जीवन का आदर कीजिए
यह क्यों ज़रूरी है?
जब एक व्यक्ति कोई ऐसा काम करता है जिससे उसकी सेहत को नुकसान हो या वह दूसरों को खतरे में डाले, तो इससे पता चलता है कि उसे ना अपनी ज़िंदगी की और ना ही दूसरों की ज़िंदगी की कोई परवाह है।
-
बीड़ी-सिगरेट पीने से ना सिर्फ कैंसर होता है बल्कि शरीर भी इतना कमज़ोर हो जाता है कि यह इस खतरनाक बीमारी से लड़ ही नहीं पाता। बताया जाता है कि जिनकी मौत फेफड़ों के कैंसर से होती है, उनमें से करीब 90% लोग खुद सिगरेट पीते थे या उनके आस-पास के लोग सिगरेट पीते थे।
-
जनसत्ता समाचार पत्र के मुताबिक, भारत के स्कूली बच्चों में भी बढ़ती हिंसा स्कूल और समाज के लिए खतरा बनती जा रही है। कुछ देशों में तो स्कूलों में और दूसरी जगहों पर सरेआम गोलीबारी होती है। इस वजह से हर साल कई लोगों पर बुरा असर हो रहा है। एक जानी-मानी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में लिखा है, “एक खोज से पता चलता है कि भले ही कई बच्चे गोलीबारी से बच जाएँ, फिर भी इस हादसे का सदमा उन्हें ज़रूर लगता है। रह-रहकर इसकी बुरी यादें उन्हें कई सालों तक सताती हैं।”
-
जब लोग शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाते हैं, तो इससे एक्सीडेंट हो सकता है। यहाँ तक कि फुटपाथ पर चलनेवालों को भी खतरा हो सकता है। जब लोग इस तरह जान की परवाह नहीं दिखाते, तो अकसर इसकी कीमत मासूम लोगों को चुकानी पड़ती है।
आप यह कैसे कर सकते हैं?
अपनी सेहत का ध्यान रखिए। क्या आपको बीड़ी-सिगरेट, ई-सिगरेट या ज़्यादा शराब पीने की या ड्रग्स लेने की आदत है? इस तरह की बुरी आदतें आपके लिए और दूसरों के लिए, खासकर आपके परिवारवालों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसलिए अभी समय है कि आप ये बुरी आदतें छोड़ दें।
अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखिए। अपने घर को अच्छी हालत में रखिए। अगर कहीं मरम्मत की ज़रूरत है, तो उसे कीजिए ताकि कोई हादसा ना हो। अपनी गाड़ी को भी अच्छी हालत में रखिए और उसे ध्यान से चलाइए। दूसरों की बातों में आकर ऐसा कुछ मत कीजिए, जिससे आपको बुरी तरह चोट लग सकती है या फिर आपकी जान भी जा सकती है।
सभी के साथ अच्छे-से पेश आइए। जीवन का आदर करने का यह भी मतलब है कि हम सब लोगों के साथ अच्छे-से पेश आएँ, फिर चाहे वे किसी भी जाति या देश के हों, अमीर हों या गरीब, पढ़े-लिखे हों या अनपढ़। ऐसा करना सही भी है क्योंकि आज दुनिया में जितने भी लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं, मार-काट मच रही है, उनकी सबसे बड़ी वजह है कि लोग भेदभाव करते हैं और एक-दूसरे से नफरत करते हैं।
हमारी कोशिशें
हम यहोवा के साक्षी लोगों को एक अच्छा, स्वस्थ जीवन जीने का बढ़ावा देते हैं। हमारी सभाएँ होती हैं और हम लोगों के साथ बाइबल से चर्चा भी करते हैं। इनमें हम ऐसे सिद्धांतों पर बात करते हैं, जिनसे लोग गुस्सा करने, सिगरेट पीने या ड्रग्स लेने जैसे बुरी आदतें छोड़ पाते हैं।
हमारे निर्माण की जगह पर सुरक्षा का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। कुछ यहोवा के साक्षी सभा-घर और संगठन की दूसरी इमारतें बनाने में हाथ बँटाते हैं। उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है कि वे कैसे सावधानी से काम करें ताकि कोई दुर्घटना ना हो। इसके अलावा, समय-समय पर हमारी इमारतों की जाँच की जाती है और उनका रख-रखाव किया जाता है ताकि इलाके के नियमों के मुताबिक वे सुरक्षित हों।
कोई विपत्ति आने पर हम राहत काम करते हैं। 2022 में पूरी दुनिया में करीब 200 बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ आयीं। इस दौरान लोगों तक राहत का सामान पहुँचाने के लिए हमने करीब 90 करोड़ रुपए खर्च किए।
2014 और 2018 में जब अफ्रीका के कुछ देशों में इबोला वायरस फैलने लगा, तो हमने लोगों को सिखाया कि वे क्या सावधानियाँ बरत सकते हैं ताकि यह खतरनाक वायरस और ना फैले। हमारे संगठन ने कुछ लोगों को भेजा ताकि वे अलग-अलग समूह के लोगों से इस विषय पर बात करें, “आज्ञा मानने से जान बचती है।” हमारी हर उपासना की जगह के बाहर हमने हाथ धोने का इंतज़ाम किया। हमने ज़ोर देकर सबको बताया कि हाथ धोना कितना ज़रूरी है और यह बीमारी को फैलने से रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।
अफ्रीका के एक देश, सिएरा लियोन में रेडियो पर एक घोषणा की गयी थी। उसमें यहोवा के साक्षियों की तारीफ की गयी कि उन्होंने इबोला वायरस से बचने में ना सिर्फ अपने लोगों की बल्कि दूसरों की भी मदद की।
a प्राचीन मध्य पूर्व में घर की छत सपाट होती थी और हर दिन के काम वहीं पर किए जाते थे। इसलिए वहाँ के लोगों को यह नियम परिवार और दूसरों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर दिया गया था।