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शादी से पहले बाप बनना—क्या यह मर्द होने का सबूत है?

शादी से पहले बाप बनना—क्या यह मर्द होने का सबूत है?

युवा लोग पूछते हैं  . . .

शादी से पहले बाप बनना—क्या यह मर्द होने का सबूत है?

“मैं ऐसे कई [लड़कों] को जानता हूँ जो कहते हैं, ‘यहाँ-वहाँ मेरी कितनी ही औलादें पल रही हैं।’ ऐसी बातें बोलते वक्‍त उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती।”—हैरल्ड।

अमरीका में, हर साल करीब दस लाख लड़कियाँ कच्ची उम्र में ही गर्भवती हो जाती हैं और इनमें से ज़्यादातर नाजायज़ बच्चों को जन्म देती हैं। इनमें से एक-चौथाई लड़कियाँ अगले दो साल के अंदर दोबारा किसी नाजायज़ बच्चे की माँ बन जाएँगी। अटलांटिक मन्थली पत्रिका कहती है: “अगर ऐसा ही चलता रहा तो आज पैदा होनेवाले बच्चों में से आधे से ज़्यादा, माँ-बाप के बिना बड़े होंगे या फिर ज़्यादातर बच्चों को सिर्फ माँ पालेगी।”

हालाँकि, छोटी उम्र में गर्भवती होनेवाली लड़कियों की दर अमरीका में बहुत ज़्यादा है। फिर भी नाजायज़ बच्चों का जन्म, दुनिया के हर देश की समस्या है। इंग्लैंड और फ्रांस में भी उतने ही नाजायज़ बच्चे जन्म लेते हैं जितने कि अमरीका में। यही नहीं, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के कुछ देशों में कच्ची उम्र में बच्चों को जन्म देनेवाली लड़कियों की गिनती अमरीका के मुकाबले दुगुनी है। यह समस्या इतने बड़े पैमाने पर क्यों बढ़ रही है? आखिर इस आग में कौन घी डाल रहा है?

समस्या की जड़

इस समस्या की सबसे बड़ी वज़ह यह है कि आज हम “कठिन समय” में जी रहे हैं, और लोगों का चाल-चलन बद से बदतर होता जा है। (2 तीमुथियुस 3:1-5) पिछले दस-बीस सालों में तलाक की दर आसमान छूने लगी है। लोग शादी की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के बजाय अवैध संबंध रखना ज़्यादा पसंद करते हैं। समलैंगिक संबंधों को जीने का दूसरा तरीका माना जाने लगा है। दूसरी तरफ, आज की नौजवान पीढ़ी के लिए रात-दिन अश्‍लील संगीत और वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। पत्रिकाओं में सनसनीखेज़ लेख और कामुक विज्ञापन दिखाई देते हैं। आए दिन टीवी पर ऐसे शो और फिल्में दिखाई जाती हैं जो नाजायज़ संबंधों को मामूली-सी बात बताते हैं। इसके अलावा हर कहीं गर्भपात करवाने की सहूलियतें और गर्भ रोकने के तरीकों की बहुतायत से नौजवान सोचने लगे हैं कि नाजायज़ संबंध रखने में कोई खतरा नहीं है। एक कुँवारे लड़के ने, जो नाजायज़ बच्चे का बाप है, यह कहा: “मैं सेक्स चाहता हूँ, ज़िम्मेदारी नहीं।” एक और ने कहा, “सेक्स तो एक मज़ेदार खेल है।”

