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‘मानो इसे रचा गया हो’?

‘मानो इसे रचा गया हो’?

‘मानो इसे रचा गया हो’?

क्या आपने कभी दूरबीन से रात में आसमान को निहारा है? ऐसे कई लोग जिन्होंने इसे निहारा है, उन्हें आज भी वह दिन याद है जब पहली बार उनकी नज़र शनि ग्रह पर जा टिकी। यह ग्रह अपने आप में इतना निराला है कि देखनेवाला बस देखता ही रह जाए! आसमान की काली चादर पर बिखरे बेशुमार टिमटिमाते तारों के बीच, चपटे और दमकते छल्लों से घिरा यह गोला खूबसूरती की एक अनोखी मिसाल है!

शनि ग्रह के ये छल्ले क्या हैं? सन्‌ 1610 में जब खगोल-वैज्ञानिक गैलीलियो ने अपनी हाथ की बनायी दूरबीन से पहली बार शनि ग्रह को देखा, तो नज़ारा इतना धुँधला था कि उसे लगा कि शनि ग्रह के अगल-बगल में दो गोले हैं, मानो उसके दो छोटे-छोटे कान हों। फिर आनेवाले सालों के दौरान जैसे-जैसे बेहतरीन दूरबीनें ईजाद की गयीं, खगोल-वैज्ञानिक उन छल्लों को और अच्छी तरह से देख सके। मगर ये छल्ले किस चीज़ के बने हैं, इस बात को लेकर उनमें बहस चलती रही। बहुत-से वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ये छल्ले किसी ठोस पदार्थ से बने चक्र हैं। मगर सन्‌ 1895 में जाकर खगोल-वैज्ञानिकों को इस बात के पक्के सबूत मिले कि ये छल्ले पत्थर और बर्फ के कई कणों से बने हैं।

दूर के ग्रह (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “शनि ग्रह, सौर मंडल के अजूबों में से एक है। इसके छल्ले ऐसी कई पट्टियाँ हैं जो बर्फ के अनगिनत टुकड़ों से बनी हैं। इन चमकते छल्लों का घेरा बहुत विशाल है और उसका बाहरी सिरा धुँधला-सा नज़र आता है। इस घेरे के भीतरी सिरे से लेकर बाहरी सिरे तक की चौड़ाई करीब 4,00,000 किलोमीटर से भी ज़्यादा है। यह भी एक ताज्जुब की बात है कि ये छल्ले बहुत ही पतले हैं, औसतन 30 मीटर से भी कम।” जून 2004 में, जब अंतरिक्ष यान कासीनी-हायजन्ज़, शनि ग्रह पर पहुँचा और वहाँ से जानकारी और चित्र भेजे गए, तब जाकर वैज्ञानिक इन सैकड़ों जटिल छल्लों की बारीकियों के बारे में ज़्यादा जान पाए।

हाल ही में, स्मिथसोनियन पत्रिका के एक लेख में बताया गया था कि “शनि ग्रह को देखने पर ऐसा लगता है कि मानो इसे पूरी तरह नाप-तौलकर रचा गया हो।” इस लेखक की बात से हम राज़ी हैं मगर यह देखकर बड़ा ताज्जुब होता है कि उसने “मानो” शब्द का इस्तेमाल किया। असलियत तो यह है कि इस शानदार शनिग्रह को परमेश्‍वर ने रचा है, और सिर्फ इसी ग्रह को नहीं बल्कि दूसरे अरबों-खरबों पिंडों को भी बनाया है। इनके बारे में हज़ारों साल पहले, परमेश्‍वर की प्रेरणा से यह लिखा गया था: “आकाश ईश्‍वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।”—भजन 19:1. (g05 6/22)

[पेज 31 पर चित्रों का श्रेय]

पीछे की तसवीर: NASA, ESA and E. Karkoschka (University of Arizona); छोटी तसवीरें: NASA and The Hubble Heritage Team (STScl/AURA)