अध्ययन लेख 38
गीत 25 खास संपत्ति
क्या आप चेतावनियों पर ध्यान दे रहे हैं?
“एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरे को छोड़ दिया जाएगा।” —मत्ती 24:40.
क्या सीखेंगे?
हम यीशु की तीन मिसालों पर ध्यान देंगे और जानेंगे कि इनमें उस वक्त के बारे में क्या बताया है जब दुनिया की व्यवस्था के अंत से पहले न्याय किया जाएगा।
1. यीशु बहुत जल्द क्या करेगा?
हम बहुत ही रोमांचक समय में जी रहे हैं। बहुत जल्द यीशु धरती पर जीनेवाले हर इंसान का न्याय करेगा। पर इससे पहले दुनिया में क्या कुछ होगा, इस बारे में उसने अपने चेलों को बताया था। उसने अपने चेलों को एक “निशानी” दी थी, जिससे वे समझ पाते कि उसकी मौजूदगी और ‘दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त’ शुरू हो चुका है। (मत्ती 24:3) इस निशानी के बारे में मत्ती अध्याय 24 और 25, मरकुस अध्याय 13 और लूका अध्याय 21 में बताया गया है।
2. (क) हम इस लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे? (ख) यीशु ने जो मिसालें दीं, उनसे हम क्या समझ पाते हैं?
2 यीशु ने तीन मिसालें दीं जिनमें हमारे लिए चेतावनी है और जिनसे हम आनेवाले न्याय के लिए तैयार हो सकते हैं। ये तीन मिसालें हैं: भेड़ों और बकरियों की मिसाल, समझदार और मूर्ख कुँवारियों की मिसाल और तोड़ों की मिसाल। इन मिसालों से हम समझ पाते हैं कि यीशु हमारे कामों के आधार पर हमारा न्याय करेगा। इस लेख में हम इन तीनों मिसालों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि हम इनसे क्या सीख सकते हैं। आइए सबसे पहले भेड़ों और बकरियों की मिसाल पर ध्यान दें।
भेड़ों और बकरियों की मिसाल
3. यीशु कब लोगों का न्याय करेगा?
3 भेड़ों और बकरियों की मिसाल में यीशु ने बताया कि वह किस आधार पर लोगों का न्याय करेगा। वह देखेगा कि लोगों ने खुशखबरी सुनकर क्या किया है और उसके अभिषिक्त भाइयों का साथ दिया है या नहीं। (मत्ती 25:31-46) यीशु भेड़ों को बकरियों से कब अलग करेगा? वह “महा-संकट” के आखिर में हर-मगिदोन से ठीक पहले ऐसा करेगा। (मत्ती 24:21) जैसे एक चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है, वैसे ही यीशु अभिषिक्त मसीहियों का साथ देनेवाले लोगों को उन लोगों से अलग करेगा, जिन्होंने उसके भाइयों का साथ नहीं दिया।
4. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यीशु लोगों का बिलकुल सही-सही न्याय करेगा? (यशायाह 11:3, 4) (तसवीर भी देखें।)
4 बाइबल में बताया है कि यहोवा ने यीशु को न्यायी ठहराया है और वह बिलकुल सही-सही न्याय करेगा। (यशायाह 11:3, 4 पढ़िए।) वह लोगों के व्यवहार, उनके रवैए और उनकी बातों पर ध्यान देता है और इस बात पर भी वे उसके अभिषिक्त भाइयों के साथ कैसे पेश आते हैं। (मत्ती 12:36, 37; 25:40) यीशु को पता होगा कि किसने उसके अभिषिक्त भाइयों का साथ दिया है और उनके काम में उनका हाथ बँटाया है। a हम कैसे उनका हाथ बँटा सकते हैं? एक अहम तरीका है, प्रचार काम में उनका साथ देकर। जो लोग उनका साथ देंगे, उन्हें “नेक” ठहराया जाएगा और उनके पास धरती पर “हमेशा की ज़िंदगी” पाने का मौका होगा। (मत्ती 25:46; प्रका. 7:16, 17) सच में, उन्हें कितना बढ़िया इनाम मिलेगा! और अगर वे महा-संकट में और उसके बाद भी वफादार रहेंगे, तो उनके नाम “जीवन की किताब” में हमेशा के लिए लिख दिए जाएँगे।—प्रका. 20:15.
