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मैं बुरी सोहबत से कैसे दूर रहूँ?

मैं बुरी सोहबत से कैसे दूर रहूँ?

युवा लोग पूछते हैं . . .

मैं बुरी सोहबत से कैसे दूर रहूँ?

“मैं स्कूल की एक लड़की के साथ वक्‍त बिताने लगी। . . . वह न तो ड्रग्स लेती थी, न पार्टियों में जाती थी और ना ही बदचलन थी। वह गाली-गलौज भी नहीं करती थी और पढ़ाई में अव्वल थी। फिर भी, इसमें कोई शक नहीं कि वह मेरे लिए बुरी सोहबत थी।”—बेवर्ली। *

बेवर्ली ने आखिर में ऐसा क्यों कहा? क्योंकि अब जाकर उसे एहसास होता है कि इस लड़की के साथ मेल-जोल बढ़ाने की वजह से वह खतरनाक कामों में फँस गयी थी। वह कहती है: “जैसे-जैसे हमारी दोस्ती बढ़ी, मैं भी उसकी तरह भूतविद्या की किताबें पढ़ने लगी। यहाँ तक कि मैंने इस बारे में एक कहानी भी लिखी।”

एक और लड़की, मेलॉनी भी गंदे चालचलन में फँस गयी, मगर ऐसी लड़की की सोहबत में पड़कर जो मसीही होने का दावा कर रही थी! तो सवाल है, आप कैसे पता लगा सकते हैं कि एक इंसान अच्छा दोस्त साबित होगा या नहीं? क्या उन लोगों के साथ गहरी दोस्ती करना हमेशा खतरनाक होता है जो सच्चाई में नहीं हैं? क्या संगी मसीहियों से दोस्ती करने में कभी कोई खतरा नहीं होता?

खासकर विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ दोस्ती करने के बारे में क्या? अगर आप किसी को अपना जीवन-साथी बनाने की सोच रहे हैं, तो आप कैसे पता कर सकते हैं कि उसके साथ रिश्‍ता जोड़ना आपके लिए आध्यात्मिक तौर पर फायदेमंद होगा? इन सवालों के जवाब पाने के लिए आइए हम बाइबल के कुछ सिद्धांतों की जाँच करें।

किस तरह के दोस्त अच्छे होते हैं?

बेवर्ली के साथ पढ़नेवाली वह लड़की, सच्चे परमेश्‍वर की उपासक नहीं थी, तो क्या सिर्फ इस वजह से बेवर्ली को उसकी तरफ दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाना चाहिए था? यह सच है कि सच्चे मसीही ऐसे हर इंसान को बुरा या बदचलन नहीं समझते जो साक्षी नहीं है। लेकिन हाँ, जब करीबी दोस्ती कायम करने की बात आती है, तो मसीहियों के लिए एहतियात बरतना ज़रूरी है। क्योंकि प्रेरित पौलुस ने पहली सदी की कुरिन्थुस कलीसिया को खबरदार किया था: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (1 कुरिन्थियों 15:33) उसके कहने का क्या मतलब था?

हो सकता है कि कुरिन्थुस कलीसिया के कुछ मसीही, इपिकूरी लोगों के साथ संगति करने लगे थे। इपिकूरी, यूनानी दार्शनिक इपिक्यूरस के शागिर्द थे। सच है कि इपिक्यूरस ने अपने चेलों को समझदारी से ज़िंदगी जीने, बहादुर बनने, खुद पर काबू रखने और इंसाफ करने की शिक्षा दी थी। यहाँ तक कि उसने उन्हें चोरी-छिपे पाप करने से भी मना किया था। तो फिर पौलुस ने इपिकूरी लोगों, यहाँ तक कि कलीसिया में उनके जैसे ख्यालात रखनेवाले मसीहियों को “बुरी संगति” क्यों कहा?

क्योंकि इपिकूरी लोग सच्चे परमेश्‍वर के उपासक नहीं थे। वे यह नहीं मानते थे कि मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा, इसलिए उनका सारा ध्यान अपनी मौजूदा ज़िंदगी से पूरा-पूरा मज़ा लूटने पर लगा हुआ था। (प्रेरितों 17:18,19,32) इसलिए ताज्जुब नहीं कि ऐसे लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ाकर, कुरिन्थुस कलीसिया के कुछ मसीहियों का भी पुनरुत्थान की आशा पर से विश्‍वास उठने लगा था। यही वजह है कि 1 कुरिन्थियों के जिस 15वें अध्याय में पौलुस ने बुरी संगति से दूर रहने की चेतावनी दी, उसी में ऐसी ढेरों दलीलें दी गयी हैं जो खासकर उन मसीहियों को पुनरुत्थान की आशा की सच्चाई का दोबारा यकीन दिलाने के लिए लिखी गयी थीं।

इस वाकये से हम क्या सबक सीख सकते हैं? यही कि जो लोग परमेश्‍वर को नहीं मानते वे भी बढ़िया गुण दिखा सकते हैं। लेकिन अगर आप उनके साथ करीबी दोस्ती कायम करेंगे, तो उनका आपकी सोच, आपके विश्‍वास और चालचलन पर यकीनन बुरा असर होगा। तभी तो पौलुस ने कुरिन्थुस कलीसिया को लिखी अपनी दूसरी पत्री में कहा: “अविश्‍वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो।”—2 कुरिन्थियों 6:14-18.

