अध्ययन लेख 39
क्या आपका नाम “जीवन की किताब” में है?
‘जो यहोवा का डर मानते हैं, उन्हें याद रखने के लिए परमेश्वर के सामने एक किताब लिखी जाने लगी।’—मला. 3:16.
गीत 61 बढ़ते चलो, साक्षियों!
एक झलक a
1. मलाकी 3:16 के मुताबिक यहोवा कौन-सी किताब लिख रहा है और इस किताब में क्या लिखा हुआ है?
हज़ारों सालों से यहोवा एक बहुत ही खास किताब लिख रहा है जिसमें कई लोगों के नाम हैं। इस किताब में सबसे पहला नाम हाबिल का है जो यहोवा के वफादार सेवकों में सबसे पहला था। b (लूका 11:50, 51) जैसे-जैसे समय बीता यहोवा ने और भी लोगों को “याद रखने के लिए” उनके नाम इस किताब में लिखे और आज इसमें लाखों लोगों के नाम हैं। (मलाकी 3:16 पढ़िए।) बाइबल में इस किताब को “जीवन के खर्रे” या “जीवन की किताब” कहा गया है।—प्रका. 3:5; 17:8, फु.
2. (क) जीवन की किताब में किनके नाम लिखे हैं? (ख) अगर हम चाहते हैं कि हमारा नाम इस किताब में लिखा जाए, तो हमें क्या करना होगा?
2 इस खास किताब में उन सब लोगों के नाम हैं जो यहोवा की उपासना करते हैं, उसका डर मानते हैं और उसके नाम का आदर करते हैं। इन सबके पास हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका है। अगर हम चाहते हैं कि हमारा नाम इस किताब में लिखा जाए, तो हमें यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाना होगा और यीशु मसीह के फिरौती बलिदान पर विश्वास करना होगा। (यूह. 3:16, 36) और चाहे हमारी आशा धरती पर जीने की हो या स्वर्ग में, हम सब यही तो चाहते हैं कि हमारा नाम इस किताब में लिखा हो!
3-4. (क) अगर हमारे नाम अभी जीवन की किताब में हैं, तो क्या हमें हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी ही मिलेगी? समझाइए। (ख) इस लेख में और अगले लेख में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?
3 अगर एक बार किसी का नाम जीवन की किताब में लिख दिया जाए, तो क्या इसका यह मतलब है कि उसे हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी ही मिलेगी? इस सवाल का जवाब जानने के लिए ध्यान दीजिए कि यहोवा ने मूसा से क्या कहा था, “जिस किसी ने मेरे खिलाफ पाप किया है, मैं उसका नाम अपनी किताब से मिटा दूँगा।” (निर्ग. 32:33) इसका मतलब जब यहोवा किसी का नाम अपनी किताब में लिखता है, तो मानो वह पहले उसे पेंसिल से लिखता है और वह नाम मिटाया भी जा सकता है। (प्रका. 3:5) पर हम सभी चाहते हैं कि हमारा नाम उस किताब से कभी ना मिटे। अगर हम ऐसे काम करते रहें जो यहोवा की नज़र में सही हैं, तो वक्त आने पर वह हमारा नाम अपनी किताब में हमेशा के लिए लिख देगा, मानो पेन से लिख देगा।
4 लेकिन इससे कुछ सवाल उठते हैं। जैसे, बाइबल में उन लोगों के बारे में क्या बताया गया है जिनके नाम जीवन की किताब में लिखे हैं और जिनके नहीं लिखे? जिन लोगों के नाम इस किताब में लिखे हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी कब मिलेगी? जो लोग यहोवा की उपासना नहीं करते थे और जिनकी मौत हो गयी, क्या उनके नाम भी इस किताब में लिखे जा सकते हैं? इस लेख में और अगले लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे।
जीवन की किताब में किनके नाम हैं?
5-6. (क) जैसे फिलिप्पियों 4:3 में बताया गया है, किनके नाम जीवन की किताब में लिखे हैं? (ख) उनके नाम जीवन की किताब में कब हमेशा के लिए लिखे जाएँगे?
