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पानी कहाँ गायब हो जाता है?

पानी कहाँ गायब हो जाता है?

पानी कहाँ गायब हो जाता है?

आस्ट्रेलिया में सजग होइए!लेखक द्वारा

अपने बाथरूम की नाली से गंदा पानी निकलते देख मैं तो बिलकुल सकपका गया कि कहीं पूरा मकान बदबूदार कीचड़ से न भर जाए। तुरंत मैंने मदद के लिए एक नलसाज़ को बुलाया। जब मैं नलसाज़ की राह देख रहा था, तो घबराहट के मारे मेरा गला सूखा जा रहा था और पानी में मेरे मोज़े भी भीगने लगे थे। मैं हैरत में पड़ गया कि ‘आखिर इतना सारा पानी आया कहाँ से?’

नलसाज़ नाली में फँसा हुआ कचरा धीरे-धीरे निकालने में जुट गया। उसने मुझे समझाया: “शहर में रहनेवाला हर व्यक्‍ति दिन में 200 से 400 लीटर पानी इस्तेमाल करता है। एक साल में हर आदमी, औरत और बच्चा करीब 1,00,000 लीटर पानी खर्च करता है।” तब मैंने पूछा: “आखिर इतना सारा पानी मैं कैसे इस्तेमाल कर सकता हूँ? बेशक, मैंने तो इतना पानी नहीं पीया!” “जी नहीं,” उसने जवाब दिया, “मगर हर दिन आप शावर लेते या नहाते हैं, टॉयलॆट फ्लश करते हैं, और शायद वॉशिंग मशीन या बर्तन धोने की मशीन भी इस्तेमाल करते होंगे। आधुनिक जीवन की ऐसी कई सहूलियतों की वजह से हम अपने पुरखों से दुगना पानी इस्तेमाल करते हैं।” तब एकाएक मेरे दिमाग में यह सवाल आया, ‘फिर वह सारा पानी कहाँ गायब हो जाता है?’

मैंने पता लगाया कि हर दिन जो पानी नाली में बहाया जाता है, उसका उपचार हर देश या शहर में अलग तरीके से होता है। कुछ देशों में तो पानी की वजह से अब ज़िंदगी और मौत का सवाल खड़ा हो गया है। (पेज 23 पर दिए गए बक्स देखिए।) आइए मेरे इलाके के वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की हम सैर करें, जहाँ पानी को शुद्ध किया जाता है। फिर खुद जानिए कि पानी जाता कहाँ है और चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों, नाली या टॉयलॆट में कोई भी चीज़ डालने से पहले सोचना क्यों अक्लमंदी होगी।

वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की सैर

मुझे मालूम है कि आप क्या सोच रहे हैं। यही ना कि गंदे पानी को साफ करने का प्लांट, सैर करने के लिए इतनी आकर्षक जगह नहीं हो सकती। मैं आपकी बात मानता हूँ। मगर हम में से ज़्यादातर लोग, अपने शहर को हमारी ही गंदगी में डूबने से बचाने के लिए इस प्लांट पर निर्भर हैं। और हम सभी पर इसे ठीक तरह से काम करने में मदद देने की ज़िम्मेदारी भी है। तो अब हमारी मंज़िल है, मलाबार में स्थित एक साधारण-सा प्लांट, जो मशहूर सिडनी बंदरगाह के दक्षिण में पड़ता है। आइए जानें कि मेरे बाथरूम से इस प्लांट तक पानी पहुँचता कैसे है?

जब मैं टॉयलॆट फ्लश करता हूँ, सिंक में पानी बहाता हूँ या शावर से नहाता हूँ तब पानी, वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की ओर बहने लगता है। मेरे बाथरूम से यह गंदा पानी, 50 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए इस प्लांट की ओर तेज़ी से बहता है और इसकी ओर बहनेवाले 48 करोड़ लीटर गंदे पानी के साथ मिल जाता है।

