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यह समस्या क्यों बढ़ती जा रही है?

यह समस्या क्यों बढ़ती जा रही है?

यह समस्या क्यों बढ़ती जा रही है?

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ड्रग्स और हथियार के कारोबार के बाद, अपराध का जो धंधा तीसरे नंबर पर आता है, वह है इंसानों का सौदा करना? यूनाइटेड नेशन्स एजुकेशनल साइंटिफिक एण्ड कल्चरल ऑर्गनाइज़ेशन के मुताबिक हर किस्म की वेश्‍यावृत्ति में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

लातिन-अमरीका के एक देश की कांग्रेस कमेटी जाँच ने रिपोर्ट दी कि हालाँकि इस देश में वेश्‍यावृत्ति गैरकानूनी है, इसके बावजूद 5,00,000 बच्चियाँ वेश्‍याएँ हैं।

एक और देश में 3,00,000 छोटी बच्चियाँ सड़कों पर शरीर बेचने का धंधा करती हैं, खासकर उन इलाकों में जहाँ ड्रग्स का कारोबार चलता है।

रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के देशों में तकरीबन 10 लाख लड़कियाँ वेश्‍याएँ हैं और गुलामी की ज़िंदगी जीती हैं। कुछ देश तो इसका केंद्र बन चुके हैं, जहाँ लोग बच्चों या किसी और के साथ लैंगिक संबंध रखने (सॆक्स टूरिज़म) के लिए अलग-अलग जगहों से आते हैं।

एड्‌स जैसी लैंगिक बीमारी में आयी बढ़ोतरी की वजह से ग्राहक आजकल, बच्चों से लैंगिक संबंध रखने के लिए मुँह माँगा दाम देने को तैयार रहते हैं। वे मानते हैं कि बच्चों का किसी के साथ लैंगिक संबंध न होने से, उनसे लैंगिक बीमारी लगने का खतरा कम रहता है। ब्राज़ील के न्याय मंत्रालय की लूईज़ा नाजीब एलूफ कहती हैं: “एड्‌स के डर से पुरुष, कम-से-कम उम्र के लड़के-लड़कियों की माँग करते हैं, लेकिन इससे समस्या और भी बदतर हो जाती है। ब्राज़ील के समाज में गरीब महिलाओं के बीच जो सबसे गंभीर समस्या है, वह है बच्चियों और किशोरियों के साथ बढ़ता लैंगिक शोषण।”

बाल वेश्‍यावृत्ति और गरीबी

गरीबी और निराशा, बाल वेश्‍यावृत्ति को और भी हवा देती है। एक सरकारी अफसर के मुताबिक उसके देश में, बच्चों के शोषण और वेश्‍यावृत्ति का “सीधा-सीधा संबंध, टूटते परिवारों, भुखमरी और निराशा से है।” कुछ माँ-बाप का कहना है कि गरीबी ने ही उन्हें अपने बच्चों को इस धंधे में धकेलने पर मजबूर किया है। सड़क पर पल रहे बच्चे देखते हैं कि ज़िंदा रहने के लिए उनके पास वेश्‍यावृत्ति के अलावा कोई चारा नहीं होता।

ऑ एस्टाडाँ डे साउंग पाउलू अखबार कहता है कि जब एक लड़की किसी सड़क-छाप गिरोह में शामिल होती है तो आखिरकार वेश्‍या ही बनती है। शुरू-शुरू में अपना पेट भरने के लिए शायद वह चोरी करे और कभी-कभार ही अपना शरीर बेचे। लेकिन बाद में वह एक पेशेवर वेश्‍या बन जाती है।