5 जीवन की किताब में किन-किन के नाम लिखे हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हम लोगों के पाँच समूहों के बारे में बात करेंगे। इनमें से कुछ के नाम जीवन की किताब में लिखे हैं और कुछ के नहीं।
6 पहला समूह उन लोगों का है जिन्हें यीशु के साथ स्वर्ग में राज करने के लिए चुना गया है। क्या उनके नाम अभी जीवन की किताब में लिखे हुए हैं? जी हाँ। पौलुस ने फिलिप्पी में रहनेवाले मसीहियों को जो चिट्ठी लिखी, उससे पता चलता है कि अभिषिक्त मसीहियों के नाम जीवन की किताब में लिखे हुए हैं। (फिलिप्पियों 4:3 पढ़िए।) अगर अभिषिक्त मसीही चाहते हैं कि उनके नाम इस किताब से ना मिटें, तो उन्हें यहोवा के वफादार रहना होगा। फिर जब उन पर आखिरी मुहर लगायी जाएगी, तब उनके नाम इस किताब में हमेशा के लिए लिख दिए जाएँगे। ऐसा या तो उनकी मौत से पहले होगा या महा-संकट के शुरू होने से पहले।—प्रका. 7:3.
7. प्रकाशितवाक्य 7:16, 17 के मुताबिक बड़ी भीड़ के लोगों के नाम जीवन की किताब में हमेशा के लिए कब लिखे जाएँगे?
7 दूसरा समूह बड़ी भीड़ के लोगों का है। क्या उनके नाम अभी जीवन की किताब में लिखे हुए हैं? जी हाँ। क्या उनके नाम हर-मगिदोन के बाद भी जीवन की किताब में लिखे हुए होंगे? बिलकुल। (प्रका. 7:9, 14) यीशु ने कहा था कि ये भेड़ समान लोग “हमेशा की ज़िंदगी” पाएँगे। (मत्ती 25:46; यूह. 10:16) लेकिन उन्हें हर-मगिदोन के तुरंत बाद हमेशा की ज़िंदगी नहीं मिलेगी। उस वक्त उनके नाम जीवन की किताब में मानो पेंसिल से लिखे हुए होंगे। यीशु अपने हज़ार साल के राज के दौरान उन्हें “चरवाहे की तरह जीवन के पानी के सोतों तक ले जाएगा।” जो यीशु के निर्देश मानेंगे और आखिरी परीक्षा में भी यहोवा के वफादार रहेंगे, उनके नाम जीवन की किताब में मानो पेन से यानी हमेशा-हमेशा के लिए लिख दिए जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य 7:16, 17 पढ़िए।
8. किनके नाम जीवन की किताब में नहीं लिखे हैं और उनका क्या होगा?
8 तीसरा समूह बकरी सामान लोगों का है जिनका हर-मगिदोन में नाश कर दिया जाएगा। उनके नाम जीवन की किताब में नहीं लिखे हुए हैं। यीशु ने कहा था कि वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।” (मत्ती 25:46) पौलुस ने भी कहा था कि “उन्हें सज़ा देकर हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा।” (2 थिस्स. 1:9; 2 पत. 2:9) जिन लोगों ने जानबूझकर पवित्र शक्ति के खिलाफ पाप किया और जिनकी मौत हो चुकी है, उनके नाम भी जीवन की किताब में नहीं लिखे हैं और उन्हें दोबारा ज़िंदा नहीं किया जाएगा। उन्हें हमेशा की ज़िंदगी नहीं मिलेगी, बल्कि उनका हमेशा के लिए नाश हो चुका है। (मत्ती 12:32; मर. 3:28, 29; इब्रा. 6:4-6) अब आइए बचे हुए दो समूहों के बारे में बात करें। इन समूहों में वे लोग हैं जिन्हें धरती पर दोबारा ज़िंदा किया जाएगा।
किन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा?
9. (क) प्रेषितों 24:15 के मुताबिक किन दो तरह के लोगों को धरती पर ज़िंदा किया जाएगा? (ख) इन दोनों तरह के लोगों में क्या फर्क है?
