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ब्रिटेन का बिज्जू—जंगल का जागीरदार

ब्रिटेन का बिज्जू—जंगल का जागीरदार

ब्रिटेन का बिज्जू—जंगल का जागीरदार

ब्रिटेन में सजग होइए! लेखक द्वारा

वह सुनहरी शाम थी जब सूरज अपनी रंगत बिखेरते हुए ढलने लगा था। घनेरे जंगल में हर कहीं सन्‍नाटा छाया हुआ था कि तभी एक काले परिंदे की आवाज़ गूँज उठी। मैं धीरे-से, टूटे हुए सिलवर-बर्च पेड़ पर आकर बैठ गया। कुछ समय पहले वहाँ बारिश हुई थी इसलिए सारे पेड़-पौधे पानी से तर-बतर थे और हर कहीं सोंधी खुशबू फैली हुई थी।

मैंने बहुत सोच-समझकर बैठने के लिए वह जगह चुनी थी, जहाँ से सिर्फ मंद हवा मेरी तरफ बहे क्योंकि मैं वहाँ बिज्जू के दर्शन करने आया था। बिज्जू की आँखें बहुत छोटी होती हैं। उसके कान भी बहुत छोटे होते हैं जिनके सिरे पर पतली सफेद धारी होती है। मगर मैंने सुना था कि उनके देखने-सुनने की काबिलीयत को कभी कम नहीं समझना चाहिए, उनके आँख और कान दोनों बड़े तेज़ होते हैं। मुझे पता था, अगर उसे मेरी गंध मिली या मेरी आवाज़ की भनक भी उसके कानों में पड़ी, तो वह उल्टे पैर लौटकर अपने बिल में रात भर के लिए गायब हो जाएगा।

यूरोप का बिज्जू काफी बड़ा जानवर है, वह करीब 1 मीटर लंबा और 30 सेंटीमीटर ऊँचा होता है। उसका औसत वजन 12 किलोग्राम होता है और वह छिपकर रहना पसंद करता है। उसका रोएँदार खुरदरा शरीर भूरे रंग का होता है, लेकिन चेहरा और उसके नीचे का हिस्सा काला होता है। उसके नन्हे-नन्हे पैर भी काले होते हैं मगर छोटी-सी तगड़ी पूँछ भूरे रंग की होती है। हर पैर में पाँच उँगलियाँ होती हैं और पंजे बड़े तेज़ होते हैं।

उसकी नाक से शुरू होकर कानों के थोड़ा आगे तक जानेवाली तीन सफेद धारियाँ, न सिर्फ उसके रूप की एक खासियत है बल्कि लोगों में बहस का एक मुद्दा भी है। कुछ लोग कहते हैं कि इन सफेद धारियों की वजह से ही बिज्जू अँधेरे में एक-दूसरे को पहचान लेते हैं, मगर हम जानते हैं कि वे गंध से एक-दूसरे को पहचानते हैं। इन धारियों के होने का कारण चाहे जो भी हो, मगर इनकी वजह से बिज्जू बड़ा ही सजीला दिखता है।

बिज्जू, ब्रिटेन के गाँवों में बहुत नज़र आते हैं और वहाँ के लोग उसे प्यार से “ओल्ड ब्रॉक” बुलाते हैं। ज़मीन खोदना उसकी आदत में शुमार है। लगातार सुरंगें खोदकर, आने-जाने का रास्ता और कमरा तैयार करके वह अपने लिए घर बनाता है, जिसे सॆट कहा जाता है। यह सॆट लगभग 30 मीटर चौड़ा हो सकता है और उसके अंदर की भूलभुलैया सुरंगें करीब 300 मीटर लंबी हो सकती हैं! बिज्जू रात के वक्‍त ही बाहर निकलता है और दिन के समय अपने सॆट में रहता है, जिसके कमरे वह खासकर सोने के लिए इस्तेमाल करता है। उसके कुछ खास कमरे भी होते हैं जिनमें ताज़े घास-फूस का बना बिस्तर होता है और अकसर मादा बिज्जू बच्चे जनने के लिए इनका इस्तेमाल करती है।

खुली ज़मीन पर अकसर एल्डर पेड़ों और हॉथोर्न या ब्रेम्बल झाड़ियों के आस-पास उसके सॆट के बहुत सारे बिल दिखायी देते हैं। इंग्लैंड में कुछ सॆटों के 50 से भी ज़्यादा बिल हैं और माना जाता है कि ये सॆट 150 साल पुराने हैं, जिनमें बिज्जू की कई पीढ़ियाँ एक-साथ रह सकती हैं। हालाँकि बिज्जू 15 साल तक जी सकता है और कभी-कभी उसका दुगना भी, मगर आमतौर पर उसकी उम्र 2 से 3 साल की होती है।

बिज्जू के सॆट को पहचानना मुश्‍किल नहीं होता क्योंकि बिल के चारों ओर मिट्टी और उन छोटे-बड़े पत्थरों का ढेर लगा रहता है जो उसने खोदकर निकाली होती हैं। सॆट बनाने के लिए वह ज़मीन के अंदर से जो चीज़ें फेंकता है, उन्हें देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह जानवर कितना ताकतवर है।

