आस्ट्रेलिया में मैंने सच्ची सम्पत्ति पायी
आस्ट्रेलिया में मैंने सच्ची सम्पत्ति पायी
वह १९७१ का अप्रैल महीना था। आस्ट्रेलिया में सात वर्ष गुज़ारने के बाद, मैं हाल ही में यूनान में अपने परिवार को भेंट करने के लिए लौटा था। शाम का समय था, मैं कारीस गाँव के चौराहे पर एक कॉफ़ी हाऊस की टेबल के पास चुपचाप बैठा था। तब स्थानीय पादरी और मेयर आए और मेरे सामने बैठ गए। स्पष्ट था कि वे एक बहस छेड़ने के लिए उत्सुक थे।
एक साधारण अभिवादन के बिना ही, पादरी ने इल्ज़ाम लगाया कि मैं आस्ट्रेलिया में मात्र पैसा कमाने के उद्देश्य से बस गया था। यह कहना कि मैं हक्का-बक्का रह गया, नर्मी से व्यक्त करना होगा। जितना हो सका उतना शांतिपूर्वक मैं ने जवाब दिया कि आस्ट्रेलिया में रहते वक्त, मैं पैसों से भी अधिक मूल्यवान सम्पत्ति हासिल कर सका।
मेरे जवाब ने उसे चकित किया, लेकिन फिर उसने यह जानने की माँग की कि मेरा मतलब क्या है। मैं ने जवाब दिया कि अन्य बातों के साथ-साथ मैं ने सीखा कि परमेश्वर का एक नाम है। “और यह ऐसी बात है जिसे आपने मुझे सिखाने की उपेक्षा की,” सीधे उसकी आँखों में घूरते हुए मैं ने कहा। इससे पहले कि वह जवाब देता, मैं ने पूछा, “कृपया क्या आप मुझे परमेश्वर का नाम बताएँगे जिसका उल्लेख यीशु ने किया जब उसने हमें आदर्श प्रार्थना में प्रार्थना करना सिखाया: ‘तेरा नाम पवित्र माना जाए’?”—मत्ती ६:९.
इस विवाद की ख़बर गाँव के चौराहे में जल्द ही फैल गयी, और दस मिनट में ही कुछ २०० लोग इकट्ठे हो गए थे। पादरी बेचैन महसूस करने लगा। परमेश्वर के नाम के बारे में मेरे सवाल का जवाब उसने नहीं दिया और अन्य बाइबलीय सवालों के उसके पास बहुत ही कमज़ोर जवाब थे। उसकी घबराहट उसके बार-बार बैरे से अधिक ऊज़ो लाने के लिए पुकारने से प्रकट हो रही थी। ऊज़ो एक यूनानी मादक पेय है।
दो दिलचस्प घंटे बीत गए। मेरे पिता मुझे ढूँढते हुए आए, लेकिन जब उन्होंने देखा कि क्या हो रहा है, तो वह चुपचाप एक कोने में बैठकर नज़ारा देखने लगे। वह सजीव चर्चा रात ११:३० बजे तक चलती रही, जब एक नशे में धुत व्यक्ति गुस्से से चिल्लाने लगा। तब मैं ने भीड़ को सुझाव दिया कि रात बहुत होने के कारण, हम सभी को घर जाना चाहिए।
इस मुठभेड़ का कारण क्या था? उस पादरी और मेयर ने मेरे साथ बहस छेड़ने का प्रयास क्यों किया? यूनान के इस भाग में मेरे बड़े होने के बारे में थोड़ी-सी पृष्ठभूमि आपको यह समझने में सहायता करेगी।
आरंभिक कठिनाइयाँ
मैं दिसम्बर १९४० में पेलपनीसस के कारीस गाँव में पैदा हुआ था। हम बहुत ही ग़रीब थे। और जब मैं स्कूल नहीं जाता, तब माँ के साथ सुबह से लेकर शाम तक धान के खेतों में, घुटनों तक गहरे पानी में खड़े होकर काम करता। जब मैं ने १३ वर्ष की उम्र में प्राथमिक स्कूल ख़त्म कर लिया, तब मेरे माता-पिता ने मेरा एक अप्रेंटिस के तौर पर काम करने का प्रबंध किया। नलकार और खिड़कियाँ लगाने वाले के तौर पर प्रशिक्षण पाने के लिए, मेरे माता-पिता ने मेरे मालिक को ५०० किलोग्राम गेहूँ और २० किलोग्राम वनस्पति घी दिया जो उनके लिए क़रीब-क़रीब एक वर्ष की पूरी आमदनी थी।