5. भेड़ों और बकरियों की मिसाल में क्या सीख दी गयी है और इससे किन्हें फायदा होता है?
5 साबित कीजिए कि आप वफादार हैं। भेड़ों और बकरियों की मिसाल में खासकर उनके लिए सबक है जिन्हें धरती पर हमेशा जीने की आशा है। उन्हें ना सिर्फ प्रचार काम में मसीह के भाइयों का साथ देना है, बल्कि उसके ठहराए दास से मिलनेवाली हिदायतें भी माननी हैं। इस तरह वे दिखा सकते हैं कि वे वफादार हैं। (मत्ती 24:45) लेकिन जिन्हें स्वर्ग जाने की आशा है, उनके लिए भी इस मिसाल में एक ज़रूरी सबक है, एक चेतावनी है। वह क्या? जैसा हमने देखा, यीशु लोगों के व्यवहार, उनके रवैए और बातों पर ध्यान देता है, इसलिए अभिषिक्त मसीहियों को भी साबित करना है कि वे वफादार हैं। भेड़ों और बकरियों की मिसाल के अलावा, यीशु ने दो और मिसालें दीं जिनमें अभिषिक्त मसीहियों के लिए एक चेतावनी है। ये मिसालें भी मत्ती अध्याय 25 में लिखी हैं। आइए समझदार और मूर्ख कुँवारियों की मिसाल पर गौर करें।
समझदार और मूर्ख कुँवारियों की मिसाल
6. पाँच कुँवारियों ने कैसे साबित किया कि वे समझदार हैं? (मत्ती 25:6-10)
6 कुँवारियों की मिसाल में यीशु ने बताया कि दस कुँवारियाँ दूल्हे से मिलने निकलीं। (मत्ती 25:1-4) वे दूल्हे के साथ शादी की दावत में जाना चाहती थीं। यीशु ने उनमें से पाँच को “समझदार” कहा और पाँच को “मूर्ख।” समझदार कुँवारियाँ पूरी तैयारी के साथ आयी थीं और सतर्क थीं। वे तब तक दूल्हे का इंतज़ार करने को तैयार थीं, जब तक वह आ नहीं जाता, फिर चाहे वह देर रात को क्यों ना आता। इसलिए वे अपने साथ दीपक लायी थीं ताकि अँधेरे में उन्हें रौशनी मिल सके। वे कुप्पियों में तेल भी लायी थीं ताकि उनके दीपक जलते रहें। (मत्ती 25:6-10 पढ़िए।) फिर जब दूल्हा आया, तो समझदार कुँवारियाँ शादी की दावत के लिए उसके साथ अंदर चली गयीं। इन कुँवारियों की तरह जो अभिषिक्त मसीही, मसीह के आने तक जागते रहेंगे और वफादार रहेंगे, उन्हें दूल्हा यानी यीशु अपने साथ स्वर्ग ले जाएगा जहाँ वे राज करेंगे। b (प्रका. 7:1-3) लेकिन उन पाँच मूर्ख कुँवारियों के साथ क्या होता है?
7. पाँच मूर्ख कुँवारियों के साथ क्या होता है और क्यों?
7 जब दूल्हा आने ही वाला था, तो पाँच मूर्ख कुँवारियाँ तैयार नहीं थीं। उनके दीपक बुझने लगे थे और उन्हें जलाए रखने के लिए उनके पास तेल भी नहीं था, इसलिए वे तेल खरीदने चली गयीं। इस बीच दूल्हा आया और “जो कुँवारियाँ तैयार थीं वे शादी की दावत के लिए उसके साथ अंदर चली गयीं और दरवाज़ा बंद कर दिया गया।” (मत्ती 25:10) जब मूर्ख कुँवारियाँ लौटीं, तो वे भी अंदर जाना चाहती थीं। लेकिन दूल्हे ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें नहीं जानता।” (मत्ती 25:11, 12) वे पाँच कुँवारियाँ पूरी तैयारी के साथ नहीं आयी थीं, इसलिए वे दूल्हे के आने तक इंतज़ार नहीं कर पायीं। इससे अभिषिक्त मसीही क्या सीख सकते हैं?