इस तरह का नज़रिया खासकर गरीब इलाकों में रहनेवाले नौजवानों में देखने को मिलता है। खोजकर्ता इलाइजा एन्डर्सन ने शहर के पुराने इलाकों में रहनेवाले कई नौजवानों के इंटरव्यू लेने के बाद यह बताया: “कई नौजवानों का मानना है कि जिस लड़के के जितनी ज़्यादा लड़कियों से संबंध हैं, अपने इलाके में उसका उतना ही रुतबा है।” इन नौजवानों में से एक कुँवारे पिता ने सजग होइए! को बताया, लड़कों में एक होड़-सी लग जाती है क्योंकि वे लड़कियों का कुँवारापन भंग करने को एक “खिताब पाने के बराबर समझते हैं।” आखिर, ये नौजवान ऐसे गिरे हुए ख्यालात के क्यों हैं? एन्डर्सन कहता है कि ये नौजवान “अपनी टोली के लोगों को” खुदा मानते हैं। “ज़िंदगी कैसे जीनी है यह टोली ही तय करती है। उसकी हर बात को पत्थर की लकीर समझा जाता है। हर लड़का अपनी टोली की वाह-वाही पाना चाहता है इसलिए आँख मूँदकर उसकी बात मानता है।”

एन्डर्सन कहता है कि ज़्यादातर नौजवानों के लिए नाजायज़ संबंध रखना महज़ एक खेल है। इस खेल का मकसद यही होता है कि “एक लड़की को अपने जाल में फँसाकर उसका फायदा उठाना।” वह आगे कहता है, “लड़कियों को फँसाने के लिए लड़का पूरी तैयारी और चालाकी से काम करता है। वह पहनने-ओढ़ने, बालों के स्टाइल, शक्ल-सूरत, डांस करने के हुनर और बात करने की अदा का पूरा-पूरा इस्तेमाल करता है।” बहुत-से लड़के तो इस “खेल” के माहिर हैं। एन्डर्सन कहता है, लेकिन “जब उनके जाल में फँसी कोई लड़की गर्भवती हो जाती है, तब वे पिंड छुड़ाने के रास्ते ढूँढने लगते हैं।”—कुँवारे नौजवान बाप—बदलती भूमिकाएँ और नयी नीतियाँ, रॉबर्ट लरमन और थीअडोर ऊम्स।

परमेश्‍वर का नज़रिया

मगर शादी से पहले बाप बनना क्या कोई मर्दानगी है? क्या सेक्स महज़ एक खेल है? जी नहीं, हमारा बनानेवाला परमेश्‍वर, यहोवा इसे खेल नहीं समझता। उसने अपने वचन, बाइबल में साफ-साफ बताया कि शादी-शुदा स्त्री-पुरुष का संबंध एक पवित्र रिश्‍ता है। बाइबल बताती है कि पहले पुरुष और स्त्री की सृष्टि करने के बाद: “परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ।” (उत्पत्ति 1:27, 28) परमेश्‍वर ने यह कभी नहीं चाहा था कि बाप अपने बच्चों को छोड़कर चला जाए। इसलिए उसने पहले पुरुष और स्त्री को शादी के अटूट बंधन में बाँधा था। (उत्पत्ति 2:24) ज़ाहिर है कि परमेश्‍वर यही चाहता था कि हर बच्चा, माँ और बाप दोनों का प्यार पाकर पले-बढ़े।

लेकिन जब दुनिया में इंसान बढ़ने लगे तो पुरुषों ने एक से ज़्यादा स्त्रियों से संबंध रखना शुरू कर दिया। (उत्पत्ति 4:19) और-तो-और उत्पत्ति 6:2 के मुताबिक, कुछ स्वर्गदूतों ने “मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं,” तो उन्होंने इंसान का रूप धारण किया और लालच में भरकर “जिस जिसको चाहा उन से ब्याह कर लिया।” (तिरछे टाइप हमारे।) लेकिन जलप्रलय में ये दुष्ट स्वर्गदूत अपने मानव शरीर को छोड़कर भाग खड़े हुए। और बाइबल बताती है कि हमारे ज़माने में इन्हें ज़मीन पर फेंक दिया गया है। (प्रकाशितवाक्य 12:9-12) इसलिए आज शैतान और उसके ये दुष्ट दूत या पिशाच इस दुनिया को गुमराह कर रहे हैं। (इफिसियों 2:2) जो नौजवान अपनी औलाद को यूँ ही दर-दर भटकने के लिए छोड़ देते हैं वे अनजाने में इन पिशाचों जैसा ही व्यवहार कर रहे हैं, जो जलप्रलय के समय अपने परिवारों को मरने के लिए छोड़कर भाग गए थे।

