इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

मोटर-गाड़ी की दुर्घटना से क्या आप बच सकते हैं?

मोटर-गाड़ी की दुर्घटना से क्या आप बच सकते हैं?

मोटर-गाड़ी की दुर्घटना से क्या आप बच सकते हैं?

“गाड़ी चलाने का मेरा बढ़िया रिकॉर्ड रहा है। सो गाड़ी चलाते वक्‍त मेरा ऐक्सिडेंट हो, यह नामुमकिन है।” “दुर्घटनाएँ सिर्फ नौजवानों और लापरवाह ड्राइवरों के साथ होती हैं।” कई लोग सोचते हैं कि गाड़ी चलाते वक्‍त वे कभी ऐक्सिडेंट कर ही नहीं सकते। क्या आपका भी यही सोचना है? क्या गाड़ी चलाते वक्‍त आपसे कभी-भी दुर्घटना नहीं हो सकती?

आँकड़े दिखाते हैं कि अगर आप एक विकसित देश में रहते हैं तो जीवन में कम-से-कम एक बार आपके ट्रैफिक दुर्घटना में घायल होने की संभावना है। कई लोगों के लिए ऐसी दुर्घटनाएँ जानलेवा साबित हो सकती हैं। संसार भर में अब हर साल 5 लाख से भी ज़्यादा सड़क-दुर्घटनाएँ होती हैं। पिछले साल जो लोग ऐसी दुर्घटनाओं में मारे गए, उनमें से कइयों ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ ऐसा हो सकता है। यातायात दुर्घटनाओं से अपने बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं? जवाब है, सावधानी बरतिए। ध्यान दीजिए कि आप ऐसी दुर्घटनाओं से कैसे बच सकते हैं जो झपकियाँ लेने और बुढ़ापे की वजह से होती हैं।

उनींदा ड्राइवर

कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि एक उनींदा ड्राइवर उतना ही खतरनाक हो सकता है जितना कि एक शराबी ड्राइवर। रिपोर्ट साफ बताती है कि ऊँघने की वजह से बहुत-सी दुर्घटनाएँ होती हैं। हाल ही में फ्लीट मेनटॆनॆन्स एण्ड सेफ्टी रिपोर्ट ने बताया कि नॉर्वे में एक साल के अंदर, 12 ड्राइवरों में से एक ड्राइवर गाड़ी चलाते-चलाते ही सो गया। दक्षिण अफ्रीका, जोहैनसबर्ग के द स्टार के मुताबिक वहाँ गाड़ियों के आपस में टकराकर होनेवाली दुर्घटनाओं में से एक तिहाई दुर्घटनाएँ थके-माँदे ड्राइवरों की वजह से होती हैं। दूसरे देशों की रिपोर्टों से भी पता चलता है कि हर कहीं थकान की वजह से ड्राइवर ऐक्सिडेंट कर बैठते हैं। आखिर इतने सारे ऊँघनेवाले ड्राइवर क्यों हैं?

कुछ हद तक इस समस्या के लिए आज की दौड़-भागवाली ज़िंदगी ज़िम्मेदार है। न्यूज़वीक पत्रिका ने हाल ही में रिपोर्ट दी कि शायद अमरीकी लोग “20वीं सदी की शुरूआत में जितनी नींद लेते थे, उसके मुकाबले अब [वे] डेढ़ घंटा कम सोते हैं। और संभव है कि यह समस्या बढ़ती जाए।” क्यों? यह पत्रिका, नींद-विशेषज्ञ टॆरी यंग की बात लिखती है: “लोग सोचते हैं कि नींद ऐसी चीज़ है जिसके बिना काम चलाया जा सकता है। बहुत कम नींद लेना, कड़ी मेहनत और तरक्की की निशानी समझी जाती है।”

कहा जाता है कि एक व्यक्‍ति को औसतन, साढ़े छः से नौ घंटे तक की नींद लेना ज़रूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब वे नींद पूरी नहीं कर पाते तो उन पर “नींद का कर्ज़” चढ़ जाता है। यातायात सुरक्षा के लिए AAA संगठन की बाँटी गयी रिपोर्ट में लिखा था: “हर रोज़ जितनी नींद की ज़रूरत होती है, अगर उससे 30-40 मिनट की नींद कम ली जाए, तो अंजाम यह होगा कि हफ्ते के आखिर में 3 से 4 घंटे की नींद का कर्ज़ चढ़ जाएगा और इससे दिन में ज़्यादा झपकियाँ लेने की आदत भी बढ़ जाएगी।”

कभी-कभी शायद आप रात को मीठी नींद न ले पाएँ। वजह कुछ भी हो सकती है, जैसे नींद न आने की बीमारी, बीमार बच्चे की देखभाल या ऐसी अनचाही समस्या जिस पर आपका बस नहीं। इसका नतीजा यह होगा कि अगले दिन आप गाड़ी चलाते-चलाते झपकियाँ लेने लगेंगे। अगर ऐसा होता है, तो आपको क्या करने की ज़रूरत है?