यह कैसे पता लगाया जा सकता है कि सॆट में कोई है या नहीं? सबसे पहले बिज्जू के शौचालयों पर ध्यान दीजिए जो सॆट के चारों तरफ होते हैं और जो 15 से 23 सेंटीमीटर चौड़े और 23 सेंटीमीटर गहरे छिछले गड्ढे होते हैं। अगर उनमें लीद नज़र आए और खासकर ताज़ी, तो समझिए कि बिज्जू ज़रूर सॆट में है। इसके अलावा, आप उसके सॆट से निकलनेवाले ऐसे रास्ते पर गौर सकते हैं, जो काफी इस्तेमाल किए गए हैं और गर्मियों के महीनों में रौंदे हुए सूखे घास-फूस पर ध्यान दीजिए। गीली मिट्टीवाले इलाके में उसके पैरों के निशान देखिए या सॆट के पास के पेड़ों पर मिट्टी के निशान और खरोंचों पर गौर कीजिए, जहाँ बिल्ली की तरह बिज्जू ने शायद अपने मज़बूत पंजों के बल खड़े होकर अँगड़ाई ली हो। अगर सॆट बहुत बड़ा है तो शायद ये तरकीबें काम न आएँ क्योंकि हो सकता है बिज्जू आने-जाने के लिए किसी और बिल का इस्तेमाल करे। ऐसे में आप शाम ढलने से पहले उसके सॆट के पास जाकर हर बिल पर लकड़ियाँ रख दीजिए। दूसरी सुबह जहाँ से लकड़ियाँ हटा दी गयी हों, समझिए बिज्जू उसी रास्ते से बाहर निकला है।

यह जानवर पेट की आग बुझाने के लिए रात में बहुत दूर तक निकल जाता है। वह अकसर जंगल में, ज़मीन पर पड़े बांज-फल या बीच-फल ढूँढ़कर खाता है। अगर उसे खरगोश के बच्चे की गंध मिल जाए तो उसे खाने के लिए उसका बिल खोद डालता है या ततैये की इल्लियाँ चट करने के लिए उसके घोंसले की ताक में घूमता है। मगर उसका खास भोजन क्या है? केचुआ! वैसे तो यह जानवर लगभग सब कुछ खा लेता है, जैसे जंगली फल, नीले रंग का घंटीनुमा फूल, कुकुरमुत्ता, कीट वगैरह। और मुझे याद है, एक बार जुलाई के महीने में मैंने गौर किया कि वह भोजन के लिए अपने सॆट से कहीं दूर नहीं गया क्योंकि बरसात की मेहरबानी से पास के उबड़-खाबड़ मैदानी घासों पर उसके लिए एक अलग किस्म का ढेर सारा लज़ीज़ खाना मौजूद था। और वह था, काला घोंघा।

बिज्जू अकसर जुलाई के महीने में सहवास करते हैं और मादा, फरवरी के महीने में 4 से 5 बच्चों को एक-साथ जनती है। जब बच्चे करीब 3 महीने के होते हैं तो वे वहीं, बिल के बाहर आस-पास खेलते नज़र आते हैं। ऐसे समय पर नर-मादा, दोनों मिलकर अपना बिस्तर फिर से नया बना लेते हैं। बिज्जू बड़े सफाई-पसंद जानवर हैं और अपने कमरों की साफ-सफाई बड़े ध्यान से करते हैं। आमतौर पर वसंत और पतझड़ में वे अपने बिस्तर को बाहर लाकर सुखाते हैं मगर अपनी मर्ज़ी के मुताबिक वे ऐसा साल के किसी भी महीने में करते हैं। लेकिन जब घास-फूस और झाड़-झंखाड़ से बना उनका बिस्तर सूखकर एकदम पुराना हो जाता है, तो वे बिस्तर को बाहर खींच लाते हैं और उसके बदले नया बनाते हैं। वे रात भर में, घास-फूस वगैरह के तकरीबन 30 बंडल इकट्ठा कर लेते हैं। वे एक-एक बंडल अपनी ठोड़ी और आगे के पंजों के सहारे सॆट तक लाते हैं, फिर पीछे की तरफ से ढुलमुलाते हुए बिल के अंदर घुस जाते हैं।

बिज्जू अपने इलाके की पहचान कराने के लिए घास, पत्थर या बाड़े के आस-पास बहुत ही तेज़ गंधवाला एक द्रव्य छोड़ते हैं। यह द्रव्य उनकी पूँछ के नीचे की एक ग्रंथी से निकलता है। वे एक-दूसरे की पहचान कराने के लिए भी यही द्रव्य एक-दूसरे पर छोड़ते हैं। इसी गंध की बदौलत वे अपने सॆट के अंदर जाने का रास्ता भी आसानी से पहचान लेते हैं।

फिलहाल उस काले परिंदे की गूँज धीमी पड़ने लगी थी और जंगल में खामोशी छा गयी थी। तभी मैंने बिज्जू का काला-सफेद सिर अपनी कनखियों से देखा और इसलिए अपनी साँस रोके वहीं बैठा रहा और टस-से-मस न हुआ। बिज्जू अपने बिल से बाहर निकला और अँधेरी रात का खतरा भाँपने के इरादे से, कुछ पल के लिए वहीं रुक गया। फिर इस तरह अपनी नज़र यहाँ-वहाँ दौड़ाने लगा, मानो वह वहाँ का जागीरदार हो और अपने जागीर की सैर करने घर से निकल रहा हो। (g02 11/08)

[पेज 12,13 पर तसवीर]

बच्चे जनने का कमरा

सोने का कमरा

बिस्तर

[पेज 13 पर तसवीर]

बिज्जू के बच्चे

[पेज 13 पर तसवीरें]

बिज्जू बांज-फल, कुकुरमुत्ता और केचुआ वगैरह खाता है

[पेज 13 पर चित्र का श्रेय]

बिज्जू की तसवीरें: © Steve Jackson, www.badgers.org.uk