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मेरे दोस्त ने मेरा दिल क्यों तोड़ा?

मेरे दोस्त ने मेरा दिल क्यों तोड़ा?

युवा लोग पूछते है . . .

मेरे दोस्त ने मेरा दिल क्यों तोड़ा?

“मेरी कुछ सहेलियाँ थीं . . . जिनकी दोस्ती बाद में एक और लड़की से हो गई और फिर सब कुछ बदलने लगा। अगर मैं कभी उनके सामने आ जाती तो वे अचानक ही बातें बंद कर देतीं . . . फिर तो धीरे-धीरे वे मुझसे पूरी तरह दूर रहने लगीं। ये देखकर मुझे इतना दुःख होता था, क्या बताऊँ।”—कॆरन। *

ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है फिर चाहे वे कितने ही पक्के दोस्त क्यों न हों। एक दिन तो वे एक दूसरे के लिए जान देने के लिए तैयार  होते हैं; मगर दूसरे दिन एक दूसरे से सीधे मुँह बात तक नहीं करते। 17 साल की नॉरा कहती है, “दोस्त वही होता है जिस पर आप कभी भी, किसी भी हाल में पूरा भरोसा रख सकते हैं।” मगर ऐसा भी हो सकता है कि आपका जिगरी दोस्त ही आपका जानी दुश्‍मन बन जाए।

दोस्ती खतरे में

मगर दोस्ती के इस मधुर रिश्‍ते में कड़वाहट कैसे आ जाती है? अब सैन्ड्रा और मेगन की ही बात लीजिए। उनमें कड़वाहट तब पैदा हुई जब मेगन ने सैन्ड्रा का एक मनपसंद टॉप उससे लिया था। सैन्ड्रा कहती है कि “जब उसने मुझे वह टॉप लौटाया, तो एक तो वह गंदा था, ऊपर से उसकी एक बाँह ज़रा फटी हुई थी। और उसने मुझे इस बारे में बताना भी मुनासिब नहीं समझा जैसे कि मुझे पता ही नहीं चलेगा।” मेगन की लापरवाही की वज़ह से सैन्ड्रा पर क्या बीती? वह आगे कहती है: “मुझे इतना गुस्सा आया कि पूछो मत। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसे न तो मेरी चीज़ों की कदर है और न ही मेरी भावनाओं की।”

एक व्यक्‍ति के दिल को तब भी ठेस पहुँचती है, जब उसका सबसे अच्छा दोस्त कुछ ऐसा कह देता या कर देता है जिससे उसकी बेइज़्ज़ती हो जाए। सिंडी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक बार उसने अपने क्लास के साथियों से कहा कि वह रिपोर्ट तैयार नहीं कर सकती है क्योंकि उसने किताब ही नहीं पढ़ी है। तो अचानक उसकी सहेली केट ने इस बात पर उसे डाँटने लगी। सिंडी कहती है कि “उसने सबके सामने मुझे इतना ज़लील किया कि मुझे बहुत गुस्सा आया। उसी दिन से हमारा रिश्‍ता टूट गया।”

कभी-कभी दोस्ती में दरार तब आती है जब एक दोस्त अपने नए दोस्तों के साथ ज़्यादा समय बिताना शुरू करता है। 13 साल की बॉनी कहती है: “जब से मेरी सबसे अच्छी सहेली ने दूसरे लोगों से दोस्ती शुरू कर दी तब से उसने मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया।” दोस्ती में दरार तब भी आ जाती है जब आपको पता चलता है कि उसने सिर्फ मतलब के लिए आपसे दोस्ती की है। 13 साल का जॊ कहता है, “मैं और बॉबी बहुत अच्छे दोस्त थे। मैंने सोचा कि मैं उसे अच्छा लगता हूँ इसलिए उसने मुझसे दोस्ती की है। पर उसने मेरे साथ दोस्ती सिर्फ इसलिए की क्योंकि मेरे पापा ऐडवरटाइज़िंग का काम करते थे और मेरे लिए किसी भी मैच की या प्रोग्राम की टिकटें ला सकते थे।” अब बॉबी के बारे में जॊ की क्या राय है? वह कहता है: “बॉबी एक मतलबी इंसान है, मैं अब कभी-भी उस पर एतबार नहीं करूँगा!”

