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“विविधताओं के देश” का रोमांचक इतिहास

“विविधताओं के देश” का रोमांचक इतिहास

“विविधताओं के देश” का रोमांचक इतिहास

ब्राज़ील के सजग होइए! संवाददाता द्वारा

ब्राज़ील को ‘विविधताओं का देश’ कहा जाता है। 85,11,999 वर्ग किलोमीटर में फैले ब्राज़ील देश में 7,400 किलोमीटर लंबी तटरेखा है। हालाँकि ब्राज़ील को एक गर्म देश कहा जाता है लेकिन जब मौसम की बात आती है तो इसके दक्षिण इलाके से लेकर उत्तर में ऎमज़ॉन के इलाके के मौसम के बीच बहुत बड़ा फर्क है। इसमें रहनेवाले लोग भी अलग-अलग संस्कृतियों से आए हैं। इतना ही नहीं, इस देश का इतिहास भी विविधताओं से भरा है।

आज से करीब 500 साल पहले जब पहली बार पुर्तगालियों ने ब्राज़ील में पाँव रखा था तब वे यहाँ के लोगों की मेहमान-नवाज़ी देखकर हैरान रह गये थे। इस बारे में पुर्तगाल के व्यापारी पेरो वाज़ दी कामीन्या ने राजा मॆन्युल I को लिखा था कि ब्राज़ील के लोगों ने हम अंजान मुसाफिरों का दिल से स्वागत किया और हमें गले से लगाया। लेकिन पुर्तगाली आखिर ब्राज़ील में क्या कर रहे थें?

मार्च 9, 1500 में पुर्तगाल के राजा ने पेद्रू एलवरिश कब्राल को जहाज़ों के एक बड़े लशकर के साथ पुर्तगाल से रवाना किया। उनका मकसद था भारत के कालिकट शहर में पुर्तगाल के लिए व्यापार का केंद्र बनाना। लेकिन अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले कब्राल अप्रैल 23, 1500 को ब्राज़ील के तट पर जा पहुँचा। आज ब्राज़ील की इस जगह को बाहिया राज्य के नाम से जाना जाता है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पुर्तगाल के लोग ब्राज़ील देश के बारे में पहले से ही जानते थे, इसलिए कब्राल का उस देश में पहुँचना महज़ एक इत्तफाक नहीं था। * बात चाहे जो भी हो, ऐसा लगता है कि ब्राज़ील में व्यापारियों के लिए ब्राज़ील-वुड के सिवाय और कुछ नहीं था, जिससे लाल रंग की डाई बनती थी। जबकि भारत के मसालों की दुनिया भर में माँग थी।

पुर्तगाल के राजा ने फर्नान्दो द नोरोंये नाम के व्यापारी को दस साल के लिए ब्राज़ील देश का ठेका दिया हुआ था। वह यहाँ की ब्राज़ील-वुड का व्यापार करता था और बदले में राजा को टैक्स देता था। लेकिन इस नई जगह पर यूरोप के दूसरे देशों की भी नज़र थी। इसलिए फ्राँसीसी, अँग्रेज़ और स्पेन के नाविकों ने गैर-कानूनी व्यापार करना शुरू कर दिया और नोरोंये के पास उन्हें रोकने की ताकत नहीं थी। इसलिए सन्‌ 1532 से पुर्तगाल ने ब्राज़ील को अपना उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान चीनी का उत्पादन ब्राज़ील का सबसे बड़ा कारोबार बन गया।

उसके बाद 18वीं सदी के दौरान, खानों से सोना और हीरे निकालने का कारोबार बहुत फलने-फूलने लगा। लेकिन 19वीं सदी के आते-आते पेड़ों से मिलनेवाले रबर का कारोबार ऎमज़ॉन इलाके में बहुत मशहूर होने लगा। * बाद में, कॉफी का कारोबार फूलने-फलने की वज़ह से पूरे ब्राज़ील की शक्ल ही बदल गई, देश में नये-नये शहर बनने लगे। कॉफी के व्यापार के लिए रेलमार्ग बिछाए गए, सैन्टॅस और रियो द जेनीरो जैसे बंदरगाहों का निर्माण किया गया। उन्‍नीसवीं सदी के अंत तक ब्राज़ील लगभग आधी दुनिया को कॉफी सप्लाई करने लगा और साउँ पाउलो शहर, ब्राज़ील का सबसे मुख्य व्यापारिक केंद्र बन गया।

लोगों से गुलामी करवाना ब्राज़ील के इतिहास का एक बदनुमा दाग है। शुरू-शुरू में तो पुर्तगाल के लोग ब्राज़ील-वुड कटवाने और ले जाने के लिए आदिवासियों का इस्तेमाल करते थे। बाद में, इन्हें गन्‍ने के खेत में काम करने के लिए भेज दिया गया। लेकिन इन आदिवासियों में बीमारी फैल गई और वे बड़ी तादाद में मरने लगे। तब इनकी जगह मज़दूरी करने के लिए पुर्तगाली अफ्रीका से गुलाम ले आये।

