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दुनिया पर नज़र रखना

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जटिलता कहाँ शुरू होती है?

अनेक विकासवादी यह मानते हैं कि प्राचीन जीवित प्राणी सरल थे लेकिन फिर अनुमान लगाया जाता है कि वे युगों के दौरान अधिकाधिक जटिल बनने के लिए नैसर्गिक वरण द्वारा विवश हुए। हाल के अध्ययन अधिक जटिलता की ओर ऐसे अग्रगमन का पता लगाने में असफल रहे हैं। एक पुरा जीवविज्ञानी, डॉ. डैन मैक्शे ने विभिन्‍न स्तनधारी जीवों की अश्‍मीभूत रीढ़ की हड्डियों की जाँच की; एक और अध्ययन ने मृदुकवची जानवरों के जीवाश्‍म पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों में से एक भी अध्ययन को अधिक जटिलता की ओर विकासवादी अग्रगमन का कोई भी प्रमाण नहीं मिला। न ही उन्हें यह पता चला कि अधिक जटिलता कोई उत्तरजीविता लाभ लाती है। द न्यू यॉर्क टाइम्स्‌ (The New York Times) के अनुसार, विशेषज्ञ कहते हैं कि ये जाँच-निष्कर्ष “अनेक जीवविज्ञानियों को एक अचम्भे के तौर पर लगेंगे जो ऐसी विचारधारा रखने के आदी हो गए हैं।” टाइम्स्‌ नोट करता है: “डॉ. मैक्शे के अनुसार, जटिलता की ओर अग्रगमन का बोध किसी जीववैज्ञानिक वास्तविकता का प्रतिबिम्ब होने के बजाय शायद वैज्ञानिकों की अभिलाषाओं का प्रतिबिम्ब ज़्यादा हो जो विकासवाद में किसी तरह की प्रगति देखना चाहते हैं।”

व्यायाम और उम्र

क्या व्यायाम शुरू करने की कोई उम्र होती है? पूर्वी संयुक्‍त राज्य अमरीका में हाल ही में किए एक अध्ययन के अनुसार नहीं। दस हज़ार से ज़्यादा पुरुषों के एक सर्वेक्षण ने पता लगाया कि उनका औसत जीवन-काल बढ़ गया चाहे उन्होंने किसी भी उम्र में “संतुलित रूप से कड़ा” व्यायाम करना शुरू किया था। जिन लोगों ने ४५ से ५४ साल की उम्र के बीच शुरू किया उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदा हुआ, उनका जीवन-काल क़रीब दस महीने बढ़ गया। जो व्यायाम शुरू करते समय ६५ से ७४ साल के बीच के थे उनका छः महीने बढ़ गया, और जो ७५ से ८४ साल के थे उनका दो महीने बढ़ा। इस अध्ययन के निर्देशक, डॉ. राल्फ़ पेफनबार्गर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये औसत थे; अतः, जिन लोगों का सर्वेक्षण हुआ था उनमें से कुछ लोगों को दूसरे लोगों के मुक़ाबले व्यायाम से ज़्यादा फ़ायदा पहुँचा। ऐसा लगा कि ख़ास फ़ायदा था दिल के दौरों से बचाव करना। लेकिन, जिन्होंने व्यायाम किया उन लोगों की दूसरी बीमारियों से मरने की संभावना भी कम थी।

बाघ की हड्डियाँ

पारंपरिक पूर्वी औषधियों में इस्तेमाल के लिए बाघ की हड्डियों की माँग, कम होती हुई बाघ आबादी के लिए ख़तरा पैदा करती है, ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लैनसेट (The Lancet) कहती है। बाघ के उत्पादनों में व्यापार को कम करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद, बाघ की हड्डियों को दाखमधु, औषधियों, और अवलेहों (शहद या शीरे के साथ मिश्रित औषधि चूर्ण) में मिलाकर व्यापक रीति से बेचा जाता है। वर्ष १९९१ में ही, आरोप लगाया गया है कि एक एशियाई देश ने, १५,०७९ डब्बे गोलियाँ, ५,२५० कि.ग्रा. अवलेह, और ३१,५०० बोतल दाखमधु निर्यात किया, जिनमें बाघ की हड्डियाँ थीं। अनुमान लगाया गया है कि संसारभर में बचे हुए बाघों की संख्या सिर्फ़ क़रीबन ६,००० रह गई है।