जब एक दोस्त दूसरे दोस्त की राज़ की बातें लोगों के सामने खोल देता है तब भी दोस्ती टूट जाती है। मिसाल के लिए ऐलिसन के साथ काम करनेवाले एक व्यक्‍ति को कुछ निजी परेशानी थी जिसके बारे में ऐलिसन जानती थी और ऐलिसन ने उसके बारे में अपनी सहेली सारा को बताया। दूसरे दिन सारा उसी आदमी के मुँह पर उस बात का ज़िक्र करने लगी। ऐलिसन कहती है, “मैं गुस्से से लाल-पीली हो गयी। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि सारा इतनी मुँह-फट निकलेगी।” 16 साल की रेचल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसने अपनी सबसे अच्छी सहेली को अपनी कुछ निजी बात बतायी थी जो उसकी सहेली ने जाकर दूसरों को बता दी। रेचल कहती है कि “मुझे इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई और मुझे लगा जैसे उसने मेरे साथ बड़ा धोखा किया है। मैं ऐसी लड़की पर कैसे यकीन कर सकती हूँ?”

जिस दोस्ती में एक-दूसरे पर भरोसा हो, एक-दूसरे की परवाह और इज़्ज़त हो ऐसी दोस्ती वाकई बुरे वक्‍त में दिल को राहत पहुँचाने का काम करती है। मगर यह भी सच है कि कभी-कभी सबसे अच्छे दोस्तों के रिश्‍तों में भी तनाव आ जाता है। बाइबल साफ-साफ बताती है: “ऐसे दोस्त भी होते हैं जो एक दूसरे को फाड़ खाते हैं।” (नीतिवचन 18:24, NW) यह सच है कि अगर आपके दोस्त ने आपका विश्‍वास तोड़ा है तो आपके मन में तबाही मच सकती है, फिर चाहे इसकी जो भी वज़ह हो। मगर आखिर ऐसा होता ही क्यों है?

दोस्ती में दरार की वज़ह

दुनिया में ऐसा कोई भी रिश्‍ता नहीं जो हमेशा एक जैसा रहे और जिसमें कोई परेशानी न आए। फिर चाहे दोस्त जवान हों या बुज़ुर्ग। चेले याकूब ने लिखा था: “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।” (याकूब 3:2; 1 यूहन्‍ना 1:8) क्योंकि सभी गलतियाँ करते हैं, तो इसमें फिर कोई हैरानी की बात नहीं है जब हमारा दोस्त भी दिल को ठेस पहुँचानेवाली कुछ बात कह देता है। शायद आपको भी ऐसा कोई वक्‍त याद होगा जब आपने अपने दोस्त का दिल दुखाया होगा। (सभोपदेशक 7:22) 20 साल की लीसा कहती है कि “हम सब में कुछ-न-कुछ खामियाँ हैं और हम कभी-न-कभी कुछ ऐसा कह देते हैं या कर देते हैं जिससे गुस्सा आ जाता है।”

हम सब असिद्ध हैं, इसलिए हममें कमियाँ तो होंगी ही लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी बातें हैं जिनसे दोस्ती के रिश्‍ते में दरार पैदा हो सकती है। यह ध्यान में रखिए कि जैसे-जैसे आप और आपकी समझ बढ़ेगी, आपका और आपके दोस्तों का शौक भी एक नहीं रहेगा। दोस्तों की पसंद-नापसंद बदलती रहती हैं। यहाँ तक कि पहले उनके जो मिलते-जुलते शौक और विचार थे वे भी धीरे-धीरे बदलने लगते हैं। एक लड़की बड़े दुःख के साथ अपनी सबसे अच्छी सहेली के बारे में कहती है: “अब हम एक-दूसरे से बहुत कम बात करते हैं और अगर हम बात करते भी हैं तो बस थोड़ी ही देर में हममें मतभेद हो जाता है।”

