पहले पेज का विषय | बनाएँ घर को प्यार का आशियाना!
झगड़े कैसे सुलझाएँ
क्या आपके परिवार में आए दिन झगड़े होते रहते हैं? हो सकता है आपके बीच पहले से कहीं ज़्यादा लड़ाइयाँ होने लगी हों और वह भी बहुत बुरी तरह से। शायद आपको यह भी न पता हो कि ये झगड़े किस वजह से शुरू होते हैं। लेकिन सच तो यह है कि आप एक-दूसरे को ठेस नहीं पहुँचाना चाहते, क्योंकि आप एक-दूसरे से प्यार करते हैं।
अगर परिवार में दो लोगों की सोच आपस में नहीं मिलती, तो इसका यह मतलब नहीं कि परिवार में एकता नहीं है। कई बार हम शायद आपस में एकमत न हों, लेकिन ऐसा होने पर हम जिस तरह पेश आते हैं, उससे यह तय होगा कि घर में शांति होगी या फिर क्लेश होगा। आइए कुछ ऐसे तरीकों पर ध्यान दें, जिनसे हम घर में शांति बनाए रख सकते हैं।
1. ईंट का जवाब पत्थर से मत दीजिए।
ताली कभी-भी एक हाथ से नहीं बजती। जब किसी बात पर दो लोगों के बीच बहस होती है, तो अगर उनमें से एक बोलने के बजाय शांति से दूसरे की सुने, तो शायद बहस बंद हो जाए। इसलिए उकसाए जाने पर खुद को काबू में रखिए। इससे आप अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान बनाए रख पाएँगे। याद रखिए कि परिवार में शांति बनाए रखना बहस जीतने से ज़्यादा ज़रूरी है।
“जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहाँ कानाफूसी करनेवाला नहीं वहाँ झगड़ा मिट जाता है।”
—नीतिवचन 26:20.
2. दूसरे की बात समझिए।
अगर हम बिना टोके दूसरे की बात सुनें और उसके बारे में पहले से कुछ न सोचें, तो झगड़ा खत्म हो सकता है और घर में शांति बनी रह सकती है। उसकी बात पर शक करने के बजाय उसे समझिए। कई बार लोग बिना सोचे-समझे कड़वी बातें कह बैठते हैं या फिर किसी और वजह से दुखी होते हैं और हम पर भड़क उठते हैं। हम सभी गलतियों के पुतले हैं, इसलिए कभी ऐसा मत सोचिए कि उसने आपको बुरा-भला कहा क्योंकि वह आपसे बदला लेना चाहता है।
“करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, मन की दीनता, कोमलता और सहनशीलता को पहन लो।”
—कुलुस्सियों 3:12.
3. पहले खुद को शांत कीजिए।
अगर आपको बहुत गुस्सा आ रहा है, तो अच्छा होगा कि आप सामनेवाले से शांति से कहें कि आप कुछ देर में बात करेंगे और वहाँ से चले जाइए, जब तक कि आपका गुस्सा ठंडा नहीं हो जाता। आप चाहें तो थोड़ी देर के लिए दूसरे कमरे में जा सकते हैं या फिर टहलने जा सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बात टाल रहे हैं या फिर आपने चुप्पी साध ली है। इसके बजाय यही सबसे अच्छा वक्त होगा कि आप ईश्वर से प्रार्थना करें, ताकि वह आपको सब्र और समझ से काम लेने में बुद्धि दे।
“लड़ाई-झगड़े के फूटने के पहले ही वहां से हट जाओ!”—नीतिवचन 17:14, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज।
4. ध्यान से सोचिए कि क्या कहना है और कैसे कहना है।
अगर आप दूसरे को करारा जवाब देने के चक्कर में रहें, तो इससे मामला ठीक होने के बजाय और बिगड़ जाएगा। तो क्यों न आप कुछ ऐसा कहें, जिससे उसे अच्छा लगे और वह शांत हो सके। यह मत बताइए कि उसे क्या करना चाहिए, बल्कि उससे पूछिए कि उसने ऐसा क्यों किया। वह आपसे जो भी कहे, उसे मान लीजिए।
“बिना सोच-विचार का बोलना तलवार के समान चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।”—नीतिवचन 12:18.
5. ऊँची आवाज़ में बात मत कीजिए और लहज़े पर ध्यान दीजिए।
अगर एक जन अपना आपा खो बैठता है, तो अकसर दूसरे को भी गुस्सा आ जाता है। भले ही आपको उसकी बात कितनी बुरी क्यों न लगी हो, पर आप ताने मत मारिए और न ही अपनी आवाज़ ऊँची कीजिए। ऐसी कोई भी चुभनेवाली बात मत कहिए, जैसे “तुम्हें तो मेरी कोई फिक्र ही नहीं” या “तुम तो मेरी कभी सुनते ही नहीं।” इसके बजाय अपने साथी से शांत लहज़े में कहिए कि उसने जो किया, वह आपको कैसा लगा, जैसे कहिए, “मुझे बहुत दुख होता है, जब आप ऐसा कहते या करते हैं।” धक्का देना, थप्पड़ मारना या मार-पीट करना किसी भी हाल में ठीक नहीं है। उसी तरह गाली-गलौज करना या डराना-धमकाना भी सही नहीं है।
“हर तरह की जलन-कुढ़न, गुस्सा, क्रोध, चीखना-चिल्लाना और गाली-गलौज, साथ ही हर तरह की बुराई को खुद से दूर करो।”
—इफिसियों 4:31.
6. फौरन माफी माँगिए और बताइए कि आगे से आप क्या करेंगे।
माना कि आप गुस्से में हैं या चिढ़े हुए हैं, लेकिन जब आपका किसी से झगड़ा होता है, तो आप दोनों ही हार जाते हैं और अगर आप शांति बनाए रखते हैं, तो आप दोनों ही जीत जाते हैं। इसलिए अपना आपा मत खोइए, क्योंकि आप घर में शांति बनाए रखना चाहते हैं। यह आपके हाथ में है कि घर युद्ध का मैदान होगा या शांति का बसेरा। भले ही आपको लगे कि आपकी कोई गलती नहीं है, फिर भी आप इस बात के लिए माफी माँग सकते हैं कि आप चिढ़ गए या आपने जाने-अनजाने में कुछ ऐसा कह दिया जिससे झगड़ा बढ़ गया। बहस जीतने से कहीं ज़्यादा मायने रखता है, आपसी रिश्तों में शांति होना। अगर कोई आपसे माफी माँगता है, तो फौरन उसे माफ कर दीजिए। (g15-E 12)
“तो आओ हम उन बातों में लगे रहें जिनसे शांति कायम होती है और एक-दूसरे का हौसला मज़बूत होता है।”
—रोमियों 14:19.
जब बहस खत्म हो जाए, तो आप शांति बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं? अगले लेख का विषय यही है।