इस प्लांट के कम्यूनिटी लिएज़ोन अफसर, रॉस ने समझाया कि यह ट्रीटमेंट प्लांट दिखने में इतना खराब और बदबूदार क्यों नहीं है। वह कहता है: “इस प्लांट का ज़्यादातर हिस्सा ज़मीन के नीचे है। इस वजह से हम इसमें से निकलनेवाली गैसों को रोक पाते हैं और फिर उन्हें ऐयर क्लीनर (मटके समान बड़ी-बड़ी चिमनियों की कतार) की ओर भेजते हैं। यहाँ इन गैसों की दुर्गंध खत्म की जाती है, फिर साफ-सुथरी हवा को वातावरण में छोड़ दिया जाता है। हालाँकि इस प्लांट के चारों ओर हज़ारों घर हैं, मगर दुर्गंध की वजह से होनेवाली परेशानी के बारे में शिकायत करने, मेरे पास साल में सिर्फ दस फोन ही आते हैं।” बेशक, अब जहाँ हमें रॉस लेकर जा रहा है, वही है ‘दुर्गंध की समस्याओं’ की जड़।

वेस्टवॉटर क्या है?

जैसे-जैसे हम इस प्लांट के निचले हिस्से में उतरते हैं, हमारा गाइड हमें बताता है: “वेस्टवॉटर 99.9 प्रतिशत गंदा पानी है जिसमें इंसानों का मल-मूत्र, रासायनिक पदार्थ और कई दूसरी छोटी-छोटी चीज़ें होती हैं। एक लाख तीस हज़ार एकड़ तक बने सभी घरों और उद्योगों से इकट्ठा हुआ यह गंदा पानी, 20,000 किलोमीटर लंबे पाइपों में बहते हुए इस प्लांट में प्रवेश करता है जो समुद्र की सतह से छः फुट नीचे बना है। यह पानी यहाँ कई छलनियों से छनकर गुज़रता है। यहाँ कपड़ों के चिथड़े, बड़े-बड़े पत्थर, कागज़ और प्लास्टिक छन जाते हैं। इसके बाद, पानी को कंकड़-पत्थर अलग करनेवाले कक्ष में भेजा जाता है, जहाँ जैविक पदार्थ हवा के बुलबुलों के ज़रिए ऊपर तैरने लगते हैं और भारी कंकड़-पत्थर धीरे-धीरे पानी के नीचे बैठ जाते हैं। और अलग किए गए कंकड़-पत्थरों को शहर से दूर खाली मैदानों में भर दिया जाता है। बचे हुए गंदे पानी को 50 फुट ऊपर सेडिमेंटेशन टंकियों में पम्प किया जाता है।”

इन टंकियों का नाप करीब फुटबॉल के एक मैदान के बराबर होता है। अगर ऐयर क्लीनर के ज़रिए पहले दुर्गंध को मिटाने का अच्छा बंदोबस्त नहीं किया गया हो, तो यही वह जगह है जिसकी वजह से आस-पड़ोस में रहनेवाले लोग दुर्गंध की शिकायत करने लगेंगे। जब गंदा पानी धीरे-धीरे इन टंकियों में भरता है, तब तेल और चिकनाहट, सतह पर तैरने लगते हैं और फिर उन्हें ऊपर से हटा दिया जाता है। और महीन कचरा जिसे मलबा भी कहते हैं धीरे-धीरे नीचे बैठ जाता है और इसे मोटर से चलनेवाले ब्लेड के ज़रिए अलग किया जाता है ताकि इसे आगे और सफाई के लिए पम्प किया जा सके।

इन चरणों के बाद साफ किए हुए पानी को समुद्रतल में बिछे हुए तीन किलोमीटर लंबे पाइप के ज़रिए समुद्र में बहा दिया जाता है। यह पानी समुद्रतल के ऊपर उठता है और समुद्र की लहरों के 60 से 80 मीटर नीचे तक फैल जाता है। शक्‍तिशाली तटवर्ती प्रवाह इस पानी को समुद्र में फैला देते हैं और बचा हुआ सफाई का काम, समुद्र के नमकीन पानी में मौजूद प्राकृतिक रोगाणु नाशक शक्‍ति से पूरा हो जाता है। और ट्रीटमेंट प्लांट में जो मलबा बचा होता है, उसे बड़ी-बड़ी टंकियों में पम्प किया जाता है जिन्हें एनॆरॉबिक डाइजेस्टर कहते हैं। यहाँ बैक्टीरिया, जैविक तत्वों को मिथेन गैस में बदल देते हैं, साथ ही ऐसा मलबा तैयार होता है जिसे आगे और बदला नहीं जा सकता।