जी हाँ एक दूसरे से धीरे-धीरे दूरी बढ़ जाने की बात तो समझ आती है लेकिन कुछ दोस्त अपने दोस्तों को दुःख क्यों पहुँचाते हैं? ज़्यादातर इसकी वज़ह होती है जलन। मिसाल के लिए, धीरे-धीरे आपके दोस्त को आपके कौशल से या आपकी कामयाबी से जलन हो सकती है। (उत्पत्ति 37:4; 1 शमूएल 18:7-9 से तुलना कीजिए।) जैसे बाइबल कहती है कि “ईर्ष्या हड्डियों को गला देती है।” (नीतिवचन 14:30, NHT) इस जलन से नफरत और दुश्‍मनी पैदा होती है। अगर आपका दोस्त भी किसी वज़ह से आपको दुःख पहुँचाता है तो आप क्या कर सकते हैं?

ज़खमों को भरना

रेचल कहती है: “सबसे पहले मैं उस व्यक्‍ति पर नज़र रखती हूँ और यह जानने की कोशिश करती हूँ कि कहीं उसने जानबूझकर तो ऐसा नहीं किया।” अगर आपको लगे कि किसी ने कुछ कहकर या कुछ करके आपको जानबूझकर ज़लील किया है, तो भावनाओं में बहकर कुछ उलटा-सीधा मत कर बैठिए। इसके बजाय शान्त रहिए और पूरी बात पर फिर से विचार कीजिए। (नीतिवचन 14:29) आपके हिसाब से जो आपका अपमान हुआ है उसका जवाब देने के लिए फट-से कुछ कर बैठना क्या सही होगा? क्या इससे बात बन जाएगी या और भी बिगड़ जाएगी? पूरी बात पर गौर कीजिए और हो सकता है उसके बाद आप भी वही करना चाहें जैसा भजन 4:4 (NHT) में लिखा है: “क्रोध तो करो, पर पाप मत करो। अपने बिछौनों पर पड़े हुए मनन करो और शान्त रहो।” फिर उसके बाद शायद आप बाइबल की इस सलाह पर अमल करना पसंद करें “प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।”—1 पतरस 4:8.

मगर आपको तब क्या करना चाहिए जब आपको लगे कि आप अपने दोस्त की इस हरकत को माफ नहीं कर सकते? ऐसे हालात में तो यही सबसे अच्छा होगा कि आप जाकर उससे आमने-सामने बात करें। 13 साल का फ्रैंक कहता है: “आप दोनों को सभी बातें आमने-सामने बैठकर कर निपटा देनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो आपके अंदर-ही-अंदर नफरत पनपती रहेगी।” 16 साल की सूज़न का भी यही मानना है। वह कहती है: “ऐसे हालात में अपने दिल का हाल बयान कीजिए। उन्हें बताइए कि कैसे उन्होंने आपके विश्‍वास का गला घोंट दिया है।” जैकलीन का भी यह मानना है कि आपस में बातचीत करके ही समस्या को सुलझाया जाना चाहिए। वह कहती है: “मैं हर बात पर खुलकर बात करने की कोशिश करती हूँ। और अकसर ऐसा होता है कि दूसरा व्यक्‍ति भी खुलकर बातें कर पाता है जिससे आप उसी वक्‍त मामला सुलझा सकते हैं।”

