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“सबसे बेहतरीन मैगज़ीन”

“सबसे बेहतरीन मैगज़ीन”

“सबसे बेहतरीन मैगज़ीन”

लीज़ल नामक 18 साल की एक लड़की जो अमरीका के हाई स्कूल में पढ़ती है, उसने सजग होइए! के संपादकों को इस तरह एक खत लिखा:

“मैंने कॉलॆज-लॆवल का इतिहास का कोर्स लिया है। इस कोर्स में हमें किसी एक विषय पर काफी खोजबीन करके लिखना पड़ता है। मैंने यहोवा के साक्षियों पर लिखने का चुनाव किया खासकर तब के साक्षियों के बारे में जिन्होंने नात्सी जर्मनी के शासन के अधीन अपना धर्म नहीं छोड़ा। मैंने जुलाई 8, 1998 की अँग्रेज़ी सजग होइए! मैगज़ीन पढ़ी जिसका विषय था ‘यहोवा के साक्षियों ने नात्सी खतरों के बावजूद हिम्मत नहीं हारी।’ इस लेख के अंत में यह लिखा था कि अगर कोई उन किताबों के नाम चाहता है जिनमें इस विषय पर ज़्यादा जानकारी दी गई है तो वह इस मैगज़ीन के प्रकाशकों को लिखे। मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे उन किताबों के नाम भेज दीजिए। उस लेख की जानकारी बहुत ही बढ़िया तरीके से छान-बीन करके तर्क के साथ पेश की गई थी। उसे इतने विश्‍वास और सच्चाई के साथ लिखा गया था कि अगर मैं उस लेख का आधा भी लिख दूँ तो मेरे लेख की जाँच करनेवाले के लिए एक अच्छी साक्षी होगी।

“इस बेहतरीन मैगज़ीन” को लगातार छापते रहने के लिए मैं आपका दिल से धन्यवाद करती हूँ। इस मैगज़ीन के हर लेख से मुझे यह सीखने को मिलता है कि कोई लेख किस तरह लिखा जाना चाहिए, ऐसा स्टाइल मैंने स्कूल में भी नहीं सीखा था। अब मैं किसी भी विषय पर लिखती हूँ तो उससे मुझे और भी बेहतर लिखने का हौसला मिलता है। मैं आप लोगों की मेहनत के लिए आपकी बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ।”

[पेज 25 पर चित्र का श्रेय]

Center photo: Państwowe Muzeum Oświęcim-Brzezinka, courtesy of the USHMM Photo Archives