वेश्‍यावृत्ति के लिए कभी-कभी किशोर लड़के-लड़कियों को दूसरे देश भेजा जाता है। यूनेस्को सोर्सस्‌ की रिपोर्ट के मुताबिक “अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में इतनी गरीबी है कि परदेश में रहनेवाली वेश्‍याएँ जो रकम अपने घर भेजती हैं, वह उनके परिवारों के लिए बहुत बड़ी होती है। खुद अफ्रीका और एशिया के देशों में वेश्‍यावृत्ति को बढ़ावा दिया जाता है क्योंकि वहाँ जो पर्यटक खास तौर से किशोरों और बच्चों की ‘सेवाओं’ का फायदा उठाने आते हैं, वे अमीर देशों से होते हैं।”

लातिन-अमरीका के एक शहर में, सड़कों पर रहनेवाली बाल वेश्‍याएँ जिन खतरों का सामना करती हैं, उसके बारे में टाइम पत्रिका यह रिपोर्ट देती है: “कुछ वेश्‍याएँ तो सिर्फ 12 साल की हैं। परिवार टूट जाने की वजह से अकसर इनका कोई घर नहीं होता। वे दिन में जहाँ जगह मिले, सो जाती हैं और रात के वक्‍त सॆक्स पार्टनर की तलाश में डिस्को क्लब के चक्कर लगाती हैं, जहाँ जहाज़ पर काम करनेवाले अपना खाली समय बिताने आते हैं।”

ड्रग्स के नशे में बाल वेश्‍या ऐसे घिनौने काम कर लेती है, जिसे वह होशो-हवास में करने की कभी सोच भी नहीं सकती। उदाहरण के लिए, वेशा पत्रिका के मुताबिक पुलिस ने ऐसे 92 वीडियो टेप ज़ब्त किए जिन्हें एक मेडिकल डाक्टर ने रिकॉर्ड किया था। उसमें उस डाक्टर ने 50 से भी ज़्यादा महिलाओं के साथ बड़े ही वहशियाना तरीके से लैंगिक संबंध रखे, जिनमें से कुछ तो अभी बालिग भी नहीं हुई थीं।”

ऐसी खौफनाक सच्चाई के बावजूद एक जवान वेश्‍या कहती है: “अगर मैं कोई नौकरी करना चाहूँ भी, तो उससे मैं अपना पेट नहीं भर सकती क्योंकि मेरे पास ऐसी काबिलीयत नहीं कि उतना कमा सकूँ। मेरे परिवार में सब जानते हैं कि मैं क्या करती हूँ और मैं भी अपना धंधा छोड़ना नहीं चाहती। शरीर मेरा है, मैं जैसे चाहूँ वैसे इसका इस्तेमाल कर सकती हूँ।”

लेकिन यह हकीकत है कि इनमें से कोई भी लड़की वेश्‍या बनना नहीं चाहती थी। एक समाज सेविका के मुताबिक कई जवान वेश्‍याएँ “शादी के ख्वाब देखती” हैं कि एक-न-एक दिन ज़रूर उनके “सपनों का राजकुमार” आएगा। हालाँकि उनकी ज़िंदगी में कुछ पेचीदा समस्याएँ खड़ी हुईं जिनकी वजह से उन्हें मजबूरन वेश्‍या बनना पड़ा, लेकिन एक खोजकर्ता कहता है: “यह जानकर तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि ज़्यादातर लड़कियों का बलात्कार करनेवाले उनके अपने ही घर के लोग थे।”

क्या बाल वेश्‍यावृत्ति का अंत होगा?

फिर भी हालात के शिकार इन बच्चों के लिए आशा की किरण ज़रूर है। अलग-अलग उम्र की वेश्‍याओं ने अपनी ज़िंदगी की शुरूआत एक नए सिरे से की है। (पेज 7 पर बक्स, “लोग बदल सकते हैं” देखिए।) परमेश्‍वर के वचन, बाइबल ने दुनिया-भर में लाखों लोगों को अच्छे पड़ोसी और परिवार में एक-दूसरे के वफादार रहने में मदद दी है। जो पहले वेश्‍या, व्यभिचारी, चोर, लालची और शराबी थे, उनके बारे में हम पढ़ते हैं: “तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्‍वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।”—1 कुरिन्थियों 6:9-11.