इससे निपटने के लिए जाने-माने नुस्खों को अपनाने से, जैसे कैफीन पीने, खिड़कियाँ खोल देने, चुइंगम या कुछ चटपटा खा लेने से नींद रफू-चक्कर नहीं हो जाती। इन नाममात्र के नुस्खों से असली समस्या दूर नहीं हो सकती। आपको ज़रूरत है, अच्छी नींद लेने की। तो क्यों न थोड़ी देर झपकी लेने की कोशिश करें? द न्यू यॉर्क टाइम्स सुझाव देता है: “काम के दौरान दोबारा फुर्ती पाने के लिए थोड़ी नींद लेना अच्छा है, मगर 30 मिनट से ज़्यादा सोना ठीक नहीं। अगर ज़्यादा नींद ले ली, तो शरीर गहरी नींद में चला जाता है जिसके बाद उठना मुश्‍किल होता है।” सच है कि थोड़ी नींद ले लेने से आप शायद अपनी मंज़िल पर देर से पहुँचे, मगर इससे आप अपनी ज़िंदगी के दिन बढ़ा सकते हैं।

आपके जीने का तरीका भी आपको एक ऊँघनेवाला ड्राइवर बना सकता है। क्या आप इंटरनॆट पर घंटों बैठे रहते हैं या देर रात तक टी.वी. देखते रहते हैं? क्या आप ऐसी पार्टियों में जाते हैं जो लगभग सुबह तक चलती रहती हैं? ऐसी जीवन-शैली की वजह से अपनी नींद की बलि मत चढ़ाइए। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने ज़ोर देकर समझाया कि ‘मुट्ठी भर चैन लेना’ कितना ज़रूरी है।—सभोपदेशक 4:6.

अनुभवी मगर बुज़ुर्ग

अकसर बुज़ुर्ग ड्राइवरों को सड़कों पर गाड़ी चलाने का सबसे ज़्यादा तजुर्बा होता है। इसके अलावा, वे खतरा कम मोल लेते हैं और अपनी सीमाएँ जानते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मोटर-गाड़ी चलाते समय उनसे ऐक्सिडेंट होने का कोई खतरा नहीं। दरअसल ढलती उम्र के साथ-साथ ऐक्सिडेंट होने का खतरा और भी बढ़ जाता है। अमरीकी पत्रिका, गाड़ी और सफर (अँग्रेज़ी) रिपोर्ट करती है: “हालाँकि 70 साल से ज़्यादा उम्रवालों की आबादी तो सिर्फ 9 प्रतिशत है, मगर उनमें 13 प्रतिशत के साथ दुर्घटनाएँ होती हैं।” अफसोस की बात है कि बुज़ुर्गों से होनेवाली दुर्घटनाओं की वारदातें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।

मर्टल जो 80 साल की है, ज़रा उसकी बातों पर गौर कीजिए। * उसने 60 साल से भी पहले गाड़ी चलाना शुरू किया था और उसके साथ एक बार भी कोई दुर्घटना नहीं हुई थी। लेकिन औरों की तरह वह भी महसूस करने लगी है कि अब ढलती उम्र की वजह से उसके साथ ऐक्सिडेंट होने का खतरा बढ़ सकता है। उसने हाल ही में सजग होइए! को बताया: “हम जैसे-जैसे बूढ़े होते जाते हैं, ज़िंदगी में हर काम [गाड़ी चलाना भी] चुनौती भरा हो जाता है।”

दुर्घटना के खतरे को टालने के लिए उसने कौन-सा कदम उठाया? मर्टल कहती है, “बढ़ती उम्र को ध्यान में रखते हुए मैंने बीते कुछ सालों से काफी बदलाव किए हैं।” उदाहरण के लिए, मर्टल ने गाड़ी चलाना कम कर दिया है, खासकर रात में। इस छोटे-से बदलाव ने उसे सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाते रहने में मदद दी, ताकि उसे गाड़ी चलाना पूरी तरह बंद न करना पड़े।

हम शायद कबूल न करें, मगर ढलती उम्र का बुरा असर हम सब पर पड़ता है। (सभोपदेशक 12:1-7) कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो जाती हैं, हम पहले की तरह फुर्ती से काम नहीं कर पाते और नज़र कमज़ोर होने लगती है। इन्हीं वजहों से गाड़ी चलाते वक्‍त सावधानी बरतना मुश्‍किल हो जाता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उम्र के बढ़ने से एक इंसान गाड़ी चलाने के काबिल ही नहीं रहता। दरअसल यह बात ज़्यादा अहमियत रखती है कि एक ड्राइवर कितनी कुशलता से अपनी गाड़ी चलाता है। अगर हम अपनी शारीरिक कमज़ोरियों को नज़रअंदाज़ न करें और अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव करें, तो हम ज़्यादा अच्छी तरह से गाड़ी चला पाएँगे।