एक अप्रेंटिस के तौर पर जीवन—घर से मीलों दूर रहना और अकसर भोर से लेकर मध्यरात्रि तक काम करना—बहुत ही मुश्किल था। कई बार मैं ने घर लौटने की सोची, लेकिन मैं अपने माता-पिता के साथ ऐसा नहीं कर सकता था। उन्होंने मेरे लिए कैसा निःस्वार्थ बलिदान किया था। इसलिए मैं ने कभी अपनी समस्याओं के बारे में उन्हें जानकारी होने न दी। मैं ने अपने आप से कहा: ‘तुम्हें लगे रहना चाहिए, चाहे यह कितना मुश्किल ही क्यों न हो जाए।’
जैसे-जैसे वर्ष बीते, मैं समय-समय पर अपने माता-पिता को भेंट करने में समर्थ हुआ, और आख़िरकार जब मैं १८ वर्ष का था मैं ने अप्रेंटिस के तौर पर अपनी अवधि पूरी की। तब मैं ने राजधानी एथन्स् जाने का निर्णय किया जहाँ नौकरी मिलने के मौक़े ज़्यादा थे। वहाँ मुझे एक नौकरी मिली और मैं ने एक कमरा किराए पर ले लिया। हर दिन काम के बाद, मैं घर लौटता, अपने लिए खाना पकाता, कमरा साफ़ करता और फिर जो थोड़ा खाली समय मिलता उसे अंग्रेज़ी, जर्मन और इटालियन सीखने में लगाता।
अन्य युवकों की अनैतिक बातचीत और आचरण मुझे चिंतित करते थे, इसलिए मैं उनकी संगति से दूर रहा। लेकिन इससे मैं काफ़ी अकेला महसूस करने लगा। जब मैं २१ वर्ष का हुआ, तो मुझसे फ़ौजी सेवा करने की माँग की गयी। इस समय के दौरान मैं ने भाषाओं के अपने अध्ययन को जारी रखा। फिर मार्च १९६४ में, सेना को छोड़ने के बाद, मैं आस्ट्रेलिया गया और मेलबर्न में बस गया।
नए देश में धार्मिक खोज
मुझे जल्द ही काम मिला, आलक्सान्ड्रा नामक दूसरी यूनानी आप्रवासी से भेंट हुई, और मेरे आगमन के छः महीनों के भीतर ही, हमारा विवाह हो गया। कई वर्षों के बाद, १९६९ में एक वृद्ध महिला, यहोवा की गवाह ने हमारे घर पर भेंट की और द वॉचटावर और अवेक! पत्रिकाओं को प्रस्तुत किया। मुझे वे पत्रिकाएँ दिलचस्प लगीं, इसलिए मैं ने उन्हें एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया और अपनी पत्नी को कहा कि उनको फेंक न दे। एक वर्ष बाद दो अन्य गवाहों ने भेंट की और मुझे एक मुफ़्त गृह बाइबल अध्ययन प्रस्तुत किया। मैं ने स्वीकार किया और जो मैं ने शास्त्रों से सीखा यह वही था जिसे मैं अपने जीवन में मौजूद खालीपन को भरने के लिए ढूँढ रहा था।
जैसे ही मेरी पड़ोसन को पता चला कि मैं गवाहों के साथ अध्ययन कर रहा हूँ, उसने मुझे इवैन्जलिस्ट समूह की ओर निर्देशित किया। उसने यह दावा किया कि उनका धर्म बेहतर है। परिणामस्वरूप, मैं इवैन्जलिस्ट गिरजे के एक प्राचीन के साथ भी अध्ययन करने लगा। जल्द ही मैं इवैन्जलिस्ट और गवाहों दोनों की सभाओं में उपस्थित होने लगा, क्योंकि मैं सच्चा धर्म पाने के लिए दृढ़संकल्प था।
उसी समय, अपने यूनानी पालन-पोषण के प्रति न्याय करते हुए, मैं ऑर्थोडॉक्स धर्म में ज़्यादा गहराई से देखने लगा। एक दिन मैं तीन यूनानी ऑर्थोडॉक्स गिरजों में गया। जब मैं ने पहले गिरजे में अपनी भेंट का उद्देश्य समझाया, तो पादरी धीरे से मुझे दरवाज़े तक ले आया। ऐसा करते वक्त उसने कहा कि हम यूनान के ऑर्थोडॉक्स गिरजे के हैं, और इसलिए गवाहों या इवैन्जलिस्ट लोगों से संगति करना ग़लत था।