पौलुस ने कितनी अक्लमंदी की बात कही, यह 16 साल के फ्रेड ने अपने तजुरबे से सीखा। फ्रेड अपने स्कूल के समाज-सेवा से जुड़े काम में हिस्सा लेने के लिए पहले तो राज़ी हो गया। इसमें गरीब देशों में जाकर वहाँ के बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाना शामिल था। लेकिन अपने साथियों के संग जाने की तैयारी करते वक्‍त उसका मन बदल गया। क्यों? वह खुद बताता है: “मैं देख सकता था कि उनके साथ इतना ज़्यादा वक्‍त बिताना, आध्यात्मिक तौर पर मेरे लिए खतरनाक साबित हो सकता था।” यही वजह है कि फ्रेड ने प्रॉजेक्ट से अपना नाम कटवा लिया और दूसरे तरीकों से गरीबों या ज़रूरतमंदों की मदद करने में हाथ बँटाया।

कलीसिया के मसीहियों के साथ दोस्ती

लेकिन मसीही कलीसिया के अंदर दोस्त बनाने के बारे में क्या? जवान तीमुथियुस को लिखते वक्‍त पौलुस ने उसे सावधान किया: “बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये। यदि कोई अपने आप को इन से [“अलग हो कर,” हिन्दुस्तानी बाइबल] शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।” (2 तीमुथियुस 2:20,21) इससे साफ है, पौलुस ने इस हकीकत पर परदा डालने की कोशिश नहीं की कि मसीहियों में भी कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं जो आदर के साथ पेश नहीं आते हैं, यानी वे अच्छा चालचलन नहीं रखते। पौलुस ने तीमुथियुस को साफ-साफ यह सलाह भी दी कि वह ऐसों से अलग रहे और अपने आपको शुद्ध रखे।

तो क्या इसका यह मतलब है कि आपको अपने हर संगी मसीही को शक की नज़र से देखना चाहिए? जी नहीं। और ना ही आपको यह उम्मीद करनी चाहिए कि आपके मसीही दोस्त सिद्ध हों और वे कोई गलती न करें। (सभोपदेशक 7:16-18) दूसरी तरफ, अगर एक जवान बिना नागा मसीही सभा में आता है या उसके माता-पिता कलीसिया के जोशीले सदस्य हैं, तो इसका यह मतलब नहीं हो जाता कि वह आपका जिगरी दोस्त बनने के काबिल है।

नीतिवचन 20:11 कहता है: “लड़का [या लड़की] भी अपने कामों से पहिचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, वा नहीं।” इसलिए अक्लमंदी इसी में होगी कि आप उसके कामों की जाँच करें। जैसे: क्या फलाँ लड़का या लड़की अपनी ज़िंदगी में यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को सबसे ज़्यादा अहमियत देता/ती है? या क्या उसकी सोच और उसका रवैया “संसार की आत्मा” का सबूत देता है? (1 कुरिन्थियों 2:12; इफिसियों 2:2) क्या उसके साथ वक्‍त बिताने से आपको यहोवा की उपासना करने का बढ़ावा मिलता है?

अगर आप ऐसे लोगों को अपना दोस्त चुनेंगे जो दिलो-जान से यहोवा से प्यार करते हैं और आध्यात्मिक बातों से गहरा लगाव रखते हैं, तो आप न सिर्फ मुसीबतों से बचेंगे बल्कि यहोवा की सेवा करने का आपका इरादा और भी मज़बूत होगा। पौलुस ने तीमुथियुस से कहा: “जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्‍वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।”—2 तीमुथियुस 2:22.

विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ दोस्ती

अगर आप बालिग हैं और शादी करना चाहते हैं, तो क्या आपने सोचा है कि यही सिद्धांत कैसे आपको एक सही जीवन-साथी चुनने में मदद दे सकते हैं? विपरीत लिंग के व्यक्‍ति में ऐसी बहुत-सी खासियतें या खूबियाँ हो सकती हैं जिनकी वजह से आप उसे पसंद करने लगें। लेकिन जिस बात पर आपको सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, वह है उसकी आध्यात्मिकता यानी परमेश्‍वर के करीब आने के लिए वह कितनी मेहनत करता/ती है।