यह ध्यान में रखना बेहद ज़रूरी है कि आप अपने दोस्त से बात करने जाएँ तो आप गुस्से में न हों। बाइबल कहती है: “क्रोधी मनुष्य झगड़ा भड़काता है, परन्तु जो क्रोध में धीमा है, वह झगड़े को शान्त करता है।” (नीतिवचन 15:18, NHT) तो बेहतर होगा कि मामले को निपटाने से पहले आप अपना गुस्सा ठंडा करें। लीसा मानती है कि “पहले तो खून खौलने लगता है, मगर ज़रूरी है कि आप अपने आपको शान्त करें। जब तक आप अपने दोस्त के बारे में सोच-सोचकर आग बबूला होना बंद नहीं कर देते तब तक इंतज़ार कीजिए। उसके बाद ही आप इतमीनान से बैठकर बात कीजिए और शान्ति से मामले को निपटाइए।”

ज़रूरी बात है “शान्ति से।” याद रखिए कि आपका मकसद अपने दोस्त को करारे-करारे जवाब देना नहीं है। आपका मकसद है शान्ति से मामले को निपटाना और जहाँ तक हो सके अपनी दोस्ती के ज़ख्म को भरकर उसे मज़बूत करना। (भजन 34:14) इसलिए सच बोलिए, दिखावा मत कीजिए बल्कि दिल से बात कीजिए। जैसे लीसा सुझाव देती है: “आप उसे कह सकते हैं कि दोस्त होने के नाते आप सिर्फ यही जानना चाहते हैं कि सच्चाई क्या है। आप कह सकते हैं कि उसने जो भी कहा या किया आप उसकी वज़ह जानना चाहते हैं। और अगर एक बार आपको वज़ह पता लग जाए तो इस मुसीबत को सुलझाना आसान हो जाएगा।”

जिस व्यक्‍ति ने आपको चोट पहुँचायी उससे बदला लेना बिलकुल गलत बात है। और आपको दूसरों के साथ उसके बारे में गपशप करके उनकी हमदर्दी जीतने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। प्रेरित पौलुस ने रोम के मसीहियों को लिखा: “बुराई के बदले किसी से बुराई न करो।” (रोमियों 12:17) चाहे आपका दिल कितना भी ज़ख्मी क्यों न हो, बदला लेने से हालात और भी बिगड़ जाएँगे। जैसे नॉरा कहती है: “बदला लेने से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि आप फिर कभी दोस्त नहीं बन पाएँगे।” वह कहती है बदला लेने के बजाय अपनी दोस्ती को फिर से कायम करने की पूरी कोशिश कीजिए इससे वाकई आपको चैन मिलेगा “आप ज़्यादा अच्छे इंसान बनेंगे।”

मगर तब क्या जब आपकी कोशिशों के बावजूद भी आपका दोस्त आपकी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं? ऐसे में याद रखिए कि दोस्ती भी कई तरह की होती है। परिवार के बारे में सलाह देनेवाली जूडित मकलीस का कहना है: “सभी इंसान आपके पक्के दोस्त नहीं हो सकते। हरेक के साथ आपका रिश्‍ता अलग होगा, यह मानना सीखिए।” फिर भी आप इस बात से तसल्ली पा सकते हैं कि दोबारा दोस्ती बढ़ाने के लिए आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।”—रोमियों 12:18.

चाहे कोई कितना ही जिगरी दोस्त क्यों न, कलह उनमें भी पैदा हो सकती है। दुनिया के सबसे अच्छे दोस्तों पर भी मुसीबतों का तूफान आएँगे। अगर आप ऐसी तकरारों का अच्छी तरह मुकाबला कर सकते हैं, अपनी दोस्ती कायम रख सकते हैं, ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे आप खुद अपनी नज़रों में गिर जाएँ और दूसरों के बारे में जल्दबाज़ी में अपनी राय नहीं बदलते, तो आप वाकई एक समझदार व्यक्‍ति बन रहे हैं। हालाँकि कुछ ऐसे दोस्त हो सकते हैं जो “एक दूसरे को फाड़ खाते हैं।” फिर भी ऐसा मित्र [भी] होता है, जो “भाई से भी अधिक मिला रहता है।”—नीतिवचन 18:24.

[फुटनोट]

^ इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 15 पर तसवीरें]

एक दूसरे से खुलकर बात करने से आप फिर से दोस्त बन सकते हैं