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भूकंप का एक अध्ययन

भूकंप का एक अध्ययन

भूकंप का एक अध्ययन

“हम सख्त ज़मीन पर रहने के इतने आदी हो चुके हैं कि जब धरती हिलने लगती है तो हमें दहशत होती है।”—“धरती का प्रकोप” (अँग्रेज़ी)।

“भूकंप, प्रकृति की सबसे ज़बरदस्त और तबाही मचानेवाली शक्‍तियों में से एक है।” यह बात, द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया ने कही। यह बात बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कही गयी है क्योंकि दुनिया के सबसे पहले एटम बम के विस्फोट से जो ऊर्जा निकली उससे शायद 10,000 गुना ज़्यादा उर्जा एक तीव्र भूकंप से निकलती है! इसके अलावा खौफ खाने की एक और वजह है कि भूकंप . . . किसी भी वातावरण, मौसम, और दिन के किसी भी वक्‍त में आ सकता है। और हालाँकि वैज्ञानिक इस बात का थोड़ा-बहुत अंदाज़ा तो लगा सकते हैं कि किस जगह पर ज़बरदस्त भूकंप आएगा मगर कब आएगा इसका वे ठीक-ठीक पता नहीं लगा सकते।

धरती की सतह के नीचे चट्टानों के खिसकने से भूकंप आते हैं। इस तरह की क्रिया लगातार चलती रहती है। अकसर भूकंप तरंगे इतनी शक्‍तिशाली नहीं होती कि धरती की सतह पर महसूस की जा सकें मगर भूकंपमापी यंत्र से इनका पता लगाया जा सकता है और इन्हें रिकॉर्ड किया जा सकता है। * कुछ वाकयों में काफी चट्टानें टूटती और खिसकती हैं जिससे कि धरती बुरी तरह काँप उठती है।

लेकिन भू-पर्पटी पर क्यों लगातार हलचल होती रहती है? राष्ट्रीय भूकंप सूचना केंद्र (NEIC) कहता है: “इसका जवाब प्लेट टेक्टॉनिक्स (विवर्तनिक) के सिद्धांत, से मिलता है। इस सिद्धांत ने पृथ्वी से जुड़े विज्ञान के सभी क्षेत्रों की सोच ही बदलकर रख दी है।” NEIC आगे कहता है: “अब हमें मालूम हुआ है कि धरती सात भूपर्पटीय प्लेटों से मिलकर बनी है, जिन्हें और भी छोटी-छोटी प्लेटों में बाँटा गया है। ये सारी प्लेट एक-दूसरे की तुलना में लगातार गतिशील रहती हैं और हर साल इनकी गति 10 से 130 मिलीमीटर [करीब 3/8 इंच से 5 इंच तक] के बीच होती है।” NEIC के मुताबिक ज़्यादातर भूकंप उन तंग क्षेत्रों में आते हैं जहाँ पर विवर्तनिक प्लेट एक-दूसरे से टकराती हैं। इन्हीं क्षेत्रों में नब्बे प्रतिशत बड़े-बड़े भूकंप आते हैं।

शक्‍ति और तीव्रता

भूकंप कितना विनाशकारी है यह उसकी शक्‍ति और तीव्रता को मापकर आँका जाता है। सन्‌ 1930 के दशक में चार्ल्स रिक्टर ने भूकंप की शक्‍ति को मापने के लिए रिक्टर पैमाना बनाया। जैसे-जैसे और भी भूकंपमापी केंद्र शुरू होने लगे रिक्टर की तरकीब के आधार पर और नए-नए पैमाने बनाए गए। उदाहरण के लिए जिस पैमाने को भूकंप की क्षणिक शक्‍ति कहा जाता है वह भूकंप के केंद्र से निकलनेवाली ऊर्जा की गणना करता है।

मगर हाँ, एक बात सच है कि ये पैमाने पूरी तरह से नहीं बताते कि भूकंप ने कितनी तबाही मचायी है। मिसाल के लिए, रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी बोलिविया में जून 1994 में 8.2 शक्‍तिवाले भूकंप में सिर्फ 5 लोग मारे गए थे। मगर सन्‌ 1976 में चीन के तान्ग्शान शहर में इससे कम यानी 8.0 शक्‍तिवाले भूकंप में सैकड़ों-हज़ारों लोग मारे गए!

शक्‍ति को मापने से ज़्यादा तीव्रता की बारीकियों को रिकॉर्ड करने से पता चलता है कि भूकंप का लोगों, इमारतों और वातावरण पर क्या असर हुआ है। इस ब्योरेदार तरीके से जानकारी मिलती है कि भूकंप की मार से लोगों पर कैसा असर पड़ता। असल में देखा जाए तो महज़ भूकंप के झटकों से लोगों को कोई खतरा नहीं होता। इसके बजाय, इन झटकों से दीवारों के ढहने, गैस पाइप के फटने या बिजली के तारों के टूटने से, चीज़ों के गिरने वगैरह से ही ज़्यादातर दुर्घटनाएँ और मौतें होती हैं।

भूकंपविज्ञानियों का एक लक्ष्य है कि भूकंप आने से पहले उसकी चेतावनी देना। एक कंप्यूटर प्रोग्राम की भी ईजाद की जा रही है है जिसे ‘पूर्व भूकंपीय खोज और निगरानी प्रणाली’ कहते हैं। सी.एन.एन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कंप्यूटर प्रोग्राम से कम समय में जानकारी इकट्ठी की जा सकती है और इसमें दूसरे शक्‍तिशाली सोफ्टवेयर प्रोग्राम भी हैं। इस प्रणाली की बदौलत अब अधिकारी “करीब-करीब तुरंत ही उन भूकंपग्रस्त इलाकों का पता कर सकेंगे जहाँ सबसे ज़बरदस्त भूकंप आया है।” इससे अधिकारियों के लिए प्रभावित इलाकों में मदद भेजना आसान हो जाएगा।

बेशक, भूकंप आने से पहले पूरी तैयारी करने से दुर्घटनाएँ कम की जा सकती हैं, संपत्तियों का कम नुकसान हो सकता है और सबसे बढ़कर जानें बचायी जा सकती हैं। मगर भूकंपों का आना जारी है इसलिए सवाल यह है कि: “भूकंप के बाद कुछ लोगों को इस हादसे से उबरने में कैसे मदद मिली है?”(g02 3/22)

[फुटनोट]

^ भूकंपमापी यंत्र से भूकंप के दौरान होनेवाली हलचल को मापा और रिकॉर्ड किया जाता है। सबसे पहला भूकंपमापी सन्‌ 1890 में ईजाद हुआ। आज पूरी दुनिया में 4,000 से भी ज़्यादा भूकंपमापी केंद्र हैं।

[पेज 5 पर चार्ट]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

कितने भूकंप?

वर्णन शक्‍ति सालाना औसत

भीषण 8 और उससे ज़्यादा 1

अति-तीव्र 7-7.9 18

तीव्र 6-6.9 120

मध्यम 5-5.9 800

हलके 4-4.9 6,200*

छोटे 3-3.9 49,000*

न्यूनता <3.0 2-3 की शक्‍तिवाले:

हर दिन करीब 1,000

1-2 की शक्‍तिवाले:

हर दिन करीब 8,000

* अंदाज़न।

[चित्र का श्रेय]

स्रोत: National Earthquake Information Center By permission of USGS/National Earthquake Information Center, USA

[पेज 5 पर चित्र का श्रेय]

पेज 4 और 5 पर रिकॉर्ड की गयीं भूकंप की तरंगे: Figure courtesy of the Berkeley Seismological Laboratory