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अच्छी हजामत, चेहरा सलामत

अच्छी हजामत, चेहरा सलामत

अच्छी हजामत, चेहरा सलामत

ऑस्ट्रेलिया के सजग होइए! संवाददाता द्वारा

अगर एक आदमी दाढ़ी बनाने में हर रोज़ पाँच मिनट लगाता है तो 50 सालों में वह अपने मुखड़े से सिर्फ बाल हटाने में ही 63 दिन से ज़्यादा लगा देता है। एक आदमी को हर रोज़ दाढ़ी बनाना कैसा लगता है?

हाल में किए गए एक सर्वे में मर्दों का कहना था: “हर रोज़ दाढ़ी बनाना मुझे बिलकुल पसंद नहीं।” “मैं इस रोज़-रोज़ के झमेले से तंग आ चुका हूँ।” “ये तो मेरी जान ही लेकर रहेगी।” “अगर हजामत बनाना टाला जा सकता है तो टाल देना चाहिए।” अगर हजामत के बारे में मर्दों की यही राय है तो फिर वे हजामत बनाते ही क्यों हैं? आइए हजामत के बारे में हम कुछ और जानकारी लें जिससे हमें इस सवाल का शायद जवाब मिल जाए।

सिप्पी से रेज़र तक का सफर

क्या आप सिप्पी से, शार्क के दाँत से और पत्थर के एक तेज़ टुकड़े से हजामत बनाने की बात सोच सकते हैं? हजामत बनाने के लिए मर्दों ने क्या ही बढ़िया चीज़ों को इस्तेमाल किया है! प्राचीन समय में मिस्र के मर्द एक ताँबे के टुकड़े जैसी चीज़ इस्तेमाल करते थे जो एक छोटी-सी कुल्हाड़ी के ऊपरी भाग की तरह दिखती थी। लेकिन 18वीं और 19वीं सदी में इंग्लैंड के शॆफील्द में दाढ़ी बनाने के लिए बहुत तेज़ छुरे बनाए जाने लगे। कहा जाता है कि ये इतने तेज़ होते थे कि इनसे गला तक कट सकता था। ये छुरे स्टील के बने होते थे और धार के पास से थोड़ा यू आकार की तरह होते थे। इनके हैंडल पर अकसर डिज़ाइन होता था और जब इन्हें इस्तेमाल न करना हो तो इन्हें घुमाकर हैंडल पर बने खाँचे में डाल दिया जाता था। जब कोई आदमी इन्हें पहली बार इस्तेमाल करता था तो उसे बहुत मुश्‍किल होती थी, इसलिए उसे बड़ी सावधानी से इसे इस्तेमाल करना पड़ता था। बेशक, शुरू-शुरू में थोड़ा-सा कटना और खून बहना आम बात मानी जाती थी। मगर 20वीं सदी में दाढ़ी बनाने के लिए ऐसे-ऐसे रेज़र बनाए गए जो न सिर्फ मलाई की तरह हजामत बनाते हैं बल्कि इनसे कटने का कोई खतरा भी नहीं होता।

सन्‌ 1901 में अमरीका के किंग कैम्प जिल्लॆट नामक आदमी ने एक ऐसा ही रेज़र बनाया, जिसे एक-दो बार इस्तेमाल करके फैंका जा सकता था। उसके इस आइडिए ने दुनिया-भर में खलबली मचा दी, और उसी के आइडिए से तरह-तरह के डिज़ाइनवाले रेज़र बनने लगे, यहाँ तक कुछ रेज़रों के हैंडलों पर सोने या चाँदी का पानी भी चढ़ाया जाने लगा। आविष्कारों की देन से आज कई तरह के रेज़र मौजूद हैं। मर्द अपनी पसंद के रेज़र चुन सकते हैं। वे अपनी पसंद के मुताबिक एक-दो बार इस्तेमाल करके फैंक देनेवाला रेज़र या दो ब्लेडवाला, या तीन ब्लेडवाला, या दो पीस पर हैंडल फिट होनेवाला रेज़र इस्तेमाल कर सकते हैं।

हम इलेक्ट्रिक रेज़र को भला कैसे भूल सकते हैं। सन्‌ 1931 में यह पहली बार मार्केट में आया। धीरे-धीरे इसमें और सुधार किया गया जिससे यह और भी मशहूर हो गया। लेकिन हर मर्द यही चाहता है कि अच्छी हजामत हो और चेहरा सलामत हो। इसलिए वे इलेक्ट्रिक रेज़र के बजाय एक धारवाला रेज़र इस्तेमाल करना ज़्यादा पसंद करते हैं।

दाढ़ी का फैशन आता-जाता रहा

बरसों से दाढ़ी का फैशन आता-जाता रहा है। एव्रीडे लाइफ इन एंशन्ट ईजॆप्ट नामक किताब कहती है कि प्राचीन समय में मिस्र के लोग “अपने शरीर पर एक बाल भी नहीं छोड़ते थे। इस बात के लिए वे बड़े मशहूर थे और वे बहुत गर्व भी करते थे कि वे बहुत साफ-सुथरे लोग हैं। वे बहुत तेज़ धारवाले रेज़र इस्तेमाल करते थे और उसे चमड़े के मज़बूत कवर में रखते थे।” मिस्र के इस रिवाज़ से पता चलता है कि क्यों फिरौन के सामने हाज़िर करने से पहले यहूदी कैदी यूसुफ की हजामत की गई थी।—उत्पत्ति 41:14.

