टायर—इन पर आपकी ज़िंदगी का दारोमदार हो सकता है!
टायर—इन पर आपकी ज़िंदगी का दारोमदार हो सकता है!
कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसी मशीन के अंदर बंद हैं और खुद को पेटी से बाँध रखा जो स्टील और काँच के पिंजरे जैसी है और जिसे वेल्डिंग से जोड़ा गया है। आपके आस-पास ऐसे डिब्बे हैं जो तेज़ाब और जल्दी आग पकड़नेवाले द्रव्यों से पूरी तरह भरे हैं। अब इस बहुत ही खतरनाक मशीन को ज़मीन से कुछ इंच की ऊँचाई देते हुए 30 मीटर प्रति सेंकड की तेज़ रफ्तार से दौड़ाइए। इतना ही नहीं, अपनी इस मशीन को इसी रफ्तार के साथ ऐसी ही दूसरी मशीनों के बीच दौड़ाइए जो आपके आस-पास हैं और कुछ पूरी रफ्तार से सामने से आ रही हैं!
दरअसल, जब भी आप अपनी गाड़ी चलाते हैं, तो आप ठीक यही करते हैं। गाड़ी चलाते वक्त, क्या चीज़ आपको बेफिक्र होकर उसे काबू में रखने में मदद देती है? काफी हद तक यह काम आपके टायर करते हैं।
टायर क्या करते हैं
टायर के कई ज़रूरी काम हैं। ये ना सिर्फ गाड़ी का वज़न ढोते हैं बल्कि जब भी गाड़ी सड़क के उठाव (bumps) या गड्ढों के ऊपर से जाती है, या ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुज़रती है, तो उसे ज़ोर से झटका लगने से बचाते हैं। मगर इससे भी बढ़कर, आपके टायर ज़रूरी कर्षण (traction) पैदा करते हैं ताकि आप अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ा सकें, किसी भी दिशा में उसे घुमा सकें, ब्रेक लगा सकें और हर तरह के रास्ते पर गाड़ी को काबू में रखकर सीधे चला सकें। फिर भी, ताज्जुब की बात है कि हमेशा टायर का सिर्फ एक छोटा-सा भाग यानी करीब पोस्ट कार्ड के जितना हिस्सा ज़मीन को छूता है।
टायर जब इतने काम के हैं, तो उन्हें दुरुस्त रखने और बढ़िया तरीके से काम करते रहने के लिए आप क्या कर सकते हैं? जब टायर बदलने का वक्त आता है तो आप सही टायर कैसे चुन सकते हैं? इन सवालों के जवाब पाने से पहले आइए हम टायर के इतिहास पर एक नज़र डालें।
रबर के टायरों की ईजाद करनेवाले
वैसे तो पहियों का इस्तेमाल हज़ारों सालों से होता आया है, मगर पहिए के बाहरी घेरे पर रबर लगाना हाल ही में शुरू हुआ। सन् 1800 के दशक की शुरूआत में, पहली बार लकड़ी या स्टील के पहियों पर कुदरती रबर लगाया जाने लगा। लेकिन यह बहुत जल्दी घिस जाता था, इसलिए रबरवाले टायरों का भविष्य बिलकुल धुँधला नज़र आ रहा था। मगर फिर अमरीका के कनेटीकट राज्य का चार्ल्स गुडयर इस समस्या को सुलझाने के लिए सामने आया, जो इरादे का बड़ा पक्का था। सन् 1839 में, गुडयर ने वल्कनीकरण (vulcanization) नाम की एक प्रक्रिया की खोज की, जिसमें ऊँचे ताप और दबाव का इस्तेमाल करके रबर के साथ गंधक मिलायी जाती है। इस प्रक्रिया से रबर को ढालना आसान हो गया, साथ ही यह इतना सख्त हो गया कि इस्तेमाल करने पर