बाइबल की सलाह कितनी सही है: “परमेश्‍वर की इच्छा है कि तुम पवित्र बनो, अर्थात्‌ व्यभिचार से बचे रहो, कि तुम में से प्रत्येक व्यक्‍ति अपने पात्र को आदर और पवित्रता के साथ वश में रखना जाने, यह अन्यजातियों के समान कामुक होकर नहीं जो परमेश्‍वर को नहीं जानते, कि इस बात में कोई भी अपने भाई का अपराध न करे और न उसे ठगे, क्योंकि प्रभु इन सारी बातों का बदला लेने वाला है।”—1 थिस्सलुनीकियों 4:3-6, फुटनोट, NHT.

‘क्या कहा? व्यभिचार से बचे रहो?’ कई नौजवान इस सलाह को शायद मज़ाक में उड़ा दें। सच है कि जवानी में लैंगिक भावनाएँ ज़ोरों पर होती हैं। मगर ध्यान दीजिए कि व्यभिचार करना ‘अपराध करने’ या किसी को ‘ठगने’ के बराबर है। क्या यह उस लड़की के खिलाफ अपराध नहीं होगा जिसे पति के सहारे के बिना, बच्चे को पालने पर मजबूर किया जाता है? और अगर उसे कोई लैंगिक बीमारी, जैसे कि जेनिटल हर्पीज़, सिफलिस, गॉनरीया या एड्‌स लग गयी तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा? सच है कि कभी-कभी इन तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है। मगर शादी से पहले लैंगिक संबंध रखना ही लड़की को ठगना है, क्योंकि उसकी बदनामी तो होती ही है और अगर वह बाद में शादी करना चाहे भी तो उसे इस बात का अहसास रहेगा कि वह अपना कुँवारापन खो चुकी है। इसलिए व्यभिचार से परे रहने में ही अक्लमंदी है और यही बड़प्पन की निशानी है। यह सच है कि ‘अपने पात्र को वश में रखने’ और शादी से पहले लैंगिक संबंधों से दूर रहने के लिए आत्म-संयम और पक्के इरादे की ज़रूरत होती है। लेकिन जैसे यशायाह 48:17, 18 हमसे कहता है कि परमेश्‍वर, अपने नियमों के ज़रिए ‘हमें खुद अपने लाभ के लिये शिक्षा देता है।’

“मरदानगी करो”

लेकिन, एक नौजवान सही मायनों में अपनी मर्दानगी कैसे दिखा सकता है? बेशक नाजायज़ औलाद पैदा करने से नहीं। बल्कि बाइबल कहती है: “जागते रहो, ईमान में क़ायम रहो, मरदानगी करो, मज़बूत होओ। जो कुछ करते हो मुहब्बत से करो।”—1 कुरिन्थियों 16:13, 14, हिन्दुस्तानी बाइबल।

ध्यान दीजिए कि ‘मरदानगी करने’ में क्या-क्या शामिल है: खबरदार रहना, विश्‍वास में कायम रहना, बहादुर होना और दूसरों के साथ प्रेम से व्यवहार करना। बेशक ये उसूल स्त्री-पुरुषों सभी पर बराबर लागू होते हैं। लेकिन अगर आप खुद में ऐसे आध्यात्मिक गुण पैदा करेंगे, तो लोग आपकी इज़्ज़त करेंगे और आपकी सच्ची मर्दानगी की तारीफ करेंगे! इस दुनिया में पैदा होनेवाले सबसे महान इंसान, यीशु मसीह से सबक सीखिए। ज़रा सोचिए कि उसे कितना तड़पाया गया और मार भी डाला गया, मगर उसने ‘उफ’ तक न की। यही तो असली मर्दानगी थी! और अब यह जानना है कि यीशु स्त्रियों के साथ कैसे पेश आया?