8-9. कुँवारियों की मिसाल से अभिषिक्त मसीही क्या सीख सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
8 साबित कीजिए कि आप तैयार और सतर्क हैं। कुँवारियों की मिसाल देकर यीशु यह भविष्यवाणी नहीं कर रहा था कि जब वह महा-संकट से पहले आएगा, तब कुछ अभिषिक्त मसीही तैयार रहेंगे और कुछ नहीं। इसके बजाय, वह समझा रहा था कि अगर एक अभिषिक्त मसीही उसके आने तक इंतज़ार ना करे और वफादार ना रहे, तो उसके साथ क्या होगा। उसे स्वर्ग में अपना इनाम नहीं मिलेगा। (यूह. 14:3, 4) यह कितनी गंभीर बात है! चाहे हमें स्वर्ग में जीने की आशा हो या धरती पर, हम सभी को इस मिसाल में दी चेतावनी पर ध्यान देना है। हममें से हरेक को जागते रहना है यानी हमें तैयार रहना है और अंत तक धीरज धरना है।—मत्ती 24:13.
9 कुँवारियों की मिसाल से यीशु बता रहा था कि हमारे लिए सतर्क रहना और तैयार रहना कितना ज़रूरी है। इसके बाद यीशु तोड़ों की मिसाल देता है। इस मिसाल से वह सिखाना चाहता है कि हमें मेहनती होना चाहिए।
तोड़ों की मिसाल
10. दो दासों ने कैसे साबित किया कि वे अपने मालिक के वफादार हैं? (मत्ती 25:19-23)
10 तोड़ों की मिसाल में यीशु तीन दासों के बारे में बताता है। परदेस जाने से पहले उनका मालिक तीनों को बुलाता है और उन्हें कुछ तोड़े देता है। उस ज़माने में तोड़ा बहुत बड़ी रकम होती थी। उन तीनों में से दो दास अपने मालिक के वफादार साबित होते हैं, लेकिन एक नहीं। (मत्ती 25:14-18) वफादार दास बहुत मेहनत करते हैं और अपने मालिक के लिए खूब मुनाफा कमाते हैं। फिर जब मालिक लौटता है, तो देखता है कि दोनों दासों ने अपने पैसों से दुगना पैसा कमाया है। मालिक उनकी तारीफ करता है और कहता है, ‘अपने मालिक के साथ खुशियाँ मनाओ।’ (मत्ती 25:19-23 पढ़िए।) लेकिन तीसरा दास अपने पैसों का क्या करता है?
11. मालिक “आलसी” दास के साथ क्या करता है और क्यों?
11 तीसरे दास को मालिक ने एक तोड़ा दिया था। पर वह दास बहुत “आलसी” निकला। मालिक चाहता था कि वह उन पैसों से और पैसा कमाए। लेकिन ऐसा करने के बजाय वह उन पैसों को ज़मीन में गाड़ देता है। जब मालिक परदेस से लौटता है, तो वह देखता है कि उसने कोई मुनाफा नहीं कमाया है, और उसका रवैया भी ठीक नहीं है। अपने मालिक से माफी माँगने के बजाय, वह उसी पर दोष लगाता है और कहता है, “मैं जानता था कि तू एक कठोर इंसान है।” यह सुनकर मालिक बहुत गुस्सा हो जाता है। वह उससे अपने पैसे ले लेता है और उसे घर से बाहर फिंकवा देता है।—मत्ती 25:24, 26-30.
12. आज कौन उन दो मेहनती दासों की तरह हैं?
12 वफादार अभिषिक्त मसीही उन दो मेहनती दासों की तरह हैं। उनका मालिक यीशु उनसे कहता है, ‘अपने मालिक के साथ खुशियाँ मनाओ।’ वह उन्हें इनाम देता है, यानी उन्हें मरे हुओं में से सबसे पहले ज़िंदा करता है। (मत्ती 25:21, 23; प्रका. 20:5ख) लेकिन यीशु इस मिसाल से अभिषिक्त मसीहियों को एक चेतावनी भी दे रहा था। वह नहीं चाहता था कि वे आलसी दास की तरह बनें। तो फिर उन्हें क्या करना था?