यह जल्दी नहीं घिसता था। अब तो सख्त रबर के टायर मशहूर हो गए। मगर इनमें एक खामी थी। गाड़ी चलाते वक्त इनकी वजह से काफी झटके लगते थे।सन् 1845 में, स्कॉटलैंड के एक इंजीनियर, रॉबर्ट डब्ल्यू. थॉमसन को पहला न्यूमैटिक टायर यानी हवा से भरा टायर बनाने का पेटेंट मिला। लेकिन बाज़ार में ये टायर तब जाकर मशहूर हुए जब स्कॉटलैंड के एक और आदमी, जॉन बोइड डनलप ने अपने बेटे की साइकिल के टायर को और भी बेहतर बनाया। सन् 1888 में, डनलप ने अपना नया टायर बनाने के लिए पेटेंट हासिल किया और अपनी एक कंपनी खोली। फिर भी, न्यूमैटिक टायर बनाने के लिए बड़ी-बड़ी रुकावटें पार करनी थीं।
सन् 1891 में एक दिन, एक फ्राँसीसी आदमी की साइकिल के टायर की हवा निकल गयी। उसने उसे ठीक करने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा क्योंकि टायर, पहिए से पूरी तरह चिपक गया था। उसने एक और फ्राँसीसी आदमी, ऐडवॉर्ड मीशलेन की मदद ली जो वल्कनित रबर तैयार करने में मशहूर था। मीशलेन ने उस आदमी के टायर की मरम्मत करने में नौ घंटे बिताए। इस वाकए से उसमें ऐसा न्यूमैटिक टायर बनाने की प्रेरणा जागी जिसे मरम्मत करने के लिए पहिए से आसानी से अलग किया जा सके।
मीशलेन के बनाए टायर इतने कामयाब हुए कि अगले साल, साइकिल दौड़ में हिस्सा लेनेवाले 10,000 प्रतियोगियों ने खुशी-खुशी इनका इस्तेमाल किया। कुछ ही समय बाद, पैरिस के ताँगों पर न्यूमैटिक टायर चढ़ाए जाने लगे, जिससे फ्राँसीसी सवारियाँ बेहद खुश हुईं। ऐडवॉर्ड और उसका भाई, आन्ड्रे दिखाना चाहते थे कि न्यूमैटिक टायर, मोटर-गाड़ियों पर भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसलिए सन् 1895 में, उन्होंने दौड़ में हिस्सा लेनेवाली एक गाड़ी में ये टायर लगाए। हालाँकि यह गाड़ी दौड़ में एकदम आखिर नंबर पर थी, फिर भी इन अनोखे टायरों को देखकर लोगों की आँखें फटी-की-फटी रह गयीं। वे यह देखने के लिए उन टायरों को चीरने की कोशिश करने लगे कि आखिर मीशलेन भाइयों ने उनके अंदर क्या छिपा रखा है!
सन् 1930 और 1940 के दशक में, टायर बनाने के लिए कपास और कुदरती रबर जैसी नाज़ुक चीज़ों के बदले, रेयोन, नाइलॉन और पोलिएस्टर जैसी नयी-नयी टिकाऊ चीज़ों का इस्तेमाल होने लगा। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद, ऐसे टायर तैयार करने का काम शुरू हुआ जिन्हें सीधे पहिए पर चढ़ाकर हवाबंद किया जा सकता था। ऐसे टायरों के आने से अब टायर के अंदर एक और हवाबंद ट्यूब की ज़रूरत नहीं थी। बाद में, इसमें और भी सुधार किए गए।
आज, एक टायर बनाने के लिए 200 से ज़्यादा किस्म का कच्चा माल इस्तेमाल किया जाता है। और नए ज़माने की टैक्नोलॉजी की बदौलत, कुछ टायर इस बात पर इठलाते हैं कि वे 1,30,000 किलोमीटर या उससे ज़्यादा दूरी तय करने के बाद भी दुरुस्त रहते हैं। और दौड़ में हिस्सा लेनेवाली गाड़ियों के टायरों में सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ रफ्तार से दौड़ने की ताकत है। इस दौरान, टायर इतने सस्ते हो गए हैं कि एक आम इंसान भी इन्हें आसानी से खरीद सकता है।
टायर चुनना
