पक्षियों ने कैदियों को क्या सिखाया?
पक्षियों ने कैदियों को क्या सिखाया?
दक्षिण अफ्रीका के सजग होइए! संवाददाता द्वारा
दक्षिण अफ्रीका में डरबन शहर के अखबार सन्डे ट्रीब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉल्समोर जेल में कैदियों को रहमदिल बनाने के लिए पक्षियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस जेल में फिलहाल, 14 कैदी ऑस्ट्रेलियन तोते और लवबर्ड पक्षियों की देखभाल करने में लगे हुए हैं।
इस कार्यक्रम में कैदियों को क्या-क्या करना होता है? हर कैदी को कुछ दिनों के लिए इनक्यूबेटर (पक्षियों के अंडे सेंकने की मशीन) दिया जाता है। उसके बाद जब अंडों से चूज़ा निकलता है तो उसे सँभालने की ज़िम्मेदारी भी कैदी की ही होती है। उसे, पाँच हफ्तों के लिए, दिन-रात और हर एक-दो घंटे में इस छोटे-से बेसहारा बच्चे को अपने हाथों से खाना खिलाना होता है। पाँच हफ्ते बाद इस पंछी को रखने के लिए पिंजरा दिया जाता है। जब पंछी बड़ा हो जाता है तो उसे बेच दिया जाता है। कुछ कैदियों को इन पंछियों से इतना लगाव हो जाता है कि जब वे उनसे अलग किए जाते हैं तो वे फूट-फूटकर रोने लगते हैं।
यहाँ तक कि कुछ पत्थरदिल अपराधी भी रोज़-रोज़ पक्षियों के साथ बात करने और उनकी देखभाल करने से नम्र और रहमदिल बन गये हैं। एक कैदी कहता है, “मैं ने पक्षियों को बहुत कुछ सिखाया है, बदले में उन्होंने मुझे इंसानियत सिखायी है।” एक और कैदी कहता है कि पक्षियों ने उसे “धीरज रखना और खुद पर काबू करना सिखाया है।” चोरी के इलज़ाम में सज़ा काट रहे एक कैदी को पक्षियों की देखभाल करने से इस बात का एहसास हुआ कि माता-पिता होना कितनी “बड़ी ज़िम्मेदारी” है। उसे अब पछतावा होता है कि जब वह आज़ाद था तब उसने अपने बच्चों की परवरिश पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया था।
पक्षियों की देखभाल करने का एक और फायदा है। इस कार्यक्रम की शुरूआत करनेवाले विकस ग्रिसा ने कहा, “पक्षियों की देखभाल करने की ट्रेनिंग से, जेल से छूटने के बाद इन कैदियों को या तो पक्षियों के फार्म पर या जानवरों के अस्पताल में नौकरी मिल सकती है।”