने हमें कभी नहीं छोड़ा। वह मुश्‍किलों में हमारे साथ रहा।” यहोवा आपको भी ‘वह ताकत देता रहेगा, जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।’ (2 कुरिं. 4:7) जब आपके परिवार का कोई सदस्य यहोवा को छोड़ देता है, तब भी आप उसके वफादार रह सकते हैं  और यह उम्मीद कर सकते हैं कि वह यहोवा के पास लौट आएगा।

गीत 44 दुखियारे की प्रार्थना

^ पैरा. 5 जब कोई यहोवा की सेवा करना छोड़ देता है, तो उसके परिवारवालों को बहुत दुख होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि जब ऐसा होता है, तो यहोवा को कैसा लगता है। इसमें बताया जाएगा कि उसके परिवारवाले यह दर्द कैसे सह सकते हैं और अपना विश्‍वास कैसे मज़बूत रख सकते हैं। इसमें यह भी बताया जाएगा कि मंडली के भाई-बहन उनकी मदद कैसे कर सकते हैं।

^ पैरा. 1 इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 79 तसवीर के बारे में: जब एक भाई यहोवा और अपने परिवार को छोड़ देता है, तो उसके बीवी-बच्चों को बहुत तकलीफ होती है।

^ पैरा. 81 तसवीर के बारे में: मंडली के दो प्राचीन, एक बहन के घर जाकर उसका और उसके बच्चों का हौसला बढ़ाते हैं।