9 बाइबल में बताया गया है कि “अच्छे और बुरे” दोनों तरह के लोगों को ज़िंदा किया जाएगा और उनके पास हमेशा तक जीने का मौका होगा। (प्रेषितों 24:15 पढ़िए।) “अच्छे” लोग वे हैं जो यहोवा के वफादार थे और जिनकी मौत हो गयी। और “बुरे” लोग वे हैं जो मरने से पहले यहोवा की उपासना नहीं करते थे। इनमें से कुछ ने तो बहुत बुरे-बुरे काम किए थे। दोनों ही तरह के लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, तो क्या इसका यह मतलब है कि उन सबके नाम जीवन की किताब में लिखे हुए होंगे? इसका जवाब जानने के लिए आइए एक-एक करके दोनों समूहों के बारे में चर्चा करें।
10. (क) “अच्छे” लोगों को क्यों ज़िंदा किया जाएगा? (ख) इनमें से कुछ लोगों को क्या खास ज़िम्मेदारी दी जाएगी? (धरती पर किन्हें ज़िंदा किया जाएगा और उनका न्याय कैसे होगा, इस बारे में और जानने के लिए प्रहरीदुर्ग के इस अंक में दिया लेख “आपने पूछा” भी देखें।)
10 चौथा समूह “अच्छे” लोगों का है। उनके मरने से पहले उनके नाम जीवन की किताब में लिखे हुए थे। पर क्या उनकी मौत के बाद उनके नाम इस किताब से मिटा दिए गए? नहीं, क्योंकि यहोवा उन्हें भूला नहीं है। बाइबल में लिखा है कि यहोवा “मरे हुओं का नहीं, बल्कि जीवितों का परमेश्वर है इसलिए कि वे सब उसकी नज़र में ज़िंदा हैं।” (लूका 20:38) इसका मतलब है कि जब अच्छे लोगों को धरती पर दोबारा ज़िंदा किया जाएगा, तो उनके नाम जीवन की किताब में लिखे हुए होंगे, पर उस वक्त वह मानो पेंसिल से लिखे हुए होंगे। (लूका 14:14) इनमें से कुछ को यहोवा एक खास ज़िम्मेदारी देगा। वह उन्हें “हाकिम” ठहराएगा।—भज. 45:16.
11. खुद को बदलने के लिए और अपने नाम जीवन की किताब में लिखवाने के लिए “बुरे” लोगों को क्या करना होगा?
11 पाँचवाँ समूह “बुरे” लोगों का है। ये लोग यहोवा के स्तर नहीं मानते थे, क्योंकि शायद वे जानते ही नहीं थे कि यहोवा की नज़र में क्या सही है और क्या गलत। यही वजह है कि उनके नाम जीवन की किताब में नहीं लिखे होंगे। लेकिन जब यहोवा उन्हें दोबारा ज़िंदा करेगा, तो उनके पास यह मौका होगा कि उनके नाम जीवन की किताब में लिखे जाएँ। पर इसके लिए उन्हें यहोवा और उसके स्तरों के बारे में सीखना होगा और खुद को बदलना होगा। इनमें से कुछ तो बहुत बुरे-बुरे काम करते थे, उन्हें वे काम छोड़ने होंगे। लेकिन यह सब वे अपने-आप नहीं कर पाएँगे, दूसरों को उनकी मदद करनी होगी। यीशु के हज़ार साल के राज के दौरान उन्हें कई सारी बातें सिखायी जाएँगी। पहली बार लोगों को इतने बड़े पैमाने पर सिखाया जाएगा।
12. (क) “बुरे” लोगों को कौन सिखाएगा? (ख) जो लोग खुद को नहीं बदलेंगे, उनका क्या होगा?
12 उन “बुरे” लोगों को कौन सिखाएगा? बड़ी भीड़ के लोग और वे अच्छे लोग जिन्हें दोबारा धरती पर ज़िंदा किया जाएगा। जो “बुरे” लोग यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाएँगे और उसे अपना जीवन समर्पित करेंगे, उन्हीं के नाम जीवन की किताब में लिखे जाएँगे। यीशु मसीह और उसके साथ न्याय करनेवाले इस बात पर ध्यान देंगे कि वे लोग खुद को बदलने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं। (प्रका. 20:4) जो लोग खुद को नहीं बदलेंगे, उन्हें मिटा दिया जाएगा, फिर चाहे उन्हें जीते हुए सिर्फ सौ साल ही क्यों ना हुए हों। (यशा. 65:20) यहोवा और यीशु लोगों के दिल पढ़ सकते हैं, इसलिए वे नयी दुनिया में किसी को भी दूसरों को नुकसान पहुँचाने या तबाही मचाने नहीं देंगे।—यशा. 11:9; 60:18; 65:25; यूह. 2:25.
वे जीवन या न्याय पाने के लिए ज़िंदा किए जाएँगे
13-14. (क) पहले हम यूहन्ना 5:29 में लिखे यीशु के शब्दों का क्या मतलब समझते थे? (ख) लेकिन यीशु के शब्दों पर ध्यान देने से क्या पता चलता है?
13 यीशु ने कहा था, “वह वक्त आ रहा है जब वे सभी, जो स्मारक कब्रों में हैं उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे।” फिर उसने बताया कि जिन लोगों ने अच्छे काम किए हैं, उनका ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए होगा और जो दुष्ट कामों में लगे रहे, उनका ज़िंदा किया जाना न्याय पाने के लिए होगा। (यूह. 5:28, 29) यीशु के कहने का क्या मतलब था?