उसकी मनोवृत्ति से मुझे आश्चर्य हुआ, लेकिन मैं ने सोचा: ‘शायद यह पादरी गिरजे का अच्छा प्रतिनिधि नहीं है।’ मुझे और आश्चर्य हुआ जब दूसरे गिरजे के पादरी ने भी समान प्रतिक्रिया दिखायी। लेकिन, उसने मुझे इतना ज़रूर बताया कि एक धर्मशास्त्री द्वारा हर शनिवार शाम को उसके गिरजे में बाइबल अध्ययन क्लास चलायी जाती है। जब मैं ने तीसरे गिरजे में क़ोशिश की, तो मेरा भ्रम और अधिक दूर हुआ।
प्रेरितों १०:२४-२६) उस पर मैं ने अपना हाथ उठाया और कहा कि मुझे एक सवाल है।
लेकिन मैं ने दूसरे गिरजे में चलाए जा रहे बाइबल अध्ययन क्लास में उपस्थित होने का निर्णय किया और अगले शनिवार वहाँ भेंट की। बाइबल की प्रेरितों की किताब से पठन को अपनी बाइबल में देखने का मैं ने आनन्द लिया। जब कुरनेलियुस का पतरस के सामने घुटने टेकने का भाग पढ़ा गया, धर्मशास्त्री ने पठन को बीच में रोका और बताया कि पतरस ने उचित रूप से कुरनेलियुस के उपासना के कार्य से इनकार किया। (“कहो, तुम क्या जानना चाहते हो?”
“यदि प्रेरित पतरस ने उपासना किए जाने से इनकार किया, तो हमारे पास उसकी मूर्ति क्यों है और हम उसकी उपासना क्यों करते हैं?”
कुछ क्षण के लिए चुप्पी छा गयी। उसके बाद ऐसा था मानो एक बम गिरा हो। कई जनों का गुस्सा भड़क उठा, और “तुम कहाँ से आए हो?” की चिल्लाहटें हुईं। दो घंटों के लिए तीव्र बहस हुई और बहुत सारा शोर भी हुआ। आख़िरकार, जब मैं निकल रहा था, मुझे घर ले जाने के लिए एक किताब थमा दी गयी।
जब मैं ने उसे खोला, तो जो पहले शब्द मैं ने पढ़े वे ये थे: “हम यूनान के ऑर्थोडॉक्स गिरजे के हैं और हमारे धर्म ने हमारी परम्परा को जीवित रखने के लिए लहू बहाया है।” मैं जानता था कि परमेश्वर सिर्फ़ यूनानी लोगों का नहीं है, सो मैं ने तुरंत यूनानी ऑर्थोडॉक्स गिरजे से संबंध तोड़ दिए। उसके बाद से मैं ने अपना बाइबल अध्ययन मात्र गवाहों के साथ जारी रखा। अप्रैल १९७० में, मैं ने यहोवा के प्रति अपने समर्पण को पानी के बपतिस्मे से चिह्नित किया और मेरी पत्नी ने छः महीने बाद बपतिस्मा लिया।
गाँव के पादरी से संपर्क
उस वर्ष की समाप्ति में, यूनान में मेरे गाँव के पादरी ने गाँव के गिरजे की मरम्मत करने के लिए पैसों की याचना करते हुए एक चिट्ठी भेजी। मैं ने उसे सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब के साथ एक चिट्ठी भेज दी जिसमें मैं ने लिखा कि अब मैं एक यहोवा का गवाह हूँ और मैं विश्वास करता हूँ कि मुझे सत्य मिल गया है। मेरी चिट्ठी मिलने पर उसने गिरजे में घोषणा की कि आस्ट्रेलिया में एक आप्रवासी ने विद्रोह किया है।
बाद में, जिन माताओं के बेटे आस्ट्रेलिया में थे वे पादरी से पूछती रहीं कि क्या वह उनका बेटा था। मेरी माँ तो उसके घर तक गयी और उसे बताने के लिए उसके सामने विनती की। “दुःख की बात है कि वह तुम्हारा ही बेटा है,” उसने कहा। बाद में माँ ने मुझसे कहा कि मेरे बारे में उसे यह बताने के बजाय अगर वह उसकी हत्या कर देता तो वह ज़्यादा पसंद करती।
