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हमारे पाठकों से

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बच्चे “बच्चे—उन्हें माता-पिता से क्या चाहिए,” ये श्रृंखला लेख मिलते ही मैंने इन्हें पढ़ डाला। (अप्रैल-जून 2004) मैं पाँच बच्चों की माँ हूँ इसलिए इन लेखों ने मेरे दिल की गहराइयों को छू लिया है। काश! दुनिया की हर माँ इन्हें पढ़ सकती।

सी. एम., फ्रांस (g04 10/22)

यह वाकई इत्तफाक है कि आपके लेख मुझे हमेशा ऐन वक्‍त पर मिलते हैं। मसलन, जब मुझे और मेरे पति को पता चला कि हम दोनों माँ-बाप बननेवाले हैं, तब आपने गर्भवती स्त्रियों पर जानकारी प्रकाशित की। (अप्रैल-जून 2003) और हमें यह कहते खुशी हो रही है कि हमारा मुन्‍ना तीन महीने का हो गया है, और अब आपने बच्चों की परवरिश के बारे में कई बेहतरीन सुझाव छापे हैं। ये लेख मुझ जैसी स्त्रियों के लिए वाकई मददगार हैं, जो पहली बार माँ बनती हैं।

डी. के., पोलैंड (g04 10/22)

जड़ी-बूटियों से बनी दवाएँ मुझे यह लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा: “जड़ी-बूटियों से बनी दवाएँ—क्या ये आपके लिए फायदेमंद होंगी?” (जनवरी-मार्च 2004) मैं एक रेजिस्टर्ड नर्स हूँ। मैं जोड़ों के दर्द के लिए तरह-तरह की कुदरती दवाइयाँ लेती हूँ जिनसे मुझे काफी फायदा हुआ है। लेकिन आपने यह नहीं बताया कि कुछ जड़ी-बूटियों की वजह से ऑपरेशन के दौरान काफी खून बह सकता है। इसलिए एक मरीज़ को चाहिए कि वह ऑपरेशन से पहले ऐसी जड़ी-बूटियाँ लेना बंद कर दे, और यह बात खासकर यहोवा के साक्षियों के लिए बहुत मायने रखती है।

जे. एच., अमरीका (g04 10/22)

“सजग होइए!” का जवाब: आपका बहुत धन्यवाद कि आपने हमें यह अहम बात याद दिलायी। ऑपरेशन से पहले यह बेहद ज़रूरी है कि मरीज़ अपने डॉक्टर को बताए कि वह कौन-कौन-सी दवाइयाँ ले रहा है, जिसमें जड़ी-बूटियों के बारे में बताना भी शामिल है। ऐसा करना खासकर उन लोगों के लिए ज़रूरी है जो ‘लोहू से परे’ रहने की बाइबल की आज्ञा को मानते हैं।—प्रेरितों 15:29.

भाई-बहनों के बीच होड़ “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं अपने भाई या बहन से अलग, अपनी एक पहचान कैसे बनाऊँ?” लेख के लिए मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। (जनवरी-मार्च 2004) मैं 16 साल की हूँ और मुझे लगता है कि हमेशा मेरी दीदी पर ही ज़्यादा ध्यान दिया जाता है। हाँ, मुझे मालूम है कि यहोवा को मेरा ध्यान है, फिर भी न जाने क्यों मैं अकेलापन महसूस करती हूँ। इस लेख में मेरी ही भावनाएँ उजागर की गयी हैं। यह लेख इतने कोमल और प्यार भरे अंदाज़ में लिखा गया है कि पढ़ते वक्‍त मैं अपने आँसुओं को रोक न सकी। इसमें दी गयी व्यावहारिक सलाह के लिए आपका शुक्रिया। मैं अंदर से बहुत सख्त हो गयी थी मगर इसे पढ़ने के बाद मेरे रवैये में कुछ सुधार हुआ है।

एम. ओ., जापान (g04 9/22)

कभी-कभी मेरे मन में ठीक वही भावनाएँ उठती हैं, जो इस लेख में बताए सभी जवानों के मन में उठी थीं। जहाँ तक मुझे याद है, मेरी दीदी को हमेशा एक अच्छी मिसाल समझा जाता था। इसलिए हरदम एक इंसान की तुलना परिवार के दूसरे सदस्यों से करने से उसके दिल पर जो गुज़रती है, वो दर्द मैं अच्छी तरह समझती हूँ। आपने बताया कि हममें जो हुनर हैं, उन्हें हमें और बढ़ाना चाहिए। यह सुझाव “चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब” की तरह था। इन शब्दों ने बिलकुल सही समय पर मेरा हौसला बढ़ाया है।”—नीतिवचन 25:11.

एस. टी., अमरीका (g04 9/22)

मेरी एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है। लगभग हर मामले में वे दोनों मुझसे बेहतर हैं। इसलिए आपकी सलाह पर चलते हुए मैंने अब स्पैनिश भाषा सीखनी शुरू की है और सेवा में पहले से ज़्यादा हिस्सा लेने लगी हूँ। नयी भाषा सीखने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है और अब लोग मुझ पर भी ध्यान दे रहे हैं।

एच. बी., अमरीका (g04 9/22)

होमवर्क मैं बारह-तेरह साल की एक विद्यार्थी हूँ और अपना काम पूरा करने के लिए कभी भी ठीक से वक्‍त नहीं निकाल पाती थी। मुझे यह लेख, “युवा लोग पूछते हैं . . . होमवर्क करने के लिए मैं वक्‍त कैसे निकालूँ?” (अप्रैल-जून 2004) पढ़ने से बहुत मदद मिली। मैं टीवी इतना ज़्यादा नहीं देखती थी। लेकिन जब भी देखने बैठती, तो एक-के-बाद-एक कार्यक्रम देखती जाती। अब मैंने टीवी देखना ही बंद कर दिया है।

आर. ओ., जापान (g04 11/8)