मलबे से खाद बनना

रॉस के पीछे-पीछे जब मैं ताज़ी हवा में ऊपर आया, तब मैंने चैन की साँस ली, और हम दोनों मलबे से भरी ऐयर-टाइट टंकियों में से एक टंकी के ऊपर चढ़ गए। वह आगे कहता है: “बैक्टीरिया से बनी मिथेन गैस, बिजली के जेनरेटरों को चलाने में काम आती है और यह ट्रीटमेंट प्लांट के काम करने के लिए 60 प्रतिशत से ज़्यादा बिजली उपलब्ध कराती है। बैक्टीरिया के तैयार किए गए मलबे में से रोगाणुओं को नाश किया जाता है और उसमें चूना मिलाकर पौधों के लिए खाद तैयार की जाती है। इस खाद को बायोसॉलिड कहते हैं जो कि पौधों के लिए बहुत पौष्टिक होती है। मलाबार सूइज ट्रीटमेंट प्लांट, अकेले ही सालाना 40,000 टन बायोसॉलिड पैदा करता है। दस साल पहले, मलबे को खाद में बदले बिना जला दिया जाता था या समुद्र में फेंक दिया जाता था; मगर अब इसे सही तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है।”

रॉस मुझे एक ब्रोशर देता है जिसमें यह लिखा है: “जब से बायोसॉलिड का इस्तेमाल किया गया है तब से [न्यू साउथ वेल्स] के जंगल, 20 से 35 प्रतिशत ज़्यादा घने हो गए हैं।” वह ब्रोशर यह भी कहता है: ‘जब गेहूँ को उगाने के लिए ज़मीन में बायोसॉलिड मिलाया गया, तो इसकी फसल में 70 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।’ मैंने भी देखा है कि इस बायोसॉलिड को, जिसमें से विषैले पदार्थ निकाल दिए गए हैं, अपने घर के बगीचे में फूल के पौधों को और हरा-भरा बनाने के लिए इस्तेमाल करना अब हानिकारक नहीं है।

नज़र से दूर, तो दिमाग से दूर?

इस सैर के आखिर में, हमारा गाइड मुझे यह ध्यान दिलाता है कि अगर हम पेंट, कीटनाशकों, दवाइयों या तेल को नाली में बहा दें, तो ये ट्रीटमेंट प्लांट में बैक्टीरिया को नाश कर देते हैं जिससे पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। वह ज़ोर देकर बताता है कि ‘जिस तरह तेल और चरबी धीरे-धीरे हमारे दिल की धमनियों को बंद कर देती हैं, उसी तरह ये चीज़ें हमारी नलसाज़ी की धमनियों में भी रुकावट पैदा करती हैं। और डिसपोज़ेबल डाइपर, कपड़े और प्लास्टिक भी टॉयलॆट में आसानी से नहीं बहते। इसके बजाय वे पाइप में ही फँसे रहते हैं।’ तो जैसे मैंने सीखा, कचरे को नज़र से दूर करने के लिए उसे भले ही फ्लश कर दिया जाए, मगर उसे दिमाग से दूर नहीं किया जा सकता क्योंकि जब नाली में कचरा जम जाता है तो हमें याद आता है कि टायलॆट में हमने क्या-क्या बहाया था। इसलिए अगली बार जब आप नहाएँगे, टॉयलॆट फ्लश करेंगे या सिंक में पानी डालेंगे, तो सोचिए कि सारा पानी कहाँ जाता है। (g02 10/08)

[पेज 21 पर बक्स/तसवीर]

