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मैं एडस्‌ से कैसे बच सकता हूँ?

मैं एडस्‌ से कैसे बच सकता हूँ?

युवा लोग पूछते हैं . . .

मैं एडस्‌ से कैसे बच सकता हूँ?

“मुझे यह सोचकर गुस्सा आता है कि यह मैं ने कैसे होने दिया,” के कहती है। “जिस तरह मैं ने काम करने का चुनाव किया, उससे मैं ने चुनाव करने के वे अवसर खो दिए जो शायद भविष्य में मुझे मिलते।” (‘न्यूज़वीक’ पत्रिका, अगस्त ३, १९९२) अठारह साल की उम्र में के को एडस्‌ का वाइरस लग गया।

के अमरीका में उन दस लाख से ज़्यादा लोगों में से एक है जो घातक एच.आई.वी. (Human Immunodeficiency Virus) से संक्रामित हैं—डॉक्टर कहते हैं कि इस वाइरस से भयानक बीमारी एडस्‌ हो जाती है। असल में कोई भी यह नहीं जानता कि ठीक कितने युवा संक्रामित हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि युवा लोग चिन्तित हैं। एक सर्वेक्षण ने दिखाया कि ११ से १६ साल के ब्रिटिश युवाओं के बीच एडस्‌ सबसे बड़ी चिन्ता है। ऐसी चिन्ता के बावजूद, अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्र कहता है: “रिपोर्ट लगातार मिल रही है कि अनेक किशोर ऐसे व्यवहार में भाग ले रहे हैं जिससे एक व्यक्‍ति को एच.आई.वी. लग सकता है।”

एडस्‌ हमेशा घातक होता है, और यह संसारभर में महामारी के जैसे फैल रहा है। आप अपने आपको कैसे बचा सकते हैं?

एडस्‌—कल्प-कथा को तथ्य से अलग करना

अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्र द्वारा तैयार की गई पुस्तिका व्याख्या करती है: “एच.आई.वी. संक्रामण ‘अपने आप’ नहीं हो जाता है। यह सर्दी या फ़्लू के जैसे नहीं ‘लग’ जाता है।” इसलिए, एडस्‌ के शिकारों के साथ साधारण दिन-प्रतिदिन का संपर्क जोख़िम भरा प्रतीत नहीं होता है। आपको चिन्ता करने की ज़रूरत नहीं कि आपको एडस्‌ लग जाएगा सिर्फ़ इसलिए कि आप एक ऐसे सहपाठी के साथ बैठते हैं जो एडस्‌ से संक्रामित है। क्योंकि एच.आई.वी. हवा से फैलनेवाला वाइरस नहीं है, आपको डरने की ज़रूरत नहीं यदि एडस्‌ का शिकार खाँसता या छींकता है। असल में, एडस्‌ से ग्रस्त व्यक्‍तियों के परिवार सदस्यों ने, जिन्हें एडस्‌ नहीं है, उसके साथ एक ही तौलिए, खाने के बर्तन, और यहाँ तक कि दाँतों के ब्रश भी इस्तेमाल किए हैं और उन्हें वाइरस नहीं लगा। *

ऐसा इसलिए है क्योंकि घातक वाइरस व्यक्‍ति के ख़ून, शुक्र, या योनिक स्रावों में रहता है। इसलिए, ज़्यादातर मामलों में, एडस्‌ मैथुन—समलिंगता या इतरलिंगता—से फैलता है। * अनेक लोग, अक़सर नशीले पदार्थों के दुष्प्रयोग में, सूइयों या सिरिन्जों का प्रयोग एक एच.आई.वी से संक्रामित व्यक्‍ति के साथ मिल बाँटकर करने से भी संक्रामित हुए हैं। * और जबकि डॉक्टर दावा करते हैं कि ख़ून की पूरी जाँच करने के द्वारा रक्‍ताधान से एडस्‌ फैलने का जोख़िम “क़रीब-क़रीब ख़त्म हो गया है,” एडस्‌ रक्‍ताधान से भी फैल सकता है।

