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सिगरेट क्यों छोड़नी चाहिए?

सिगरेट क्यों छोड़नी चाहिए?

सिगरेट क्यों छोड़नी चाहिए?

जोलोग लंबी उम्र और खुशियों भरी ज़िंदगी चाहते हैं उन्हें सिगरेट नहीं पीनी चाहिए। बरसों से सिगरेट पीनेवाले दो लोगों में से एक की मौत तंबाकू की वज़ह से होती है। विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डाइरेक्टर-जनरल ने कहा: “सिगरेट . . . में सिर्फ उतना ही निकोटिन डाला जाता है, जिससे इंसान को उसकी तलब लगे और वह ज़िंदगी भर इसका गुलाम बना रहे। और इस गुलामी का अंजाम आखिर में मौत होता है।”

तो फिर, सिगरेट छोड़ने का सबसे पहला कारण यह है कि इससे ना सिर्फ हमारी सेहत खराब हो सकती है बल्कि हमारी जान भी जा सकती है। कहा जाता है कि सिगरेट पीने से 25 से भी ज़्यादा जानलेवा बीमारियाँ हो सकती हैं। मिसाल के तौर पर, सिगरेट पीने की वज़ह से दिल के दौरे, लकवा मारने, दमा होने, इमफज़ीमा और कैंसर होने या खासकर फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

यह सच है कि इन बीमारियों का खतरा खासकर उन लोगों को है जो बरसों से सिगरेट पीते आ रहे हैं। मगर बीमारियों के अलावा सिगरेट पीनेवालों को और भी कई नुकसान होते हैं। हालाँकि विज्ञापनों में सिगरेट पीनेवालों को बहुत हट्टा-कट्टा और खूबसूरत, दिखाया जाता है मगर असलियत कुछ और ही है। लोग सिगरेट पीनेवालों के पास आने से कतराते हैं। सिगरेट पीनेवाले की साँस से बदबू आती है, उसके दाँत पीले और गंदे हो जाते हैं, उंगलियाँ का रंग कत्थई हो जाता है। पुरुषों में इससे नपुंसकता बढ़ती है। खाँसी, साँस की तकलीफ के अलावा इससे चेहरे पर वक्‍त से पहले ही झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं और चमड़ी के दूसरे रोग हो जाते हैं।

आपकी सिगरेट से दूसरों को नुकसान

बाइबल कहती है: “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” (मत्ती 22:39) आपका अपना परिवार ही आपके सबसे पहले पड़ोसी हैं। अगर आप वाकई उनसे प्यार करते हैं तो उनकी खातिर सिरगेट पीना छोड़ देंगे।

सिगरेट के धुएँ से दूसरों को तकलीफ होती है। कुछ साल पहले तक ऐसा था कि सिगरेट पीनेवालों का जहाँ मन करता वहीं सिगरेट सुलगा लेते थे और उन पर कोई पाबंदी नहीं थी। मगर जबसे लोगों को पता चला है कि सिगरेट से निकलनेवाले धुएँ में साँस लेना खतरनाक है तब से वे इससे दूर रहना पसंद करने लगे हैं। सिगरेट पीनेवाले के साथ रहनेवाले लोगों पर इसका कितना असर होता है यह समझने के लिए, ज़रा ध्यान दें कि अगर किसी की शादी सिगरेट पीनेवाले इंसान के साथ होती है तो उसे फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा रहता है। यह खतरा उस व्यक्‍ति से 30 प्रतिशत ज़्यादा होता है जिसका साथी सिगरेट नहीं पीता। जिन बच्चों के माँ-बाप सिगरेट पीते हैं उनको पैदा होने के एक-दो साल के अंदर ही निमोनिया या दमे की बीमारी हो सकती है, जबकि जिन घरों में सिगरेट नहीं पी जाती वहाँ बच्चों को यह खतरा नहीं होता।

गर्भवती स्त्रियाँ जब सिगरेट पीती हैं तो वे अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को खतरे में डाल देती हैं। सिगरेट के धुएँ के निकोटिन, कार्बन मोनोक्साइड और दूसरे विषैले रसायन, माँ के खून के ज़रिए बच्चे तक पहुँचते रहते हैं। नतीजा यह होगा कि शायद गर्भ गिर जाए, शायद बच्चा मरा हुआ पैदा हो या पैदा होने के कुछ ही समय बाद मर जाए। इसके अलावा, ऐसे बच्चों की बचपन में ही अचानक मौत हो जाने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।

भारी कीमत

सिगरेट पीने का शौक बहुत मँहगा है, इस वज़ह से भी आप इसे छोड़ सकते हैं। वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि सिगरेट पीने से होनेवाली बीमारियों के इलाज पर हर साल दो खरब डॉलर खर्च होते हैं। लेकिन यह आँकड़े उस दर्द और तकलीफ का बयान नहीं करते जो इन बीमारियों की वज़ह से होती है।

