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विश्‍व-दर्शन

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छुटपन से ही पढ़ाई में बच्चों की दिलचस्पी जगाइए

न्यूरोलिंग्विस्टिक विशेषज्ञ बेआट्रीस गॉनसालेस ऑर्टूनयो कहते हैं: “देखा गया है कि जो माता-पिता पढ़ने के शौकीन होते हैं, उनके बच्चों को भी पढ़ने का शौक होता है।” इसकी रिपोर्ट मेक्सिको के अखबार रिफोर्मा में दी गयी थी। बच्चों में सीखने की गज़ब की काबिलीयत होती है इसलिए अच्छा होगा कि उनमें छुटपन से ही पढ़ने की दिलचस्पी जगाएँ, फिर चाहे उन्हें स्वरों की पहचान न भी हो। मसलन, उन्हें कहानी पढ़कर सुनायी जा सकती है, जिससे उनकी कल्पना शक्‍ति बढ़ेगी। पढ़ने में बच्चों की दिलचस्पी जगाने के लिए एक अखबार ये सुझाव देता है: “बच्चों के साथ बैठिए। . . . उन्हें पन्‍ने पलटने दीजिए, जब चाहे बीच में टोकने दीजिए और सवाल पूछने दीजिए। . . . कहानी में दिखायी गयी चीज़ों और किरदारों के बारे में उन्हें बताने को कहिए। उनके सारे सवालों के जवाब दीजिए। . . . दिखाइए कि किताबों में लिखी बातें कैसे उनके अपने अनुभव से जुड़ी हैं।” (g05 1/8)

हाथी और मिर्ची

अफ्रीका की वाइल्ड-लाइफ सैंक्चुअरी में पाए जानेवाले हाथी, काफी समय से वातावरण की रक्षा करनेवालों और किसानों के बीच झगड़े का कारण बने हुए हैं। हाथियों को सैंक्चुअरी की सीमा तक रखने के लिए कई जतन किए गए। बाड़े बनाए गए, आग इस्तेमाल की गयी और ड्रम भी बजाकर देख लिए गए, मगर सब तरकीबें नाकाम रहीं। घुमक्कड़ हाथियों ने, न सिर्फ बार-बार फसल तबाह की बल्कि कई इंसानों को भी कुचल डाला है। आखिरकार एक तीर निशाने पर लगा और वह था, मिर्ची का पौधा। दक्षिण अफ्रीका का अखबार द वीट्‌नेस रिपोर्ट करता है, सैंक्चुअरी की सीमा पर जहाँ-जहाँ ये पौधे लगाए गए हैं वहाँ से हाथी फौरन पीछे हट जाते हैं क्योंकि वे “पौधे की महक बिलकुल बरदाश्‍त नहीं कर पाते।” अब सैंक्चुअरी के रेंजरों ने चैन की साँस ली कि उन्हें “हाथियों को सीमा के अंदर रखने के लिए” ज़्यादा ज़हमत नहीं उठानी पड़ेगी और वहाँ के किसानों के खेतों का नुकसान भी कम हो गया है। अब तो मिर्ची, ज़्यादा पैसा बनाने का बढ़िया धंधा भी हो सकती है। (g05 1/8)

बुज़ुर्ग बोझ नहीं

ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ फैमिली स्ट्‌डीज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में यह प्रकाशित किया: “बुज़ुर्गों पर जितना खर्च होता है उस पर ध्यान देने के बजाय, वे मुफ्त में जो सेवा करते हैं उनसे मिलनेवाले बढ़िया फायदों और पैसे की बचत पर गौर करना ज़्यादा ज़रूरी है। इतना ही नहीं, बूढ़े लोग बिना तनख्वाह के जो ज़रूरी काम करते हैं, बाहर पैसा देकर भी उन्हें करवाना शायद इतना आसान नहीं।” अध्ययन दिखाता है कि “पैंसठ से ज़्यादा उम्र के ऑस्ट्रेलिया के बुज़ुर्ग जब मुफ्त में देखभाल और अपनी मरज़ी से दूसरे काम करते हैं, तो इससे हर साल [समाज में] करीब 39 अरब डॉलर [27 अरब अमरीकी डॉलर] की बचत होती है।” अपनी मरज़ी से किए गए कामों में बच्चों की देखभाल करना, बीमारों की सेवा करना और दूसरे घरेलू काम-काज शामिल हैं। अध्ययन के लेखक कहते हैं कि मुफ्त में किए गए ऐसे काम “‘गोंद’ की तरह हैं, जो समाज में लोगों को एकता के बंधन में बाँधते हैं।” इनकी कीमत सिर्फ रुपए-पैसे में नहीं आँकी जा सकती। (g05 1/8)

एड्‌स ने एक नया रिकॉर्ड कायम किया

सन्‌ 2003 में पचास लाख लोग एड्‌स के वाइरस से संक्रमित हुए थे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार के मुताबिक “जब से यह महामारी शुरू हुई तब से यानी पिछले 20 सालों के मुकाबले” सन्‌ 2003 में “एड्‌स से संक्रमित लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा रही है।” अखबार यह भी कहता है: “हालाँकि विकासशील देशों में एच.आई.वी. के खिलाफ लड़ने के लिए दुनिया-भर के लोग कोशिश कर रहे हैं, फिर भी एड्‌स के वाइरस हर साल ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर रहे हैं और लाखों की जान ले रहे हैं।” संयुक्‍त राष्ट्र और दूसरे समूहों की मदद से चलाए जानेवाले एड्‌स कार्यक्रमों (UNAIDS) ने यह जानकारी प्रकाशित की है कि हर साल करीब 30 लाख लोग एड्‌स से मर रहे हैं और सन्‌ 1981 में जब पहली बार इस बीमारी का पता चला, तब से 2 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल संयुक्‍त राष्ट्र एजेंसी अनुमान लगाती है कि 3.8 करोड़ लोगों को एच.आई.वी. है। इसका सबसे ज़्यादा प्रकोप अफ्रीका के दक्षिणी सहारा इलाकों में है, जहाँ 2.5 करोड़ एड्‌स के मरीज़ हैं। इसके बाद एशिया के दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी इलाकों का नंबर आता है, जहाँ कुल 65 लाख लोग इससे संक्रमित हैं। अखबार आगे कहता है: “संसार भर में इस बीमारी के जितने नए मरीज़ों का पता चला है, उनमें से तकरीबन आधे लोग 15 से 24 बरस के हैं।” (g05 2/22)

