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“कभी-कभी मुझे लगता है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!”

“कभी-कभी मुझे लगता है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!”

“कभी-कभी मुझे लगता है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!”

लूरडेस अपने घर की खिड़की से बाहर शहर को टकटकी लगाए देखती है और वह अपनी उँगलियाँ अपने काँपते होंठों पर रखती है। वह एक लातिन-अमरीकी स्त्री है और उसने 20 से भी ज़्यादा सालों तक हिंसा करनेवाले पति, एल्फ्रेडो के ज़ुल्मों को सहा है। मगर एल्फ्रेडो पर कुछ ऐसी बातों का असर हुआ कि वह अब बदल चुका है। फिर भी उन सालों के दौरान लूरडेस ने शारीरिक और मानसिक तौर पर जो यातना सही, उसे बयान करना आज भी उसके लिए आसान नहीं।

बड़ी दबी-सी आवाज़ में वह बताती है: “शादी के ठीक दो हफ्ते बाद यह सब शुरू हो गया था। एक बार उसने मुझे इतनी ज़ोर से मारा कि मेरे दो दाँत टूट गए। दूसरी बार उसने मुझे मारना चाहा तो मैं नीचे झुक गयी और उसका हाथ अलमारी में जा लगा। मगर ताने और गालियाँ? उनसे मुझे सबसे ज़्यादा चोट पहुँचती थी। वह मुझे ‘रास्ते की गंदगी’ कहता और मुझे जाहिल समझता था जैसे मुझमें कोई अक्ल ही ना हो। मैं सबकुछ छोड़-छाड़ कर कहीं चली जाना चाहती थी, मगर तीन-तीन बच्चों को लेकर कहाँ जाती?”

एल्फ्रेडो अब बड़े प्यार से लूरडेस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है: “मैं एक बहुत बड़े अधिकारी के तौर पर काम करता हूँ। इसलिए जब मुझे अदालत में हाज़िर होने का सम्मन आया और मेरी पत्नी को कानूनी हिफाज़त में लेने का हुक्मनामा मुझे भेजा गया तो मैं बहुत शर्मिंदा हुआ। मैंने खुद को बदलने की बहुत कोशिश की, मगर मैं फिर से वही सब करने लगा।”

तो फिर यह कायापलट हुई कैसे? लूरडेस जो अब काफी सहज दिख रही थी, बताती है: “हमारे नुक्कड़ पर एक दुकान है जिसकी मालकिन यहोवा की साक्षी है। उसने मुझे बाइबल का अध्ययन कराने की पेशकश की। मुझे मालूम हुआ कि यहोवा परमेश्‍वर, स्त्रियों को अनमोल समझता है। हालाँकि शुरू-शुरू में एल्फ्रेडो ने बहुत गुस्सा किया फिर भी मैंने यहोवा के साक्षियों की सभाओं में जाना शुरू कर दिया। किंगडम हॉल में दोस्तों के साथ वक्‍त बिताना मेरे लिए बिलकुल ही नया अनुभव था। मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि मैं ऐसे विश्‍वास रख सकती हूँ जिन्हें मैं अपना कह सकती, उनके बारे में दूसरों को बता और सिखा भी सकती हूँ। मुझे एहसास हुआ कि परमेश्‍वर की नज़र में मैं बहुत अनमोल हूँ। इस बात से मुझे कितनी हिम्मत मिली!

“फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसे मैं ज़िंदगी-भर नहीं भूल सकती। एल्फ्रेडो अभी-भी हर रविवार के दिन कैथोलिक चर्च जाया करता था और वह नहीं चाहता था कि मैं यहोवा के साक्षियों के साथ किसी भी तरह का मेल-जोल रखूँ। मैंने सीधे उससे नज़र मिलाकर शांत स्वभाव में और पूरे विश्‍वास के साथ कहा: ‘एल्फ्रेडो, जैसा तुम सोचते हो, मैं वैसा नहीं सोचती।’ उस दिन उसने मुझे नहीं मारा! इस घटना के कुछ ही समय बाद मैंने बपतिस्मा ले लिया। तब से पाँच साल बीत चुके हैं और इस दौरान उसने एक बार भी मुझ पर हाथ नहीं उठाया।”

मगर अभी तो और भी बड़े-बड़े बदलाव देखने बाकी थे। एल्फ्रेडो कहता है: “लूरडेस के बपतिस्मे को करीब तीन साल हो चुके थे कि इस दौरान मेरे एक सहकर्मी ने जो यहोवा का एक साक्षी है, मुझे अपने घर बुलाया। उसने मुझे बाइबल से कई दिलचस्प बातें बतायीं। मैंने बाइबल अध्ययन करना शुरू कर दिया, लेकिन लूरडेस से यह बात छिपाए रखी। देखते-ही-देखते मैं उसके साथ सभाओं में जाने लगा। सभाओं में कई भाषण, परिवार के बारे में होते थे और अकसर इन भाषणों को सुनने के बाद मुझे अपने आप से घिन आने लगती थी।”

एल्फ्रेडो यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ कि सभाओं के बाद, कलीसिया के सभी सदस्य यहाँ तक कि पुरुष भी झाड़ू लगा रहे थे। जब वह उनके घर गया तो उसने पतियों को देखा कि वे अपनी पत्नियों के साथ बरतन धो रहे हैं। इन छोटी-छोटी बातों से एल्फ्रेडो को यह अच्छी तरह मालूम हो गया कि सच्चा प्यार कैसे दिखाया जाता है।

जल्द ही एल्फ्रेडो ने बपतिस्मा लिया और अब वह और उसकी पत्नी पूरे समय के सेवक हैं। लूरडेस कहती है: “अब अकसर खाने के बाद वह साफ-सफाई करने और बिस्तर लगाने में मेरी मदद करता है। वह मेरे खाने की तारीफ करता है, मुझे मेरा मन-पसंद संगीत सुनने देता है, यहाँ तक कि अब मैं घर के लिए अपनी मरज़ी से खरीदारी भी कर सकती हूँ। पहले तो वह मुझे ऐसा कभी-भी करने ना देता! हाल ही में, वह पहली बार मेरे लिए फूलों का गुलदस्ता लाया। कभी-कभी मुझे लगता है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!” (g01 11/8)

[पेज 10 पर तसवीर]

“मुझे एहसास हुआ कि परमेश्‍वर की नज़र में मैं बहुत अनमोल हूँ। इस बात से मुझे कितनी हिम्मत मिली!”

[पेज 10 पर तसवीर]

उसने पतियों को देखा कि वे अपनी पत्नियों के साथ बरतन धो रहे हैं

[पेज 10 पर तसवीर]

एल्फ्रेडो यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ कि सभाओं के बाद, कलीसिया के सभी सदस्य यहाँ तक कि पुरुष भी झाड़ू लगा रहे थे

[पेज 10 पर तसवीर]

“हाल ही में, वह पहली बार मेरे लिए फूलों का गुलदस्ता लाया”