जैसा बाइबल के दिनों में हुआ था, आज भी कई लोग बदलाव करके अपनी ज़िंदगी सँवार रहे हैं। लेकिन लैंगिक शोषण को जड़ से उखाड़ने के लिए कुछ और करने की ज़रूरत होगी। हालाँकि कुछ सरकार और संगठन, सॆक्स टूरिज़म और बाल वेश्‍यावृत्ति के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। लेकिन यह एक सच्चाई है कि तंगहाली और गरीबी जैसी समस्याओं को दूर करना इंसान के बस की बात नहीं। और कानून बनानेवाले ऐसे गंदे विचारों और रवैयों पर रोक नहीं लगा सकते जो अनैतिकता की असली वजह हैं।

लेकिन इन सभी समस्याओं का अंत इंसान की कोशिशों के बजाय एक और ज़रिए से होगा। और वह है, परमेश्‍वर का राज्य। अगला लेख इसी बात को समझाएगा। (g03 02/08)

[पेज 6 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

गरीबी अकसर बाल वेश्‍यावृत्ति को बढ़ावा देती है

[पेज 6 पर बक्स]

भारी कीमत चुकानी पड़ी

डेज़ी सिर्फ 6 साल की थी जब उसके अपने ही भाइयों में से एक ने उसके साथ लैंगिक दुर्व्यवहार किया। इसलिए वह अपने बड़े भाई के साथ 14 बरस तक रही और फिर नाइट क्लब में काम करने लगी। मगर कुछ दिनों के बाद वह बीमार पड़ गयी। जब वह ठीक हुई तो उसके मालिकों ने कहा कि उस पर काफी उधार चढ़ गया है इसलिए अपना शरीर बेचकर पैसा चुकाए। लेकिन करीब एक साल के बाद भी उसके सिर से कर्ज़ का बोझ नहीं उतरा। उसे लग रहा था कि वह कभी कर्ज़े से मुक्‍त नहीं हो पाएगी। लेकिन जहाज़ पर काम करनेवाले एक आदमी ने उसका बाकी का कर्ज़ा चुकाया और उसे दूसरे शहर ले गया, जहाँ उसने उसे अपना गुलाम बनाकर रखा। इसलिए डेज़ी उसे छोड़कर दूसरे आदमी के साथ रहने लगी और तीन साल के बाद उसने उससे शादी कर ली। लेकिन उसकी शादी-शुदा ज़िंदगी में इतनी समस्याएँ थीं कि तंग आकर उसने तीन बार अपनी जान लेने की कोशिश की।

आखिरकार उसने और उसके पति ने बाइबल का अध्ययन शुरू किया। लेकिन डेज़ी खुद को यहोवा का साक्षी बनने के लायक ही नहीं समझती थी। जब उसे बाइबल से बताया गया कि परमेश्‍वर यहोवा ऐसे लोगों को स्वीकार करता है जो अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव करते हैं तब जाकर उसने अपना जीवन परमेश्‍वर को समर्पित किया। सही काम करने के लिए डेज़ी अपनी जी-तोड़ कोशिश करती, लेकिन फिर भी वह अपनी कोशिशों से बिलकुल खुश नहीं थी, इसलिए अकसर हताशा की भावना उस पर हावी हो जाती। मगर खुशी की बात है कि उसने मदद स्वीकार की और इसलिए वह वेश्‍या के तौर पर बिताए अपने गुज़रे कल और लैंगिक दुर्व्यवहार की वजह से लगे ज़ख्मों को भर पायी। और भावनात्मक रूप से अपने आप को सँभाल पायी।

[पेज 7 पर बक्स]