हमें शायद एहसास न हो, मगर हमारी आँखों की रोशनी में फर्क आने लगता है। हम जैसे-जैसे बूढ़े होते हैं, हमारी नज़रें कमज़ोर होने लगती हैं और हमारी दृष्टि-पटल को और ज़्यादा रोशनी की ज़रूरत होती है। एक बुकलेट जिसका शीर्षक है, बुज़ुर्ग और समझदार ड्राइवर (अँग्रेज़ी) कहती है: “एक किशोर के मुकाबले 60 साल के ड्राइवरों को तीन गुना ज़्यादा रोशनी की ज़रूरत होती है। तेज़ रोशनी के बाद अचानक अँधेरे का सामना करने का आदी होने में उनकी आँखों को दुगना समय लगता है।” नज़र की इस कमज़ोरी की वजह से रात में गाड़ी चलाना मुश्‍किल हो सकता है।

हॆन्री, 72 बरस का है और सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाने का उसका 50 से भी ज़्यादा सालों का अच्छा रिकॉर्ड रहा है। लेकिन समय के गुज़रते, उसने गौर किया कि रात के अँधेरे में सामनेवाली गाड़ियों की रोशनी से उसकी आँखें चुँधिया जाती हैं। आँखों की जाँच के बाद उसे पता चला कि उसे नए चश्‍मे की ज़रूरत है, जो रात की रोशनी बरदाश्‍त करना उसके लिए आसान कर देगी। हॆन्री कहता है, “अब रात में गाड़ी चलाना ज़रा-भी मुश्‍किल नहीं लगता।” उसके मामले में इस थोड़े-से बदलाव ने गाड़ी चलाना उसके लिए आसान कर दिया। दूसरों के मामले में, अच्छा होगा कि वे मर्टल की तरह रात में गाड़ी चलाना बंद ही कर दें।

बढ़ती उम्र के साथ फुर्ती से काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। हालाँकि नौजवानों के मुकाबले, बुज़ुर्ग ज़्यादा बुद्धिमान और समझदार होते हैं लेकिन उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, एक बुज़ुर्ग को, दिमाग में जानकारी लेकर उसके मुताबिक कार्यवाही करने में ज़्यादा समय लगता है। ऐसे में बुज़ुर्गों के लिए गाड़ी चलाना चुनौती भरा हो जाता है क्योंकि ट्रैफिक और सड़कों की हालत लगातार बदलती रहती है। ऐन मौके पर सही कदम उठाने के लिए ऐसे बदलावों पर फुर्ती से ध्यान देकर कार्यवाही करना ज़रूरी होता है।

पत्रिका गाड़ी और सफर रिपोर्ट करती है, “बुज़ुर्ग ड्राइवरों का जानलेवा ऐक्सिडेंट होने का एक आम कारण है कि वे अकसर ट्रैफिक के सिग्नलों को तोड़कर निकल जाते हैं।” उनके साथ ऐसा क्यों होता है? वही रिपोर्ट आगे बताती है: “समस्या . . . जंक्शन को लेकर होती है। जब एक बुज़ुर्ग ड्राइवर जंक्शन पर आता है, तो उसे चाहिए कि अपनी गाड़ी आगे बढ़ाने से पहले, वह ध्यान से बायीं और दायीं तरफ से आनेवाली गाड़ियों को देख ले।”

लेकिन अगर आप जंक्शन पर इतनी फुर्ती नहीं दिखा पाते, तो क्या किया जा सकता है? जब आप वहाँ पहुँचते हैं, तो सावधान हो जाइए। ट्रैफिक को दोबारा ध्यान से देखने की आदत बना लीजिए, उसके बाद ही गाड़ी को आगे बढ़ाइए। खासकर गाड़ी घुमाते वक्‍त सावधानी बरतिए। जंक्शन से अपनी गाड़ी दूसरी लेन में ले जाते वक्‍त ध्यान रखिए कि दूसरी तरफ से कोई गाड़ी न आ रही हो वरना यह मोड़ जानलेवा हो सकता।

अमरीका में ड्राइवर रोड की दायीं तरफ पर गाड़ी चलाते हैं। इसलिए वहाँ 75 से ज़्यादा उम्रवाले 40 प्रतिशत बुज़ुर्ग ड्राइवरों की मौत जंक्शन पर बायाँ मोड़ लेते वक्‍त होती है। उस देश में, यातायात सुरक्षा के लिए AAA संगठन सुझाव देता है, “अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए कभी-कभी एक बायीं मोड़ लेने के बजाय आप तीन दायीं मोड़ ले सकते हैं।” शायद आप यही तरीका अपने देश के ट्रैफिक के मुताबिक अपना सकें। अगर आप पहले से ही थोड़ी-बहुत योजना बना लें, तो ऐसे खतरनाक और चुनौती भरे जंक्शन पार करने की शायद नौबत ही न आए।