अश्‍शूर जाति में, मर्दों की दाढ़ी बड़ी सुंदर होती थी। वे अपनी दाढ़ी की काफी देखभाल करते थे और उस पर बहुत ध्यान देते थे, यहाँ तक कि बहुत से मर्द तो अपनी दाढ़ी पर घमंड भी करते थे। वे दाढ़ी के बालों को बहुत अच्छी तरह घुँघराले बनाते, उनकी चोटियाँ बनाते और हमेशा ठीक-ठाक रखते थे।

इस्राएली मर्द अपनी दाढ़ी को बहुत ज़्यादा लंबी नहीं होने देते थे इसलिए रेज़र से वे उसे थोड़ा-थोड़ा काटते रहते थे। परमेश्‍वर की व्यवस्था में इस्राएली मर्दों को यह आज्ञा दी गई थी कि वे अपनी ‘कनपटी के केशों को न मुड़ाना और न दाढ़ी के किनारे को काटना।’ इस आज्ञा का मतलब क्या था? दरअसल इसका मतलब यह नहीं था कि इस्राएली मर्दों को अपने बाल या दाढ़ी को ज़रा भी नहीं काटना था। बल्कि यह आज्ञा इसलिए दी गई थी जिससे इस्राएली मर्द अपने आस-पड़ोस के देशों से अलग दिखाई दें जो कि बहुत ही ज़्यादा धार्मिक रीति-रिवाज़ों को मानते हुए कलमे तक उड़ा देते थे और दाढ़ी मुड़वाते थे। *लैव्यव्यवस्था 19:27, न्यू हिन्दी बाइबल; यिर्मयाह 9:25, 26; 25:23; 49:32.

प्राचीन यूनानी जाति में ऊँचे पद पर बैठे मर्दों को छोड़कर बाकी सब मर्द दाढ़ी रखते थे। रोम में हजामत बनाने का रिवाज़ शायद सा.यु.पू. दूसरी सदी में शुरू हुआ और तभी से हर रोज़ हजामत बनाने का रिवाज़ शुरू हो गया।

लेकिन रोम साम्राज्य खत्म होने के बाद मर्द लोग फिर से दाढ़ी रखने लगे और यह रिवाज़ करीब हज़ार साल तक चलता रहा यानी लगभग 17वीं सदी के मध्य तक चला। उसके बाद, फिर से हजामत बनाने का फैशन शुरू हो गया। और यह करीब 19वीं सदी के मध्य तक चलता रहा। लेकिन 19वीं सदी के मध्य से सदी के खत्म होने से पहले फिर से दाढ़ी रखने का फैशन आ गया। इसलिए जब हम वॉच टावर के पहले प्रेज़ीडेंट सी. टी. रस्सल और उनके मसीही साथी डब्ल्यू. ई. वॆन ऐम्बर्ग के चित्र देखते हैं तो पाते हैं कि उन दोनों की दाढ़ी उतनी स्टाइलिश थी और उस ढंग से कटी हुई थी, जिसे उस ज़माने में सही और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन 20वीं सदी की शुरूआत में एक बार फिर से हजामत बनाने का फैशन शुरू हो गया। और यह फैशन आज तक चला आ रहा है।

क्या आप उन करोड़ों मर्दों में से एक हैं जो हर रोज़ आईने के सामने खड़े होकर रेज़र से दाढ़ी बनाते हैं? अगर हाँ, तो इसमें शक नहीं कि आप इस तरह दाढ़ी बनाना चाहेंगे जिसमें दर्द न हो, खून न निकले, और दिखने में चेहरा साफ लगे। इसके लिए आप “रेज़र से हजामत बनाने के तरीके” नामक बक्स देखिए, इसमें दिए गए सुझाव शायद आपको पसंद आएँ। कुछ सुझाव शायद आप पहले से ही मान रहे होंगे। आप सुझाव मान रहे हैं या नहीं, अपना चेहरा सलामत रखिए और अच्छी हजामत का मज़ा लीजिए।

[फुटनोट]

^ वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रॆक्ट सोसाइटी ऑफ न्यू यॉर्क द्वारा प्रकाशित इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स के पहले वॉल्यूम के पेज 266 और 1021 देखिए।

[पेज 23 पर बक्स/तसवीरें]