14 पहले हम मानते थे कि यहाँ यीशु जिन कामों की बात कर रहा है, वे ऐसे काम हैं जो लोग ज़िंदा किए जाने के बाद करेंगे। कुछ लोग अच्छे काम करेंगे और कुछ लोग दुष्ट काम करेंगे। लेकिन ध्यान दीजिए, यीशु ने यह नहीं कहा कि लोग ऐसे काम करेंगे, बल्कि उसने कहा “जिन्होंने अच्छे काम किए हैं” और “जो दुष्ट कामों में लगे रहे।” इससे पता चलता है कि यहाँ यीशु उन कामों की बात कर रहा था, जो उन लोगों ने मरने से पहले किए थे। और यह बात सही भी लगती है ना? नयी दुनिया में तो कोई भी बुराई बरदाश्त नहीं की जाएगी। इसलिए हम कह सकते हैं कि बुरे लोगों ने ये दुष्ट काम मरने से पहले ही किए होंगे। यीशु ने यह भी कहा कि कुछ लोगों का ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए होगा और कुछ का न्याय पाने के लिए। इसका क्या मतलब है?
15. किन्हें “जीवन पाने के लिए” ज़िंदा किया जाएगा और क्यों?
15 जिन लोगों ने मरने से पहले अच्छे काम किए थे, उनके नाम जीवन की किताब में लिखे हुए होंगे, इसलिए उनका “ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए होगा।” इसका मतलब यूहन्ना 5:29 में जिन लोगों के बारे में कहा गया है कि उन्होंने “अच्छे काम किए हैं,” ये वही “अच्छे” लोग हैं जिनके बारे में प्रेषितों 24:15 में बताया गया है। और ध्यान दीजिए कि रोमियों 6:7 में क्या लिखा है, “जो मर चुका है, वह अपने पाप से छूट गया है।” इसका मतलब जब इन अच्छे लोगों की मौत हो गयी, तो यहोवा ने इनके पाप माफ कर दिए। लेकिन उन्होंने मरने से पहले यहोवा के लिए जो कुछ किया था उसे वह नहीं भूलेगा, इसलिए उनका “ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए होगा।” (इब्रा. 6:10) पर उनका नाम जीवन की किताब में तभी लिखा रहेगा जब वे आगे भी यहोवा के वफादार रहेंगे।
16. न्याय पाने के लिए ज़िंदा किए जाने का क्या मतलब है?
16 जो लोग मरने से पहले “दुष्ट कामों में लगे” हुए थे, उनके बारे में क्या कहा जा सकता है? वैसे तो मरने पर उनके पाप माफ कर दिए गए, लेकिन जब वे ज़िंदा थे, तो वे यहोवा की सेवा नहीं करते थे। इसलिए उनके नाम जीवन की किताब में भी नहीं लिखे हुए हैं। और याद कीजिए कि जिन “बुरे” लोगों के बारे में प्रेषितों 24:15 में बताया गया है, उन्होंने भी यहोवा की सेवा नहीं की थी और उनके नाम भी जीवन की किताब में नहीं लिखे हुए हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि इन दोनों आयतों में एक ही तरह के लोगों की बात की गयी है और इनका ज़िंदा किया जाना न्याय पाने के लिए होगा। c न्याय पाने के लिए ज़िंदा किए जाने का मतलब है कि यीशु उन लोगों पर ध्यान देगा और उन्हें जाँचेगा कि क्या वे खुद को बदल रहे हैं। (लूका 22:30) इस सब में वक्त लगेगा और फिर यह तय किया जाएगा कि क्या उनके नाम जीवन की किताब में लिखे जाने चाहिए या नहीं। अगर ये “बुरे” लोग खुद को बदलेंगे और अपना जीवन यहोवा को समर्पित करेंगे, तभी उनके नाम जीवन की किताब में लिखे जाएँगे।
17-18. (क) जिन लोगों को धरती पर ज़िंदा किया जाएगा, उन्हें क्या करना होगा? (ख) प्रकाशितवाक्य 20:12, 13 में किन “कामों” की बात की गयी है?
17 मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान नयी किताबें खोली जाएँगी जिनमें कई कायदे-कानून लिखे होंगे। जिन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, फिर चाहे उन्होंने पहले अच्छे काम किए थे या बुरे, उन्हें वे सारी बातें माननी होंगी। इस बारे में प्रेषित यूहन्ना ने एक दर्शन देखा था। उसने लिखा, “मैंने मरे हुओं को यानी छोटे-बड़े सबको राजगद्दी के सामने खड़े देखा और किताबें खोली गयीं। फिर एक और किताब खोली गयी जो जीवन की किताब है। उन किताबों में लिखी बातों के मुताबिक, मरे हुओं का उनके कामों के हिसाब से न्याय किया गया।”—प्रका. 20:12, 13.
