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पहले पेज का विषय | परमेश्वर की तरफ से अनमोल तोहफा—क्या आप इसे कबूल करेंगे?

परमेश्वर के अनमोल तोहफे के लिए हम कैसे एहसानमंद हो सकते हैं?

परमेश्वर के अनमोल तोहफे के लिए हम कैसे एहसानमंद हो सकते हैं?

‘मसीह का प्यार हमें मजबूर करता है। वह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे अब से खुद के लिए न जीएँ, बल्कि उसके लिए जीएँ जो उनके लिए मरा।’—2 कुरिंथियों 5:14, 15.

जब कोई हमें अनमोल तोहफा देता है, तो क्या हमें उसके एहसानमंद नहीं होना चाहिए? यीशु ने भी इस बात की अहमियत बतायी। एक बार उसने दस आदमियों को ठीक किया, जिन्हें कोढ़ था। उस वक्‍त इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। फिर उनमें से एक आदमी “ज़ोर-ज़ोर से परमेश्वर का गुणगान करता हुआ वापस आया।” यीशु ने कहा, “क्या दसों के दस शुद्ध नहीं हुए थे? तो फिर बाकी नौ कहाँ हैं?” (लूका 17:12-17) इससे हम क्या सीखते हैं? यही कि हम शायद बहुत जल्द यह भूल जाएँ कि दूसरों ने हमारे साथ कितनी भलाई की है!

फिरौती एक बेमिसाल तोहफा है। इतना बड़ा तोहफा आज तक किसी ने नहीं दिया। तो फिर इसके लिए आप परमेश्वर के एहसानमंद कैसे हो सकते हैं?

  • तोहफा देनेवाले को जानिए। फिरौती की वजह से सभी इंसानों को खुद-ब-खुद हमेशा की ज़िंदगी नहीं मिलेगी। हमें कुछ करना होगा। यीशु ने प्रार्थना में कहा था, “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना 17:3) अगर कोई आपको बताता है कि बचपन में किसी ने आपकी जान बचायी थी, तो क्या आप उस व्यक्‍ति के बारे में जानना नहीं चाहेंगे और यह भी कि उसने ऐसा क्यों किया? परमेश्वर यहोवा ने फिरौती के ज़रिए सभी इंसानों की जान बचाने का इंतज़ाम किया है। वह चाहता है कि आप उसे जानें और उसके साथ एक करीबी रिश्ता बनाएँ। पवित्र शास्त्र हमसे गुज़ारिश करता है, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”—याकूब 4:8.

  • फिरौती बलिदान पर विश्वास कीजिए। “जो बेटे पर विश्वास करता है वह हमेशा की ज़िंदगी पाएगा।” (यूहन्ना 3:36) एक व्यक्‍ति का विश्वास उसके कामों से पता चलता है। उसी तरह फिरौती पर हमारा विश्वास हमारे कामों से पता चलना चाहिए। (याकूब 2:17) ज़रा सोचिए। यह कैसे पता चलता है कि कोई तोहफा आपने कबूल किया है? जब आप हाथ बढ़ाकर उसे लेते हैं। वैसे ही, यह तभी पता चलेगा कि फिरौती पर आपको विश्वास है, जब आप कुछ कदम उठाएँगे। कौन-से? आपको सीखना होगा कि परमेश्वर आपसे क्या चाहता है और फिर उसके मुताबिक जीना होगा। * आपको परमेश्वर से प्रार्थना करनी होगी कि वह आपके पाप माफ कर दे और आपको मन की शांति दे। जो लोग फिरौती पर विश्वास करते हैं, उनके लिए फिरौती इस बात की गारंटी है कि परमेश्वर उन्हें ऐसी शांति, सुरक्षा और खुशहाली देगा, जो सदा बनी रहेगी। प्रार्थना करते वक्‍त आपको इस बात का पक्का यकीन होना चाहिए।—इब्रानियों 11:1.

  • यीशु की मौत के यादगार समारोह में हाज़िर होइए। यीशु ने एक सालाना समारोह की शुरूआत की थी, जो हमें उसके फिरौती बलिदान की याद दिलाता। इस समारोह के बारे में उसने कहा था, “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” (लूका 22:19) इस साल यहोवा के साक्षी मंगलवार, 11 अप्रैल, 2017 को सूरज ढलने के बाद यीशु की कुरबानी याद करने के लिए एक सभा रखेंगे। यह सभा करीब एक घंटे की होगी। इसमें एक भाषण के ज़रिए समझाया जाएगा कि यीशु की कुरबानी कितनी मायने रखती है और इससे हमें अभी और भविष्य में क्या आशीषें मिल सकती हैं। पिछले साल पूरी दुनिया में करीब 2 करोड़ लोग इस समारोह में हाज़िर हुए थे। परमेश्वर से मिले सबसे बड़े तोहफे के लिए हम बहुत एहसानमंद हैं। हम चाहते हैं कि इस साल आप भी हमारे साथ इस समारोह में हाज़िर हों। हमें बहुत खुशी होगी!

^ पैरा. 7 परमेश्वर को जानने और उसके साथ करीबी रिश्ता बनाने का सबसे बढ़िया तरीका है, उसका वचन बाइबल पढ़ना और समझना। यह आप कैसे कर सकते हैं? इसके लिए किसी यहोवा के साक्षी से संपर्क कीजिए या हमारी वेबसाइट www.pr418.com पर जाइए।