गौर करने लायक फैसला

आप कैसे जान सकते हैं कि आप गाड़ी चलाने में कितने कुशल हैं? आप किसी भरोसेमंद दोस्त या फिर परिवार के किसी सदस्य को अपने साथ गाड़ी में चलने के लिए कह सकते हैं और अपने गाड़ी चलाने के बारे में उसकी राय पूछ सकते हैं। वह जो भी बताता है, उसे ध्यान से सुनिए। सुरक्षित तरीके से गाड़ी चलाने के लिए आप सेफ-ड्राइविंग कोर्स भी कर सकते हैं। ऐसे कई संगठन हैं जो खासकर बुज़ुर्ग ड्राइवरों को सुरक्षित गाड़ी चलाने में मदद देने के लिए इस तरह के कोर्स सिखाते हैं। अगर गाड़ी चलाते वक्‍त आपके साथ एक-दो बार ऐसा हुआ है कि आप दुर्घटना से बाल-बाल बचे हैं, तो इसे एक चेतावनी समझिए कि अब आप पहले की तरह कुशलता से गाड़ी नहीं चला पा रहे।

यह एक सच्चाई है कि आपकी ज़िंदगी में ऐसा वक्‍त आ सकता है, जब आपकी भलाई इसमें होगी कि आप गाड़ी चलाना बंद कर दें। इस फैसले से शायद आपको बहुत तकलीफ हो सकती है। मगर मर्टल जिसका पहले ज़िक्र किया गया है, जानती है कि एक-न-एक-दिन उसे ड्राइविंग से छुट्टी लेनी पड़ेगी। जैसे-जैसे वह दिन करीब आ रहा है, वह अभी से दूसरों के साथ अकसर गाड़ी में जाने लगी है। वह बैठी रहे और कोई और उसके लिए गाड़ी चलाए, उसे कैसा लगता है? वह कहती है, “गाड़ी चलाने की चिंता से मुक्‍त, आराम से बैठने में ज़्यादा मज़ा आता है।”

अपने मामले में भी, सावधानी से गौर करने पर शायद आप वैसा ही महसूस करें। बाज़ार जाना हो, कोई काम निपटाना हो, किसी से मिलने या सभाओं में जाना हो, तब किसी दोस्त के साथ जाना ज़्यादा मज़ेदार हो सकता है। शायद आपका दोस्त, आपको आपकी कार में ले जाए। अकेले जाने से दोस्त के साथ सफर करना ज़्यादा सुरक्षित और मज़ेदार हो सकता है। यातायात के लिए जो आम सुविधाएँ हैं, उनसे भी जाना ठीक रहेगा। यह हमेशा याद रखिए कि आपकी कीमत गाड़ी चलाने की काबिलीयत पर निर्भर नहीं करती। परिवारवालों के सामने, दोस्तों के सामने, यहाँ तक कि परमेश्‍वर के सामने भी आपके बढ़िया गुण आपकी कीमत बढ़ाते हैं।—नीतिवचन 12:2; रोमियों 14:18.

आप जवान ड्राइवर हों या बुज़ुर्ग, नौसिखिए हों या पुराने, गाड़ी चलाते वक्‍त ऐक्सिडेंट का शिकार कोई भी हो सकता है। यह समझिए कि गाड़ी चलाना एक गंभीर ज़िम्मेदारी है। आपकी गाड़ी कहीं किसी से टकरा न जाए, इसके लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा एहतियात बरतिए। अभी आगे भी कई सफर तय करने बाकी हैं, इसलिए अगर सावधानी बरतेंगे, तो न सिर्फ अपनी बल्कि दूसरों की ज़िंदगी भी बचाएँगे।(g02 8/22)

[फुटनोट]

^ इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 22 पर तसवीर]

रात में अच्छी नींद लीजिए ताकि आपके शरीर में “ईंधन” यानी दोबारा चुस्ती-फुर्ती आ जाए

[पेज 23 पर तसवीर]

कुछ देर झपकी लेने से शायद आपको थोड़ी देर हो जाए, लेकिन इससे कई जानें बच सकती हैं

[पेज 23 पर तसवीर]

बुज़ुर्ग ड्राइवरों को ज़्यादा तजुर्बा होता है, मगर उन्हें खास किस्म की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

[पेज 24 पर तसवीर]

किसी दोस्त के साथ सफर करने के कई फायदे होते हैं