लिंग-भेद की बाधा

“तृतीय संसार के देशों में ज़्यादातर, एक स्त्री का जीवन शायद ही जीने योग्य होता है,” द वॉशिन्गटन पोस्ट में रिपोर्टों की हाल ही की एक श्रृंखला की शुरूआत में कहा गया। अफ्रीका, एशिया, और दक्षिण अमरीका के ग़रीब भागों में बीसियों स्त्रियों का इंटरव्यू लेने के बाद पोस्ट के रिपोर्टरों ने पता लगाया कि “संस्कृति, धर्म और क़ानून अकसर स्त्रियों को मूल मानव अधिकारों से वंचित रखते हैं और कभी-कभी तो उनका दर्जा लगभग अवमानवीय स्तर तक गिरा देते हैं।” उदाहरण के लिए, एक हिमालयी गाँव में, स्त्रियाँ ५९ प्रतिशत काम करती हैं, एक दिन में १४ घंटे मेहनत करती हैं और अकसर अपने से १.५ गुना बोझ ढोती हैं। एक अध्ययन ने पता लगाया कि “दो या तीन . . . गर्भावस्थाओं के बाद, उनकी ताक़त ख़त्म हो जाती है, वे कमज़ोर होती जाती हैं, और ३६-३९ साल की उम्र तक निःशक्‍त, बूढ़ी और थक जाती हैं, और जल्द ही मर जाती हैं।” लड़कियों को आम तौर पर कम खिलाया जाता है, स्कूल से निकाल कर काम पर जल्दी लगा दिया जाता है, और उन्हें लड़कों से कम चिकित्सीय देखरेख मिलती है। अनेक स्त्रियाँ शिशु लड़कियों को एक महँगा बोझ समझकर मार डालती हैं। रिपोर्टरों ने नोट किया कि दक्षिण भारत के गाँवों में उबलता हुआ मुर्गी का सूप बच्चे को पिलाकर शिशु-हत्या करना एक आम तरीक़ा है। जब एक पुलिस अधिकारी से पूछा गया कि क्या ऐसे अपराधों की सज़ा दी जाती है तो उसने कहा: “इससे भी ज़्यादा ज़रूरी मामले हैं। बहुत कम मामले हमारे ध्यान में लाए जाते हैं। बहुत कम लोग परवाह करते हैं।”

अत्यावश्‍यक चंद्रमा

इस पृथ्वी ग्रह को अद्वितीय रूप से जीवन के लिए सुविधाजनक बनानेवाले तत्त्वों की असाधारण सूची में खगोलज्ञों को शायद एक और चीज़ जोड़नी पड़े: चंद्रमा। हमारा उपग्रह आसमान के लिए सिर्फ़ शोभाकारी रात की रोशनी देने और ज्वार-भाटा उत्पन्‍न करने से कहीं ज़्यादा काम करता है। फ्रैन्च खगोलज्ञों द्वारा किए गए कम्‌प्यूटर अध्ययनों के अनुसार, यह पृथ्वी के तिरछेपन को, अर्थात्‌, उसकी चक्रण धुरी पर झुकाव की डिग्री को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। मंगल, जिसके पास इतना बड़ा उपग्रह नहीं है, ऐसा लगता है कि अपने झुकाव की डिग्री में युगों के दौरान १० और ५० डिग्री के बीच खिसक गया है। इस अस्थिरता ने संभवतः मौसम में अनर्थकर परिवर्तन किए हैं, जिससे ध्रुवीय चोटियाँ पिघल जाती हैं और फिर दोबारा जम जाती हैं। कम्‌प्यूटर अध्ययनों ने दिखाया कि चंद्रमा के बिना, जो कि एक नियंत्रित करनेवाला प्रभाव डालता है, पृथ्वी का तिरछापन क़रीब ८५ डिग्री खिसक जाता। अतः, फ्रैन्च खगोलज्ञ निष्कर्ष निकालते हैं: “एक व्यक्‍ति यह मान सकता है कि चंद्रमा पृथ्वी के लिए एक संभावित मौसम नियंत्रक के रूप में काम करता है।”