रेज़र से हजामत बनाने के तरीके

रेज़र से अच्छी हजामत बनाने के लिए नीचे दिए गए तरीके मेन्स हेअर किताब से लिए गए हैं। *

1. दाढ़ी-मूँछ को नरम करना: चेहरे के बालों को अच्छी तरह से नरम करने के लिए गरम पानी ज़्यादा इस्तेमाल कीजिए। अगर हो सके तो नहाने के बाद दाढ़ी बनाइए क्योंकि नहाते वक्‍त पानी से, चेहरे के बाल को नरम होने के लिए काफी समय मिल जाता है।

2. दाढ़ी बनाने से पहले चेहरे पर कुछ लगाइए: साबुन, क्रीम, झाग और जॆल, इन सबसे तीन ज़रूरी काम होते हैं। (1) बालों को गीला बनाए रखना। (2) बालों को सीधा रखना। (3) त्वचा को चिकना बनाए रखना ताकि रेज़र मलाई की तरह आगे बढ़े। आप वही चीज़ इस्तेमाल करें जो आपके लिए मुनासिब हो। अरे! क्या आप हेअर कंडिश्‍नर इस्तेमाल करते हैं? यह भी बालों को नरम कर देता है।

3. सही रेज़र को सही तरह से चलाइए: सही रेज़र वही होता है जो बहुत तेज़ हो। अगर रेज़र तेज़ नहीं होगा तो इससे आपकी त्वचा को नुकसान पहुँचेगा। जिस दिशा में बाल उगते हैं उसी दिशा में हजामत कीजिए। क्योंकि उलटी दिशा में हजामत करने से, हजामत अच्छी तो हो सकती है मगर इससे त्वचा के नीचे जड़ के पास से बाल कट जाते हैं। इसलिए बाल त्वचा से बाहर निकलने के बजाए वे अंदर ही अंदर ऊतकों में बढ़ते रहते हैं। कुछ मैगज़ीनों के मुताबिक जिन मर्दों और औरतों को लापरवाही से बाल हटाने की आदत होती है उन्हें वाइरल संक्रमण हो जाता है। और इसकी वज़ह से उनके मस्से हो जाते हैं।

4. हजामत बनाने के बाद त्वचा की रक्षा करना: हर बार जब आप दाढ़ी बनाते हैं तो इससे आप अपनी त्वचा की ऊपरी पतली परत हटाते हैं। इससे त्वचा को नुकसान पहुँचने का खतरा रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप हजामत बनाने के बाद साफ पानी से चेहरे को धो लें। पहले गरम पानी से, उसके बाद ठंडे पानी से ताकि त्वचा के छिद्र बंद हो जाएँ और नमी बाहर न आए। इसके लिए आप चाहे तो आफ्टर-शेव लोशन भी लगा सकते हैं ताकि आपकी त्वचा सलामत रहे और आप ताज़गी महसूस करें।

[फुटनोट]

^ हमारा यह लेख खासकर मर्दों की हजामत के बारे में बात करता है। लेकिन बहुत-से देशों में, अपने शरीर के कुछ अंगों से औरतें भी बाल साफ करती हैं। इसलिए एक-दो सुझाव शायद उनके लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं।

[पेज 24 पर बक्स/तसवीर]

दाढ़ी-मूँछ क्या होती है?

चेहरे पर जो बाल आते हैं उन्हें दाढ़ी-मूँछ कहते हैं। ये बाल प्रोटीन (केराटीन) और प्रोटीन से मिलते-जुलते पदार्थों से मिलकर बने होते हैं। यह प्रोटीन इंसान और जानवरों के शरीर में बनता है और इसमें रेशा और गंधक होता है। यह प्रोटीन बाल, नाखून, पंख, खुर, और सींगों को बनाने के लिए सबसे ज़रूरी पदार्थ है। शरीर में से सिर्फ दाढ़ी-मूँछ के बाल ही सबसे मज़बूत और बहुत लचीले होते हैं। जितनी मुश्‍किल एक मोटे ताँबे के तार को काटने में होती है, उतनी ही मोटाई के बाल को काटने में भी उतनी ही मुश्‍किल होती है। औसतन, एक मर्द के चेहरे पर करीब 25,000 बाल होते हैं और ये 24 घंटो में आधा मिलीमीटर की रफ्तार से बढ़ते हैं।

[चित्र का श्रेय]

Men: A Pictorial Archive from Nineteenth-Century Sources/Dover Publications, Inc.

[पेज 24 पर तसवीरें]

दाढ़ी रखने, न रखने का फैशन प्राचीन समय से चलता आ रहा है

एक मिस्री मर्द का बुत

अश्‍शूरी मर्द का बुत

एक रोमी मर्द का बुत

[चित्रों का श्रेय]

Museo Egizio di Torino

Photographs taken by courtesy of the British Museum