यूनान में वापसी
हमारे बपतिस्मा के बाद, मेरी पत्नी और मैं यूनान लौटना चाहते थे और अपने परिवारों और दोस्तों को बाइबल से सीखी हुई अच्छी बातों के बारे में बताना चाहते थे। इसलिए अप्रैल १९७१ में अपनी पाँच-वर्षीया बेटी दिमीत्रा के साथ, हम विस्तृत छुट्टी के लिए लौटे। हम कीपारीस्या नगर में रहे जो मेरे गाँव कारीस से कुछ ३० किलोमीटर की दूरी पर था। छः महीने तक ठहरने के लिए हमारी वापसी-यात्रा हवाई टिकटें वैध थीं।
घर पर दूसरी रात को, माँ रोने लगी और आँसू बहाते हुए मुझसे कहा कि मैं ने ग़लत मार्ग लिया है और परिवार के नाम पर कलंक लगाया है। रोते-सिसकते, उसने मुझसे विनती की कि मैं अपने “ग़लत” मार्ग से मुड़ जाऊँ। फिर वह बेहोश होकर मेरी बाँहों में गिर पड़ी। अगले दिन मैं ने उसके साथ तर्क करने का प्रयास किया, यह समझाते हुए कि मैं ने सिर्फ़ परमेश्वर के बारे में अपने ज्ञान में वृद्धि की है जिसके बारे में उसने हमें शिशुपन से कितना प्रेमपूर्वक सिखाया था। उसकी अगली शाम स्थानीय पादरी और गाँव के मेयर के साथ मेरा वह यादगार सामना हुआ।
मेरे दो छोटे भाई जो एथन्स् में रहते थे, ईस्टर की छुट्टियों के लिए रहने आए थे। वे दोनों मुझ से दूर रहते थे मानो मैं एक कोढ़ी हूँ। लेकिन, एक दिन उन दोनों में से बड़े ने सुनना शुरू किया। कई घंटों की चर्चा के बाद उसने कहा कि वह उन सब बातों से सहमत है जो मैं ने उसे बाइबल से दिखायी थीं। उस दिन के बाद, वह बाक़ी परिवार के सामने मेरी सफ़ाई देता।
बाद में अपने भाई के साथ रहने के लिए मैं अकसर एथन्स् जाता। हर बार जब मैं जाता, वह अन्य परिवारों को आकर सुसमाचार सुनने के लिए आमंत्रित करता। मुझे बहुत ही हर्ष हुआ, जब बाद में वह और उसकी पत्नी ने तीन परिवारों समेत परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण को पानी के बपतिस्मा द्वारा चिह्नित किया! ये वे तीन परिवार थे जिनके साथ उन्होंने बाइबल अध्ययन किया था।
सप्ताह जल्द गुज़रते गए और छः महीने समाप्त होने से कुछ ही पहले, हमारे गाँव से ७० किलोमीटर की दूरी पर एक कलीसिया में सेवा कर रहे एक गवाह ने भेंट की। उसने उस क्षेत्र में प्रचार कार्य करने के लिए आवश्यक सहायता के बारे में कहा और पूछा कि क्या मैं ने स्थायी रूप से रुक जाने के बारे में सोचा है। उस रात इस संभावना की चर्चा मैं ने अपनी पत्नी के साथ की।
हम दोनों सहमत थे कि रुकना मुश्किल होगा। लेकिन यह स्पष्ट था कि लोगों के बाइबल सत्य को सुनने की आवश्यकता बहुत बड़ी थी। आख़िरकार, हमने कम-से-कम एक या दो वर्ष रुकने का निर्णय किया। हमारे मकान और गाड़ी को बेचने के लिए मेरी पत्नी आस्ट्रेलिया लौटती और जो कुछ सामान वापस ला सकती थी, ले आती। अपना निर्णय करने के बाद, हम अगली सुबह नगर में गए और एक मकान किराए पर ले लिया। हमने स्थानीय प्राथमिक स्कूल में अपनी बेटी का दाख़िला भी करवा दिया।
विरोध फूट पड़ता है