अगर आपके पास गाड़ी है, तो शायद नए टायर चुनने की मुश्किल आपके सामने खड़ी हो। आप यह कैसे पता लगाएँगे कि कब आपको टायर बदलना है? आपको समय-समय पर टायर का मुआयना करके देखना होगा कि क्या उसके घिसने या नष्ट होने के कुछ निशान हैं। * टायर-उत्पादक, टायर में ही ऐसे इंडिकेटर बनाते हैं जिन्हें अकसर वियर बार्स् कहा जाता है। इनसे पता चलता है कि टायर अब और ज़्यादा दिन नहीं चलेंगे। वियर बार्स्, रबर से बनी सख्त पट्टियों की तरह होते हैं और यह ट्रैड (यानी टायर के ऊपरी भाग) की सतह पर चौड़ाई में लगे होते हैं। इसके अलावा, यह भी जाँच करना अच्छा होगा कि कहीं ट्रैड उतर तो नहीं आया है, तार (बीड्स) तो नहीं निकल आए हैं, या फिर टायर का किनारा या साइडवॉल उठा हुआ तो नहीं है, या क्या कुछ और खराबी तो नहीं है। अगर आपके टायर में ऐसी कोई भी समस्या नज़र आए, तो आपको तब तक गाड़ी नहीं चलानी चाहिए जब तक टायर की मरम्मत नहीं होती या आप उसे बदल नहीं देते। अगर आपने नए टायर खरीदे थे और अब खराब होने की वजह से इन्हें बदलने की ज़रूरत है, तो जिस दुकान से इन्हें खरीदा था, वही दुकान शायद आपके लिए कम दाम में दूसरा नया टायर दे दे, बशर्ते यह वारंटी में लिखा हो।
टायर बदलने का सबसे बढ़िया तरीका है, एक ही किस्म के और एक ही धुरी पर लगे दो टायरों को एक-साथ बदलना। अगर आप सिर्फ एक नया टायर चढ़ाते हैं, तो जिस टायर के ट्रैड ज़्यादा नहीं घिसे हैं, उसके साथ मेल बिठाने की कोशिश कीजिए ताकि ब्रेक लगाते वक्त दोनों में बराबर कर्षण हो।
अलग-अलग किस्म, आकार और मॉडल के टायरों की जाँच करके चुनाव करने में एक इंसान का सिर चकरा सकता है। मगर खुद से कुछ ज़रूरी सवाल पूछने पर यह काम आपके लिए आसान हो जाएगा। पहले, आपके गाड़ी-उत्पादक ने जैसे टायर लेने की सलाह दी है, उस पर विचार कीजिए। आपकी गाड़ी की कुछ खासियतें होती हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है, जैसे कि टायर और पहियों का आकार कैसा है, गाड़ी का निचला हिस्सा ज़मीन से कितना ऊपर उठा होना चाहिए, और आपकी गाड़ी ज़्यादा-से-ज़्यादा कितना वज़न झेल सकती है। गाड़ी के डिज़ाइन पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। नए ज़माने की गाड़ियों में ऐन्टीलॉक ब्रेक्स (जिससे गीले या बर्फीले रास्ते पर टायर घूमते रहते और नहीं फिसलते), ट्रैक्शन कन्ट्रोल (यह टायरों को फिसलने से रोकता है) और ऑल-व्हील-ड्राइव सिस्टम (यह चारों टायरों तक ऊर्जा पहुँचाता है) होते हैं और इनके लिए खास किस्म के टायरों की ज़रूरत होती है। आपकी गाड़ी के लिए कैसे टायर ठीक होंगे, इस बारे में खास हिदायतें आम तौर पर गाड़ी के मालिक के मैनुअल में दी जाती हैं।
टायर चुनते वक्त यह भी याद रखना है कि आप कैसे रास्ते पर गाड़ी चलाते हैं। आप ज़्यादातर कच्ची सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं या पक्की सड़कों पर, बरसात में या गर्मियों में? आप शायद अलग-अलग हालात में गाड़ी चलाते होंगे। तो फिर आपको ऐसे टायरों की ज़रूरत होगी जो हर तरह के रास्ते पर चल सकें (all-terrain) और हर तरह का मौसम (all-season) झेल सकें।