सो कोई भी व्यक्‍ति जो विवाहपूर्व संभोग के साथ या ग़ैरक़ानूनी नशीले पदार्थों को सूई से लगाने के साथ प्रयोग करता है, एडस्‌ संक्रामण के भारी ख़तरे में है। यह सच है कि शायद एक संभावित यौन-साथी बीमार न लगे। लेकिन पुस्तिका वॉलनटरि एच.आई.वी. काउन्सलिंग एण्ड टेस्टिंग: फ़ैक्टस्‌, इशूस्‌, एण्ड आनसर्स्‌, (Voluntary HIV Counseling and Testing: Facts, Issues, and Answers) याद दिलाती है: “आप किसी को देखकर नहीं बता सकते कि उसे एच.आई.वी. संक्रामण है या नहीं। एक व्यक्‍ति पूरी तरह स्वस्थ दिख सकता है और पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर सकता है और फिर भी संक्रामित हो सकता है। इस कारण, ज़्यादातर लोग जिन्हें एच.आई.वी. संक्रामण है नहीं जानते कि वे संक्रामित हैं।”

“सुरक्षित संभोग”?

इसलिए अनेक स्वास्थ्य सेवक और शिक्षक कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं। * टी.वी. विज्ञापनों, विज्ञापन-तख़्तों, और स्कूल भाषणों ने यह संदेश फैलाया है कि इस गर्भनिरोधक यंत्र का इस्तेमाल संभोग को “सुरक्षित” बना देता है—या कम से कम “ज़्यादा सुरक्षित।” कुछ स्कूलों ने तो विद्यार्थियों को कंडोम भी वितरित किए हैं। ऐसे प्रचार से प्रेरित होकर पहले से कहीं ज़्यादा संख्या में युवा लोग इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

तोभी “सुरक्षित संभोग” कितना सुरक्षित है? अमरीकी रेड क्रॉस का एक ब्रोशर कहता है: “कंडोम संक्रामण से बचने की आपकी संभावना बढ़ा सकते हैं।” लेकिन क्या आप सुरक्षित महसूस करेंगे यदि आप ऐसी बीमारी से ‘बचने की सिर्फ़ अपनी संभावना को बढ़ा’ रहे हों जो हमेशा घातक साबित होती है? अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्र स्वीकार करता है: “दिखाया गया है कि लेटेक्स कंडोम एच.आई.वी. संक्रामण और दूसरी लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों से बचने में मदद करते हैं . . . लेकिन ऐसा नहीं कि उनमें कोई त्रुटि नहीं हो सकती।” सचमुच, वे मैथुन के दौरान टूट सकते हैं, फट सकते हैं, या उतर सकते हैं। टाइम (Time) के अनुसार, कंडोम का “असफलता दर १०% से १५% के बीच हो सकता है”! जब असफलता का दर इतना ऊँचा है तो क्या आप अपना जीवन दाँव पर लगाएँगे? और बातों को बद से बदतर बनाने के लिए, अमरीका में आधे से भी कम लैंगिक रूप से सक्रिय युवा कंडोम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

अतः नीतिवचन २२:३ की सलाह उचित है: “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।” एडस्‌ से बचने का एक सबसे अच्छा तरीक़ा है नशीले पदार्थों के दुष्प्रयोग और अनैतिक संभोग से पूरी तरह दूर रहना। क्या आपको लगता है कि कहना आसान है करना मुश्‍किल? बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं, ख़ासकर उन बड़े दबावों को ध्यान में रखते हुए जिनका सामना युवा करते हैं।

