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सजग होइए! ने उसे मौत के मुँह से कैसे निकाला

सजग होइए! ने उसे मौत के मुँह से कैसे निकाला

सजग होइए! ने उसे मौत के मुँह से कैसे निकाला

नेपाल के एक आदमी ने लिखा: “मैं अपने परिवार पर और बोझ नहीं बनना चाहता था। इसलिए मैंने फैसला कर लिया कि अपनी जान ले लूँगा। मैंने एक रस्सी तैयार की और आत्म-हत्या करने की तारीख और जगह भी चुन ली। मगर उसके ठीक एक हफ्ते पहले मुझे मार्च 8,2000 की सजग होइए! पत्रिका मिली।”

सजग होइए! के उस अंक के शुरूआती लेखों का विषय था: “आत्म-हत्या—पहला निशाना कौन?” वह आदमी आगे लिखता है: “इस पत्रिका को देखते ही मैं कश्‍मकश में पड़ गया और इसे पढ़ने के लिए मुझे अपनी भावनाओं से जूझना पड़ा। उन लेखों में आत्म-हत्या के खतरे के दस आसार के बारे में जिस तरह समझाया गया, वह मेरे दिलो-दिमाग में पूरी तरह उतर गए, इसलिए मैंने आत्म-हत्या करने का अपना फैसला बदल डाला।” आखिर में वह कहता है: “आपने मुझ पर जो एहसान किया है, उसके लिए मैं अपनी कदरदानी ज़ाहिर किए बगैर नहीं रह सकता। यह लेख लिखकर आपने मुझे मरते-मरते बचाया!”

आज, आत्म-हत्या की दर तेज़ी से बढ़ती जा रही है और इसके कई कारण हैं। एक कारण यह है कि बहुतों को अपनी ज़िंदगी में कोई मकसद नज़र नहीं आता। जीवन का उद्देश्‍य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं? ब्रोशर ने कइयों को यह जानने में मदद दी है कि हम सचमुच एक बेहतर ज़िंदगी की आशा कर सकते हैं। इस ब्रोशर के बारे में और जानकारी के लिए इस कूपन को भरकर नीचे दिए गए पते पर या अपनी सहूलियत के मुताबिक पेज 5 पर दिए गए किसी भी पते पर भेज दीजिए।(g01 10/8)

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