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संत पतरस की मछली

संत पतरस की मछली

संत पतरस की मछली

इस्राएल में गलील की झील के किनारे एक रेस्तराँ में अगर आप जाएँगे तो मेन्यू कार्ड पर “संत पतरस की मछली” देखकर शायद आपको उसके बारे में जानने की इच्छा होगी। फिर बैरा शायद आपसे कहे कि खासकर पर्यटकों के लिए यह यहाँ का सबसे मशहूर व्यंजन है। और जब इसे ताज़ा-ताज़ा तेल में तला जाता है तब तो इसके स्वाद के क्या कहने! लेकिन इस मछली का प्रेरित पतरस से क्या नाता है?

इसका जवाब बाइबल में मत्ती 17:24-27 में बतायी गयी एक घटना से मिलता है। वहाँ हम पढ़ते हैं कि पतरस जब गलील की झील से कफरनहूम शहर आया तो उससे पूछा गया कि क्या यीशु ने मंदिर का कर चुकाया है। बाद में यीशु ने उसे समझाया कि परमेश्‍वर का बेटा होने के नाते उसे ऐसा कर देने की ज़रूरत नहीं है। मगर दूसरे इससे ठोकर ना खाएँ, इसलिए उसने पतरस से कहा कि झील के किनारे जाकर काँटा डाल और जो सबसे पहली मछली आए उसे पकड़कर ले आ। और उसके मुँह में एक सिक्का मिलेगा, उससे कर चुका दे।

बाइबल की इसी घटना से उस व्यंजन का नाम “संत पतरस की मछली” पड़ा है। लेकिन पतरस ने कौन-सी मछली पकड़ी थी?

मछलियों से भरपूर झील

गलील की झील में मछलियों की करीब 20 जातियाँ पायी जाती हैं। मगर माना जाता है कि पतरस ने जो मछली पकड़ी थी वह इनमें से सिर्फ 10 जातियों में से एक थी। इन दस तरह की मछलियों को तीन समूहों में बाँटा जाता है जो व्यापार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण हैं।

सबसे बड़ा समूह मश्‍त मछली का है। अरबी भाषा में इसका मतलब है “कंघा” क्योंकि इसकी पाँच जाति की मछलियों की पीठ के पंख कंघे जैसे होते हैं। एक तरह की मश्‍त मछली की लंबाई करीब डेढ़ फुट होती है और वज़न करीब दो किलोग्राम होता है।

दूसरे समूह में किन्‍नेरेत (गलील की झील) सार्डीन मछली आती है, जो देखने में छोटी हिलसा मछलियों की तरह है। जब सार्डीन मछलियों को पकड़ने का मौसम आता है तब हर रात कई टन मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, और साल-भर में करीब एक हज़ार टन। पुराने ज़माने से लेकर आज तक, बहुत दिनों तक खाने के काम में लाने के लिए सार्डीन मछलियों को सिरके के घोल में रखा जाता है।

तीसरे समूह मे बीनी मछली आती है जिसे बारबल भी कहा जाता है। इसकी तीन जातियों के मुँह के किनारों पर कड़े बाल होते हैं। तभी तो इसके यहूदी नाम बीनी का मतलब है, “बाल।” यह मोलस्क, घोंघे, और छोटी-छोटी मछलियों को खाती है। बड़े सिरवाली बारबल मछली की लंबाई कुछ 30 इंच है और इसका वज़न सात किलोग्राम से भी ज़्यादा है। बारबल मछली में बहुत माँस होता है, और यहूदियों के सब्त और बाकी त्योहारों में यह एक खास पकवान होता है।

व्यापार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण मछलियों के इन तीन समूहों में कैटफिश शामिल नहीं है, जो गलील की झील की सबसे बड़ी मछली है। इसकी लंबाई चार फुट है और वज़न कुछ 11 किलोग्राम है। मगर इस मछली के शल्क नहीं होते इसलिए मूसा की व्यवस्था के मुताबिक यह मछली अशुद्ध थी। (लैव्यव्यवस्था 11:9-12) इसलिए यहूदियों को यह मछली खाना मना था और शायद पतरस ने भी इस मछली को नहीं पकड़ा होगा।

पतरस ने कौन-सी मछली पकड़ी?

आम तौर पर यह माना जाता है कि मश्‍त मछली ही “संत पतरस की मछली” है और इसे गलील की झील के पास के कई रेस्तराओं में परोसा जाता है। इस मछली में काँटे कम होने की वजह से इसे बनाना और खाना आसान होता है। लेकिन क्या पतरस ने सचमुच इसी मछली को पकड़ा था?

गलील की झील के तट पर 50 से भी ज़्यादा साल रह चुके एक मछुआरे, मेन्डल नन को उस इलाके की मछलियों का विशेषज्ञ माना जाता है। वे कहते हैं: “मश्‍त मछली सिर्फ समुद्र के छोटे-छोटे जीव और पौधों को ही खाती है और इसके अलावा किसी दूसरे भोजन की ओर आकर्षित नहीं होती। इसलिए इसे काँटे और बंसी से नहीं बल्कि जाल डालकर पकड़ा जाता है।” तो यह नहीं कहा जा सकता है कि पतरस ने इसी मछली को पकड़ा था। और सार्डीन मछली तो संत पतरस की मछली हो ही नहीं सकती, क्योंकि यह मछली बहुत छोटी होती है।

अब एक ही मछली बचती है और वह है बारबल मछली, जिसे कुछ लोग मानते हैं कि यही “संत पतरस की मछली” है। नन ने बताया: “बरसों से [गलील की झील पर] मछुआरे काँटे पर सार्डीन मछली लगाकर बारबल मछली पकड़ते आए हैं, क्योंकि बारबल झील की गहराई में जीव-जंतुओं का शिकार करती है।” आखिर में वह कहता है: “हो-न-हो, पतरस ने ज़रूर बारबल मछली को पकड़ा होगा।”

तो फिर मश्‍त मछली को “संत पतरस की मछली” का नाम देकर क्यों परोसा जाता है? नन इसका जवाब देते हैं: “नाम बदलने की एक ही वजह हो सकती है और वह है पर्यटकों से होनेवाली अच्छी कमाई! . . . जब दूर-दूर के प्रदेशों से तीर्थयात्री यहाँ आने लगे तो यह अंदाज़ा लगाया गया कि प्राचीन समय से झील के किनारे बसे इन खाने के घरों में अगर मश्‍त मछली को ‘संत पतरस की मछली’ नाम देकर परोसा जाए तो बेशक इससे काफी अच्छा बिज़नेस होगा। सबसे मशहूर और आसानी से बनायी जानेवाली मछली को यह नाम मिला जिससे कि काफी ग्राहक आएँ!”

खैर हमें यह तो सही-सही नहीं मालूम कि पतरस ने वाकई कौन-सी मछली पकड़ी, मगर हाँ, “संत पतरस की मछली” के नाम से आपको जो भी मछली परोसी जाए वह ज़रूर बड़ी ज़ायकेदार होगी।(g02 2/22)

[पेज 19 पर तसवीर]

बारबल

[पेज 19 पर तसवीर]

“मश्‍त”

[पेज 19 पर चित्र का श्रेय]

Garo Nalbandian