दबाव

“जवानी” में लैंगिक अभिलाषाएँ तीव्र होती हैं। (१ कुरिन्थियों ७:३६) अब इसमें टी.वी. और फ़िल्मों का प्रभाव भी जोड़िए। कुछ अध्ययनों के अनुसार, किशोर लोग हर दिन पाँच घंटों से ज़्यादा टी.वी. देखते हैं—जिसमें से ज़्यादातर भाग लैंगिकता को सचित्रित करता है। लेकिन टी.वी. की परियों-की-दुनिया में सेक्स के कोई परिणाम नहीं होते। एक अध्ययन ने दिखाया कि अमरीकी टेलीविज़न पर “विवाहित पुरुष और स्त्री जितनी बार मैथुन करते हैं उससे चार से आठ बार ज़्यादा अविवाहित इतरलिंगी जोड़े मैथुन करते हैं। गर्भनिरोधक का ज़िक्र या इस्तेमाल तो न के बराबर होता है, लेकिन स्त्रियाँ शायद ही कभी गर्भवती होती हैं; पुरुषों और स्त्रियों को विरले ही लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियाँ लगती हैं बशर्ते कि वे वेश्‍या या समलिंगी न हों।”—‘जनसंख्या विकल्प केंद्र’ (Center for Population Options).

क्या अधिक मात्रा में ऐसे प्रसारण से असल में आपके व्यवहार पर कोई असर पड़ेगा? जी हाँ, गलतियों ६:७, ८ में दिए गए बाइबल सिद्धान्त के अनुसार: “धोखा न खाओ, परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा।” चार सौ युवाओं के एक अध्ययन ने पता लगाया कि “जो अधिक मात्रा में ‘सेक्सी’ टेलिविज़न देखते थे उनके लैंगिक रूप से सक्रिय होने की संभावना उन युवाओं से ज़्यादा थी जो कम मात्रा में ‘सेक्सी’ टेलिविज़न देखते थे।”

एक और शक्‍तिशाली प्रभाव है समकक्ष दबाव। “मैं ऐसे लोगों की तलाश में था जिनके साथ मेरी पट जाए, और वह मुश्‍किल है,” डेविड नाम का एक किशोर स्वीकार करता है। “मैं ने कई बार अपने आपको सचमुच ख़तरेभरी स्थिति में डाल दिया। . . . डॉक्टरों ने बताया कि मुझे एडस्‌ हो गया है।” इसी तरह, बाइबल के समय में भी युवाओं को अक़सर समकक्ष दबाव का सामना करना पड़ता था। बाइबल की सलाह? नीतिवचन के लेखक ने कहा, “हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएं, तो उनकी बात न मानना।”—नीतिवचन १:१०.

‘न’ कहना

“सुरक्षित संभोग” के समर्थक कहते हैं कि इससे पूरी तरह दूर रहना अव्यावहारिक है। लेकिन आगे चलकर क्या यह सचमुच अनैतिकता को अनदेखा करने में मदद करता है? एक किशोर स्वीकार करता है कि यह सिर्फ़ युवाओं को उलझा देता है, वह कहता है: “वे हमें कहते हैं कि सेक्स को बस ‘न’ कह दो, स्वास्थ्यकर और शुद्ध रहना अच्छा है। उसी समय, वे [कंडोम] बाँटते हैं और हमें बताते हैं कि बिना क़ीमत चुकाए सेक्स में कैसे भाग लिया जा सकता है।”

ऐसी नैतिक उलझन का शिकार मत होइए। बाइबल—जबकि पुराने-ढंग की लग सकती है—आपसे आग्रह करती है कि ऐसे आचरण से दूर रहें जो आपको एडस्‌ संक्रामण के ख़तरे में डाल सकता है। यदि आप ‘लोहू से . . . परे रहने’ की बाइबल आज्ञा को मानते हैं तो रक्‍ताधान के द्वारा आपको एडस्‌ नहीं लगेगा। (प्रेरितों १५:२९) ‘मतवालेपन’ के विरुद्ध बाइबल की निषेधाज्ञा का अनुसरण कीजिए और आपको एक संक्रामित अधस्त्वचीय सूई से संक्रामण के डर की ज़रूरत नहीं। (गलतियों ५:२०; प्रकाशितवाक्य २१:८; द किंग्डम इंटरलीनियर) लैंगिक नैतिकता के बारे में बाइबल का नियम ख़ासकर आपका बचाव करेगा। “व्यभिचार से बचे रहो,” बाइबल आज्ञा देती है। “जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है।” (१ कुरिन्थियों ६:१८) एडस्‌ संकट इन शब्दों की बुद्धिमत्ता पर ज़ोर देता है।