पेड़ों की ऊँचाई की हद

लास वेगस रिव्यू-जर्नल अखबार कहता है: “धरती पर जीवित चीज़ों में सबसे लंबी चीज़ है, रेडवुड पेड़। मगर इनके बढ़ने की एक हद है जिसके आगे वे और नहीं बढ़ सकते, फिर चाहे हालात कितने ही अच्छे क्यों न हों।” फिलहाल दुनिया के सबसे लंबे पेड़ (जिसकी ऊँचाई 110 मीटर है, यानी करीब 30 मंजिली इमारत जितना लंबा) और दूसरे चार रेडवुड पेड़ों के अध्ययन से ऐसा लगता है कि इस जाति का पेड़ करीब 130 मीटर तक बढ़ सकता है। जब पत्तों से नमी भाप बनकर उड़ती है, तब पानी को जड़ों से पेड़ के एकदम ऊपरी हिस्से तक खींचने की ज़रूरत पड़ती है, जिसके लिए गुरुत्वाकर्षण शक्‍ति के खिलाफ काम करना पड़ता है। खोजकर्ता अनुमान लगाते हैं कि इस तरीके से पानी के ऊपर चढ़ने में 24 दिन तक लग सकते हैं। जब पानी ज़ाइलम नाम की नलिका से ऊपर चढ़ता है, तब पानी का भार बढ़ने लगता है और एक वक्‍त पर यह इतना बढ़ जाता है कि पानी और ऊपर नहीं चढ़ पाता। इस वजह से पेड़ एक हद तक ही बढ़ पाता है। अब तक का रिकॉर्ड किया गया सबसे लंबा पेड़ है, डगलस फर जिसकी ऊँचाई करीब 126 मीटर थी। (g05 2/22)

पाँडा और उनके बाँस

लंदन का अखबार, द डेली टेलिग्राफ कहता है: “पहले माना जाता था कि चीन का और जंगल के जीव-जंतुओं की रक्षा करनेवाले संगठन का प्रतीक, बड़े पाँडा के धरती से पूरी तरह गायब होने का खतरा है।” मगर ऐसा नहीं है। पहले अनुमान था कि जंगल में 1,000 से 1,100 पाँडा हैं। लेकिन अब वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर और चीनी सरकार के ज़रिए किए गए चार साल के एक अध्ययन से पता चला कि जंगल में 1,590 से ज़्यादा पाँडा मौजूद हैं। यह सही संख्या बेहतर तकनीक से मालूम की गयी है, जैसे कि उपग्रह की मदद से पहले उन इलाकों के नक्शे बनाए गए जहाँ खोज करने की ज़रूरत थी। हालाँकि वातावरण की रक्षा करनेवालों के लिए बेशक यह एक खुशखबरी है, मगर इंग्लैंड के केंब्रिज शहर के विश्‍व-वातावरण की रक्षा कार्यक्रम पर नज़र रखनेवाले केंद्र ने आगाह किया कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई की वजह से पाँडा के खास भोजन, बाँस के गायब होने का बहुत ज़्यादा खतरा है। टेलिग्राफ के मुताबिक अंधाधुंध कटाई से बाँस को खास खतरा इसलिए है, क्योंकि “बाँस की हरेक जाति में, 20 से 100 साल में एक बार में एक-साथ फूल लगते हैं और फिर वे एक-साथ मर जाते हैं।” (g05 3/8)

फुर्तीली-जीभवाला गिरगिट

गिरगिट शिकार पकड़ने के लिए अपनी जीभ को इतनी तेज़ी से कैसे बाहर निकालता है? न्यू साइंटिस्ट पत्रिका कहती है: “इसका राज़ उसकी जीभ में स्प्रिंग की तरह काम करनेवाली तकनीक है। गुलेल को खींचने से जिस तरह दबाव पड़ता, उसी तरह उसकी जीभ में एक किस्म का दबाव पड़ता है।” वैज्ञानिक जानते थे कि गिरगिट की जीभ में ऐसे आवरण (sheaths) हैं जो “गति बढ़ानेवाली पेशियों” से घिरे हैं। नेदरलैंडस्‌ के खोजकर्ताओं ने धीमी रफ्तार में दिखाए वीडियो के ज़रिए पता लगाया कि अपनी जीभ बाहर निकालने के सिर्फ 200 मिलीसैकंड पहले, “एक गिरगिट गति बढ़ानेवाली पेशियों से जीभ के आवरणों पर दबाव डालता है और उन्हें टेलिस्कोप की तरह एक-में-एक डालकर दबा देता है। और यह तकनीक स्प्रिंग की तरह काम करती है। क्योंकि जब गिरगिट वार करता है तब दबाव की वजह से बस 20 मिलीसैकंडों में जीभ बड़ी तेज़ी से बाहर आ जाती है” और झट-से अपने शिकार को मुँह में ले लेती है। (g05 3/22)