13-14. तोड़ो की मिसाल से अभिषिक्त मसीही क्या सीख सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
13 साबित कीजिए कि आप मेहनती हैं और तन-मन से सेवा करते हैं। कुँवारियों की मिसाल की तरह तोड़ो की मिसाल में भी यीशु यह भविष्यवाणी नहीं कर रहा था कि कुछ अभिषिक्त मसीही आलसी हो जाएँगे। इसके बजाय, वह समझा रहा था कि अगर एक अभिषिक्त मसीही अपना जोश खो दे, तो क्या हो सकता है। उसे “जो बुलावा दिया गया है और चुना गया है,” वह उसके योग्य नहीं रहेगा और वह स्वर्ग के राज में दाखिल नहीं हो पाएगा।—2 पत. 1:10.
14 कुँवारियों की मिसाल से यीशु सभी अभिषिक्त मसीहियों को बता रहा था कि उन्हें सतर्क रहना है और हमेशा तैयार रहना है। और तोड़ो की मिसाल देकर उसने उन्हें बताया कि उन्हें मेहनती होना है और तन-मन से सेवा करनी है। इन मिसालों के अलावा यीशु ने कुछ और भी बताया जिसमें अभिषिक्त मसीहियों के लिए एक चेतावनी है। उसने मत्ती 24:40, 41 में बताया कि जब उनका न्याय किया जाएगा और उन पर आखिरी मुहर लगायी जाएगी, तब क्या होगा?
किन्हें “साथ ले लिया जाएगा”?
15-16. मत्ती 24:40, 41 से कैसे पता चलता है कि अभिषिक्त मसीहियों को जागते रहना है?
15 ये तीनों मिसालें देने से पहले यीशु ने बताया था कि जब अभिषिक्त मसीहियों का न्याय किया जाएगा और उन पर आखिरी मुहर लगायी जाएगी, तब यह साफ ज़ाहिर हो जाएगा कि किन पर यीशु की मंज़ूरी है। यीशु ने बताया कि दो आदमी खेत में काम कर रहे होंगे और दो औरतें हाथ से चक्की पीस रही होंगी। देखने पर ऐसा लग सकता है कि दोनों आदमी एक ही जैसा काम कर रहे हैं और दोनों औरतें भी। लेकिन यीशु बताता है कि “एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरे को छोड़ दिया जाएगा।” (मत्ती 24:40, 41 पढ़िए।) फिर वह अपने चेलों से कहता है, “इसलिए जागते रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।” (मत्ती 24:42) यीशु ने कुँवारियों की मिसाल देने के बाद भी कुछ ऐसा ही कहा था। (मत्ती 25:13) क्या इन दोनों बातों का आपस में ताल्लुक है? हाँ, ऐसा ही लगता है। और इससे पता चलता है कि जो मसीही सच में अभिषिक्त हैं और वफादार रहेंगे, उन्हें ही यीशु अपने साथ स्वर्ग ‘ले जाएगा’ जहाँ वे उसके साथ राज करेंगे।—यूह. 14:3.
16 साबित कीजिए कि आप जाग रहे हैं। अगर एक अभिषिक्त मसीही जागता ना रहे, तो उसे “चुने हुओं” के साथ इकट्ठा नहीं किया जाएगा। (मत्ती 24:31) यह बात यहोवा के उन सभी सेवकों के बारे में भी सच है जिन्हें धरती पर जीने की आशा है। उन्हें भी यीशु की चेतावनी पर ध्यान देना है। उन्हें जागते रहना है और वफादार बने रहना है।
17. अगर यहोवा आज के समय में किसी का अभिषेक करता है, तो हमें क्यों परेशान नहीं होना चाहिए?
17 हम यहोवा को अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए हमें पूरा भरोसा है कि वह जो भी करेगा सही करेगा। हम यह सोचकर परेशान नहीं होते कि यहोवा ने हाल के समय में अपने कुछ वफादार लोगों का पवित्र शक्ति से अभिषेक किया है और उन्हें स्वर्ग में जीने के लिए चुना है। c हम यीशु की उस मिसाल को याद रखते हैं जिसमें उसने बताया था कि कुछ मज़दूरों को 11वें घंटे में अंगूरों के बाग में काम करने के लिए बुलाया गया था। (मत्ती 20:1-16) लेकिन इन मज़दूरों को भी उतनी ही दिहाड़ी मिलती है, जितनी कि उन मज़दूरों को जो सुबह से काम कर रहे थे। उसी तरह, एक मसीही का चाहे जब भी अभिषेक हुआ हो, अगर वह वफादार रहे, तो उसे बाकी अभिषिक्त मसीहियों की तरह स्वर्ग में जीने का मौका मिलेगा।
चेतावनियों पर ध्यान दीजिए
18-19. हमने जिन मिसालों पर गौर किया, उनसे हमने क्या सीखा और उनमें हमारे लिए क्या चेतावनी है?