लोग बदल सकते हैं

जब यीशु मसीह धरती पर था तो उसे दुखियारे, पापी लोगों पर तरस आया। वह यह अच्छी तरह जानता था कि वेश्‍याएँ, चाहे किसी भी उम्र की हों, मगर कोशिश करने पर वे अपनी पुरानी ज़िंदगी छोड़ सकती हैं। उसने धार्मिक गुरुओं को यहाँ तक कहा: “मैं तुम से सच कहता हूं, कि महसूल लेनेवाले और वेश्‍या तुम से पहिले परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करते हैं।” (मत्ती 21:31) उनकी बदचलन ज़िंदगी की वजह से हालाँकि लोग उनका तिरस्कार करते थे, लेकिन जब उनमें से कुछ ने सच्चे दिल से परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्‍वास किया तो उनके पाप माफ किए गए। परमेश्‍वर के राज्य की आशीषें पाने के लिए पश्‍चाताप दिखानेवाले ये लोग, वेश्‍यावृत्ति का धंधा छोड़ने को तैयार थे। उसके बाद उन्होंने परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी बितायी। आज भी हर तरह के लोग परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई को अपनाते हैं और अपने जीने का तरीका बदल देते हैं।

गौर कीजिए कि मारीया, कारीना और एस्टेला के साथ क्या हुआ, जिनका ज़िक्र पिछले लेख में किया गया था। मारीया की अपनी माँ, वेश्‍या का धंधा करने के लिए उस पर दबाव डाल रही थी, इसके लिए उसे अपनी माँ का विरोध तो करना ही था, साथ ही उसे ड्रग्स की लत से छुटकारा पाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा। वह कहती है: “वेश्‍या का जीवन बिताने की वजह से मुझमें जो हीन भावना पैदा हुई थी, उसे भुलाने के लिए मैंने ड्रग्स का सहारा लिया था।” मारीया बताती है कि किस तरह यहोवा के साक्षियों की मसीही कलीसिया ने उसका स्वागत किया: “कलीसिया के सदस्यों ने जिस प्रेम से मेरा स्वागत किया, वह मेरे दिल को छू गया। वहाँ छोटे-बड़े सभी लोगों ने मुझे इज़्ज़त दी। मैंने गौर किया कि शादी-शुदा पुरुष अपनी पत्नियों के वफादार थे। मैं बेहद खुश हूँ कि उन्होंने मुझे अपना दोस्त कबूल किया है।”

जब कारीना 17 साल की थी तब उसकी मुलाकात यहोवा के साक्षियों से हुई। उसने बाइबल का अध्ययन तो शुरू कर दिया था, लेकिन साथ ही अपना वेश्‍या का धंधा भी करती रही। लेकिन जब वह बाइबल की सच्चाइयों को समझने और उसकी कदर करने लगी तो उसने दूर एक दूसरे शहर में बसने की सोची और वहाँ वह एक यहोवा की साक्षी बनी।

एस्टेला बचपन में ही वेश्‍या बन गयी थी, रंगरेलियाँ मनाना और हद-से-ज़्यादा शराब पीना, उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था। बाद में, बाइबल में उसकी दिलचस्पी जागी। हालाँकि वह सोचती थी कि परमेश्‍वर उसे कभी माफ नहीं करेगा। लेकिन वक्‍त के गुज़रते वह समझ गयी कि यहोवा परमेश्‍वर पश्‍चाताप करनेवालों को माफ करता है। अब वह एक मसीही कलीसिया की सदस्य है। उसकी शादी हो चुकी है और उसके तीन बच्चे हैं। एस्टेला कहती है: “मैं बहुत ही खुश हूँ। और यहोवा का एहसान मानती हूँ जिसने मुझे इस दलदल से निकाला है और अपने पवित्र संगठन का भाग बनाया।”

ये अनुभव बाइबल की इस बात को कितना सच साबित करते हैं कि परमेश्‍वर की इच्छा है कि “सब मनुष्यों का [यानी स्त्री-पुरुष दोनों का] उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहचान लें।”—1 तीमुथियुस 2:4.

[पेज 7 पर तसवीर]

बाल वेश्‍याएँ अकसर ड्रग्स लेना शुरू कर देती हैं

[पेज 5 पर चित्र का श्रेय]

Jan Banning/Panos Pictures, 1997