सिगरेट पीनेवाले की जेब पर इसका कितना असर होता है यह हिसाब लगाना बहुत आसान है। आप एक दिन में सिगरेट पर जितना खर्च करते हैं उसे 365 से गुणा कीजिए। इससे आपको पता लग जाएगा कि एक साल में आप सिगरेट पर कितना खर्च करते हैं। अगर इसी गिनती को आप 10 से गुणा करें तो आप जान सकते हैं कि अगले दस सालों तक आप सिगरेट पर कितने पैसे खर्च कर चुके होंगे। ज़रा, ऐसा करके देखिए नतीजा देखकर आप खुद हैरान रह जाएँगे। ज़रा सोचिए इतने सारे पैसे से आप और कितना कुछ कर सकते हैं।

क्या सिगरेट बदल देना काफी है?

तंबाकू उद्योग ऐसी सिगरेट का भी विज्ञापन करता है जिसमें टार और निकोटिन की मात्रा कम होती है। इसलिए कहा जाता है कि इसे पीने से शरीर को इतना नुकसान नहीं पहुँचता। लेकिन, तेज़ और दमदार सिगरेट छोड़कर हल्की या कम निकोटिनवाली सिगरेट पीनेवालों का शरीर निकोटिन की उतनी ही मात्रा की माँग करता है जितनी कि पहले। इसलिए वे सिगरेट बदलने के बाद भी निकोटिन की पूरी मात्रा पाने के लिए ज़्यादा सिगरटें पीते हैं और गहरे कश लेते हैं। और जो लोग तेज़ सिगरेट छोड़कर हल्की या निकोटिन की कम मात्रावाली सिगरेट पीने लगते हैं उनके स्वास्थ्य पर इसका कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। हाँ, अगर वे पूरी तरह सिगरेट पीना छोड़ दें तो बेशक फायदे में रहेंगे।

पाइप और सिगार पीने के बारे में क्या? तंबाकू बेचनेवाली कंपनियाँ यही दिखाती आयी हैं कि पाइप और सिगार इज़्ज़तदार और बड़ा आदमी होने की निशानी है लेकिन सच्चाई यह है कि पाइप और सिगार का धुआँ उतना ही खतरनाक होता है जितना कि सिगरेट का धुआँ। सिगार या पाइप पीनेवाले चाहे धुआँ अंदर न लेते हों, फिर भी उन्हें होठों, मुँह या जीभ का कैंसर होने का ज़्यादा खतरा रहता है।

अगर ऐसा है तो सिगरेट फूँकने के बजाय सीधे तंबाकू खाना क्या ठीक है? तंबाकू दो किस्म का होता है, नसवार और चबानेवाला तंबाकू। नसवार पिसा हुआ तंबाकू होता है, जो छोटी-छोटी डिब्बियों में या पाउच में बेचा जाता है। नसवार को नाक से सुड़का जा सकता है या लोग इसे अपने निचले होंठ और दाँतों के बीच रखकर चूसते रहते हैं। जो तंबाकू चबाया जाता है वह अकसर एक पाउच में रेशों के रूप में मिलता है। इन रेशों को चबाया जाता है, चूसा नहीं जाता। नसवार और चबानेवाले तंबाकू के इस्तेमाल से भी निकोटिन की लत लग जाती है, मुँह से बदबू आती है, दाँतों पर धब्बे पड़ जाते हैं, मुँह और गले का कैंसर होता है, मुँह में सफेद छाले पड़ जाते हैं जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकते हैं, मसूड़े सिकुड़ जाते हैं और दाँतों के आसपास की हड्डियाँ गल जाती हैं। इससे साफ ज़ाहिर है कि तंबाकू को चूसना या चबाना भी उतना ही नुकसानदेह है जितना कि सिगरेट पीना।

तंबाकू छोड़ने के फायदे

मान लीजिए कि आप बरसों से सिगरेट पीते आए हैं। लेकिन जब आप सिगरेट पीना छोड़ते हैं तो क्या होता है? आखिरी सिगरेट पीने के 20 मिनट के अंदर ही आपका ब्लड-प्रेशर नॉरमल हो जाता है। एक हफ्ते बाद आपके शरीर से सारा निकोटिन साफ होकर निकल जाता है। एक महीने बाद आपकी खाँसी, सिर का भारीपन और साइनस की तकलीफ, थकान और साँस लेने की तकलीफ कम होने लगती है। पाँच साल के बाद, फेफड़ों के कैंसर से आपके मरने का खतरा आधा हो जाएगा। पंद्रह साल बाद, दिल का दौरा पड़ने का खतरा उतना ही कम हो जाएगा जितना कि किसी सिगरेट न पीनेवाले को होता है।