हम पर मानो युद्ध घोषित किया गया। पुलिस, स्कूल के प्राध्यापक और शिक्षकों ने विरोध किया। स्कूल में दिमीत्रा क्रूस का चिह्न नहीं बनाती। स्कूल के अधिकारियों ने उसे डराकर अनुपालन करवाने के लिए एक पुलिसवाले को बुलाया, लेकिन वह दृढ़ रही। मुझे प्राध्यापक से मिलने के लिए बुलाया गया, और उसने मुझे आर्चबिशप की एक चिट्ठी दिखायी जिसमें दिमीत्रा को लेकर जाने का आदेश था। किसी तरह प्राध्यापक के साथ एक लंबी चर्चा के बाद, उसे स्कूल में रहने की अनुमति दी गयी।
कुछ समय बाद मैं ने सुना कि कीपारीस्या में एक दम्पति था जो यहोवा के गवाहों के एक सम्मेलन में उपस्थित हुआ था और हम उनकी दिलचस्पी को ताज़ा कर सके। अपने घर में बाइबल अध्ययन के लिए मेरी पत्नी और मैं ने पास के गाँव से भी गवाहों को आमंत्रित किया। लेकिन, कुछ ही समय बाद पुलिस आयी और हम सब को पूछताछ के लिए पुलिस थाने ले गयी। मुझ पर इल्ज़ाम लगाया गया कि मैं अपने मकान को उपासना के स्थान के रूप में बिना लाइसेंस के प्रयोग कर रहा हूँ। लेकिन क्योंकि हमें क़ैद नहीं किया गया, हमने अपनी सभाएँ जारी रखीं।
मुझे नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन जैसे ही बिशप ने इसके बारे में सुना, तो उसने धमकी दी कि यदि मेरा मालिक मुझे नहीं निकालेगा तो वह उसकी दुकान को बंद करवा देगा। एक नलकारी/धातु-चादर दुकान बिक रही थी, हम उसे खरीद सके। क़रीब-क़रीब तुरंत ही दो पादरी व्यापार को बंद करवाने की धमकियों के साथ आए, और कुछ सप्ताह बाद आर्चबिशप ने आदेश दिया कि हमारे परिवार को बहिष्कृत किया जाए। उस समय पर यूनानी ऑर्थोडॉक्स गिरजे से बहिष्कृत किसी भी व्यक्ति को पूर्णतया अछूत माना जाता था। अंदर आनेवाले किसी भी व्यक्ति को रोकने के लिए एक पुलिस अफ़सर को हमारी दुकान के बाहर खड़ा कर दिया गया। ग्राहक न होने के बावजूद भी, हमने हठपूर्वक हर दिन दुकान खुली रखी। हमारी दुर्दशा जल्द ही नगर में बातचीत का विषय बन गयी।
क़ैद और मुक़द्दमा किया गया
एक शनिवार मैं एक व्यक्ति के साथ उसकी मोटरबाइक पर पास के नगर में गवाही के लिए निकल पड़ा। वहाँ पुलिस ने हमें रोका और पुलिस थाने ले गए, जहाँ हमें सारा सप्ताहांत हिरासत में रखा गया। सोमवार की सुबह हमें रेलगाड़ी द्वारा कीपारीस्या वापस ले जाया गया। हमारे क़ैद होने की खबर फैल गयी, और रेलवे स्टेशन पर पुलिस पहरे में हमें आते देखने के लिए भीड़ इकट्ठी हो गयी।
उँगलियों के निशान लिए जाने के बाद, हमें सार्वजनिक अभियोजक के पास ले जाया गया। उसने कार्यवाही यह कहकर शुरू की कि वह हमारे विरुद्ध इल्ज़ामों को ज़ोर से पढ़कर सुनाएगा। यह इल्ज़ाम गाँववालों से पुलिस के पूछताछ किए जाने पर तैयार किए गए थे। “उन्होंने हम से कहा कि यीशु मसीह १९१४ में राजा बना था,” पहले इल्ज़ाम में कहा गया।
“यह अजीब विचार तुम्हें कहाँ से मिला?” अभियोजक ने क्रुद्ध होकर पूछा।
मैं आगे बढ़ा और उसकी मेज़ पर रखी बाइबल ली और मत्ती अध्याय २४ खोला और उसे पढ़ने का सुझाव दिया। वह एक पल के लिए झिझका लेकिन फिर बाइबल ली और पढ़ने लगा। कुछ मिनट पढ़ने के बाद, वह उत्तेजित होकर बोला: “अरे, अगर यह सच है तो मुझे सबकुछ छोड़-छाड़कर मठ चले जाना चाहिए!”