एक युवा अनैतिकता से कैसे ‘बचा रह’ सकता है? सालों से “युवा लोग पूछते हैं (Young People Ask) . . . ” लेखों ने अनेक व्यावहारिक सुझाव दिए हैं, जैसे कि समूहों में डेटिंग करना, जोख़िम में डालनेवाली परिस्थितियों से बचना (जैसे कि विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ एक कमरे या घर या पार्क की हुई कार में अकेले होना), प्रीति की अभिव्यक्‍तियों के लिए सीमा तय करना, शराब के इस्तेमाल से दूर रहना (जो अकसर अच्छे विवेक में बाधा बनता है), और यदि स्थिति रूमानी तौर पर आवेशित हो जाती है तो दृढ़ता से ‘न’ कहना। किसी भी हालत में किसी भी व्यक्‍ति को आप के ऊपर ऐसा व्यवहार करने के लिए दबाव न डालने दें जो न सिर्फ़ शारीरिक रूप से ज़ोखिम भरा है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी विनाशक है। (नीतिवचन ५:९-१४) ‘न्यूज़वीक’ (Newsweek) के एक लेख में एमी नाम की एक जवान लड़की का उल्लेख किया गया जिसने यह प्रश्‍न पूछा कि “क्या आप अपना जीवन उस दूसरे व्यक्‍ति के हाथ में देना चाहते हैं?” उसे हाई स्कूल पूरा करने से पहले अपने एक बॉयफ्रेन्ड से एच.आई.वी. लग गया। वह पूछती है: “क्या वह लड़का या लड़की इस लायक़ है कि उसके लिए मरा जाए? मुझे तो शक्क है।”

[फुटनोट]

^ अमरीका के भूतपूर्व सर्जन जनरल, डॉ. सी. एवरट कूप ने संदेही लोगों को यह कहकर उत्तर दिया: “इस देश में एडस्‌ के पहले मामले १९८१ में रिपोर्ट किए गए। यदि एडस्‌ साधारण, अलैंगिक संपर्क द्वारा लगता होता तो हमें अब तक पता चल जाता।”

^ इसमें मौखिक मैथुन और गुदा-मैथुन सम्मिलित है।

^ अमरीकी रोग नियंत्रण केंद्र आगे चेतावनी देता है: “यदि आप अपने कान छिदवाने की सोच रही हैं . . . , तो यह निश्‍चित कर लीजिए कि आप एक योग्य व्यक्‍ति के पास जाती हैं जो बिलकुल नए या रोगाणुहीन यन्त्र का इस्तेमाल करता है। प्रश्‍न पूछने से नहीं झिझकिए।”

^ पत्रिका एफ.डी.ए. कनज़्यूमर (FDA Consumer) समझाती है: “कंडोम एक आवरण होता है जो पूरे शिश्‍न को ढाँक लेता है। यह शुक्र, ख़ून, और योनिक द्रवों को एक व्यक्‍ति से दूसरे व्यक्‍ति तक पहुँचने से रोकने के लिए एक बाधा, या दीवार के रूप में कार्य करने के द्वारा एस.टी.डी. [लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों] से बचाव करता है।”

[पेज 17 पर तसवीर]

लैंगिक दबाव के आगे हार मान जाना एडस्‌ की ओर ले जा सकता है