आपको खाने का स्वाद अच्छा लगने लगेगा। आपकी साँस, शरीर और कपड़ों से बदबू निकल जाएगी। तंबाकू खरीदने की मुसीबत और खर्चा बच जाएगा। आपको दिली खुशी मिलेगी कि आपने एक बढ़िया काम किया है। अगर आपके बच्चे हैं तो आपकी मिसाल देखकर वे भी शायद कभी सिगरेट न पीएँ। हो सकता है कि आपकी उम्र भी बढ़ जाए। सबसे बड़ी बात, आप परमेश्‍वर की इच्छा के मुताबिक काम कर रहे होंगे, क्योंकि बाइबल कहती है: “आओ, हम अपने आप को शरीर . . . की सब मलिनता से शुद्ध करें।” (2 कुरिन्थियों 7:1) ऐसा मत सोचिए कि अब बहुत देर हो चुकी है और आप यह आदत नहीं छोड़ सकते। जितना जल्दी आप इसे छोड़ेंगे उतना आपके लिए अच्छा होगा।

सिगरेट छोड़ना इतना मुश्‍किल क्यों है

सिगरेट की आदत छोड़ना आसान नहीं है ऐसे लोगों के लिए भी जो इसे छोड़ने का पक्का इरादा कर लेते हैं। यह खासकर इसलिए होता है क्योंकि तंबाकू में जो निकोटिन होता है उसकी अगर आदत पड़ जाए तो व्यक्‍ति सारी ज़िंदगी उसका गुलाम बनकर रह जाता है। WHO कहता है, “दिमाग पर असर करनेवाले हेरोइन और कोकीन जैसे ड्रग्स से निकोटिन की लत ज़्यादा खतरनाक होती है।” निकोटिन से वैसा ज़बरदस्त नशा नहीं होता जो हेरोइन और कोकीन को लेने से होता है। इसीलिए इस पर अकसर ध्यान नहीं दिया जाता। निकोटिन से जो हल्का-सा सुरुर होता है उसमें इतनी ज़बरदस्त ताकत होती है कि एक इंसान उसका गुलाम बन जाता है और इस सुरूर को बार-बार महसूस करने के लिए सिगरेट पीता है। निकोटिन से वाकई आपकी दिमागी हालत पर फर्क पड़ता है, यह आपकी चिंता को कम कर देती है। लेकिन, सिगरेट पीने से जो तनाव कम होता है, उस तनाव की एक वज़ह खुद निकोटिन ही है।

सिगरेट छोड़ना इसलिए भी मुश्‍किल है क्योंकि पीनेवाले निकोटिन के तो गुलाम होते ही हैं, साथ ही उन्हें लाइटर या माचिस जलाने और कश लेने की आदत-सी पड़ जाती है। कुछ लोगों का कहना है, ‘आपके हाथ अपने आप ये सब करने लगते हैं।’ ‘इससे खाली समय बड़ी आसानी से कट जाता है।’

तीसरी मुश्‍किल यह है कि तंबाकू आम इंसान की ज़िंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। तंबाकू उद्योग हर साल विज्ञापनों पर करीब छः अरब डॉलर खर्च करता है। इन विज्ञापनों में सिगरेट पीनेवालों को ग्लैमरस, चुस्त, सेहतमंद, और अक्लमंद दिखाया जाता है। अकसर उन्हें घुड़सवारी करते, तैरते, टेनिस खेलते या कोई और बढ़िया काम करते दिखाया जाता है। फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में भी हीरो-हीरोइनों को सिगरेट पीते हुए दिखाया जाता है। तंबाकू को बिना पाबंदी बेचा जाता है और यह कहीं भी, किसी भी जगह मिल सकता है। हम सभी के आसपास अकसर कोई-न-कोई सिगरेट पीनेवाला होता ही है। इसके धुएँ से बच पाना बहुत मुश्‍किल है।

सिरदर्द से राहत पाने के लिए हम एसप्रिन जैसी कोई गोली खा सकते हैं मगर अफसोस कि ऐसी कोई गोली नहीं बनी जिसे खाते ही सिगरेट की लत छुट जाए। सिगरेट छोड़ने जैसे मुश्‍किल काम में कामयाबी पाने के लिए पक्का इरादा होना ज़रूरी है। जिस तरह वज़न घटाने के लिए काफी समय तक मेहनत करनी पड़ती है उसी तरह सिगरेट छोड़ने में भी मेहनत लगती है। कामयाबी तभी मिल सकती है जब सिगरेट पीनेवाला खुद इसे छोड़ने की पूरी-पूरी कोशिश करे।

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बचपन से इसकी लत में फँसना

अमरीका में एक जाँच ने दिखाया कि पहली बार सिगरेट पीनेवाले चार लड़के या लड़कियों में से एक को इसकी लत लग गयी। इतनी ही गिनती उन लड़के-लड़कियों की भी है जो कोकीन और हेरोइन के गुलाम हो जाते हैं। सिगरेट पीनेवाले लड़के-लड़कियों में से 70 प्रतिशत को इस बात का अफसोस होता है कि उन्होंने सिगरेट पीना शुरू ही क्यों किया, मगर बहुत कम इस आदत को छोड़ पाते हैं।

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सिगरेट के धुएँ में क्या होता है?