फिर तो इन गुलामों का ताँता ही लग गया। लाखों की तादाद में अफ्रीका के लोगों को गुलाम बनाकर यहाँ लाया जाता रहा। वे अपनी संस्कृति और बाप-दादाओं से मिली विरासत भी साथ लाये। उनकी संस्कृति का असर साम्बा जैसे जाने-माने संगीत और केपोएरा (एक तरह की लड़ाई) में साफ-साफ नज़र आता है। यहाँ तक कि इन लोगों के खाने-पीने का असर भी साफ दिखाई देता है। फेज़्हूआडू एक ऐसा ही भोजन है जिसे काले सेम से तैयार किया जाता और सुअर के मांस, सॉसेज और सूखे मांस के साथ मिलाकर पकाया जाता है। आखिरकार, सन्‌ 1888 में ब्राज़ील से गुलामी की प्रथा को खत्म कर दिया गया। तकरीबन 7,50,000 गुलामों को आज़ाद कर दिया गया जिनमें से ज़्यादातर गन्‍ने के खेतों में काम करते थे।

उन्‍नीसवीं सदी से, दूसरे देशों से लाखों लोग ब्राज़ील में आकर रहने लगे। इन विदेशियों में इटली, जर्मनी, जापान, पोलैंड, साइरो-लेबनान, स्पेन, और स्विट्‌ज़रलैंड के लोग भी शामिल हैं। रहने के लिए ब्राज़ील बेहद खूबसूरत जगह है। यहाँ तरह-तरह के जानवर और पेड़-पौधे बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। ब्राज़ील में प्राकृतिक विपत्तियाँ भी ना के बराबर आती हैं। भूचाल, ज्वालामुखी का फटना, आँधी-तूफान या बाढ़ आने जैसी घटनाएँ नहीं होतीं, यहाँ तक कि युद्ध भी नहीं होते। तो क्यों न आप भी ब्राज़ील घूमने आएँ और खुद अपनी आँखों से इसके जाने-माने नज़ारे देखें? यकीन मानिए आप कुदरत के वही खूबसूरत नज़ारे और लोगों की वही मेहमान-नवाज़ी देखकर खुश हो जाएँगे जो आज से 500 साल पहले पुर्तगालियों को देखने को मिली थी।

[फुटनोट]

^ सन्‌ 1494 में जब पुर्तगाल और स्पेन ने टोर्डसीयस संधि पर दस्तखत किए थे तब उन्होंने दक्षिण अटलांटिक महासागर के पश्‍चिम के इलाकों का आपस में बँटवारा कर लिया था। इसलिए कुछ लोगों का कहना है कि इस संधि के मुताबिक ब्राज़ील पुर्तगाल के हिस्से में आया और कब्राल उसे पूरी तरह पुर्तगाल के अधिकार में लेने के लिए ही निकला था।

^ मई 22, 1997 के सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के पेज 14-17 देखिए।

[पेज 16,17 पर नक्शा/तसवीरें]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

ऎमज़ॉन इलाका

बाहिया राज्य

ब्राज़िलीया

रियो द जेनीरो

साउँ पाउलो

सैन्टॅस

इग्वासू झरने

[तसवीरें]

1. पेद्रू एलवरिश कब्राल

2. सन्‌ 1494, टोर्डसीयस संधि

3. कॉफी ढोनेवाले मज़दूर

4. ब्राज़ील से नज़र आनेवाले इग्वासू झरने

5. ईपीशूना आदिवासी

[चित्रों का श्रेय]

Culver Pictures

Courtesy of Archivo General de Indias, Sevilla, Spain

किताब ब्राज़ील और ब्राज़ीलवासी से, 1857

FOTO: MOURA

[पेज 18 पर तसवीरें]

1.ब्राज़ील में बड़ी तादाद में प्यूमा पाए जाते हैं

2.ऎमज़ॉन के जंगलों में ऑर्किड फूल

3.बाहिया राज्य के सैल्वडोर की पारंपरिक पोशाक

4.एक मकाओ

5.कोपकबाना तट, रियो द जेनीरो। ब्राज़ील में 7,000 किलोमीटर से भी लंबा खूबसूरत तट है

[चित्र का श्रेय]

Courtesy São Paulo Zoo

[पेज 19 पर तसवीर]

ब्राज़िलिया—सन्‌ 1960 से ब्राज़ील की राजधानी है

[पेज 19 पर तसवीर]

साउँ पाउलो—ब्राज़ील का व्यापारिक केंद्र

[चित्र का श्रेय]

FOTO: MOURA

[पेज 16 पर चित्र का श्रेय]

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