टायर के टिकाऊपन और उसके ट्रैक्शन के हिसाब से वह किस श्रेणी में आता है, आपको इस बात पर भी गौर करना चाहिए। आम तौर पर, टायर का ट्रैड जितना नरम होगा, उसमें उतना ही ट्रैक्शन होगा, मगर वह जल्दी घिस जाएगा। दूसरी तरफ, अगर ट्रैड काफी सख्त हैं, तो टायर में कम ट्रैक्शन होगा और वह ज़्यादा दिन तक चलेगा। कौन-से टायर किस श्रेणी में आते हैं, इसकी जानकारी टायर की दुकान से मिलनेवाली पत्रिका में दी जाती है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखिए कि अलग-अलग उत्पादक अपने हिसाब से टायर को अलग-अलग श्रेणी में रखते हैं।
इन सारी बातों को मद्देनज़र रखते हुए जब आपके सामने चुनाव के लिए कुछ ही टायर रह जाते हैं, तो अब आप कीमत के हिसाब से अपना फैसला कर सकते हैं। अकसर जाने-माने उत्पादक बढ़िया क्वालिटी के टायर पेश करते हैं और ऐसी वारंटी देते हैं जिसमें बहुत-से फायदे होते हैं।
अपने टायर की देखभाल
टायर की अच्छी देखभाल में तीन बातें शामिल हैं: हवा का सही दबाव (air pressure) बनाए रखना, नियमित रूप से चारों टायरों की आपस में अदला-बदली करना (rotate) और उनमें सही ताल-मेल बनाए रखने के साथ-साथ उन्हें सीधा रखना (alignment). टायर में हवा का सही दबाव बनाए रखना निहायत ज़रूरी है। अगर टायर में ज़्यादा हवा होगी, तो ट्रैड के बीच का हिस्सा जल्दी घिस जाएगा। दूसरी तरफ, अगर टायर में हवा का दबाव बहुत कम होगा, तो उसका किनारा बहुत ज़्यादा घिस जाएगा और इंधन फिज़ूल में खर्च होगा।
एक महीने में, टायर से आधा किलो या उससे ज़्यादा हवा का दबाव घट सकता है, और ऐसा रबर से हवा निकलने (air
bleeding) की वजह से होता है। इसलिए यह मत सोचिए कि आप अपने टायर का आकार देखकर पता लगा लेंगे कि उसमें ठीक से हवा भरी है या नहीं। रबर उत्पादकों के संघ के मुताबिक, “हो सकता है कि एक टायर, हवा का लगभग आधा दबाव खोने के बाद भी चपटा नज़र न आए!” इसलिए टायर का दबाव नापने के लिए प्रेशर गैज का इस्तेमाल कीजिए और ऐसी जाँच महीने में कम-से-कम एक बार ज़रूर कीजिए। बहुत-से लोग यह गैज अपनी गाड़ी में सामने की तरफ, ग्लव कम्पार्टमेंट में रखते हैं ताकि वे जब चाहें, उसे निकालकर इस्तेमाल कर सकें। जब भी आप इंजन का तेल बदलते हैं, तो टायरों की जाँच ज़रूर कीजिए। और उस वक्त भी जब वे ठंडे पड़ जाते हैं, दूसरे शब्दों में कहे तो जब गाड़ी कम-से-कम तीन घंटे बिना चले एक ही जगह पर खड़ी हो या जब उसने 1.5 किलोमीटर से भी कम दूरी तय की हो। टायर में हवा का दबाव कितना होना चाहिए, यह अकसर गाड़ी के मालिक के मैनुअल में लिखा होता है, या ड्राइवर की सीट के पास दरवाज़े पर या फिर ग्लव कम्पार्टमेंट में चिपके लेबल पर होता है। टायर की एक तरफ यह लिखा होता है कि उसमें ज़्यादा-से-ज़्यादा कितनी हवा भरनी चाहिए। इसलिए अगर आप झटकेदार सफर से बचना चाहते हैं, तो उससे कम हवा भरिए।अगर आप नियमित रूप से टायरों की आपस में अदला-बदली करेंगे, तो वे लंबे समय तक चलेंगे और बराबर घिसेंगे। अगर आपके गाड़ी उत्पादक ने आपको नहीं बताया है कि आपको कितने समय बाद टायरों की अदला-बदली करनी होगी, तो अच्छा होगा कि आप हर 10,000 से 13,000 किलोमीटर के सफर के बाद ऐसा करें। मगर हाँ, उन्हें किस दिशा में बदलना है, यह जानने के लिए गाड़ी के मालिक का मैनुअल देखिए।