यही वजह है कि क्यों बाइबल हमें बार-बार यह चेतावनी देती है कि हम किसी ऐसे इंसान के साथ शादी न करें जो “प्रभु में” नहीं है। (1 कुरिन्थियों 7:39; व्यवस्थाविवरण 7:3,4; नहेमायाह 13:25) यह सच है कि कुछ लोग जो विश्‍वासी नहीं हैं, वे ज़िम्मेदार इंसान, सुशील और अदब से पेश आनेवाले, साथ ही बहुत प्यार और परवाह करनेवाले हो सकते हैं। फिर भी, उनके अंदर वह प्रेरणा नहीं है जो आपके अंदर है कि इन गुणों को और भी अच्छी तरह ज़ाहिर करने में मेहनत करें, और वक्‍त के गुज़रते शादी के बंधन को और भी मज़बूत बनाने में लगे रहें।

दूसरी तरफ, जो इंसान अपना जीवन यहोवा को समर्पित कर चुका है और उसका वफादार है, वह जी-जान से अपने अंदर मसीही गुण पैदा करता है और चाहे कुछ भी हो जाए, उन गुणों को बरकरार रखने की कोशिश करता है। वह बाइबल की इस बात को समझता है कि अपने जीवन-साथी से प्यार करने और यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखने के बीच गहरा ताल्लुक है। (इफिसियों 5:28,33; 1 पतरस 3:7) इसलिए अगर पति-पत्नी, दोनों यहोवा से प्यार करते हैं, तो उनके लिए एक-दूसरे के साथ वफादारी निभाने की इससे बड़ी प्रेरणा और क्या हो सकती है!

क्या इसका मतलब है कि अगर एक मसीही लड़का-लड़की शादी करें तो यह गारंटी है कि उनकी शादी कामयाब ही होगी? नहीं। मान लीजिए कि आप एक ऐसे मसीही से शादी करते हैं जिसे आध्यात्मिक बातों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं। ऐसे में क्या हो सकता है? आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर होने की वजह से, उसमें संसार के दबाव का सामना करने की ताकत नहीं होगी, साथ ही उसके मसीही कलीसिया से बहक जाने का ज़्यादा खतरा होगा। (फिलिप्पियों 3:18; 1 यूहन्‍ना 2:19) अगर यही हाल आपके जीवन-साथी का हो और वह “संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता” में फँस जाए, तो ज़रा सोचिए आपके दिल पर क्या बीतेगी और आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में किस तरह का तूफान मच जाएगा?—2 पतरस 2:20.

जिस व्यक्‍ति के साथ आप शादी करने की सोच रहे हैं, उसके साथ एक रिश्‍ते की शुरूआत करने से पहले इन सवालों पर गौर कीजिए: क्या वह आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत है? क्या वह मसीही ज़िंदगी जीने में एक बढ़िया मिसाल है? क्या उसका विश्‍वास बाइबल की सच्चाई पर टिका है, या क्या आध्यात्मिक तरक्की करने के लिए उसे और भी वक्‍त की ज़रूरत है? क्या आपको पक्का यकीन है कि यहोवा से प्यार करना ही उसकी ज़िंदगी है? बेशक, यह जानने से काफी मदद मिलती है कि एक इंसान का अच्छा नाम है या नहीं। मगर यह सारी जाँच करने के बाद, आपको पूरा यकीन हो जाना चाहिए कि जिस इंसान में आपको दिलचस्पी है, वह यहोवा की भक्‍ति करता है और वह आपके लिए एक अच्छा जीवन-साथी साबित होगा।

यह भी याद रखिए कि जो इंसान “गलत किस्म के लोगों” की तरफ आकर्षित होता है, वह सबसे पहले गलत तरह के मनोरंजन या दूसरे कामों की तरफ खिंचता है। इसलिए अगर आप कोई गलत काम कर रहे हैं, तो बेशक मसीही कलीसिया में अच्छी मिसाल रखनेवाले जवान इसमें आपका साथ नहीं देंगे। इसलिए आप अपने दिल की जाँच कीजिए।

जाँच करने के बाद, अगर आपको लगता है कि आपके दिल को अनुशासन देने की ज़रूरत है तो निराश मत होइए। दिल को शिक्षा या अनुशासन दिया जा सकता है। (नीतिवचन 23:12) सबसे ज़रूरी बात तो यह है: आप असल में क्या चाहते हैं? क्या आप भले कामों और भलाई करनेवालों की तरफ आना चाहते हैं? यहोवा की मदद से आप अपने दिल में ऐसी चाहत पैदा कर सकते हैं। (भजन 97:10) और अगर आप भले-बुरे में भेद करने के लिए अपनी ज्ञानेन्द्रियों को पक्का करेंगे, तो अच्छे और हौसला बढ़ानेवाले दोस्तों का चुनाव करना आपके लिए आसान हो जाएगा।—इब्रानियों 5:14. (g05 8/22)

[फुटनोट]

^ नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 14 पर तसवीर]

अच्छे दोस्तों का आप पर अच्छा असर होगा