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हमारे पाठकों से

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अफ्रीका में तूफान मेरी उम्र 12 साल है। अप्रैल 8, 1999 की सजग होइए! में “तूफान के बाद मसीहियत छा गई” नामक लेख के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। मेरी नज़र में जिन भाइयों ने मुसीबत में पड़े लोगों की मदद की वे महान हैं! इस लेख को पढ़कर मेरी वो यादें ताज़ा हो गईं जब जापान के हानशीन शहर में भारी भूकंप आया था और हमारे भाइयों ने लोगों की खूब मदद की थी। इस लेख से मैंने सीखा कि हमें बहादुर होना चाहिए और सबकी मदद करनी चाहिए।

आर. के., जापान

मेरी चाहतें “युवा लोग पूछते हैं . . . मेरी चाहतें पूरी क्यों नहीं की जातीं?” (अप्रैल 8, 1999) मैंने अभी-अभी यह लेख खत्म किया है। इस लेख के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहती हूँ क्योंकि इसने मुझे यह अहसास दिलाया है कि मेरी हर चाहत पूरी नहीं हो सकती। लेकिन जैसा कि लेख कहता है कि यहोवा को अच्छी तरह मालूम है कि हमारी ज़रूरतें क्या हैं और मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी ज़िंदगी बहुत साधारण है।

के. के., कनाडा

मैं 12 साल की लड़की हूँ। “युवा लोग पूछते हैं . . . मेरी चाहतें पूरी क्यों नहीं की जातीं?” (अप्रैल 8, 1999) इस लेख के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। कुछ चीज़ें मुझे बेहद पसंद हैं और मैं चाहती हूँ कि मेरे पास भी ये चीज़ें हों, जैसे एक साइकिल और एक गिटार। लेकिन मेरे पापा-जी ये चीज़ें खरीदकर मुझे नहीं दे सके। इसलिए मैं बहुत गुस्सा थी। मगर आपके इस लेख को पढ़कर अब मैं बहुत अच्छी बन गई हूँ। इसमें बहुत सी प्यार भरी सलाह दी गईं हैं ठीक जैसे एक पिता देता है। इसे छापने के लिए आपका बहुत शुक्रिया।

सी. यू., नाइजीरिया

पाँच बेटे “अपने पाँच बेटों के लिए मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ” (अप्रैल 8, 1999) यह लेख पढ़ने में मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि हॆलन सॉलस्बरी की ज़िंदगी मेरी मम्मी की ज़िंदगी से बहुत मिलती-जुलती है। मेरी मम्मी का बपतिस्मा भी उसी सन्‌ में हुआ था। मेरे पापा की कंपनी जब बंद हो गई तो पैसों की बहुत तंगी आ गई। इसलिए मेरी मम्मी ने भी हॆलन की तरह घर पर रहकर हमारी देख-भाल की। हमारी मम्मी भी पूर्ण समय की प्रचारक थी और हमेशा हमें सेवकाई के बारे में दिलचस्प बातें बताती थी। इसलिए पायनियरिंग मुझे हमेशा अच्छी लगती थी। आज मेरी दो बेटियाँ हैं और मैं समझ सकती हूँ कि मेरी मम्मी ने हमें बड़ा करने में कितनी मेहनत की थी।

एम. एस., जापान

इस लेख के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ। एक पिता होने के नाते मैं बाइबल के मुताबिक चलने की पूरी कोशिश करता हूँ। लेकिन अकसर मुझे ऐसा महसूस होता है कि जो मुझे करना चाहिए वह मैं ठीक तरह से नहीं कर पा रहा हूँ। फिर जब मैंने सॉलस्बरी परिवार की कहानी पढ़ी तो अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करते रहने के लिए मेरा हौसला बढ़ा।

आर. एम. आर., ब्रज़िल