18 हमने इस लेख में क्या सीखा? जिन मसीहियों को धरती पर हमेशा जीने की आशा है, वे भेड़ों और बकरियों की मिसाल से सीखते हैं कि उन्हें आज और आनेवाले महा-संकट के दौरान यहोवा के वफादार रहना है। अगर वे वफादार रहें, तो हर-मगिदोन से पहले जब यीशु न्याय करेगा, तो वह उन्हें नेक ठहराएगा और उन्हें “हमेशा की ज़िंदगी” देगा।—मत्ती 25:46.
19 हमने दो और मिसालों पर गौर किया जिनमें अभिषिक्त मसीहियों के लिए चेतावनी थी। यीशु ने दस कुँवारियों की मिसाल में बताया कि पाँच कुँवारियाँ समझदार थीं। वे सतर्क थीं और तब तक दूल्हे का इंतज़ार करने को तैयार थीं, जब तक वह नहीं आता। लेकिन मूर्ख कुँवारियाँ तैयार नहीं थीं, इसलिए दूल्हे ने उन्हें शादी की दावत में अंदर नहीं आने दिया। इससे हम सीखते हैं कि हमें भी तैयार रहना है और तब तक इंतज़ार करना है, जब तक कि यीशु इस दुनिया का अंत नहीं कर देता। फिर हमने तोड़ों की मिसाल पर गौर किया जिसमें बताया था कि दो वफादार दास बहुत मेहनती थे और अपने मालिक के काम में तन-मन से लगे हुए थे। उनकी मेहनत देखकर मालिक उनसे बहुत खुश होता है और उन्हें इनाम देता है। लेकिन वह आलसी दास को निकाल देता है। इससे हम क्या सीखते हैं? हमें अंत आने तक यहोवा की सेवा में पूरी तरह लगे रहना है। आखिर में हमने देखा कि अभिषिक्त मसीहियों को जागते रहना है। तभी यीशु उन्हें अपने साथ स्वर्ग ‘ले जाएगा।’ उन्हें उस वक्त का बेसब्री से इंतज़ार है, जब वे यीशु के साथ स्वर्ग में “इकट्ठा” किए जाएँगे। हर-मगिदोन के युद्ध के बाद जब मेम्ने की, यानी यीशु की शादी होगी, तो वे उसकी दुल्हन बनेंगे।—2 थिस्स. 2:1; प्रका. 19:7, 9.
20. जो चेतावनियों पर ध्यान देते हैं, यहोवा उन्हें क्या इनाम देगा?
20 वह वक्त बहुत पास आ गया है जब यीशु इस दुनिया का न्याय करेगा। लेकिन हमें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर हम वफादार रहें, तो हमारा प्यारा पिता यहोवा हमें ‘वह ताकत देगा जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है’ ताकि हम ‘इंसान के बेटे के सामने खड़े रह सकें।’ (2 कुरिं. 4:7; लूका 21:36) चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, अगर हम यीशु की मिसालों में बतायी चेतावनियों पर ध्यान दें, तो हम यहोवा का दिल खुश करेंगे। वह हम पर महा-कृपा करेगा और हमारा नाम जीवन की किताब में हमेशा लिखा रहेगा।—दानि. 12:1; प्रका. 3:5.
गीत 26 तुमने मेरे लिए किया
a मई 2024 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख, “यहोवा भविष्य में लोगों का किस तरह न्याय करेगा?” पढ़ें।
b और जानने के लिए 15 मार्च, 2015 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख, “क्या आप ‘जागते रहेंगे’?” पढ़ें।
[फुटनोट]
d तसवीर के बारे में: एक अभिषिक्त बहन एक लड़की के साथ अध्ययन कर रही हैं जिससे वे प्रचार करते वक्त मिली थीं।