ग़ायब स्त्रियाँ

ब्रिटेन, फ्रान्स, स्विट्‌ज़रलैंड, और अमरीका जैसे विकसित देशों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से ज़्यादा है, उनका अनुपात १०५:१०० है। लेकिन यू.एन. के आँकड़े दिखाते हैं कि एशिया में लाखों लाख स्त्रियाँ ग़ायब हैं। उदाहरण के लिए, अफ़गानिस्तान और बंगलादेश में प्रति १०० पुरुषों पर ९४ स्त्रियाँ हैं, भारत में ९३ हैं, और पाकिस्तान में सिर्फ़ ९२ हैं। चीन के सरकारी आँकड़ों ने दिखाया कि एक और दो साल के बीच के बच्चों में हर १०० लड़कियों पर ११४ लड़के हैं। यह भिन्‍नता क्यों? द वॉशिंगटन पोस्ट कहता है, “विशेषज्ञ इसका कारण बताते हैं कि स्त्रियों को प्राण-घातक भेदभाव सहना पड़ता है और वह उनकी उत्तरजीविता की संभावना पुरुषों से कम कर देता है: स्त्री भ्रूण का गर्भपात करने का चुनाव करना और स्त्री शिशु को मार डालना, अच्छा पोषण और स्वास्थ्य सेवा न मिलना, अनेक गर्भावस्थाएँ और कमरतोड़ शारीरिक मेहनत।” इसके अलावा, कुछ संस्कृतियों में जनगणना करनेवाले पुरुष या तो स्त्रियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उन्हें स्त्रियों से बात नहीं करने दी जाती। और कुछ पिता, इस बात से लज्जित होकर कि उनके पास बेटों से ज़्यादा बेटियाँ हैं, अपने बच्चों के लिंग के बारे में झूठ बोलते हैं।

चीन का गिरता हुआ जन्म-दर

द न्यू यॉर्क टाइमस्‌ (The New York Times) रिपोर्ट करता है कि वर्ष १९९२ के आँकड़े चीन में अब तक रिकार्ड किया गया न्यूनतम जन्म-दर स्तर दिखाते हैं—१९८७ में २३.३३ से गिरकर, १९९२ में १८.२ जन्म प्रति १,००० व्यक्‍ति। जबकि यह आशा नहीं की गई थी कि लक्ष्य तक २०१० से पहले पहुँचा जाएगा, लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया “क्योंकि राजनीतिक दल और हर स्तर पर सरकारी अधिकारियों ने परिवार नियोजन को ज़्यादा ध्यान दिया और ज़्यादा प्रभावकारी तरीक़े अपनाए,” राज्य परिवार नियोजन आयोग मंत्री, पङ्‌ग पेयुन कहती है। कार्यक्रम के अधीन स्थानीय अधिकारियों को उनके अधिकार क्षेत्र में जन्मसंख्या कम करने के लिए व्यक्‍तिगत रूप से ज़िम्मेदार ठहराया गया और ऐसा करने में चूकने से उन्हें सज़ा भी दी जा सकती थी। अनेक मामलों में इसका अर्थ था उन स्त्रियों का अनिवार्य बन्धीकरण जिनके पास पहले ही एक बच्चा था और उनके लिए बहुत सख़्त जुर्माना जो अनाधिकृत जन्म देती थीं। जब गाँववाले जुर्माना नहीं भर पाते तो उनका सामान या तो ज़ब्त कर लिया जाता है या बरबाद कर दिया जाता है, और अकसर उनके घर गिरा दिए जाते हैं। चीन के १.१७ अरब निवासी पहले ही संसार की क़रीब २२ प्रतिशत जनसंख्या हैं।