बेशक, यीशु की कई स्त्रियों से जान-पहचान थी। उसके शिष्यों में कई स्त्रियाँ भी थीं, जिनमें से कुछ “अपनी सम्पत्ति से [उसकी और उसके चेलों की] सेवा करती थीं।” (लूका 8:3) खासकर लाजर की दो बहनें यीशु की अच्छी मित्र थीं। दरअसल, बाइबल कहती है कि “यीशु मरथा और उस की बहन . . . से प्रेम रखता था।” (यूहन्‍ना 11:5) सिद्ध होने की वज़ह से यीशु नैन-नक्श और डील-डौल में बहुत अच्छा रहा होगा। इसके अलावा उसके पास कमाल की बुद्धि भी थी। लेकिन क्या यीशु ने अपनी शक्ल या अक्ल का इस्तेमाल औरतों को फँसाने के लिए किया? बिलकुल नहीं, बल्कि बाइबल कहती है कि यीशु ने “कोई पाप नहीं किया।” (1 पतरस 2:22, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इतना ही नहीं जब एक पापिन, वेश्‍या “रोती हुई, उसके पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी” तो यीशु ने उसका गलत फायदा नहीं उठाया। (लूका 7:37, 38) यीशु एक दुखियारी औरत का नाजायज़ फायदा उठाने की बात सोच भी नहीं सकता था! उसने दिखाया कि उसकी भावनाएँ पूरी तरह उसके काबू में थीं, और यही तो सच्चे मर्द की पहचान है! उसकी नज़र में औरत महज़ वासना पूरी करने का सामान नहीं थी बल्कि उसने हमेशा उनके साथ प्रेम और आदर के साथ बर्ताव किया।

अगर आप एक नौजवान मसीही हैं तो अपने दोस्तों-यारों की नकल करने के बजाय यीशु की मिसाल पर चलिए। ऐसा करके आप किसी के खिलाफ ‘अपराध नहीं करेंगे और न ही किसी को ठगेंगे।’ और-तो-और, यीशु की मिसाल आपको शादी किए बिना बाप बनने के दुःखों से बचाएगी। बेशक, व्यभिचार न करने की वज़ह से आपके दोस्त-यार आपका मज़ाक उड़ाएँगे। मगर बुरे रास्ते पर चलने के लिए उकसानेवाले इन दोस्तों के बजाय परमेश्‍वर को खुश करने से आपको हमेशा-हमेशा का लाभ होगा।—नीतिवचन 27:11.

लेकिन ऐसे नौजवान का क्या जो पहले नाजायज़ संबंध रख चुका है, और अब उसे अपनी पिछली ज़िंदगी पर दिल से पछतावा है और उसको छोड़ चुका है? अगर ऐसा है तो वह भी सच्चा पछतावा दिखानेवाले राजा दाऊद की तरह यह यकीन रख सकता है कि परमेश्‍वर ने उसे माफ कर दिया है। (2 शमूएल 11:2-5; 12:13; भजन 51:1, 2) लेकिन उस नौजवान को वाकई कई गंभीर फैसलों के बारे में सोचना पड़ेगा जिसके नाजायज़ संबंधों की वज़ह से एक लड़की गर्भवती हो जाती है। क्या उसे उस लड़की से शादी कर लेनी चाहिए? क्या अपनी औलाद की तरफ उसकी कोई ज़िम्मेदारी है? इन सवालों की चर्चा, इस पत्रिका के अगले अंक में की जाएगी।

[पेज 15 पर तसवीर]

बहुत से नौजवानों को यह गलतफहमी रहती है कि नाजायज़ संबंधों से कोई नुकसान नहीं होता