18 आयत 13 में बताया गया है कि “मरे हुओं का उनके कामों के हिसाब से न्याय” किया जाएगा। तो क्या ये वे ‘काम’ हैं जो उन्होंने मरने से पहले किए थे? नहीं। जैसा हमने सीखा, एक इंसान की मौत के बाद उसके पाप माफ कर दिए जाते हैं। तो ये वे काम नहीं हो सकते जो उन लोगों ने मरने से पहले किए थे। फिर ये कौन-से काम हैं? नयी दुनिया में इन लोगों को बहुत कुछ सिखाया जाएगा। उसके बाद वे जैसे काम करेंगे, यहाँ उन कामों की ही बात की गयी होगी। नूह, शमूएल, दाविद और दानियेल जैसे वफादार लोगों को भी यीशु मसीह के बारे में बहुत कुछ सीखना होगा और उसके फिरौती बलिदान पर विश्वास करना होगा। सोचिए, जब इन वफादार लोगों को सीखने की ज़रूरत होगी, तो जिन्होंने बुरे काम किए थे, उन्हें और कितना सीखना होगा।
19. जो लोग खुद को नहीं बदलेंगे, उनका क्या होगा?
19 नयी दुनिया में जो लोग यीशु के बारे में सीखेंगे और उसके फिरौती बलिदान पर विश्वास करेंगे, उनके नाम जीवन की किताब में हमेशा के लिए लिख दिए जाएँगे। लेकिन जो लोग यह लाजवाब मौका हाथ से जाने देंगे, उनका क्या होगा? प्रकाशितवाक्य 20:15 में लिखा है, “जिस किसी का नाम जीवन की किताब में नहीं लिखा था, उसे आग की झील में फेंक दिया गया।” इसका मतलब उन्हें हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा। तो आइए हम पूरी कोशिश करें कि हमारा नाम जीवन की किताब में लिखा जाए और कभी ना मिटाया जाए!
20. यीशु के हज़ार साल के राज के दौरान कौन-सा काम एक बहुत बड़े पैमाने पर होगा? (बाहर दी तसवीर देखें।)
20 मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान कितना कुछ हो रहा होगा! लोगों को पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सिखाया जाएगा। लेकिन इसके साथ-साथ, अच्छे और बुरे लोगों के व्यवहार पर भी ध्यान दिया जाएगा और उन्हें जाँचा-परखा जाएगा। (यशा. 26:9; प्रेषि. 17:31) पर सवाल उठता है, पूरी दुनिया में इतने सारे लोगों को कैसे सिखाया जाएगा? अगले लेख में हम यहोवा के इस खास इंतज़ाम के बारे में और जानेंगे।
गीत 147 हमेशा की ज़िंदगी का वादा
a कई बाइबलों में यूहन्ना 5:28,29 में लिखा है कि कुछ लोगों का ‘ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए’ होगा और कुछ का ‘सज़ा पाने के लिए।’ यहाँ जिस शब्द का अनुवाद “सज़ा” किया गया है, उसका मतलब “न्याय” भी हो सकता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यूहन्ना 5:28, 29 में लिखे यीशु के शब्दों का क्या मतलब था। हम जानेंगे कि इस बारे में पहले जो हमारी समझ थी, उसमें क्या फेरबदल हुआ है। हम यह भी जानेंगे कि किनका ज़िंदा किया जाना जीवन पाने के लिए होगा और किनका न्याय पाने के लिए।
b यह किताब “दुनिया की शुरूआत” से लिखी जा रही है। यहाँ “दुनिया” का मतलब वे लोग हैं जिनके पाप यीशु के फिरौती बलिदान के आधार पर माफ किए जा सकते हैं। (मत्ती 25:34; प्रका. 17:8) हाबिल सबसे पहला वफादार सेवक था। इसलिए शायद इस किताब में सबसे पहला नाम उसी का होगा।
c पहले हम मानते थे कि यूहन्ना 5:29 में यीशु बता रहा था कि कुछ लोग “सज़ा पाने के लिए” ज़िंदा किए जाएँगे। लेकिन आस-पास की आयतों को पढ़ने से लगता है कि यहाँ यीशु के कहने का कुछ और मतलब था। ऐसा मालूम पड़ता है कि वह “न्याय” किए जाने की बात कर रहा था जिसका मतलब है कुछ वक्त तक किसी को जाँचना या परखना। या जैसे एक यूनानी बाइबल शब्दकोश में बताया गया है, “किसी के व्यवहार पर नज़र रखना।”