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दर्द से मुक्‍त जीवन निकट है!

दर्द से मुक्‍त जीवन निकट है!

दर्द से मुक्‍त जीवन निकट है!

शरीर की जटिल प्रक्रियाएँ जो हमें हानि से सुरक्षित रखती हैं, निश्‍चय ही एक आश्‍चर्य हैं। उनके अध्ययन से हमें सृष्टिकर्ता की स्तुति करने के लिए प्रेरित होना चाहिए, जैसे बाइबल का भजनहार हुआ, जिसने लिखा: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्‌भुत रीति से रचा गया हूं।” (भजन १३९:१४) सच, सिर्फ़ परमेश्‍वर ही दर्द से मुक्‍त जीवन को संभव कर सकता है! लेकिन यह कैसे निष्पन्‍न किया जाएगा?

ध्यान दीजिए कि दर्द और आँसुओं के न रहने के बारे में प्रतिज्ञा से ज़रा-सा पहले, बाइबल “नये आकाश और नयी पृथ्वी” के बारे में कहती है, “क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी।” (प्रकाशितवाक्य २१:१, ४) निश्‍चय ही, बाइबल हमारे आक्षरिक आकाश और पृथ्वी के चले जाने के बारे में बात नहीं कर रही है। इसके बजाय, संक्षिप्त में यह कह रही है कि एक संपूर्णतया नयी रीति-व्यवस्था इस वर्तमान रीति-व्यवस्था का स्थान ले लेगी। जी हाँ, एक नयी अलौकिक सरकार इसी पृथ्वी पर एक दर्द के बिना जीवन का आनन्द लेना संभव करेगी।

इस सरकार का विवरण देते हुए, बाइबल कहती है कि “स्वर्ग का परमेश्‍वर, एक ऐसा राज्य [या, सरकार] उदय करेगा जो . . . उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानिय्येल २:४४) जब यीशु मसीह पृथ्वी पर था, उसने इस राज्य सरकार के लिए हमें प्रार्थना करनी सिखायी जब उसने कहा: “सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।’”—मत्ती ६:९, १०.

लेकिन, उस प्रार्थना की पूर्ति कैसे आपके लिए दर्द से मुक्‍त एक जीवन का अर्थ रख सकती है?

अलौकिक शक्‍ति रखनेवाला शासक

इसकी कुँजी उस व्यक्‍ति की बुद्धि और शक्‍ति में है जिसे परमेश्‍वर ने अपनी सरकार की अगुवाई करने के लिए चुना है। वह व्यक्‍ति स्वयं यीशु मसीह है। उसके बारे में बाइबल की एक भविष्यवाणी कहती है: “प्रभुता उसके कांधे पर होगी, . . . उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा।”—यशायाह ९:६, ७.

अब स्वर्ग में स्थित यीशु की बुद्धि सभी पार्थिव चिकित्सकों से कहीं ज़्यादा बड़ी है। वह हमारे भौतिक शरीर के कार्य करने के तरीक़े को पूरी तरह समझता है, जिसमें स्वयं को चोट से सुरक्षित रखने के इसके तंत्र भी सम्मिलित हैं। जब वह पृथ्वी पर १,९०० से अधिक वर्ष पहले एक मनुष्य था, तब ऐसा कोई रोग या वेदना नहीं थी जिसे वह चंगा नहीं कर सकता था। इस तरह उसने प्रदर्शित किया कि परमेश्‍वर के राज्य के शासक के रूप में वह ज़्यादा बड़े पैमाने पर क्या करेगा। एक उदाहरण के बारे में बाइबल कहती है:

“और भीड़ पर भीड़ लंगड़ों, अन्धों, गूंगों, टुंडों और बहुत औरों को लेकर उसके पास आए; और उन्हें उसके पांवों पर डाल दिया, और उस ने उन्हें चंगा किया। सो जब लोगों ने देखा, कि गूंगे बोलते और टुण्डे चंगे होते और लंगड़े चलते और अन्धे देखते हैं, तो अचम्भा करके इस्राएल के परमेश्‍वर की बड़ाई की।” (मत्ती १५:३०, ३१) अपने राज्य शासन के दौरान जिन वेदनाओं को यीशु चंगा करेगा उसमें वह भयप्रद वेदना, जीर्ण दर्द भी सम्मिलित है।

सच, वह क्या ही अद्‌भुत आशीष होगी! और यह सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए ही निष्पन्‍न नहीं किया जाएगा। सृष्टिकर्ता की प्रतिज्ञा है: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह ३३:२४) उसके बाद, परमेश्‍वर के राज्य के शासन के अधीन प्रतिज्ञा, “न पीड़ा रहेगी” पूरी होगी।—प्रकाशितवाक्य २१:४.

मसीह के महिमायुक्‍त राज्य शासन के अधीन, हमारी अनेक शारीरिक प्रक्रियाएँ, जिनमें वे भी सम्मिलित हैं जो हमें हानि से सुरक्षित रखती हैं, परिपूर्णता से कार्य करेंगी क्योंकि वंशागत पाप निकाल दिया गया होगा। हमारे शरीर में दर्द की संवेदना फिर कभी एक उत्पीड़क का रूप नहीं लेगी। ख्प्ताशी की बात है कि अभी पूर्ण हो रही बाइबलीय भविष्यवाणियों के अनुसार, हम नए संसार की बस दहलीज़ पर ही हैं, जिसमें दर्द कभी पीड़ा उत्पन्‍न नहीं करेगा।—मत्ती २४:३-१४, ३६-३९; २ तीमुथियुस ३:१-५; २ पतरस ३:११-१३.

आप परमेश्‍वर के राज्य के अधीन जीवन का आनन्द ले सकते हैं जब उस प्रकार का दर्द नहीं रहेगा जो आज लाखों लोगों को पीड़ित करता है। लेकिन आपको कुछ करने की ज़रूरत है। यीशु मसीह ने एक मूलभूत आवश्‍यकता की ओर इशारा किया जब उसने परमेश्‍वर को प्रार्थना में कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”—यूहन्‍ना १७:३.

यहोवा के गवाह इस अत्यावश्‍यक ज्ञान को प्राप्त करने में आपकी सहायता करने में ख्प्ताश होंगे। अपने क्षेत्र में उनमें से किसी एक से पूछिए, या इस पत्रिका के प्रकाशकों को लिखिए। इस तरह अपने घर में या अन्य किसी सुविधाजनक स्थान पर बाइबल अध्ययन करने की अपनी इच्छा को ज़ाहिर कीजिए। मानव द्वारा दर्द से मुक्‍त जीवन का आनन्द उठाने के लिए परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों के बारे में आपके अधिक सीखने के लिए प्रबंध किए जाएँगे।