सिगरेट के धुएँ में टार होता है, जिसमें 4,000 से ज़्यादा रसायन होते हैं। इनमें से 43 रसायन ऐसे हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। इनमें से कुछ हैं साइनाइड, बेन्ज़ीन, मिथेनॉल और एसिटिलीन (वैल्डिंग मशीनों में काम आनेवाला इंधन)। सिगरेट के धुएँ में नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड भी होती हैं, ये दोनों ही ज़हरीली गैसें हैं। धुएँ में सबसे ज़्यादा मात्रा में होता है निकोटिन, जिसकी लत लोगों को अपना गुलाम बना लेती है।

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अपने अज़ीज़ को सिगरेट छोड़ने में मदद करना

अगर आप सिगरेट नहीं पीते और इसे पीने के खतरों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, तो आप अपने दोस्तों और अज़ीज़ों को सिगरेट पीते देख शायद परेशान हो जाते होंगे। सिगरेट छोड़ने में आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? बार-बार टोकते रहने, मिन्‍नतें करने, दबाव डालने और मज़ाक उड़ाने से आपको कामयाबी नहीं मिलेगी। ना ही सिगरेट के खिलाफ लंबे-लंबे लेक्चर सुनाने से। ऐसे तरीके अपनाने से, सिगरेट पीनेवाला परेशान हो जाएगा और अपनी परेशानी कम करने के लिए फिर से सिगरेट सुलगा लेगा। यह समझने की कोशिश कीजिए कि इस आदत को छोड़ना इतना आसान नहीं है और कुछ लोगों को सिगरेट छोड़ने में दूसरों से ज़्यादा मुश्‍किल होती है।

आप ज़बरदस्ती किसी की सिगरेट की लत नहीं छुड़ा सकते। खुद उस व्यक्‍ति को सिगरेट छोड़ने की हिम्मत जुटानी होगी और पक्का इरादा करना होगा। उसके इस इरादे को और भी मज़बूत करने और कामयाब होने के लिए आपको अलग-अलग तरीकों से और प्यार से सहारा देना होगा।

आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? सही वक्‍त चुनकर, आप उस व्यक्‍ति के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कीजिए और उससे कहिए कि ‘आपकी सिगरेट पीने की इस आदत से मुझे आपके बारे में चिंता हो रही है।’ उससे कहिए कि अगर वह सिगरेट छोड़ने का फैसला करता है तो आप उसकी पूरी-पूरी मदद करेंगे। लेकिन बार-बार यही तरीका इस्तेमाल करते रहें तो इसका असर नहीं होगा और आप कामयाब नहीं होंगे।

अगर आपका अज़ीज़ सिगरेट छोड़ने का फैसला कर ही लेता है तो आप क्या कर सकते हैं? इस बात का ध्यान रखें कि सिगरेट छोड़ने पर उसे काफी तकलीफ उठानी पड़ेगी। वह छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाएगा और दुःख में डूबा रहेगा। उसे सिरदर्द रहेगा और अच्छी तरह नींद भी नहीं आएगी। ऐसे में अपने अज़ीज़ को इस बात का दिलासा दीजिए कि ये तकलीफें कुछ ही समय के लिए हैं और इस बात की निशानी हैं कि उसका शरीर फिर से स्वस्थ हो रहा है। हँसमुख रहिए और हिम्मत मत हारिए। उसे बताइए कि उसके सिगरेट छोड़ने से आपको कितनी खुशी हो रही है। सिगरेट छोड़ने पर होनेवाली तकलीफों के दौरान, अपने अज़ीज़ की मदद कीजिए ताकि वह किसी ऐसी परेशानी में न पड़ जाए जिससे चैन पाने के लिए वह दोबारा सिगरेट का सहारा ले।

अगर वह फिर से सिगरेट पीने लगे तो? चीखने-चिल्लाने के बजाय शांत रहिए। उसकी हालत को समझिए। इस नाकामयाबी से आप दोनों सबक सीखिए, जिससे अगली बार कोशिश करने से ज़रूर कामयाबी मिलेगी।

[पेज 7 पर तसवीर]

तंबाकू उद्योग हर साल विज्ञापनों पर करीब छः अरब डॉलर खर्च करता है