एक आखिरी बात, आपके टायर सीधे हैं या नहीं, इसकी जाँच साल में एक बार करवाइए या फिर तब जब गाड़ी चलाते वक्त आपको कुछ ज़्यादा ही कंपन महसूस हो या गाड़ी घुमाने में मुश्किल हो। हालाँकि गाड़ी का सस्पेनशन सिस्टम इस तरह बनाया जाता है कि अलग-अलग वज़न उठाते समय भी टायर सीधे रहते हैं, फिर भी रोज़ाना घिसने के कारण समय-समय पर इनकी जाँच करवाना और इन्हें सीधा करना ज़रूरी हो जाता है। मोटरगाड़ी मरम्मत करनेवाला ऐसा टेक्नीशियन, जिसके पास सस्पेनशन सिस्टम की मरम्मत करने और चक्के को सीधा करने का लाइसेंस हो, वह आपकी गाड़ी को ठीक से सीधा कर पाएगा जिससे टायर लंबे समय तक, आराम से चल सकें।
“समझदार” टायर
कुछ गाड़ियों में ऐसे कंप्यूटर लगे होते हैं, जो टायर का दबाव ज़्यादा घटने पर ड्राइवरों को सावधान करते हैं। कुछ ऐसे भी टायर होते हैं जिनमें हवा का दबाव खत्म होने पर भी वे बिना किसी खतरे के कुछ समय चल सकते हैं और कुछ टायर, पंक्चर होने पर अपने आप छेद को बंद कर देते हैं। जी हाँ, आज इंजीनियर एक-से-एक बढ़िया टायर बना रहे हैं जो तरह-तरह के हालात में चल सकते हैं।
आजकल के टायर नयी-नयी चीज़ों से तैयार किए जाते हैं, और ट्रैड डिज़ाइन, सस्पेंशन, स्टेरिंग और ब्रेकिंग सिस्टम में भी काफी तरक्की हो रही है, इसलिए टायरों से गाड़ी चलाना न सिर्फ आसान बल्कि सुरक्षित बन गया है। (g04 6/8)
[फुटनोट]
^ अपने टायर का मुआयना करने के तरीके जानने के लिए पेज 29 पर दिया चार्ट देखिए।
[पेज 29 पर चार्ट/तसवीरें]
टायर की देखभाल करने की पड़ताल सूची
बाहरी जाँच:
❑ क्या टायर के किनारे उभरे हुए हैं?
❑ क्या ट्रैड पर से तार निकल आए हैं?
❑ क्या ट्रैड की बीचवाली दरार गहरी है या क्या ट्रैड के वियर बार्स नज़र आ रहे हैं?
यह भी जायज़ा लीजिए:
❑ क्या गाड़ी-उत्पादक की हिदायत के मुताबिक टायर में हवा का दबाव सही है?
❑ क्या टायरों की आपस में अदला-बदली करने का समय हो गया है? (गाड़ी-उत्पादक ने जितने किलोमीटर के सफर के बाद और जिस तरीके से टायरों को बदलने की हिदायत दी है, उसे मानिए।)
❑ मौसम बदलने की वजह से क्या अलग-अलग किस्म के टायर चढ़ाने की ज़रूरत है?
[तसवीर]
वियर बार
[पेज 28 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
टायर के भाग
ट्रैड ट्रैक्शन पैदा करता है, और गाड़ी मोड़ते वक्त अच्छी पकड़ देता है
बेल्ट्स ट्रैड को अपनी जगह पर बनाए रखती और मज़बूती देती हैं
साइडवॉल टायर के किनारों को रास्ते पर चलते वक्त और गाड़ी मोड़ते वक्त जो नुकसान होता है, उससे बचाता है
बॉडी प्लाइ टायर को मज़बूती और लचक देती है
इनर लाइनर हवा को टायर के अंदर बंद रखता है
बीड टायर को पहिए पर अच्छी तरह बिठाता है जिससे वह हवाबंद रहता है
[पेज 27 पर तसवीरें]
पुराने ज़माने की साइकिल और गाड़ी, दोनों में हवा से भरे टायर लगे हैं; उस ज़माने के टायर कारखाने के मज़दूर
[चित्र का श्रेय]
The Goodyear Tire & Rubber Company