3 अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?
यह जानना क्यों ज़रूरी है?
जब हम देखते हैं कि अच्छे लोगों के साथ बुरा होता है, तो हमें यह सरासर अन्याय लगता है। कुछ लोगों को यह भी लगता है कि अच्छे होने का कोई फायदा ही नहीं।
ज़रा सोचिए
कुछ लोगों का मानना है कि इंसान मरते हैं और दोबारा जन्म लेते हैं। वे कहते हैं कि जिन्होंने अच्छे कर्म किए हैं, उन्हें अगले जन्म में अच्छी ज़िंदगी मिलेगी। लेकिन जिन्होंने बुरे कर्म किए हैं, उन्हें अगले जन्म में दुख झेलने पड़ेंगे। इस शिक्षा के मुताबिक एक इंसान इस जन्म में कितना भी अच्छा काम क्यों न करे, उसे अपने “पिछले जन्म” के पापों की सज़ा भुगतनी पड़ती है। लेकिन . . .
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उस सज़ा का क्या फायदा, अगर हमें याद ही नहीं कि हमने पिछले जन्म में कौन-से पाप किए थे?
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अगर पिछले जन्म के पापों की वजह से हमें बीमार होना ही है या हमारे साथ कोई दुर्घटना घटनी ही है, तो फिर हम अपनी सेहत और सुरक्षा का ध्यान क्यों रखते हैं?
ज़्यादा जानने के लिए
jw.org पर परमेश्वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? वीडियो देखें।
बाइबल क्या बताती है?
परमेश्वर इंसानों पर तकलीफें लाकर उन्हें सज़ा नहीं देता।
इसके बजाय, ज़्यादातर मामलों में लोग इत्तफाक से कहीं होते हैं और उनके साथ अचानक कुछ बुरा हो जाता है।
“न तो सबसे तेज़ दौड़नेवाला दौड़ में हमेशा जीतता है, न वीर योद्धा लड़ाई में हमेशा जीतता है, न बुद्धिमान के पास हमेशा खाने को होता है, न अक्लमंद के पास हमेशा दौलत होती है और न ही ज्ञानी हमेशा कामयाब होता है। क्योंकि मुसीबत की घड़ी किसी पर भी आ सकती है और हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।”—सभोपदेशक 9:11.
पाप करने की फितरत होने से हमें तकलीफें झेलनी पड़ती हैं।
बहुत-से लोगों का मानना है कि “पाप” का मतलब है, कोई अपराध करना या कानून तोड़ना। लेकिन बाइबल के मुताबिक पाप सिर्फ बुरे काम करना नहीं बल्कि एक फितरत भी है, जो अच्छे-बुरे सभी इंसानों में जन्म से होती है। यह फितरत इंसानों को अपने पहले माता-पिता से मानो विरासत में मिली है। इस वजह से उनका झुकाव हमेशा गलत कामों की तरफ होता है।
“मैं जन्म से ही पाप का दोषी हूँ, जब मैं माँ के गर्भ में पड़ा तब से मुझमें पाप है।”—भजन 51:5.
पाप का इंसानों पर बहुत ही बुरा असर हुआ है।
विरासत में मिले पाप की वजह से सृष्टिकर्ता के साथ इंसानों के रिश्ते में दरार आ गयी है। यही नहीं, ईश्वर की बाकी सृष्टि के साथ भी उनका तालमेल बिगड़ गया है। नतीजा यह हुआ है कि हरेक इंसान और पूरा समाज भी बहुत दुख और तकलीफें झेल रहा है।
“जब मैं अच्छा करना चाहता हूँ, तो अपने अंदर बुराई को ही पाता हूँ।”—रोमियों 7:21.
“सारी सृष्टि . . . एक-साथ कराहती और दर्द से तड़प रही है।”—रोमियों 8:22.