साग-सब्ज़ियाँ खाने की आदत डालिए!
साग-सब्ज़ियाँ खाने की आदत डालिए!
ब्राज़ील में सजग होइए! लेखक द्वारा
“ये बहुत कड़वी होती हैं।” “मुझे इनका स्वाद बिलकुल पसंद नहीं है।” “मैंने तो ये कभी खायीं ही नहीं।”
इन्हीं चंद वजहों से ज़्यादातर लोग साग-सब्ज़ियाँ खाना पसंद नहीं करते हैं। आपके बारे में क्या? क्या आप रोज़ाना सब्ज़ियाँ खाते हैं? सजग होइए! ने कई लोगों से बातचीत की और पता लगाया है कि क्यों कुछ लोग सब्ज़ियाँ खाना पसंद करते हैं और कुछ नहीं।
जो लोग सब्ज़ियाँ खाते हैं उनका कहना है कि उनके माता-पिता ने उन्हें छुटपन से ही सब्ज़ियाँ और फल खाने की अहमियत बतायी थी। दूसरी तरफ, कई लोग सब्ज़ियाँ खाना इसीलिए पसंद नहीं करते क्योंकि उनमें बचपन से इसकी आदत नहीं डाली गयी। इसके बदले वे चटपटी चीज़ें खाना पसंद करते हैं। लेकिन यही लोग इस बात से इंकार नहीं करते कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सब्ज़ियाँ खाना बेहद ज़रूरी है।
इसलिए माता-पिताओ, बचपन से ही अपने बच्चों में साग-सब्ज़ियाँ खाने की आदत डालिए! मगर कैसे? संयुक्त राष्ट्र बाल निधि द्वारा प्रकाशित, जीवन के तथ्य (अँग्रेज़ी) में यह सुझाव दिया गया है कि छः महीने के बच्चों को माँ का या बोतल का दूध पिलाने के बाद, दिन में कम-से-कम एक बार सब्ज़ियाँ खिलानी चाहिए। ये सब्ज़ियाँ उबालकर, छीलकर और मसलकर बच्चों को दी जानी चाहिए। और जितना अलग-अलग तरह का खाना हो बच्चों के लिए उतना ही बेहतर होता है। ब्राज़ील के एक बाल-विशेषज्ञ, डॉ. वैगनर लापाटे का कहना है कि हालाँकि पहले दो सालों में बच्चों का मुख्य भोजन दूध होता है, लेकिन दूसरी चीज़ें खिलाने से “बच्चे नए-नए स्वाद पहचान पाते हैं।”
मेडीसीना—मीटूस ई वरदादीस (दवाइयाँ—झूठ और सच) किताब में कार्ला लीओनल सुझाव देती हैं कि ऊपर बताए गए समय से पहले बच्चों के खाने में थोड़ा-सा संतरे का रस, पिसे हुए फल (जैसे केला, सेब, और पपीता), अनाजों का बना पतला भोजन और सब्ज़ियों का सूप दिया जा सकता है। लेकिन क्योंकि इस मामले में हर डॉक्टर की राय अलग हो सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि ये खाना देने से पहले आप अपने बच्चों के डॉक्टर से सलाह लें।(g01 1/8)