“नहीं,” मैं ने शांतिपूर्वक कहा। “आपको बाइबल का सत्य सीखना चाहिए और फिर दूसरों को भी सत्य पाने में सहायता करनी चाहिए।”
कुछ वक़ील आए और दिन के दौरान हम उनमें से कुछ वक़ीलों को भी गवाही दे सके। विडम्बना से, यह एक और इल्ज़ाम में परिणित हुआ—धर्म-प्रचार!
उस वर्ष के दौरान, हम पर तीन मुक़द्दमे चलाए गए, लेकिन आख़िरकार हमें सभी इल्ज़ामों से बरी कर दिया गया। उस विजय ने, जहाँ तक हमारे प्रति लोगों की मनोवृत्ति का सवाल था, मानो रूखेपन पर जीत हासिल कर ली। उसके बाद वे ज़्यादा खुलकर हमारे पास आने लगे और परमेश्वर के राज्य के बारे में हमें जो कहना था उसे सुनने लगे।
आख़िरकार कीपारीस्या में हमारे घर में उस छोटे अध्ययन समूह को एक कलीसिया बना दिया गया। एक मसीही प्राचीन को हमारी नयी कलीसिया में स्थानांतरित किया गया और मुझे एक सहायक सेवक नियुक्त किया गया। हमारे घर में होनेवाली सभाओं में जल्द ही १५ सक्रिय गवाह नियमित रूप से उपस्थित होने लगे।
वापस आस्ट्रेलिया में
सवा दो साल बीतने के बाद, हमने आस्ट्रेलिया लौटने का निर्णय लिया। यहाँ साल जल्दी गुज़र गए हैं। मेरी बेटी दिमीत्रा ने अपने विश्वास को बनाए रखा है और मेलबर्न कलीसिया में एक सहायक सेवक से विवाहित है। मैं अब मेलबर्न में एक यूनानी-भाषा कलीसिया में एक प्राचीन के तौर पर सेवा कर रहा हूँ, जहाँ मेरी पत्नी और हमारी १५-वर्षीया बेटी मार्था भी उपस्थित होते हैं।
कीपारीस्या में जो छोटी कलीसिया हमने पीछे छोड़ी थी अब बढ़कर काफ़ी बड़ी हो गयी है और अनेक योग्य व्यक्तियों ने वहाँ बाइबल सत्य के प्रति अपने हृदय खोले हैं। वर्ष १९९१ की गर्मियों में, मैं कुछ सप्ताहों के लिए यूनान गया और कीपारीस्या में बाइबलीय जन भाषण दिया और ७० लोग उपस्थित थे। ख्प्ताशी की बात है कि मेरी छोटी बहन मारीया, पारिवारिक विरोध के बावजूद यहोवा की सेवक बनी है।
मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि आस्ट्रेलिया में मुझे सच्ची सम्पत्ति—हमारे सृष्टिकर्ता यहोवा परमेश्वर के बारे में और उसकी राज्य सरकार के बारे में ज्ञान और समझ—प्राप्त करने का अवसर मिला है। मेरे जीवन में अब सच्चा उद्देश्य है, और मैं और मेरा परिवार निकट भविष्य में परमेश्वर की स्वर्गीय सरकार की आशीषों को पूरी पृथ्वी पर फैलते हुए देखने की राह देख रहे हैं।—जॉर्ज कातसीकारोनीस द्वारा बताया गया।
[पेज 24 पर तसवीरें]
कीपारीस्या, जहाँ मैं आस्ट्रेलिया से लौटने के बाद रहा
[पेज 24 पर तसवीरें]
अपनी पत्नी आलक्सान्ड्रा के साथ