गंदे पानी से पीने का पानी

ऑरेंज काउंटी, जो अमरीका में कैलिफोर्निया के कम बरसातवाले इलाके में पड़ता है, वहाँ रहनेवाले लाखों लोगों को गंदे पानी की सफाई करने के आधुनिक तकनीक से बहुत फायदा हुआ है। हर दिन लाखों लीटर गंदे पानी को समुद्र में सीधा फेंकने के बजाय, उसमें से ज़्यादातर पानी को शुद्ध करके दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। वहाँ का वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट ऐसा करने में कई सालों से कामयाब रहा है। उसमें पानी को बुनियादी तरीके से पहले शुद्ध करने के बाद, फिर दूसरी बार बेहतरीन तरीके से और तीसरी बार और भी बढ़िया तरीके से साफ किया जाता है। इस तरह पानी से गंदगी अलग की जाती है, जिससे पानी इतना शुद्ध हो जाता है कि वह पीने के लायक हो जाता है। इस पानी को फिर एक गहरे कुँए में डाल दिया जाता है, जो धरती के नीचे मौजूद पानी के साथ मिल जाता है। इससे ज़मीन के नीचे मौजूद पानी का तल बढ़ता है और समुद्र के नमकीन पानी को इस पानी में मिल जाने से भी रोकता है और ज़मीन के नीचे का जलाशय भी तबाह होने से बचता है। इस ज़िले की 75 प्रतिशत पानी की माँग, धरती के नीचे मौजूद पानी से ही पूरी होती है।

[पेज 23 पर बक्स]

पानी का सही इस्तेमाल करने के पाँच तरीके

◻ चूते हुए वॉशर बदलिए—टपकते हुए नल से एक साल में करीब 7,000 लीटर पानी बेफिज़ूल बह सकता है।

◻ अपने टॉयलॆट की जाँच कीजिए कि उसमें से पानी तो नहीं चू रहा है—पानी चूने से साल-भर में 16,000 लीटर पानी बरबाद हो सकता है।

◻ अपने शावर में ऐसा नॉज़ल लगाइए जिससे ज़्यादा पानी खर्च न हो। एक आम शावर से प्रति मिनट 18 लीटर पानी बहता है; कम पानी बहनेवाले शावर में से प्रति मिनट 9 लीटर पानी बहता है। ऐसा करने से चार सदस्यों का एक परिवार, साल-भर में करीब 80,000 लीटर पानी बचा सकेगा।

◻ अगर आपके टॉयलॆट में डबल फीचरवाला फ्लश है यानी जिससे आप पूरा या आधा फ्लश कर सकते हैं, तो जब आपको कम पानी इस्तेमाल करना हो तो आधे फ्लश के लीवर को ही दबाइए—इससे चार सदस्यों के एक परिवार में, साल-भर में 36,000 लीटर से भी ज़्यादा पानी बचेगा।

◻ नलों में एक जाली लगाइए, यह बहुत-ही सस्ती होती है और इससे पानी का बहाव आधा हो जाता है और हमारा काम भी हो जाता है।

[पेज 2 पर बक्स]

संसार में गंदे पानी की समस्या

“आज भी 120 करोड़ से ज़्यादा लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है, और 290 करोड़ लोगों के पास मल-मूत्र और कूड़े-करकट को सही जगह फेंकने की सुविधाएँ नहीं हैं। इस वजह से हर साल 50 लाख लोग, जिसमें बड़ी तादाद में बच्चे हैं, गंदे पानी से फैलनेवाली बीमारियों से मर जाते हैं।”—द सॆकॆंड वर्ल्ड वॉटर फोरम, जो नेदरलैंडस्‌ के हेग में आयोजित की गयी थी।

[पेज 22 पर रेखाचित्र/तसवीरें]

मलाबार में वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्रक्रिया (सरल दृश्‍य)

1. गंदा पानी प्लांट में आता है

2. छनना

3. कंकड़-पत्थर कक्ष ⇨ ⇨ 4. कचरा फेंकने की खाली मैदानों की ओर

5. सेडिमेंटेशन टंकियाँ ⇨ ⇨ 6. समुद्र की ओर

7. एनॆरॉबिक डाइजेस्टर ⇨ ⇨ 8. बिजली से चलनेवाले जेनरेटर

9. बायोसॉलिड स्टोरेज टंकी

[तसवीरें]

एनॆरॉबिक डाइजेस्टिंग टंकियाँ, मलबे को उपयोगी खाद और मिथेन गैस में बदलती हैं

मिथेन गैस, बिजली पैदा करने के लिए जलायी जाती है