कम्‌प्यूटर द्वारा अनुवादित

इसे अपने क़िस्म का पहला अनुवाद कहा जा रहा है। इसमें एक कम्‌प्यूटर ने हाल ही में जापान, जर्मनी, और अमरीका में अनुसंधायकों के बीच टेलीफोन वार्तालापों का अनुवाद किया। बात करते समय, क्योटो, म्युनिक, और पिटस्बर्ग के वैज्ञानिकों ने अपनी शब्दावली को ५५० साधारण शब्दों और सम्मेलन एवं होटल बुकिंग के क्षेत्र से अतिरिक्‍त १५० ख़ास शब्दों तक सीमित रखा। कम्‌प्यूटर प्रोग्राम सिर्फ़ इन्हीं शब्दों को समझ सकता है और अनुवाद कर सकता है। म्युनिक का अख़बार स्यूटडॉइश ट्‌साइटुंग (Suddeutsche Zeitung) रिपोर्ट करता है कि वैज्ञानिक “साथ मिलकर एक अनुवाद कम्‌प्यूटर पर काम कर रहे हैं जो विभिन्‍न देशों से हिस्सा लेनेवालों के सम्मेलन बुकिंगस्‌ सम्भालेगा और सरल प्रश्‍नों के उत्तर देगा।”

बौद्ध धर्म की मधुशाला

अपने भटकते झुंड को फिर से बौद्ध धर्म सिखाने के प्रयास में बौद्ध पुजारियों ने ओसाका, जापान में एक मधुशाला खोली है। आसाही इवनिंग न्यूज़ (Asahi Evening News) ने एक पुजारी को यह कहते हुए उल्लिखित किया, “प्राचीन समय में सब क़िस्म के लोग मंदिर में इकट्ठा होकर खाते-पीते समय बातचीत करते थे। जैसे-जैसे सैकड़ों साल बीतते गए, बौद्ध धर्म लोगों से अलग हो गया।” पंद्रह पुजारी, जिनमें से ज़्यादातर जवान हैं, मधुशाला में बारी-बारी अतिथेय के रूप में कार्य करते हैं और ग्राहकों के साथ पीते हैं। वहाँ का मैनेजर कहता है, “हमारी मधुशाला सही अर्थ में मंदिर है जहाँ आप एक पुजारी से खुलकर बात कर सकते हैं।” धूप-बत्ती जलती है और धार्मिक प्रतीक दीवार पर लटके हुए हैं। पीछे से रॉक संगीत चलता है।

आपके हृदय के लिए थोड़ी दाखमधु

लाल दाखमधु का संतुलित उपभोग दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा कम कर सकता है। कुछ समय से वैज्ञानिक इस बात को लेकर उलझन में पड़े हैं जिसे अब “फ्रांसीसी अंतर्विरोध” कहा जाता है। जबकि औसत फ्रांसीसी व्यक्‍ति के आहार में संतृप्त चरबी कम नहीं होती जो हृदय-नलिकाओं सम्बन्धी (कार्डियोवैसक्यूलर) समस्याओं को योग देती है, औद्योगिकृत पश्‍चिम में फ्रांसीसी लोग उन लोगों में से एक हैं जिनका हृदधमनी रोग के कारण मृत्यु-दर सबसे कम हैं। पैरिस के अख़बार ल फीगारो (Le Figaro) के अनुसार, जो ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लैनसट (The Lancet) में प्रकाशित रिपोर्टों का ज़िक्र कर रहा था, वैज्ञानिक विश्‍वास करते हैं कि इसका कुछ सम्बन्ध लाल दाखमधु से हो सकता है जो फ्रांसीसी लोग आम तौर पर अपने भोजन के साथ पीते हैं। यह दिखाया गया है कि लाल दाखमधु में विद्यमान अम्लकर यौगिक तत्त्व, जो फिनाइल कहलाते हैं, तथाकथित बुरे कोलेस्ट्रॉल (एल.डी.एल.) को धमनियों में चरबीदार निक्षेपों के साथ फँसने नहीं देते जो दिल का दौरा पड़ने का कारण होता है। ल फीगारो आगे कहता है कि ये फिनाइल दाखमधु के अमादक तत्त्व होते हैं और एक दिन में ०.२५ लीटर से ज़्यादा लेने से मद्यसार फ़ायदा कम नुक़सान ज़्यादा पहुँचाता है।